Bhai Dooj भाई दूज

Posted By: 99PanditJi
Posted On: October 12, 2022

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दिपावली के बाद आने वाली भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की दितीया तिथि को मनाई जाती है। भाई दूज भाई बहनो के बीच का वह बंधन है। जो पूरे भारत मे कई जगह मनाया जाता है। हिंदु रीति रिवाजो के अनुसार भाई दूज जिसे यम दितीया या भाई टीका के रूप मे भी जाना जाता है। भाई दूज कार्तिक माह के हिंदु कैलेंडर मे ’ शुक्ल पक्ष ’ के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है। जो दिवाली उत्सव के दो दिन बाद होता है। हिंदु धर्म मे रक्षाबंधन के अलावा भाई दूज का भी विशेष महत्व है। भाई दूज को भाई बहन का त्योहार भी कहा जाता है। भाई दूज का त्योहार भी राखी की तरह ही मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई के माथे पर तिलक लगाकर और कलाई पर मोली का धागा बांधती है। और बहन भाई को खाना खिलाती है। बहन भाई की लंबी उम्र के लिए भाई दूज का व्रत रखती है। जिससे भाई पर कोई संकट आये तो वे दूर हो जाये। और भाई के उज्जवल भविष्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है।

भाई दूज की कहानी

जैसा कि अधिकांश हिंदु त्योहारो मे होता है। इस शुभ त्योहार के उत्सव से जुडी कई किवदंतिया है। जिनमे से सबसे लोकप्रिय मृत्यु के देवता यमराज के बारे मे है। यमुना तथा यमराज दोनो भाई बहन थे। इनका जन्म भगवान सोइरी नारायण की पत्नी छाया की कोख से हुआ था। यमराज की बहन यमुना ने कई अवसरो पर अपने भाई से मिलने की कोशिश की लेकिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने मे असमर्थ रहे। यमुना यमराज से बहुत ज्यादा स्नेह करती थी। यमुना यमराज को बार – बार अपने घर भोजन करने के लिए आंमत्रित करती है।

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लेकिन यमराज अपने कार्य मे व्यस्त होने के कारण हर बार यमुना की बातो को टाल देते है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की दितीया तिथि को यमुना यमराज को अपने घर पर भोजन करने के लिए वचन दे देती है। यमराज भी सोचते है कि मै तो प्राणो को हरने वाला हू मुझे तो कोई भी अपने घर नही बुलाना चाहता लेकिन मेरी बहन मुझसे कितना स्नेह करती है। जो इतनी सदभावना से मुझे अपने घर भोजन के लिए आंमत्रित कर रही है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की दितीया के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने के लिए निकलते है।

और नरक के सभी जीवो को मुक्त कर देते है यमराज के घर पहुचंते ही यमराज को अपने द्वार मे खडा देख यमुना की खुशी का ठिकाना नही रहता है। वह सबसे पहले स्नान करके यमराज को तिलक करके भोजन कराती है। बहन को अपने प्रति स्नेह , आदर और सम्मान को देखकर यमराज खुश हो जाते है। और यमुना को वर मांगने का आदेश देते है। यमुना ने कहा भद्र ! इस दिन जो बहन मेरी तरह अपने भाई का आदर , सत्कार और टीका करके भोजन कराये उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज अपनी बहन यमुना को तथास्तु कहकर वस्त्र और आभूषण देकर चले जाते है।

सभी हिंदु त्यौहारो को लेकर कुछ न कुछ मान्यता या कथाए रहती है। इसी प्रकार भाई दूज को लेकर एक कथा श्री कृष्ण और उनकी सुभद्रा से जुडी है। मान्यता है कि श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के पश्चात अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। सुभद्रा ने अपने भाई से मिलकर उनका तिलक कर पूजन आरती किया और पुष्पहारो से उनका आदर सत्कार के साथ स्वागत किया तब से ही हर वर्ष इसी तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।

यमुना नदी मे स्नान का महत्व

भाई दूज के दिन यमुना मे स्नान करना बहुत अच्छा माना जाता है। कहा जाता है कि सूर्य की पत्नी संज्ञा के दो बच्चे थे 1 बेटा और 1 बेटी। पुत्र का नाम यम था और बेटी का नाम यमुना। संज्ञा अपने पति सूर्य की तेज किरणो को सहन नही कर पाती थी और इसी वजह से वो उत्तरी धु्रव मे छाया बनकर रहने लग गई थी। कहा जाता है कि इसी के बाद ताप्ती नदी और शनि ने भी जन्म लिया था। संज्ञा के उत्तरी धु्रव मे रहने के बाद से यम और यमुना का आपस मे व्यवहार बदलने लग गया था। इसी को देखते हुए यम ने अपनी नगरी बसाई थी जिसका नाम यमपुरी था। कुछ साल बाद यम को अपनी बहन यमुना की याद सताने लगी। यम ने दूतो को अपनी बहन खोजने के लिए भेजा लेकिन उनका कुछ पता नही चला। इसके बाद यम शांत नही बैठे और उन्होने अपनी बहन को खोजना शुरू कर दिया वह अपनी बहन को खोजते – खोजते गोलोक गए और वही उनको अपनी बहन मिली। अपने भाई से मिल यमुना बहुत खुश हुई। और यम भी अपनी बहन यमुना को देखकर बहुत खुश हुए। इस पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन यमुना नदी मे स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। भाई दूज के दिन हर बहन अपने भाई को यमुना नदी मे हाथ पकडकर नहलाती है। इससे दोनो हमेशा के लिए सुखी रहते है। और उनकी सारी परेशानिया दूर होती है। और उनके जीवन मे कभी कोई संकट नही आते है।

विभिन्न क्षेत्रो मे भाई दूज पर्व

देश के विभिन्न इलाको मे भाई पर्व को अलग – अलग नामो से मनाया जाता है। दरअसल भारत मे क्षेत्रीय विविधता और संस्कृति की वजह से त्योहारो के नाम थोडे परिवर्तित हो जाते है हालांकि भाव और महत्व एक ही होता है।

 

1 पश्चिम बंगाल मे भाई दूज को भाई फोटा पर्व के नाम से जाना जाता है। इस दिन बहने भाई के लिए व्रत रखती है। और भाई को तिलक करने के बाद भाई को भोजन कराती है। भाई बहन को उपहार देता है।

2 महाराष्ट्र और गोवा मे भाई दूज को भाउ बीज के नाम से मनाया जाता है मराठी मे भाउ का अर्थ है ’ भाई ’ इस मोके पर बहने भाई को तिलक लगाकर भाई के खुशहाल जीवन की कामना करती है।

3 उत्तरप्रदेश मे भाई दूज के मौके पर बहने भाई का तिलक कर उन्हे शक्कर के बताशे देती है। उत्तरप्रदेश मे भाई दूज पर भाई को सूखा नारियल देने की परंपरा है।

4   बिहार मे भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। दरअसल इस दिन बहने भाइयो को डाटती है। और उन्हे भला बुरा कहती है। और फिर उनसे माफी मांगती है दरअसल यह परंपरा भाइयो द्वारा पहले की गई गलतियो के चलते निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बहने भाइयो को तिलक लगाकर उन्हे मिठाई खिलाती है।

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5   नेपाल मे भाई दूज पर्व भाई तिहार के नाम से लोकप्रिय है। तिहार का मतलब तिलक या टीका होता है इसके अलावा भाई दूज को भाई टीका के नाम से भी मनाया जाता है। नेपाल मे इस दिन बहने भाइयो के माथे पर सात रंग से बना तिलक लगाती है और उनकी लंबी आयु व सुख – समृध्दि की कामना करती है।

उपसंहार

भाई दूज का यह त्योहार हिंदु धर्म मे सबसे पवित्र त्योहारो मे से एक माना जाता है। राखी के अलावा भाई दूज भी भाई बहन के रिश्ते का पवित्र त्योहार माना जाता है। भाई दूज के दिन हम 99 Pandit.com से पंडित बुक करके भाई दूज की पूजा करवा सकते है। भाई दूज के दिन बहन अपने भाई को तिलक करके खाना खिलाती है। और भाई की लंबी आयु के लिए ईश्वर से कामना करती है कि उसके भाई पर कभी कोई संकट नही आये। इस पवित्र त्योहार को हमे प्यार से मनाना चाहिए किसी प्रकार का कोई लडाई झगडा नही करना चाहिए।

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