दिवाली 2022 मे वास्तु के अनुसार रखे दीये घर मे होगा लक्ष्मी का वास

Posted By: 99PanditJi
Posted On: September 30, 2022
Last Update On: November 23, 2022

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दिवाली 2022: दिवाली जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता हैं। दीपावली संस्कृत के दो शब्दो से मिलकर बना है। ’दीप +आवली’ दीप का अर्थ ’दीपक’ और आवली का अर्थ ’श्रृंखला’ अर्थात् दीपो की श्रृंखला दिवाली के दिन लोग अपने घरो को दीपको और तरह-तरह की डिजाइन वाली लाइटो से अपने घरो को सजाते है। भारत और पूरी दुनिया मे रहने वाले हिंदुओ का दिवाली सबसे पवित्र त्योहार है।

इस त्योहार को सभी समुदाय के लोग पटाखो और आतिशबाजी के साथ इस त्योहार को बडे हर्षोउल्लास के साथ मनाते है। दिवाली का त्योहार सब त्योहारो मे बडा माना जाता है। दिवाली एक या दो दिन का त्योहार नही बल्कि पांच दिन का त्योहार होता है। जो धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है। दिवाली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। यह पांच दिन समृद्धि के लिहाज से की जाने वाली पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते है।

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दिवाली 2022 के दिन हम लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा करते है। और लक्ष्मी जी को मिठाई का भोग लगाते है। और हमारे मंगल जीवन के लिए लक्ष्मी जी से प्रार्थना करते है और हमे हर वो खुशी दे जो हम चाहते है। पूजा करने के बाद हम अपने परिवार के बडे बुजुर्गो का आर्शीवाद लेते है और अपने आस पडोस मे अपने सगे संबंधी और अपने मित्रो से मिलने जाते है। और उपहारो का आदान-प्रदान करते है। दिवाली के दिन हम नये कपडे,मिठाईया, आभूषण आदि लाते है। दिवाली के दिन व्यापारी नये बही खाते बनाते है।

दिवाली मनाने का कारण

इस त्योहार मनाने का हमारे हिंदु धर्म मे बहुत बडा कारण है। क्योंकि इस दिन भगवान राम 14 वर्षो का वनवास करके अपनी पत्नी सीता भाई लक्ष्मण और उत्साही भक्त हनुमान जी के साथ अयोध्या लोटे थे। भगवान राम जी अपने पिता राजा दशरथ जी के वचन को निभाने के लिए अयोध्या चले गए थे। भगवान राम जी जिस दिन अयोध्या मे लोटे थे उस दिन अयोध्या को दीपको से सजाया गाया था।

कार्तिक मास की अमावस्या को होने के कारण दिवाली के दिन बहुत अंधेरा रहता है। इसलिए पूरे अयोध्या वासियो ने अपने घरो को दिपको से सजाया था हर तरफ रोशनी ही रोशनी थी। ताकि भगवान राम जी के आगमन के आगमन मे कोई परेशानी नही हो। पूरे अयोध्या मे भगवान राम जी की आने की बहुत ज्यादा खुशी थी इसलिए हम आज के दिन दिवाली मनाते है। दिवाली अंधेरे पर विजय की
प्रकाश के रूप मे मनाया जाता है।

दिवाली 2022 त्योहार की तैयारी

दिवाली 2022 की तैयारिया बहुत दिनो पहले से ही चालू हो जाती है। लोग नवरात्रो से ही घरो की साफ सफाई व रंगाई-ंउचयपुताई करने मे जुट जाते है। ऐसी मान्यता है कि जो घर साफ सुथरे होते है उस घर मे लक्ष्मी जी विराजमान होती है। और अपना आर्शीवाद प्रदान करके सुख समृध्दि मे ब-सजयोतरी करती है। दिवाली नजदीक आते ही लोग अपने घरो को तरह -ंउचयतरह की लाइटो से सजाना शुरू कर देते है।

धनतेरस से ही लोग अपने घरो मे दीपक जलाना शुरू कर देते है। और अपने घर के हर कोने को दीपको से सजाते है। चारो तरफ रोशनी हो जाती है। हर तरफ उमंग उल्लास का माहौल रहता है। दिवाली एक ऐसा पर्व है जहां शहर और गांवो मे हर घर को दीपक और लाइटो से सजाते है। बाजारो मे भी लाइटिंग की जाती है। बाजार भी लाइटो से जगमगा उठते है जगमगाते दीपक आपको तारो का एहसास कराते है। बाजार से मिटी के दीपक लाकर जलाते है।

दिवाली के साथ मनाये जाने वाले उत्सव

त्योहार “दिवाली” पांच दिनो तक मनाया जाता है। यह धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है।

  • धनतेरस के दिन खरीदारी करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन लोग सोने चांदी के आभूषण,बर्तन आदि की खरीदारी करते है। धनतेरस के दिन सब लोग अपनी आमदनी केेेेेेेे हिसाब से खरीदारी करते है। धनतेरस के दिन कुबेर की पूजा की जाती हैै।
  • धनतेरस के दूसरे दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है। इसे नरक चतुर्दर्शी भी कहते है।
  • तीसरे दिन बडी दिवाली मनाई जाती है। दिवाली के दिन हम लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा करते हैं। लक्ष्मी जी को मिठाई का भोग लगाते है। और हमारे अच्छे दिनो के लिए लक्ष्मी जी से प्रार्थना करते है। हमे सुख समृध्दि और शान्ति दे हमे सफलता की पी-सजयी तक पहुचाये।
  • चोथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा को रोकने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया था इसलिए आज के दिन गोवर्धन मनाया जाता है। गोवर्धन के दिन कई मंदिरो मे अन्नकूट का प्रसाद बांटा जाता है।
  • पांचवे दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। यह भाई बहन का त्योहार माना जाता है। भाई दूज के दिन बहन भाई को माथे पर तिलक लगाकर कलाई पर मोली का धागा बांधती है। और बहन भाई की लंबी आयु के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है।

दिवाली 2022 से जुडी सामाजिक कुरीतिया

दिवाली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व पर भी समाज के कुछ असामाजिक तत्व मदिरा का सेवन करना जुआ खेलना जादू टोना करना पटाखो का गलत इस्तेमाल करना। कई लोग पटाखो का गलत इस्तेमाल करते है। उससे कई जगह आग लग जाती है। और बहुत नुकसान होता है। इसलिए पटाखे जलाते समय सावधानी रखनी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की कोई हानि न हो। अगर दिवाली के दिन इन कुरीतियो को दूर रखा जाये तो दिवाली का पर्व वास्तव मे शुभ हो जाएगा।

उपसंहार

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दिवाली 2022 अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर संसार को प्रकाशमय बनाने का त्योहार है। दिवाली को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन बच्चे तरह-ंउचयतरह के पटाखे जैसे फुल-हजयडिया,फुव्वारे,चकरी,रोशनी आदि कई तरह के आतिशबाजी के पटाखे खरीदते है। बच्चो को पटाखे सावधानी से जलाने की सलाह देनी चाहिए।

बच्चो को बडो की देखरेख मे पटाखे जलाने चाहिए। ताकि उन्हे किसी प्रकार का कोई नुकसान नही हो। हमे इस बात को सम-हजयना होगा की दिवाली त्योहार का अर्थ प्रेम,दीप और समृध्दि से है। दिवाली का त्योहार हमे आगे ब-सजयने की प्रेरणा देता है। दिवाली का त्योहार सांस्कृतिक और सामाजिक सदभाव का प्रतीक है। दिवाली का त्योहार सुख,समृध्दि,धन और सफलता लाता है।

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