शरद पूर्णिमा तिथि , पूजा विधि , शुभ मुहूर्त

Posted By: 99PanditJi
Posted On: October 12, 2022

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Table Of Content

हमारे हिंदु धर्म मे शरद पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा आती है। इस दिन रात्रि मे चंद्रमा सोलह कलाओ से परिपूर्ण होता है। शरद पूर्णिमा के दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस बार शरद पूर्णिमा 9 अक्टूबर रविवार को पड रही है। पौराणिक कथाओ के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान शरद पूर्णिमा के दिन मा लक्ष्मी प्रकट हुई थी। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मा लक्ष्मी अपने भक्तो पर कृपा बरसाती है। शरद पूर्णिमा का दिन मा लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए खास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन रात को मा लक्ष्मी भ्रमण पर निकलती है। शरद पूर्णिमा से ही शरद ऋतु का आगमन होता है।

  पूजा विधि

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शरद पूर्णिमा वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन गंगा नदी मे स्नान करने का बहुत अधिक महत्व है। शरद पूर्णिमा वाले दिन पवित्र नदियो मे स्नान करना चाहिए। अगर आप नदी मे नही जा सकते तो घर पर ही बाल्टी मे थोडा गंगाजल डालकर भी स्नान कर सकते है। नहाते समय सभी पवित्र नदियो का मन मे ध्यान कर ले। शरद पूर्णिमा के दिन करना बहुत शुभ माना जाता है। स्नान करने के बाद पूजा वाले स्थान को अच्छे से साफ कर लेना चाहिए इसके बाद भगवान विष्णु और मा लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करे। भगवान विष्णु और मा लक्ष्मी की प्रतिमा का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने शुध्द देशी घी से दीपक जलाना चाहिए। शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना का बहुत अधिक महत्व है। साथ ही मा लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु को भोग लगाए। भगवान विष्णु के भोग मे तुलसी के पत्तो को भी शामिल करे।

तुलसी के पत्तो के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नही करते है। शरद पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मा लक्ष्मी की आरती करे। इस पावन पर्व पर भगवान विष्णु और मा लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करे। मा लक्ष्मी को जो भक्त सच्चे मन से याद करते है उनके घर मे सुख , समृध्दि और धन की कमी नही होती है। शाम के समय चंद्रमा निकलने पर मिटी के 100 दीये तेल या देशी घी से जलाना चाहिए। चंद्रमा की पूजा करके चंद्रमा को अघ्र्य देना चाहिए अघ्र्य देने से दोषो से मुक्ति मिलती है। शरद पूर्णिमा के दिन किसी जरूरतमंद को कपडे , मिठाई , फल आदि दान करना चाहिए। शरद पूर्णिमा के दिन गाय को भी भोजन कराना चाहिए। गाय को भोजन कराने से कई कष्टो से मुक्ति मिलती है। हमारे हिंदु धर्म मे गाय को रोटी देना शुभ माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर रात के समय छोटे बर्तनो मे खीर डालकर उसे चंद्रमा की रोशनी मे किसी छलनी से ढककर रख दे। सुबह स्नान आदि करने के बाद माॅ लक्ष्मी को खीर अर्पित करे और फिर परिवार के सभी लोगो के साथ खीर का प्रसाद ग्रहण करे। शरद पूर्णिमा के दिन फल और जल का सेवन करके व्रत रखा जाता है। इस दिन काले वस्त्र धारण नही करना चाहिए। शरद पूर्णिमा के दिन सफेद वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए।

  शरद पूर्णिमा कथा

हर महीने मे पडने वाली पूर्णिमा का व्रत करने से भगवान विष्णु और मा लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष मे जो शरद पूर्णिमा आती है। वह अत्यंत शुभ मानी जाती है शरद पूर्णिमा वाले दिन बहुत से लोग दान करते है। इस दिन दान दक्षिणा करना शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु और मा लक्ष्मी का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए एक साहूकार की दो बेटिया हर महीने पूर्णिमा का व्रत करती थी। बडी बेटी पूर्णिमा का व्रत पूरे विधान के साथ करती थी। और छोटी बेटी पूर्णिमा का व्रत पूरे नियम से नही करती थी। जैसे ही दोनो बेटिया बडी हुई साहूकार ने उन दोनो की शादी करवा दी शादी के एक साल के बाद बडी बेटी के घर स्वस्थ संतान ने जन्म लिया। और छोटी बेटी के घर संतान तो हुई लेकिन उसने जन्म लेते ही दम तोड दिया छोटी बहन के साथ ऐसा कई बार हुआ फिर उसने अपनी कहानी एक ब्राहम्ण को बताई ब्राहम्ण ने उससे पूरी बात जानने के बाद उसे बताया कि तुमने पूर्णिमा का व्रत अधूरा किया है।

इस कारण तुम्हे व्रत का फल नही मिल रहा है। तुम्हारे अधूरे व्रत का दोष है। ब्रहाम्ण की बात सुनकर उसने पूर्णिमा का व्रत पूरी सच्ची निष्ठा के साथ करने का निर्णय लिया। और पूर्णिमा आने से पहले ही उसने एक पुत्र को जन्म दिया जन्म लेते ही उसकी मृत्यु हो गई। इस बार उसने अपने बेटे के शव को एक पीढे से ढक दिया और उस पर एक कपडा डाल दिया। ताकि किसी को पता नही चले फिर उसने अपनी बडी बहन को बुलाया और उसे बैठने को वही पीढा दिया। बडी बहन जैसे ही पीढे पर बैठने लगी उसके लहंगे के स्पर्श से बच्चे की रोने की आवाज आई ये देखकर बडी बहन डर गई और छोटी बहन पर क्रोधित होकर बोली तुम मेरे पर बच्चे की हत्या का दोष और कलंक लगाना चाहती हो इस पर छोटी बहन ने उत्तर दिया यह बच्चा मरा हुआ पहले था। तुम्हारे तप और स्पर्श के कारण तो यह जीवित हो गया है। पूर्णिमा के दिन जो तुम व्रत और तप किया करती हो उसके कारण तुम दिव्य तेज से परिपूर्ण और पवित्र हो गई हो। अब मै भी तुम्हारे तरह ही व्रत करूंगी फिर उसने भी पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि विधान के साथ किया इस व्रत के महत्व और फल का पूरे नगर मे प्रचार किया। जिस प्रकार मा लक्ष्मी और भगवान विष्णु ने साहूकार की बेटी की कामना पूर्ण कर सोभाग्य प्रदान किया वैसे ही हमे भी करे । इस कथा से हमे ये सीख मिलती है कि चाहे कोई भी व्रत हो उसे हमे पूरी सच्ची निष्ठा के साथ करना चाहिए। जब तक हम व्रत को पूरे विधि विधान से नही करते है। तब तक हमे उसका फल नही मिलता है। शरद पूर्णिमा का व्रत करने से घर मे सुख शान्ति और घर मे मा लक्ष्मी का वास होता है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है।

  शरद पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व

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शरद पूर्णिमा से ही मौसम मे परिवर्तन होना शुरू हो जाता है। शरद पूर्णिमा से शरद ऋतु का आगमन होता है। चंद्रमा की किरणे विशेष अमृतमयी गुणो से युक्त रहती है। शरद पूर्णिमा मे चंद्रमा की किरणे कई बीमारिया दूर कर सकती है। शरद पूर्णिमा की रात मे खीर का सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। खीर का सेवन करना इस बात का प्रतीक है कि शीत ऋतु मे गर्म पदार्थो का सेवन करना चाहिए। जिससे जीवनदायिनी ऊर्जा प्राप्त होगी। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात लोग चंद्रमा की रोशनी मे खीर रखते है। जिससे चंद्रमा की किरणे उस खीर के संपर्क मे आती है। और खीर मे चंद्रमा की किरणो के औषधीय गुण मिल जाते है। पौराणिक मान्यता है कि खीर मे अमृत का अंश होता है। जो आरोग्य सुख प्रदान करता है।

  शरद पूर्णिमा पर खीर का सेवन

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की खीर अस्थमा रोगियो के लिए बेहद फायदेमंद बताई जाती है। शरद पूर्णिमा की खीर को चर्म रोग से परेशान लोगो के लिए भी अच्छा बताया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन खीर का सेवन करना बहुत शुभ बताया गया है। ये खीर आंखो से जुडी बीमारियो से परेशान लोगो को भी बहुत लाभ पहुंचाती है। शरद पूर्णिमा का चांद और खीर दिल के मरीजो और फेफडे के मरीजो के लिए भी काफी फायदेमंद बताया गया है। शरद पूर्णिमा के दिन खीर का सेवन करने से कई प्रकार के रोगो से मुक्ति मिलती है।

शरद पूर्णिमा 2022 शुभ मुहूर्त

शरद पूर्णिमा रविवार , अक्टूबर 9,2022 को

शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय – 05 ः 51 पी एम

प्ूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 9,2022 को 03 ः 41 ए एम बजे

प्ूर्णिमा तिथि समाप्त – अक्टूबर 10,2022 को 02 ः 24 ए एम बजे

Frequently Asked Question

Q. अक्टूबर 2022 मे शरद पूर्णिमा कब है?

A.
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा तिथि रविवार ,09 अक्टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी। शरद पूर्णिमा तिथि अगले दिन सोमवार ,10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी।

Q. शरद पूर्णिमा पर क्या नही खाना चाहिए?

A. शरद पूर्णिमा करने वाले भक्तो को सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए। सूर्योदय से लेकर पूर्णिमा के उदय तक अन्न या जल ग्रहण नही किया जाता है। जो लोग इस तरह का व्रत नही कर सकते वे एक बार फल और दूध का सेवन कर सकते है।

Q. शरद पूर्णिमा के दिन हम किसकी पूजा करते है?

A. आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की जो शरद पूर्णिमा आती है इस दिन हम भगवान विष्णु और मा लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते है। और मा लक्ष्मी से प्रार्थना करते है हमे सुख शान्ति और समृध्दि दे। शाम होते ही घी या तेल से दीये जलाते है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है।

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