Gita Jayanti 2025: जाने गीता जयंती 2025 की शुभ तिथि व महत्व
गीता जयंती 2025 हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है इस गीता जयंती 2025 [गीता…
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भारत देश को त्योहारों का देश भी कहा जाता है क्योंकि भारत देश के लोग सभी प्रकार के त्योहारों को बहुत ही उत्सुकता से बनाते हैं|
खासकर हिंदू धर्म के लोगों को अपने त्योहारों से बहुत उत्साह मिलता है| आज हम छठ पूजा 2025 के बारे में बात करेंगे|
यह त्यौहार हिन्दू धर्म में पूरी विधि विधान से मनाया जाता है| छठ पूजा का प्रमुख त्योहार है| यह त्यौहार ज्यादातर बिहार, उत्तर प्रदेश और भारत देश के अन्य राज्यों में भी मनाया जाता है

यह त्यौहार हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार है छठ पूजा का त्यौहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को मनाया जाता है|
छठ पूजा का यह त्यौहार कुल चार दिनों तक मनाया जाता है| इस चार दिनों में त्योहार की अलग-अलग परंपराएं पूरी की जाती हैं|
छठ पूजा के इस शुभ अवसर पर भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है| सूर्योपासना के इस छठ पूजा के त्यौहार को बहुत ही शुभ माना जाता है|
छठ पूजा का त्यौहार भगवान सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा को समर्पित किया गया है| यह त्यौहार बिहारवासियों के लिए बहुत ही महत्व रखता है| इस त्यौहार को बिहार के साथ – साथ उत्तर प्रदेश, झारखंड तथा नेपाल के भी कई हिस्सों में मनाया जाता है|
इस चार दिन तक चलने वाली फेस्टिवल में महिलाएं 36 घंटे तक की कमाई करती हैं| और अपने पति व पुत्र की लम्बी आयु की कामना करती है| हर साल यह त्यौहार अलग-अलग तारीख को मनाया जाता है|
इस वर्ष छठ पूजा 2025 का यह त्यौहार 25 अक्टूबर 2025, शनिवार से शनिवार की खरीदारी 28 सेकंड 2025, मंगलवार तक मनाया जाएगा तो आइए जानते हैं इस प्रसिद्ध त्योहार के बारे में और भी बातें|
| छठ पूजा का दिन | छठ पूजा तिथि | छठ पूजा अनुष्ठान |
| शनिवार | 25 सेकंड 2025 | नहाय खाय |
| रविवार | 26 सेकंड 2025 | खरना |
| मस्तक | 27 सेकंड 2025 | संध्या अर्घ |
| मंगलवार | 28 सेकंड 2025 | सूर्योदय/ उषा अर्घ |
यह छठ पर्व या छठ पूजा का त्यौहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है|
ऐसे तो यह त्यौहार पूरे भारत देश में मनाया जाता है।
सिद्धांत यह है कि छठ पूजा का त्यौहार भोजपुरी का सबसे बड़ा और बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है| छठ पूजा के त्योहार को बिहार राज्य में बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है|
यह एक ऐसा पौराणिक पर्व है जो भारत देश में वैदिक काल से चला आ रहा है इसी कारण से यह त्योहार बिहार राज्य की संस्कृति भी बन गया है|
इस त्यौहार को मुख्य रूप से ऋषियों के द्वारा लिखे गए ऋग्वेद मान्यता प्राप्त सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार मनाई जाती है|
ऐसा कहा जाता है कि बिहार में इस त्योहार को हिंदू धर्म के साथ-साथ मुस्लिम धर्म के लोग भी मनाते हैं पिछले कुछ समय में यह त्यौहार यह भारत देश के साथ पूरे विश्व भर में भी अनोखा होता जा रहा है|
ईसाई धर्म के अनुसार छठ पूजा का त्योहार सूर्य, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को ही समर्पित किया गया है|
छठ पूजा के त्यौहार अनुष्ठान बहुत ही कठोर है| यह त्यौहार चार दिनों तक मनाया जाता है| इस पूजा के अनुष्ठानों इसमें पवित्र स्नान, पीने के पानी से दूर रहना, उपवास करना, बहुत देर तक पानी में खड़े रहना और भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देना भी शामिल है|
इस चार दिन तक चलने वाली त्योहारों में महिलाएं 36 घंटों तक उपवास रखती है| तथा अपने पति व पुत्र की लम्बी आयु के लिए कामना करती है|
छठ पूजा के त्योहार को सलाम के पीछे कई सारी कथाएं चली आ रही हैं| लेकिन आज हम जिस कथा के बारे में आपको बताएंगे उस कथा का उल्लेख ऋग्वेद ग्रंथ में किया गया है|
जैसा कि हमने आपको बताया कि प्राचीन काल से लेकर छठ पूजा का त्योहार कितना महत्वपूर्ण है| इसकी शुरुआत महाभारत काल में माता कुंती के द्वारा ही की गई थी|

भगवान सूर्य देव की पूजा करने से ही माता कुंती को पुत्र कर्ण की प्राप्ति हुई थी| इसके बाद कर्ण ने भी भगवान बन गये सूर्यदेव की पूजा-अर्चना कर दिया| दानवीर कर्ण सूर्य देव के बहुत ही बड़े भक्त थे|
कर्ण प्रतिदिन ही सुदूर जल में सूर्यदेव की पूजा करता था तथा सूर्य देव को अर्घ्य देता है| भगवान सूर्य देव की कृपा से कर्ण एक महान योद्धा बन गया| जब से ही सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा चल रही है|
दूसरी ओर यह भी माना जाता है कि पांडवो की पत्नी द्रौपदी भी प्रतिदिन भगवान सूर्य देव की पूजा करती थी| द्रौपदी अपने परिवार के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए भगवान सूर्यदेव की प्रार्थना करती हैं|
जिस समय पांडव अपना संपूर्ण राजपाट हार गए थे| उस समय द्रौपदी ने छठ का व्रत करके भगवान सूर्यदेव की पूजा की थी| इसकी वजह से पांडवों को उनका खोया हुआ राज पाट पुनः प्राप्त हुआ मिल गया था|
ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास की षष्ठी को छठ पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है| तथा मनवांछित फल की प्राप्ति भी होती है|
इस दिन भगवान सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय निम्न मंत्रो का जप करने से सूर्य देवता का आशीर्वाद मिलता है –
इस त्यौहार को मुख्य रूप से ऋषियों द्वारा लिखित ऋग्वेद में बताये गये सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार मनाया जाता है|
ऐसा कहा जाता है कि बिहार में इस त्योहार को हिंदू धर्म के साथ-साथ मुस्लिम धर्म के लोग भी मनाते हैं छठ पूजा 2025 का त्योहार अनुष्ठान बहुत ही कठोर है|

यह त्यौहार चार दिनों तक मनाया जाता है| इस पूजा के अनुष्ठानों में पवित्र स्नान, पीने के पानी से दूर रहना, उपवास, बहुत देर तक पानी में खड़ा रहना और भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देना भी शामिल है|
छठ पर्व को महापर्व भी ऐसा ही कहा जाता है क्योंकि इसे संपूर्ण आस्था और श्रद्धा से मनाया जाता है|
इसी वजह से आज पूरे भारत देश में छठ पूजा 2025 का त्योहार बहुत ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है|
इस पूजा को करने के लिए साफ़ – सफाई का बहुत ही अच्छे ध्यान रखना अनिवार्य होता है| इस दिन नशीले पद्धार्थो व मांस आदि का सेवन करने से बचना चाहिए|
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से छठ पूजा 2025 के बारें में काफी बाते जानी है| आज हमने छठ पूजा पूजन के फ़ायदों के बारे में भी जाना| हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी|
इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99पंडित पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|
किसी भी तरह की पूजा करने के लिए हमें बहुत सारी तैयारियां करनी होती है| गावों में पूजा आसानी से हो जाती है लेकिन शहरों में लोगों के पास समय की कमी होती है|
जिस वजह से वह लोग पूजा नहीं करवा पाते है तो उनकी इस समस्या का समाधान हम लेकर आये है 99पंडित के साथ| यह सबसे बेहतरीन प्लेटफार्म है जिससे आप किसी पूजा के लिए ऑनलाइन पंडित जी को बुक कर सकते है|
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