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कब है देव उठनी एकादशी 2022 जानिए पूजन विधि

99Pandit Ji
Last Updated:October 21, 2022

हमारे हिंदु धर्म मे कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते है। हर साल दिवाली के 10 दिन बाद देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। आषाढ मास की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योगनिद्रा मे चले जाते है।

भगवान विष्णु की योगनिद्रा देवउठनी एकादशी के दिन समाप्त होती है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह के शयन के बाद जागते है। भगवान विष्णु के जागने के बाद मांगलिक कार्यो पर लगा प्रतिबंध हट जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन मांगलिक व वैवाहिक कार्यो की शुरूआत होती है। देवउठनी एकादशी से ही शादियो का सीजन चालू हो जाता है।

इस दिन अबूज सावा होता है देवउठनी एकादशी पर शादी करने के लिए मुहूर्त निकलवाने के लिए पंडित से पूछने की जरूरत नही है। देवउठनी एकादशी के दिन विवाह कर सकते है। भारत मे कई प्रान्तो मे देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। एकादशी तो हर महीने मे आती है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण देवउठनी एकादशी मानी जाती है। हिंदु धर्म के अनुसार इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है।

देवउठनी एकादशी के दिन विष्णु के अनुसार भगवान विष्णु ने शंखासुर नामक भयंकर राक्षस का वध किया था। फिर आषाढ शुक्ल पक्ष की एकादशी को क्षीर सागर मे शेषनाग की शयया पर भगवान विष्णु ने शयन किया। शंखासुर नामक राक्षस का वध करने के बाद भगवान विष्णु चार माह की निद्रा के बाद देवउठनी एकादशी के दिन जागते है।

देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह कराने की भी परंपरा है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है। हिंदु पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी कि देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। भारत मे कई जगह देवउठनी एकादशी के अगले दिन  भी तुलसी का विवाह किया जाता है।

 देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का महत्व

हमारे हिंदु धर्म मे देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ सभी देवगण चार माह की योग निद्रा से बाहर आते है। इसी वजह से इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। हिंदु धर्म मे पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी का विवाह सम्पन्न करवाने से वैवाहिक जीवन मे आ रही समस्याओ का अंत हो जाता है।

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यह मान्यता है कि जिन लोगो के विवाह नही हो रहे उन लोगो के विवाह भी जल्दी हो जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन जिन लोगो के घर मे बेटी नही है वो तुलसी जी का विवाह करके पुण्य कमा सकते है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी जी का विवाह करने से बेटी के कन्यादान जितना पुण्य लाभ मिलता है।

 देवउठनी एकादशी व्रत और पूजा विधि

देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चार माह के योग निद्रा से जागने के उपलक्ष मे इस दिन देवउठनी एकादशी का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार है। ऽ देवउठनी एकादशी के दिन प्रातः काल उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।

  • घर की सफाई करने के बाद स्नान करके आंगन मे भगवान विष्णु के चरणो की आकृति बनाना चाहिए।
  •  एक ओखली मे गेरू से चित्र बनाकर फल,मिठाई,बेर,सिंघाडे,ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढक देना चाहिए।
  •   देवउठनी एकादशी के दिन गोवर्धन की भी पूजा की जाती है शाम को जिस स्थान पर गोवर्धन जी बनाते है उस पर दीपक जलाते है और घर के अंदर बाहर भी दीपक जलाते है।
  •   देवउठनी एकादशी को रात्रि के समय परिवार के सभी सदस्यो के साथ भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओ का पूजन करना चाहिए।
  •  इसके बाद भगवान के सामने शंख,घंटी आदि बजाकर उठाना चाहिए ये वाक्य दोहराना चाहिए – उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास

 देवउठनी एकादशी तिथि शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ – 04 नवम्बर 2022 को 13:34 बजे

एकादशी तिथि समाप्त – 05 नवम्बर 2022 को 14:30 बजे

परण व्रत तोडने का समय – 06 नवम्बर 2022 को 06:52 से 08:58

Frequently Asked Question

Q. देवउठनी एकादशी कब मनाई जाएगी?

A.
इस साल देवउठनी एकादशी 4 नवम्बर 2022 को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी।

Q. देवउठनी एकादशी क्यो मनाते है?

A. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से बाहर आते है। देवउठनी एकादशी के दिन से ही शुभ मांगलिक कार्यो की शुरूआत हो जाती है। इस दिन से ही वैवाहिक कार्यक्रम शुरू हो जाते है इसलिए देवउठनी एकादशी मनाते है।

Q. देवउठनी एकादशी के दिन किसका विवाह शुभ माना जाता है?

A. देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह करना शुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह करना बेटी के कन्यादान से भी ज्यादा शुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी जी का विवाह करना शुभ माना जाता है।

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