Pandit For Marriage Puja In Chandigarh: Cost, Vidhi, & Benefits
Pandit for Marriage Puja is important for performing marriage puja as per authentic vidhi. Chandigarh is one of the most…
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हमारे हिंदु धर्म मे कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते है। हर साल दिवाली के 10 दिन बाद देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। आषाढ मास की देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योगनिद्रा मे चले जाते है।
भगवान विष्णु की योगनिद्रा देवउठनी एकादशी के दिन समाप्त होती है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह के शयन के बाद जागते है। भगवान विष्णु के जागने के बाद मांगलिक कार्यो पर लगा प्रतिबंध हट जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन मांगलिक व वैवाहिक कार्यो की शुरूआत होती है। देवउठनी एकादशी से ही शादियो का सीजन चालू हो जाता है।
इस दिन अबूज सावा होता है देवउठनी एकादशी पर शादी करने के लिए मुहूर्त निकलवाने के लिए पंडित से पूछने की जरूरत नही है। देवउठनी एकादशी के दिन विवाह कर सकते है। भारत मे कई प्रान्तो मे देवउठनी एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। एकादशी तो हर महीने मे आती है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण देवउठनी एकादशी मानी जाती है। हिंदु धर्म के अनुसार इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है।
देवउठनी एकादशी के दिन विष्णु के अनुसार भगवान विष्णु ने शंखासुर नामक भयंकर राक्षस का वध किया था। फिर आषाढ शुक्ल पक्ष की एकादशी को क्षीर सागर मे शेषनाग की शयया पर भगवान विष्णु ने शयन किया। शंखासुर नामक राक्षस का वध करने के बाद भगवान विष्णु चार माह की निद्रा के बाद देवउठनी एकादशी के दिन जागते है।
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह कराने की भी परंपरा है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराया जाता है। हिंदु पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी कि देवउठनी एकादशी को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। भारत मे कई जगह देवउठनी एकादशी के अगले दिन भी तुलसी का विवाह किया जाता है।
हमारे हिंदु धर्म मे देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ सभी देवगण चार माह की योग निद्रा से बाहर आते है। इसी वजह से इस एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। हिंदु धर्म मे पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी का विवाह सम्पन्न करवाने से वैवाहिक जीवन मे आ रही समस्याओ का अंत हो जाता है।
यह मान्यता है कि जिन लोगो के विवाह नही हो रहे उन लोगो के विवाह भी जल्दी हो जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन जिन लोगो के घर मे बेटी नही है वो तुलसी जी का विवाह करके पुण्य कमा सकते है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी जी का विवाह करने से बेटी के कन्यादान जितना पुण्य लाभ मिलता है।
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चार माह के योग निद्रा से जागने के उपलक्ष मे इस दिन देवउठनी एकादशी का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार है। ऽ देवउठनी एकादशी के दिन प्रातः काल उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
एकादशी तिथि प्रारम्भ – 04 नवम्बर 2022 को 13:34 बजे
एकादशी तिथि समाप्त – 05 नवम्बर 2022 को 14:30 बजे
परण व्रत तोडने का समय – 06 नवम्बर 2022 को 06:52 से 08:58
Q. देवउठनी एकादशी कब मनाई जाएगी?
A.
इस साल देवउठनी एकादशी 4 नवम्बर 2022 को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी।
Q. देवउठनी एकादशी क्यो मनाते है?
A. देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से बाहर आते है। देवउठनी एकादशी के दिन से ही शुभ मांगलिक कार्यो की शुरूआत हो जाती है। इस दिन से ही वैवाहिक कार्यक्रम शुरू हो जाते है इसलिए देवउठनी एकादशी मनाते है।
Q. देवउठनी एकादशी के दिन किसका विवाह शुभ माना जाता है?
A. देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह करना शुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह करना बेटी के कन्यादान से भी ज्यादा शुभ माना जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालीग्राम और तुलसी जी का विवाह करना शुभ माना जाता है।