Book A Pandit At Your Doorstep For Marriage Puja ( No Advance Payment )

Book Now

Ram Raksha Stotra : भगवान श्री राम को प्रसन्न करने के लिए करे यह पाठ

99Pandit Ji
Last Updated:October 12, 2023

Book a pandit for Ram Raksha Stotra in a single click

Verified Pandit For Puja At Your Doorstep

99Pandit
Table Of Content

क्या आप भगवान श्री राम के सबसे प्रिय स्तोत्र राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) के बारे में जानते है? आज हम इस लेख के माध्यम से भगवान श्री राम के इस राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) के बारे में जानेंगे| “श्री राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) का अर्थ – भगवान श्री राम के द्वारा सुरक्षा है|”

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) की रचना ऋषि बुध कौशिक के द्वारा की गई थी| मान्यता है कि एक दिन भगवान श्री राम ऋषि बुध के सपने में आये तथा उनके साथ मिलकर राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) गाया| इस राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) में कुल 38 श्लोक है तथा ऐसा माना जाता है कि इस राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) के प्रत्येक श्लोक का प्रत्येक शब्द हमारे जीवन के सभी पापों को नष्ट कर सकता है| 

Ram Raksha Stotra

यह राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) की रचना देव भाषा संस्कृत में की गई है| हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि में नौ दिनों तक भगवान श्री राम के राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) का जप किया जाता है| इस राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) को घरों, मंदिरों, तथा अनेकों प्रकार के धार्मिक समूहों में सुना जा सकता है|

राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) को सबसे पवित्र मंत्रों में से एक माना जाता है| इस राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) में ऐसी शक्तियां है जो भगवान श्री राम के भक्तों को बुराई से मुक्ति दिलाती है| भोंसला वेधशाला के सचिव प्रफुल्ल नंदनगिरी कहते है कि यह राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) किसी भी मनुष्य की पूर्ण सुरक्षा के लिए एक बहुत ही सिद्ध स्तोत्र माना गया है 

99pandit

100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)

99pandit

जब इस स्तोत्र को 1,300 बार पढ़ा जाता है तो यह व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी कष्टों तथा समस्याओं को दूर करता है| नवजात शिशु तथा नई माँ के लिए भी इस राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) को बहुत ही अच्छा माना जाता है| तो आइये इस लेख के द्वारा जानते है राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) के बारे में हिंदी अर्थ के साथ|

इस राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) के साथ ही हम आपको बताते है 99Pandit के बारे में| यदि आप हिन्दू धर्म से संबंधित किसी भी तरह की पूजा जैसे  त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा, नवरात्रि पूजा करवाना चाहते है तो 99Pandit आपके लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प होगा| 

श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित – Ram Raksha Stotra with Hindi Meaning 

॥ अथ ध्यानम् ॥

ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्‌मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌ ॥
वामाङ्‌कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्‌कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम्‌ ॥

अर्थ – जिन्होंने धनुष धारण कर रखा है| जो बद्ध पद्मासन में विराजित है तथा पीताम्बर धारण किये हुए है| जिनके नेत्र कमल की पंखुड़ी के समान सुन्दर है, जो बहुत ही प्रसन्नचित्त है| जिनके बाएँ ओर माता सीता विराजमान है जिनका मुख कमल के फुल के समान सुशोभित है| जिनका रंग बादलों की भांति श्यामवर्णीय है, विभिन्न आभूषणों से सुसज्जित मैं भगवान श्री राम का वंदन करता हूँ| 

॥ इति ध्यानम् ॥

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥१॥

अर्थ – भगवान श्री राम के चरित्र को सौ करोड़ विस्तार के समान माना गया है| उनका एक – एक अक्षर महापातकों को नष्ट करने वाला माना जाता है| 

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ ।
जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम्‌ ॥२॥ 

अर्थ – जिनके नेत्र कमल के समान है, नील कमल के समान श्याम वर्ण वाले, जो जटाओं के मुकुट से सुशोभित है, मैं जानकी तथा लक्ष्मण सहित ऐसे भगवान श्री राम का स्मरण करके,

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्‌ ।
स्वलीलया जगन्नातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥३॥ 

अर्थ – जो अजन्मे हो अर्थात जिनका जन्म ना हुआ हो एवं सर्वव्यापक, अपने हाथों में तलवार, तुणीर तथा धनुष – बाण धारण किये हुए तथा अपनी लीलाओं के माध्यम से जगत की रक्षा हेतु अवतरित हुए ऐसे प्रभु श्री राम को स्मरण करके, 

रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः॥४॥

अर्थ – मैं सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाले तथा सभी पापों को नष्ट करने वाले राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) का पाठ करता हूँ| हे दशरथ पुत्र राघव मेरे ललाट की रक्षा करें| 

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ।।५।।

अर्थ – हे कौशल्या नंदन आप मेरे नेत्रों की, ऋषि विश्वामित्र के सबसे प्रिय मेरे कानों की, यज्ञ के रक्षक मेरे नाक की, तथा सुमित्रा के वत्सल मेरे मुख की रक्षा करें| 

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कंठ भरतवंदितः।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः।।६।।

अर्थ – हे विधानिधि मेरी जिह्वा की रक्षा करें, भरत वन्दित मेरे कंठ की रक्षा करें, दिव्यायुध मेरे कन्धों की और भगवान महादेव का धनुष तोड़ने वाले प्रभु श्री राम मेरे भुजाओं को रक्षा करें|

करौ सीतपति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित्‌ ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥

अर्थ – सीता पति श्री राम मेरे हाथों की रक्षा करेंगे, परशुराम जी को जीतने वाले मेरे हृदय की तथा नाभि की जांबवान के आश्रयदाता रक्षा करें| 

सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत्‌ ॥८॥

अर्थ – सुग्रीव के स्वामी मेरे कमर की, हनुमान जी के प्रभु हड्डियों की और सभी रघुओं में उत्तम तथा सम्पूर्ण राक्षस कुल का संहार करने वाले भगवान श्री राम जांघों की रक्षा करें| 

जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्‌घे दशमुखान्तक: ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः ॥९॥

अर्थ – सेतु का निर्माण करने वाले मेरे घुटनों की, दशानन (रावण) का वध करने वाले मेरी अग्रजंघा, विभीषण को ऐश्वर्य देने वाले प्रभु श्री राम मेरे चरणों तथा सम्पूर्ण शरीर की रक्षा करें| 

Ram Raksha Stotra

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्‌ ॥१०॥

अर्थ – शुभ कार्य करने वाला जो भक्त पूर्ण भक्ति एवं श्रद्धा के साथ रामबल से संयुक्त होकर इस राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) का पाठ करता है| वह व्यक्ति दीर्घायु, सुखी, विनयशील, पुत्रवान और विजयी हो जाता है| 

पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्‌मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥ 

अर्थ – जो भी जीव आकाश, पाताल तथा पृथ्वी पर भ्रमण करते रहते है अथवा अपना वेश बदल कर कर घूमते रहते है| वह राम नाम से सुरक्षित व्यक्तियों को देख भी नहीं पाते है|

रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन्‌ ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥

अर्थ – राम, रामभद्र तथा रामचंद्र जैसे नाम का स्मरण करने वाले राम भक्त पापों से लिप्त नहीं होते है तथा वह व्यक्ति निश्चित रूप से भक्ति तथा मोक्ष को प्राप्त करता है| 

99pandit

100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)

99pandit

जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्‌ ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥१३॥

अर्थ – जो इस राम नाम से सुरक्षित जगत पर विजय पाने वाले इस राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) को अपने कंठ में धारण करता है| उस व्यक्ति को संपूर्ण सिद्धियां प्राप्त होती है|

वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्‌ ।
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमङ्गलम्। ॥१४॥

अर्थ – जो भी मनुष्य वज्रपंजर इस राम कवच का स्मरण करता है| माना जाता है कि कहीं भी उस व्यक्ति की आज्ञा का उल्लंघन नहीं किया जाता है तथा उस व्यक्ति को हमेशा विजय एवं मंगल की ही प्राप्ति होती है| 

आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान्‌ प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥

अर्थ – ऋषि बुद्ध कौशिक को स्वप्न के माध्यम से भगवान राम का आदेश होने पर ऋषि बुद्ध कौशिक ने प्रात: उठकर इस राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) की रचना की| 

आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम्‌ ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान्‌ स न: प्रभु: ॥१६॥

अर्थ – जो कल्पवृक्ष के बगीचे के समान आराम देने वाले, जो सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने वाले है तथा जो तीनों लोकों में सबसे सुन्दर है, वही हमारे प्रभु श्री राम है| 

तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥

अर्थ – जो युवा महाबली, सुन्दर, सुकुमार तथा कमल के समान नेत्रों वाले है, मुनियों की भांति वस्त्र तथा काले हिरण का चर्म धारण करते है| 

फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥

अर्थ – जो कंद तथा फल का भोजन ग्रहण करते है, जो तपस्वी तथा ब्रह्मचारी है| हे दशरथ पुत्र राम और लक्ष्मण दोनों भाई हमारी रक्षा करें| 

शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्‌ ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥

अर्थ – ऐसे महाबली रघु श्रेष्ठ मर्यादा पुरुषोत्तम समस्त प्राणियों के शरणदाता, सभी धनुर्धारियों में सबसे श्रेष्ठ, संपूर्ण राक्षसकुलों का सर्वनाश करने वाले भगवान श्री राम हमारी रक्षा करें| 

आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग संगिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणा वग्रत: पथि सदैव गच्छताम्‌ ॥२०॥

अर्थ – संघान किये, धनुष धारण किये हुए, बाण को स्पर्श कर रहे है, अक्षय बाणों से स्थित तूणीर धारण किये हुए राम और लक्ष्मण मेरे रक्षा के लिए आगे चले| 

संनद्ध: कवची खड्‌गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन् मनोरथोऽस्माकं रामः पातु सलक्ष्मणः ॥२१॥

अर्थ – हमेशा तत्पर, हाथ में तलवार, कवचधारी, धनुष बाण धारण किए हुए भगवान श्री राम सहित लक्ष्मण हमारे आगे – आगे चलकर रक्षा करें| 

रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥

अर्थ – भगवान शिव का कथन है कि श्री राम, दशरथी, शूर, लक्ष्मनाचुर, बली, काकुत्स्थ, पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघुत्तम,

वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेय पराक्रम: ॥२३॥

अर्थ – वेदांतवेद्यं, यज्ञेश, पुराण, पुरुषोत्तम, जानकी वल्लभ, श्रीमान तथा श्री अपरिमेय पराक्रम

इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्‌भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥

अर्थ – इत्यादि नामों का नियमित रूप से जप करने से अश्वमेध यज्ञ से भी अधिक फल प्राप्त होता है| इस बात में किसी भी प्रकार कोई संशय नहीं है|  

रामं दुर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामिभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणौ नरः ॥२५॥

अर्थ – दूर्वादल के समान श्याम वर्ण, कमल नयन तथा पिताम्बरधारी भगवान श्री राम के सभी दिव्य नामों की स्तुति करने वाला व्यक्ति संसार चक्र में नहीं पड़ता है| 

रामं लक्ष्मण पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम् ॥
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम्‌ ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्‌ ॥२६॥

अर्थ – लक्ष्मण जी के बड़े भाई, सीता माता के पति, काकुत्स्थ राजा के वंशज, करुणा के सागर, ब्राह्मणों के प्रिय, परम धार्मिक, सत्यनिष्ठ, राजा दशरथ के पुत्र, श्यामवर्ण, सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर, रघुकुल तिलक, रावण के शत्रु भगवान राम मैं वंदना करता हौं| 

रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥

अर्थ – भगवान श्री राम, रामभद्राय, रामचन्द्राय, विधात स्वरूप, रघुनाथ प्रभु तथा सीता माता के स्वामी भगवान श्री राम की मैं वंदना करता हूँ| 

श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥

अर्थ – हे रघुनंदन श्री राम! हे भरत के बड़े भाई भगवान राम! हे रणधीर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम! कृपया मुझे शरण प्रदान कीजिये| 

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥

अर्थ – मैं अपने सम्पूर्ण एकाग्र मन से भगवान श्री राम से चरणों का स्मरण करता हूँ और भगवान श्री राम के चरणों का वाणी से गुणगान करता हूँ| मैं वाणी के द्वारा तथा सम्पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान श्री राम के चरणों को प्रणाम करता हूँ तथा उनकी शरण लेता हूँ| 

माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥ 

अर्थ – भगवान श्री राम मेरे माता, मेरे पिता, मेरे सखा तथा मेरे स्वामी है| इसी प्रकार भगवान श्री राम मेरे सर्वस्व है| भगवान श्री राम के अलावा में किसी अन्य को नहीं जानता हूँ|

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम्‌ ॥३१॥

अर्थ – जिनके दक्षिण की ओर माता लक्ष्मी, बाईं ओर माता जानकी तथा सामने हनुमान जी विराजमान है, मैं उन रघुनाथ जी की वंदना करता हूँ| 

लोकाभिरामं रनरङ्‌गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्‌ ।
कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥

अर्थ – मैं संपूर्ण लोकों में सबसे सुन्दर तथा युद्ध कला में धीर, कमल के समान नयन वाले, करुणा की मूर्ति तथा करुणा के भंडार भगवान श्री राम की शरण ग्रहण करता हूँ| 

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्‌ ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥

अर्थ – मन के समान गति तथा वायु के समान वेग वाले, जो परम जितेंद्रिय तथा बुद्धिमानों में सबसे श्रेष्ठ है, वायु के पुत्र, वानर दल के अधिनायक तथा भगवान श्री राम के दूत हनुमान जी की मैं शरण लेता हूँ| 

कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम्‌ ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्‌ ॥३४॥

अर्थ – मैं इस कवितामयी डाली पर बैठकर इस मधुर अक्षरों वाले राम – राम नाम को जपते हुए वाल्मीकि रूपी कोयल की वंदना करता हूँ| 

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम्‌ ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥३५॥

अर्थ – मैं इन सभी लोकों में सबसे सुन्दर भगवान श्री राम को बार बार प्रणाम करता हूँ| जो सभी आपदाओं को दूर करने वाले तथा सुख संपत्ति प्रदान करने वाले है| 

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम्‌ ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्‌ ॥३६॥

अर्थ – ‘राम – राम’ जप करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते है| वह व्यक्ति सुख सम्पति तथा ऐश्वर्य प्राप्त करता है| राम नाम की गर्जना से यमदूत भयभीत रहते है| 

रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहम् ।
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥

अर्थ – राजाओं में सबसे श्रेष्ठ भगवान श्री राम सदा विजय को ही प्राप्त करते है| मैं लक्ष्मी पति श्री राम का भजन करता हूँ| पूरी राक्षस सेना का अंत करने वाले भगवान श्री राम को मैं नमस्कार करता हूँ| भगवान श्री राम के अलावा कोई आश्रय दाता नहीं है| मैं हमेशा ही भगवान राम में लीन रहूँ| हे प्रभु श्रीराम! आप मेरा उद्धार करें| 

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥

अर्थ – हे सुमुखी! भगवान श्री राम का नाम भगवान विष्णु के एक हजार नाम लेने के समान माना गया है| मैं सदा भगवान श्री राम का स्तवन करता हूँ तथा हमेशा ही भगवान श्री राम के नाम में ही रमण रहता हूँ| 

इति श्रीबुद्धकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रम संपूर्णम्‌ ॥

राम रक्षा स्तोत्र का जप किस प्रकार करेंHow To Chant Ram Raksha Stotra

भगवान श्री राम को प्रसन्न करने के लिए किया जाने वाला रामरक्षा स्तोत्र बहुत सरल है| इस राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) का जप करते समय हमें कुछ बातों का ध्यान रखना होता है| जिसके बारे में हम आपको इस लेख के माध्यम से ही बताएंगे|

Ram Raksha Stotra

  • इस रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर पीठ करके बैठना चाहिए| आप इस राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) का पाठ किसी नजदीकी राम मंदिर में, अपने कक्ष में तथा भगवान श्री राम की छवि के सामने भी कर सकते है| 
  • माना जाता है कि रामरक्षा स्तोत्र का पाठ कभी भी खाली जमीन पर बैठकर नहीं करना चाहिए| इसके लिए आप किसी भी आसन का इस्तेमाल कर सकते है| जिस पर आप सहज महसूस कर सके| ज्यादातर पूजा – पाठ करने के लिए कुशा घास से बना हुआ आसन पसंद किया जाता है| 
  • विद्वानों के द्वारा बताया गया है कि इस श्री रामरक्षा स्तोत्र का पाठ यदि ब्रह्म मुहूर्त में किया जाएँ तो यह जातक के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है| इस राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra) का पाठ करने की सलाह नित्यकर्म से मुक्त होकर ही करने की सलाह दी जाती है| 
  • इस रामरक्षा स्तोत्र को करने से पूर्व अनुलोम – विलोम व्यायाम करने की सलाह दी जाती है| इस व्यायाम को कम से कम 3 बार करने के लिए बताया जाता है| इसके पश्चात रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए| 
99pandit

100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)

99pandit
  • इस पाठ को शुरू करने से पहले भगवान शंकर, श्री गणेश, माता पार्वती या हनुमान जी में से किसी एक भगवान की पूजा करना अनिवार्य माना जाता है| राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra) का पाठ करने से पहले आप भगवान श्री राम के प्रिय भक्त हनुमान जी की हनुमान चालीसा का जाप भी कर सकते है| 

राम रक्षा स्तोत्र पाठ करने के लाभ – Ram Raksha Stotra Path Benefits

  • यह रामरक्षा स्तोत्र (RamRaksha Stotra) का पाठ करने से व्यक्ति हमेशा ही सभी प्रकार के संकट से दूर रहता है| 
  • इस पाठ को किसी भी तरह की बीमारी या किसी आपदा के दुष्परिणाम को रोकने के लिए किया जाता है| 
  • इस राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra In Hindi) का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति के सभी दुःख दूर होते है| 
  • इसका पाठ करने से जातक की कुंडली में शनि तथा मंगल का कुप्रभाव कम होता है| 
  • राम रक्षा स्तोत्र(Ram Raksha Stotra In Hindi) का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के मन से भय दूर हो जाता है| 
  • माना जाता है कि राम रक्षा स्तोत्र (Ram Raksha Stotra In Hindi) का जाप करने से व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षा कवच का निर्माण हो जाता है| 

निष्कर्ष – Conclusion

किसी भी तरह की पूजा करने के लिए हमें बहुत सारी तैयारियां करनी होती है| गावों में पूजा आसानी से हो जाती है लेकिन शहरों में लोगों के पास समय की कमी होती है| जिस वजह से वह लोग पूजा नहीं करवा पाते है तो उनकी इस समस्या का समाधान हम लेकर आये है 99Pandit के साथ| यह सबसे बेहतरीन प्लेटफार्म है जिससे आप किसी पूजा के लिए ऑनलाइन पंडित जी को बुक कर सकते है| इसके अलावा वर्तमान में ऐसे बहुत से लोग जिन्हें अपने ग्रंथो के बारे में कुछ भी नहीं पता है| 

हालांकि, किसी भी समय भगवान की पूजा करना आपको कठिनाइयों, समस्याओं, तनाव और नकारात्मक ऊर्जाओं से हमेंशा बचाता है। जैसा कि आज आपने इस लेख के माध्यम से रामरक्षा स्तोत्र पाठ(Ram Raksha Stotra Path In Hindi) के हिंदी अर्थ तथा लाभ के बारे में जाना| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा जैसे पितृ पक्ष पूजा(Pitru Paksha Puja) तथा त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा(Tripindi Shradh Puja) के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान ले सकते है। 

इसके अलावा अगर आप ऑनलाइन किसी भी पूजा जैसे नवरात्रि (Navratri),नारायणबलि पूजा(Narayan Bali Puja), पितृ दोष पूजा(Pitru Dosh Puja) के लिए आप हमारी वेबसाइट 99Pandit और हमारे ऐप [99Pandit] की सहायता से ऑनलाइन पंडित  बहुत आसानी से बुक कर सकते है|

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.राम रक्षा स्तोत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए?

A.इस राम रक्षा स्तोत्र का पाठ मंगलवार के दिन 11 बार करना चाहिए|

Q.राम रक्षा स्तोत्र पाठ करने से क्या होता है?

A.इसका पाठ करने से मनुष्य भय रहित हो जाता है|

Q.राम रक्षा स्तोत्र कब पढ़ना चाहिए?

A.इस राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने की सलाह नित्यकर्म से मुक्त होकर ही करने की सलाह दी जाती है|

Q.राम रक्षा स्तोत्र को कैसे सिद्ध करें?

A.नवरात्रि के समय प्रतिदिन 11 बार इस स्तोत्र का जप करके इस राम रक्षा स्तोत्र को सिद्ध किया जा सकता है|

99Pandit

100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)

99Pandit
Book A Pandit
Book A Astrologer