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Garud Puran Katha: हमारे सनातन धर्म में कई सारे पौराणिक ग्रंथ मौजूद है| जिनमे मनुष्य के जीवन से सम्बंधित कई बातों के बारे में बताया गया है| आज इस लेख में हम बहुत ही प्राचीन ग्रंथ गरुड़ पुराण के बारे में बात करेंगे| आपको बता है कि इस अति प्राचीन गरुड़ पुराण कथा में भगवान विष्णु एवं गरुड़ देवता के मध्य में हुए संवाद को संक्षेप से बताया गया है|
गरुड़ पुराण कथा (Garud Puran Katha) का मार्ग हमे आत्मा की यात्रा, स्वर्ग, नरक, पाप, पुण्य, परलोक, मृत्यु आदि के बारे में बताता है| जब घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो यह गरुड़ पुराण कथा का आयोजन उस दिवंगत आत्मा को मोक्ष दिलाने में सहायता करता है|
99Pandit आपको मृत्यु के पश्चात होने वाली गरुड़ पुराण कथा हेतु पंडित जी बुक करने में सहायता कर सकता है| हिंदू धर्म में कुल 18 महापुराण है, जिनमे गरुड़ पुराण भी शामिल है| गरुड़ पुराण कथा व्यक्ति के जीवन पर बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है|
इस ग्रंथ में भगवान विष्णु और गरुड़ देव आपस में बातचीत कर रहे है| गरुड़ पुराण कथा (Garud Puran Katha) में इस बात का भी वर्णन किया गया है कि मृत्यु के पश्चात आत्मा किस मार्ग पर जाती है? गरुड़ पुराण कथा का उद्देश्य मृत्यु के पश्चात जीवन एवं दूसरी तरफ क्या प्रतीक्षा कर रहा है, ऐसे सभी सवालों को शांत करना है|
जब भी कोई व्यक्ति गरुड़ पुराण कथा को सुनता है तो उसे मोक्ष की ओर ले जाने वाली चीज़ें तथा जीवन में विपत्ति की ओर ले जाने वाली चीज़ों के बारे में ज्ञान हो जाता है| इसके परिणाम स्वरुप मनुष्य अपनी मानसिकता को उसके अनुरूप करके उचित मार्ग पर आगे बढ़ते है, तो आइये जानते है गरुड़ पुराण कथा के बारे में|
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि गरुड़ पुराण कथा (Garud Puran Katha) को मृत्यु के चौथे दिन प्रारम्भ करके तेरहवे दिन तक करना चाहिए| गरुड़ पुराण का पाठ शाम के समय किया जाता है| यदि किसी कारणवश यह कथा बीच में छुट जाए तो इसे सातवें या नौवें दिन से पुनः प्रारम्भ करके तेरहवे दिन तक किया जाता है|
पौराणिक महापुराणों में गरुड़ पुराण कथा भी शामिल है| जिसमें भगवान विष्णु तथा पक्षियों के राजा गरुड़ देव के बीच हो रहे संवाद को दर्शाया गया है| इस पुराण में मृत्यु एवं पुनर्जन्म पर चर्चा की गई है| इस गरुड़ पुराण कथा (Garud Puran Katha) में बताया गया है कि मरने के पश्चात आत्मा का क्या होता है| इसके अतिरिक्त इस ग्रंथ में भगवान विष्णु एवं गरुड़ देव पाप, पुण्य, स्वर्ग, नरक, परलोक आदि विषयों पर चर्चा कर रहे है|
कहा जाता है कि यदि गरुड़ पुराण कथा को अंतिम संस्कार से पूर्व या शोक के बारह दिनों में समय पढ़ा जाता है तो यह बहुत ही अशुभ हो सकता है क्योंकि यह पुराण पुनर्जन्म की अवधारणाओं तथा अंतिम संस्कार के रीति-रिवाजों के बारे में ज्ञान प्रदान करता है|
यही मनुष्य जीवन के कर्म को तोड़ता है तथा यह निश्चित करता है कि उसके कर्मों के अनुसार मृत्यु के पश्चात उसका क्या होगा? विष्णु पुराण कथा की जटिल व्याख्या को समझने से पूर्व आपको भगवान विष्णु और गरुड़ देव के संबंध को समझना चाहिए| आपको बता दे गरुड़ देव को भगवान विष्णु के वाहन के रूप में उनकी सेवा करने के लिए जाना जाता है| गरुड़ देव देवी विनता तथा ऋषि कश्यप के पुत्र है|
सर्वप्रथम गरुड़ पुराण कथा (Garud Puran Katha) की रचना संस्कृत भाषा में की गई थी किन्तु अब यह कई भाषाओँ में उपलब्ध है| गरुड़ पुराण कथा में 15,000 से भी ज्यादा श्लोक है, जिन्हें कई भागों में विभाजित किया गया है|
इस पुराण में मृत्यु के पश्चात की बारीकियां, अंतिम संस्कार कैसे होता है तथा उन पापों के बारे में बताया गया है जो किसी मनुष्य को नरक में भेजते है| गरुड़ पुराण कथा के अंतिम भाग में मुक्ति के रहस्य की व्याख्या की गई है|
हिंदू पौराणिक कथाओं में गरुड़ पुराण से संबंधित कथा काफी युगों से जुडी हुई है| गरुड़ पुराण की कथा के अनुसार एक ऋषि के श्राप के कारण राजा परीक्षित को तक्षक नामक नाग ने काटा लिया था| रास्ते में तक्षक नाग को ऋषि कश्यप मिले जो कि बहुत ही जल्दी लग रहे थे|
तक्षक नाग ने अपना वेश बदलकर ब्राह्मण वेशधारी ऋषि कश्यप से पूछा कि हे मुनि आप इतने अधीरता से कहा जा रहे है? इस पर ऋषि ने उनसे बोला कि महाराज परीक्षित को तक्षक नाग ने काट लिया है और वह नाग के विष को सम्पूर्ण शरीर में फैलने से रोककर राजा को जीवन प्रदान करेंगे|
ऋषि कश्यप की बात सुनकर तक्षक नाग अपने असली रूप में आ गया और उनसे वापस लौटने को कहा| तक्षक ने ऋषि से कहा कि मेरे विष से आजतक कोई नहीं बच पाया है| तब ऋषि कश्यप ने कहा कि वह अपने मंत्रों की शक्ति से राजा परीक्षित को विष के प्रभाव से मुक्ति प्रदान करेंगे| तब तक्षक नाग ने एक पेड़ को भस्म कर दिया और ऋषि कश्यप से उसे पुनः हरा-भरा करने को कहा|
उस समय ऋषि कश्यप ने जले हुए पेड़ की राख पर अपने मंत्रों का उपयोग किया और देखते ही देखते वह भस्म हुआ वृक्ष पुनः हरा-भरा हो गया| तक्षक नाग ऋषि कश्यप का यह चमत्कार देखकर हैरान हो गया और उनसे राजा को बचाने के पीछे का उद्देश्य पूछा|
तब ऋषि कश्यप ने कहा कि उन्हें वहां से ढेर सारा धन मिलेगा| तक्षक ने ऋषि कश्यप को उनकी आशा से अधिक धन देकर वापस भेज दिया| कथा के अनुसार गरुड़ पुराण कथा सुनने के बाद ऋषि कश्यप का प्रभाव एवं शक्ति बढ़ गई|
इस पवित्र ग्रंथ गरुड़ पुराण कथा में कुल 19,000 श्लोक है| किन्तु वर्तमान में केवल 8000 श्लोक ही बचे हुए है| इस सभी श्लोकों को भी दो भागों में बांटा गया है –
इसके पूर्व खंड में लगभग 229 सामान्य अध्याय है| इनमे सद्गुण, आस्था, नैतिक व्यवहार, परोपकारिता आदि पर विचार किया गया है| इस गरुड़ पुराण कथा (Garud Puran Katha) में उन प्रदर्शनों के बारे में चर्चा की गई है, जिन्हें आपको आपने जीवन में करना चाहिए| इसके अतिरिक्त गरुड़ पुराण कथा में रत्न विज्ञान एवं ज्योतिष के बारे में जानकारी प्राप्त होती है|
उत्तर खंड, जिसे प्रेत खंड के नाम से भी जाना जाता है| इस खंड में कुल 34 से 49 अध्याय शामिल है| उत्तर खंड में बताया गया है कि मृत्यु के बाद में क्या होता है? इस उत्तर खंड के कारण यह गरुड़ पुराण बाकी सभी अन्य पुराणों से भिन्न एवं काफी दिलचस्प है|
यह अति प्राचीन गरुड़ पुराण मनुष्य को उसको कर्मों के बारे में बताता है| गरुड़ पुराण कथा हमे यह समझने में भी सहायता करता है कि अच्छे करने से ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है जबकि यदि हम बुरे या स्वार्थी कर्म करेंगे तो हमे नरक भोगना होगा| इस पुराण में पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर भाग्य के द्वारा दी जाने वाली खुशियों तथा दुखों के बारे में बताया गया है|
गरुड़ पुराण कथा (Garud Puran Katha) में पुनर्जन्म पर जोर दिया गया है| इस पुराण में मृत्यु के पश्चात क्या होता है एवं कैसे एक व्यक्ति अपने कर्मों के आधार पर स्वर्ग लोक तथा नरक लोक को प्राप्त करता है, के बारे में संक्षिप्त से बताया गया है|
इस पुराण के अनुसार बताया गया है कि मनुष्य को उसके अच्छे तथा बुरे कर्मों का फल दिया जाना चाहिए| जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो मृत्यु के पश्चात उसके द्वारा पृथ्वी पर किये गए कर्मों का लेखा जोखा किया जाता है|
गरुड़ पुराण कथा (Garud Puran Katha) में यह भी बताया है कि नरक सभी जीवों के एक समान है, यहाँ ना कोई अमीर है और ना ही गरीब| इस पुराण में कुल 84 नरकों के बारे में वर्णन मिलता है किन्तु उनमे से 21 को ही नरक की संज्ञा दी गई है|
इन 21 नरकों में काकोल, संजीवन, लोहांशुंकु, महारवा, शाल्मली, रौरव, पुतिमृतिका, संघात, लोहितोद, सविष, संप्रतपन, महापथ, अवीचि, तामिस्त्र, कुड्मल, कालसूत्र एवं महानिरय शामिल है| इसके अतिरिक्त 21 अन्य नरक भी है जिनमे सिद्धि, कुंभीपाक, तप और अंधश्रद्धा शामिल है| इस नरकों में लोगों को उनके कर्मों के अनुसार विभिन्न प्रकार की यातनाएं दी जाती है|
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि नरक में सभी यमदूत मिलकर मनुष्य को उसके कर्मों की सजा देते है| तो आइये चर्चा करते है इन 21 नरक में दी जाने वाली सजाओं के बारे में –
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति डकैती या चोरी के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति की संपति पर कब्ज़ा करने का प्रयास करता है| उन व्यक्तियों को तमिस्रा दंड के तहत नरक में लोहे की छड़ से पीटा जाता है|
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि अपने लाभ हेतु दूसरों का फायदा उठाना तथा आगंतुकों का अपमान करने की सजा कृमिभोजन है| इन व्यक्तियों को साँपों तथा कीड़ों के बीच में छोड़ दिए जाने की सजा मिलती है|
माना जाता है कि जो लोग गौ माता की हत्या करते है, उन्हें अंधविश्वास की यातना सहनी होती है| यहाँ लोहे के बड़े बड़े कांटे है, एक एक तरफ| इसमें वज्र जैसे कांटे होते है, जिनके सजा एवं पीड़ा के रूप में जीव को छेड़ने के लिए उपयोग किये जाते है|
इस पुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति झूठी गवाही देता है तो यमदूतों के द्वारा उस व्यक्ति को रौरव नामक सजा दी जाती है| इस सजा ने पापी व्यक्ति जलते हुए लोहे के बाणों से घायल किया जाता है|
यह सजा उन लोगों को मिलती है जो पृथ्वी पर किसी अन्य व्यक्ति को जंजीरों या जेल में कैद करते है| इस सजा में दोषी को दंड देने के लिए के लिए पिघले हुए लोहे का उपयोग किया जाता है|
ऐसे व्यक्ति जिनके पास बहुत सारा धन है लेकिन इसके बाद भी वह लोगों की सहायता नहीं करते है और अच्छा कार्य करने वालो की निंदा करते है| ऐसे लोगों को अंधकूपम दंड दिया जाता है|
इस सजा में व्यक्ति को जंगली जानवरों के सामने छोड़ दिया जाता है या उन्हें एक ऐसे कुँए में फेंक दिया जाता है जहाँ शेर, बाघ, चील, साँप और बिच्छु जैसे खतरनाक जीव रहते है|
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जो भी मनुष्य अच्छे कर्म वाले लोगों तथा ब्राह्मणों पर अत्याचार करते है या उनके किसी तरह से नुकसान पहुंचाते है, उन्हें पाताल में स्थान मिलता है| इस स्थान पर उल्टी तथा मलमूत्र सभी जगह फैले हुए रहते है|
महाप्रभा नामक नरक में दोषी को एक बहुत बड़ी लोहे की नुकीली तीर में लपेटा जाता है| माना जाता है इस नरक के लोग घरों के लिए विनाशकारी होते है|
जो ब्राह्मण शराब का सेवन करते है उन्हें विलेफाक नामक नरक में भेज दिया जाता है| यह एक ऐसा स्थान है जो कभी जलना बंद नहीं होता|
किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात ही गरुड़ पुराण का आयोजन किया जाता है| गरुड़ पुराण कथा के अनुसार कहा जाता है कि मृत्यु के बाद में 13 से 14 दिनों तक मृतक की आत्मा उसी घर में रहती है और गरुड़ पुराण कथा (Garud Puran Katha) को सुनती है| इस कारण से किसी की मृत्यु के बाद में गरुड़ पुराण का पाठ मृतक की आत्मा को मोक्ष प्रदान करने में सहायता करता है|
गरुड़ पुराण कथा में बताया गया है कि आत्मा को व्यक्ति के अच्छे तथा बुरे कर्मों का परिणाम भुगतना पड़ता है| गरुड़ पुराण हमे इस बात का ज्ञान देती है कि अच्छे कार्य करना जीवन में आगे बढ़ने का सबसे उत्तम तरीका है| मनुष्य को अपने जीवन में सदा अच्छे कर्म करके जीवन को सरलता से जीना चाहिए| जो मनुष्य दुसरे लोगों को परेशान करते है, उनके जीवन में सदा मुश्किलें ही आती है|
किसी भी मनुष्य के मन में आने वाले जन्म एवं मृत्यु से सम्बंधित सभी प्रश्नों का जवाब इस लेख में देने का प्रयास किया है| मृत्यु सभी के लिए हमेशा से एक रहस्य ही रही है| शरीर को त्यागने के पश्चात आत्मा का क्या होता है, इस बारे में अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं है| गरुड़ पुराण कथा (Garud Puran Katha) मृत्यु से सम्बंधित सभी मिथकों को दूर करने में सहायक होती है|
आपको बता दे कि इस प्राचीन ग्रंथ की रचना महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा की गई थी| यदि आपको अपने घर में गरुड़ पुराण का आयोजन कराना है तो 99Pandit की सहायता से गरुड़ पुराण पाठ के लिए अनुभवी पंडित जी बुक कर सकते है यही नहीं इसके अतिरिक्त जैसे रामायण (Ramayana) एवं सुंदरकांड पाठ (Sunderkand Path) के आयोजन के लिए भी आप पंडित बुक कर सकते है|
इसके अलावा आप हमारे एप 99Pandit For Users पर आरतियाँ व अन्य कथाओं को पढ़ सकते है| इस एप में सम्पूर्ण भगवद गीता भी है| जिसके सभी अध्यायों को हिंदी अर्थ समझाया गया है|
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