Panguni Uthiram 2025: Date, Auspicious Timings and its Rituals
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Karwa Chauth 2024: हमारे हिंदू धर्म में हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है। हिन्दू धर्म मे करवा चौथ 2024 के व्रत को बहुत ही शुभ माना जाता है। सुहागन स्त्रिया अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करवा चौथ का उपवास रखती है।
करवा चौथ व्रत पति – पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने वाला त्यौहार है। आजकल कुंवारी कन्याए भी करवा चौथ का व्रत करती है। वो अपने लिए अच्छा वर पाने के लिए करवा चौथ का व्रत करती है।
यह करवा चौथ का त्यौहार केवल राजस्थान में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात में भी मुख्य रूप से मनाया जाता है| हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि को किया जाता है|
करवा चौथ का यह पावन व्रत स्त्रियों में काफी ज्यादा प्रचलित है| करवा चौथ के व्रत वाले दिन सभी सुहागन स्त्रियां अपने अटल सुहाग, अपने पति की लम्बी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपवास रखती है और भगवान शिव व माता पार्वती से प्रार्थना करती है| करवा चौथ का व्रत सभी हिंदू धर्म की महिलाएं पूर्ण श्रद्धा व सम्पूर्ण विधि विधान के साथ करती है।
इस दिन महिलाएं कठोर व्रत का पालन करती है| जिसमे वह पानी भी चंद्रमा को देखने के पश्चात ही ग्रहण करती है| इसके अलावा सभी महिलाएं चाँद दिखने के पश्चात ही अपने पति का मुख छलनी में देख कर ही अपना व्रत खोलती है| यदि आपको करवा चौथ की पूजा करवाने के लिए किसी अनुभवी पंडित जी की तलाश है| तो आप हमारी वेबसाइट99Pandit की सहायता से आसानी से पंडित जी के संपर्क कर सकते है|
इस वर्ष करवा चौथ 2024 का व्रत अक्टूबर के महीने में पड़ेगा| करवा चौथ 2024 का व्रत 20 अक्टूबर 2024 को, रविवार के दिन रखा जाएगा| हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर 2024 रविवार को सुबह के समय 06:46 बजे से प्रारम्भ होगी, जो कि 21 अक्टूबर 2024 को सुबह के समय 04:16 बजे तक समाप्त हो जाती है|
हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि को किया जाता है| इस वर्ष करवा चौथ 2024 व्रत की तिथि 20 अक्टूबर 2024 को पड़ेगी| तो अब जानते है कि करवा चौथ 2024 का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है तथा चंद्रोदय का समय क्या होगा –
इस करवा चौथ व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर मान्यता के अनुसार स्नान करें। इसके बाद दीपक जलाकर मंदिर की सफाई करें। फिर देवी-देवता का आशीर्वाद लें और निर्जला व्रत (करवा चौथ व्रत) का पालन करने की शपथ लें और फिर सास द्वारा दिया गया भोजन करें।
शाम को स्नान करने के बाद जिस स्थान पर आप करवा चौथ की पूजा करेंगे, उस स्थान पर चावल पीसकर गेहूं का झंडा और फिर करवा की एक छवि बनाएं। इसके बाद आठ पूरियों बनाकर इसके साथ खीर या हलवा बनाकर ठोस भोजन तैयार करें| इस शुभ दिन पर शिव परिवार की पूजा की जाती है। ऐसे में पीली मिट्टी से गौरी जी की मूर्ति बनाएं और उसी समय गणेश जी को उनकी गोद में बिठाएं|
माँ गौरी को चौकी पर स्थापित करें और उन्हें लाल रंग की चुनरी पहने हुए सामान भेंट करें। गौरी मां के सामने एक पानी से भरा जग रखें ताकि चंद्रमा को अर्घ्य दिया जा सके| यह व्रत सूर्य के ढलने और चंद्रमा को देखने के बाद ही खोला जाना चाहिए|बीच में पानी का सेवन प्रतिबंधित है। शाम को प्रत्येक देवता को मिट्टी की वेदी पर स्थापित करें।
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10 से 13 करवे (विशेष करवा चौथ मिट्टी के बर्तन)अंदर रखें। पूजा सामग्री को थाली में रखें| जिसमें धूप,अगरबत्ती,चंदन,रोली,सिंदूर और अन्य सामान शामिल हों। दीपक में इतना ही घी होना चाहिए कि वह नियत अवधि तक लगातार जल सके। चंद्रमा के उगने से एक घंटे पहले पूजा शुरू होनी चाहिए।
करवा चौथ व्रत पूजा के दौरान करवा चौथ कथा का पाठ करें। चंद्र दर्शन करते समय छलनी का उपयोग करने और अर्घ्य के साथ चंद्रमा की पूजा करने की सलाह दी जाती है। छलनी में अपने पति का चेहरा देखने के बाद ही अपना उपवास खोलना होता है|
इस करवा चौथ के व्रत पूजन में करवा यानी मिट्टी के बर्तन का उपयोग करना बहुत ही शुभ माना जाता है| इस करवे की बनावट हमारे देश को इंगित करती है| जैसा कि सभी लोगों द्वारा ज्ञात है| मनुष्य शरीर पंचतत्व यानी पांच तत्वों से मिलकर बना होता है| आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पंच तत्व का प्रतिनिधित्व मिट्टी के द्वारा ही किया जाता है|
इसके अलावा करवे को देवी के प्रतिनिधित्व के रूप में भी जाना जाता है। जिन लोगों के पास मिट्टी का करवा नहीं होता है वे इसके विकल्प के रूप में तांबे या स्टील के कलश का उपयोग करते हैं। पूजा के दौरान,दो वक्र बनाए जाते हैं।जो भी महिलाएं इस करवा चौथ के व्रत का पालन करती है| उन्हें देवी मां का रूप माना जाता है|
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूजा करते समय दो करवा को पूजा स्थल पर छोड़ देना चाहिए और करवा चौथ व्रत कथा को सुनना चाहिए। एक करवा वह जो उस महिला की सासू माँ द्वारा प्रदान किया जाता है जिससे महिला चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करती है, जबकि दूसरी यह है कि करवा बदलते समय महिला अपनी सास से चंद्रमा को अर्घ्य चढ़ाती है। करवे को अच्छी तरह से साफ करने के बाद, आटे और हल्दी के मिश्रण से करवा में सुरक्षा धागा बांधकर एक स्वस्तिक बनाया जाता है।
गौरी जी को बनाने में मिट्टी का उपयोग किया जाता है, जिसे स्थापित करने से पहले जमीन पर पीला रंग किया जाता है। इसके अलावा गणेश जी को बनाकर उनकी गोद में भी बिठाया जाता है। गौरी जी के लिए सुहाग अलंकरण में चुनरी, बिंदी आदि वस्तुएं अवश्य शामिल होनी चाहिए।
आपको बता दें कि कुछ लोग करवा के ढक्कन में चीनी और गेहूं डालते हैं। सारी जानकारी अनुभवी पंडित द्वारा बताई जाती है और वही पूजा भी कराते हैं। करवा चौथ की पूजा के लिए ऑनलाइन पंडित जी को बुक करने के लिए 99Pandit एक बहुत ही अच्छी वेबसाइट है|
देश के कुछ क्षेत्रों में, एक करवे को पानी से भरा जाता है, दूसरे को दूध से, और फिर उसके अंदर एक तांबे या चांदी का सिक्का रखा जाता है। उसके बाद गौरी-गणेश की पूजा की जाती है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। महिलाएं करवा के समापन पर जल पीकर व्रत खोलती हैं। शादीशुदा महिलाएं इस तरह से अपने उपवास को सम्पन्न करती है|
इस करवा चौथ के व्रत के सम्बन्ध में अनेकों कथाएँ प्रचलित थी| लेकिन आज हम जिन कथाओं के बारे में आपको बताने वाले है जो सबसे ज्यादा प्रचलित है|
करवा चौथ की प्रथम कथा इस प्रकार है कि करवा अपने पति के साथ तुंगभद्रा नदी के पास रहती थी। एक दिन करवा के पति नदी में स्नान करने गए हुए थे एक मगरमच्छ ने उनका पैर पकड़ लिया नदी में खींचने लगा।
अपनी मृत्यु को पास में देखकर करवा का पति करवा को पुकारने लगा। करवा दौडकर नदी के पास आई और पति मौत के मुंह में ले जाते मगरमच्छ को देखकर करवा ने तुरंत एक कच्चा धागा लेकर मगरमच्छ को एक पेड़ से बांध दिया।
इसके पश्चात करवा ने मगरमच्छ को कच्चे धागे से ऐसे बांधा कि वह अपनी जगह से बिल्कुल भी ना हिल पाए| करवा के पति और मगरमच्छ दोनो के प्राण संकट में फंसे थे। करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति को जीवनदान देने और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए यमराज से प्रार्थना की|
करवा की इस बात पर यमराज ने उससे कहा – मै ऐसा नही कर सकता क्योंकि अभी मगरमच्छ की आयु अभी शेष है। और तुम्हारे पति की आयु पूरी हो चुकी है। क्रोधित होकर करवा ने यमराज से कहा अगर आपने ऐसा नहीं किया तो मै आपको श्राप दे दूंगी।
करवा के शाप से भयभीत होकर यमराज ने तुरंत मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा ने पति को जीवनदान दिया। इसलिए करवा चौथ के व्रत में सुहागन महिलाएं करवा माता से प्रार्थना करती है कि हे करवा माता जैसे आपने अपने पति को मौत के मुख से बाहर निकाल लिया वैसे ही मेरे सुहाग की भी रक्षा करना।
करवा चौथ की दूसरी कथा में बताया गया है कि इन्द्रप्रस्थपुर नाम के एक शहर में ब्राह्मण निवास करता था| जिसके सात पुत्र और एक पुत्री थी| उसकी पुत्री का नाम वीरवती था| सात भाइयों में एकलौती बहन होने के कारण सातों भाई उससे बहुत अधिक प्रेम करते थे| जैसे – जैसे सभी बड़े हुए सभी की शादी की उम्र होने लगी|
कुछ समय बाद ही वीरावती की भी शादी उसके पिता से एक ब्राह्मण लड़के से कर दी| शादी होने के कुछ समय बाद वीरावती अपने मायके आई हुई थी। तभी करवा चौथ का व्रत आया| वीरावती अपने माता – पिता और अपने भाइयो के घर पर ही थी|
उसने पहली बार पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा लेकिन वह भूख प्यास बर्दाश्त नहीं कर पाई और मूर्छित होकर जमीन पर गिर पडी|
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बहन को मूर्छित देख उसके भाइयो ने छलनी में एक दीपक रखकर उसे पेड़ की डाल पर टाक दिया और बेहोश हुई वीरावती जब जागी तो उसे बताया कि चांद उग गया है, छत पर जाकर चाँद के दर्शन कर ले वीरावती चौथ माता की पूजा पाठ कर चाँद देखकर भोजन करने बैठ गई और भोजन करने लग गई उसने पहला निवाला लिया ही था|
पहले निवाले में ही बाल आ गया और जैसे ही उसने दूसरा निवाला लिया दूसरे निवाले में छींक आ गई और जैसे ही तीसरा निवाला लेने लगी उसके ससुराल से बुलावा आ गया| जब वीरावती ससुराल पहुंची तो वहां देखा कि उसके पति की मौत हो गई है|
यह देखकर वीरावती व्याकुल होकर रोने लगी उसकी हालत देखकर इंद्र देवता और उनकी पत्नी देवी इंद्राणी उसे सांत्वना देने पहुंची और उसे उसकी भूल का अहसास दिलाया साथ ही करवा चौथ के व्रत के साथ – साथ पूरे साल में आने वाले सभी चौथ के व्रत करने की सलाह दी।
सरगी पारंपरिक रूप से सास द्वारा अपनी बहुओं को खुशहाल और समृद्ध विवाह के लिए आशीर्वाद देने के लिए तैयार किया जाने वाला एक भोर से पहले का भोजन है। यह प्रथा उत्तर भारत में महिलाओं के बीच प्रचलित है, खासकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा राज्यों में।
इसमें महिलाएं सूर्योदय से पहले उठती हैं, आमतौर पर सुबह 4-5 बजे, और बिना भोजन या पानी के पूरे दिन खुद को बनाए रखने के लिए कई तरह के नमकीन और मीठे व्यंजनों से भरी थाली खाती हैं। इस रस्म के अनुसार, सास अपनी बहू को मिठाई, नमकीन, सूखे मेवे, नारियल, मठरी और साड़ी और गहने जैसे कई उपहारों से भरी थाली भेंट करती है।
यह उपवास परंपरा न केवल सहनशक्ति ओर भक्ति की परीक्षा हे बल्कि एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का अवसर भी है। अपने व्रत के अनुभव को वास्तव में पौष्टिक बनाने के लिए, सोच-समझकर खाद्य पदार्थों का चयन करना महत्वपूर्ण है।
यह विशेष दिन केवल अनुष्ठानों के बारे में नहीं है, बल्कि एक संतुलित जीवन शैली को अपनाने के बारे में भी है। पूरे दिन हाइड्रेटेड रहने के लिए सरगी के दौरान खूब पानी पीना याद रखें, और अगर आपको कोई अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या है, तो स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श लें।
करवा चौथ पूजन के उत्साह का स्तर बेजोड़ है और महिलाएं इस दिन को चिह्नित करने के लिए बड़ी तैयारियां करती हैं, त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा अनुष्ठानों का पालन करना है- जिसमें पारंपरिक सरगी और उपवास तोड़ना शामिल है।
अगर आप पहली बार करवा चौथ रख रहे हैं या आप व्रत को अधिक स्वस्थ तरीके से रखने के लिए कुछ सुझावों की तलाश कर रहे हैं जो आपको तनाव नहीं देंगे, तो यहां मदद है।
भारत में महिलाएं हर साल करवा चौथ पर पहनने के लिए अपने सबसे ग्लैमरस आउटफिट्स पहनती हैं। इस शुभ अवसर पर लहंगे, साड़ी और सूट पहनना बहुत अच्छा होता है, लेकिन आधुनिक महिला करवा चौथ के लिए खूबसूरत ड्रेस चुनकर अपने फैशन को और भी बेहतर बनाती है। करवा चौथ के लिए ये ड्रेस एथनिक और वेस्टर्न दोनों ही तरह के कपड़ों के साथ आती हैं।
करवा चौथ के अवसर पर सही फैशन चुनने के लिए अपनी करवा चौथ ड्रेस को सही तरीके से स्टाइल करना बहुत ज़रूरी है। सबसे ज़रूरी नियम है कि आप मौसम के हिसाब से करवा चौथ के लिए अपनी ड्रेस चुनें।
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गर्मियों के दिनों में हवादार कॉटन ड्रेस पहनी जा सकती है, जबकि करवा चौथ की ठंडी शाम के लिए सिल्क ड्रेस आदर्श है। ब्लॉक हील्स या स्टिलेटोज़ की एक जोड़ी, अपने पसंदीदा आभूषण और कम से कम मेकअप, बस आपको तैयार होने से पहले ही तैयार हो जाना चाहिए।
हिन्दू धर्म में करवा चौथ के व्रत का बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है| हिन्दू समाज की महिलाए इस दिन अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास रखती है| इस दिन भगवान शिव के साथ उनके सम्पूर्ण परिवार की पूजा की जाती है|
यह त्यौहार पति – पत्नी के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है| यह करवा चौथ का त्यौहार केवल राजस्थान में ही नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश, पंजाब और गुजरात में भी मुख्य रूप से मनाया जाता है|
हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि को किया जाता है करवा चौथ का यह व्रत पति की लंबी आयु और उसके अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह व्रत किया जाता है| सुहागन स्त्रियाँ करवा चौथ के व्रत को पूरे सच्चे मन से करे तो चौथ माता इसका फल भी पूरे सच्चे मन से देती है|
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से करवा चौथ 2024 के बारे में काफी बातें जानी है| हमने करवा चौथ से होने वाले लाभों के बारे में भी जाना| इसके अलावा हमने आपको करवा चौथ से जुड़ी काफी सारी बातों के बारे में बताया है|
हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है।
यदि आप करवा चौथ के अनुष्ठान या उसके व्रत के उद्दीपन के लिए पंडित जी की तलाश कर रहे है तो हम आपको आज एक ऐसी वेबसाइट के बारे में बताने जा रहे है| जिसकी सहायता से आप घर बैठे ही किसी भी जगह से आपकी पूजा के उपयुक्त और अनुभवी पंडित जी को खोज सकते है|
आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|
Q.करवा चौथ के दिन चाँद की पूजा किस तरह की जाती है ?
A.इस दिन महिलाएँ छलनी में एक दीपक को जलाकर रखती है| उस दीपक रखी हुई छलनी में से चंद्रमा को जल चढ़ाया जाता है| इसके पश्चात उस छलनी में से अपने पति को देखती है|
Q.करवा चौथ कब मनाया जाता है ?
A.हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि को किया जाता है|
Q.2024 में करवा चौथ कब है ?
A.इस वर्ष 2024 में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024 को रविवार के दिन मनाया जाएगा|
Q.करवे में क्या डाला जाता है ?
A.करवा पानी, 1 चम्मच दूध, चुटकी भर चीनी और चावल से भरा होता है|
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