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Pausha Putrada Ekadashi 2025: 30 या 31 कब है पौष पुत्रदा एकादशी व्रत? जाने सही तिथि व मुहूर्त

संतान सुख के लिए पौष पुत्रदा एकादशी 2025 क्यों महत्वपूर्ण है? व्रत कथा और पूजा विधि जानने के लिए अभी क्लिक करें।
99Pandit Ji
Last Updated:December 26, 2025
पौष पुत्रदा एकादशी 2025
Summarize This Article With Ai - ChatGPT Perplexity Gemini Claude Grok

पौष पुत्रदा एकादशी 2025: क्या आप जानते हैं कि साल 2025 अब धीरे-धीरे हमसे विदा ले रहा है? लेकिन जाते-जाते यह साल हमें एक बहुत ही प्यारा तोहफा देकर जा रहा है।

हम बात कर रहे हैं पौष पुत्रदा एकादशी की, जो साल 2025 की आखिरी एकादशी है। इसे आप एक “सुनहरा अवसर” समझ सकते हैं!

पौष पुत्रदा एकादशी 2025

जैसे साल के आखिर में हम सब कुछ अच्छा-अच्छा करना चाहते हैं, वैसे ही भगवान विष्णु की यह एकादशी हमारे घर में खुशियों की सौगात लाती है।

खासतौर पर उन मम्मी-पापा के लिए जो एक प्यारा सा बच्चा चाहते हैं या अपने बच्चों की तरक्की चाहते हैं, उनके लिए तो यह दिन किसी वरदान से कम नहीं है।

इस लेख में हम समझेंगे कि पौष पुत्रदा एकादशी 2025 की सही तारीख, पूजा का सबसे आसान तरीका क्या है, संतान सुख के लिए कौन से छोटे-छोटे उपाय करने चाहिए।

तो फिर देर किस बात की? आइए, अपने दोस्त 99Pandit के साथ मिलकर जानते हैं इस खास दिन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात, ताकि आप इस व्रत का पूरा लाभ उठा सकें और भगवान विष्णु का आशीर्वाद पा सकें।

30 या 31 दिसंबर? कहीं आप भी तो गलत दिन नहीं रख रहे पुत्रदा एकादशी का व्रत? जानिये सही तारीख

क्या आपको लग रहा है कि 30 दिसंबर को व्रत रखना सही है? रुकिए! कैलेंडर की तारीखें अक्सर उलझा देती हैं।

पौष पुत्रदा एकादशी 2025

लेकिन जब बात भगवान विष्णु की प्रिय ‘पुत्रदा एकादशी‘ की हो, तो एक छोटी सी गलती व्रत का फल आधा कर सकती है। सोशल मीडिया के शोर को छोड़िए और 99Pandit की इस सटीक गणना को समझिए।

पंचांग के अनुसार पौष पुत्रदा एकादशी 2025 तिथि का सटीक समय

सबसे पहले टाइमिंग का पक्का हिसाब नोट कर लीजिए:

  • तिथि शुरू: 30 दिसंबर 2025, सुबह 07:50 बजे से
  • तिथि समाप्त: 31 दिसंबर 2025, सुबह 05:00 बजे तक

अब सस्पेंस यह है कि तिथि 30 की रात से लगी है, तो व्रत 31 को क्यों?

उदयातिथि का गणित: क्यों 31 दिसंबर ही है?

हिंदू धर्म का सुनहरा नियम है – ‘उदयातिथि‘। जिस तिथि में सूर्योदय होता है, वही पूरे दिन के लिए मान्य होती है। 31 दिसंबर की सुबह जब सूरज की पहली किरण आएगी, तब एकादशी तिथि मौजूद होगी।

इसीलिए गृहस्थों (Family People) के लिए 31 दिसंबर को ही व्रत रखना शास्त्रसम्मत और पक्का है। इस्कॉन और वैष्णव समाज भी इसी दिन उपवास रखेंगे।

30 दिसंबर को व्रत क्यों न रखें? (ज्योतिषीय कारण)

ज्योतिष में 30 दिसंबर वाली एकादशी को ‘दशमी विद्धा‘ कहा जाता है। सरल शब्दों में इस दिन, एकादशी पर पिछली तिथि (दशमी) की छाया है।

शास्त्रों के अनुसार, दशमी मिली हुई एकादशी का व्रत पूर्ण फल नहीं देता। शुद्ध पुण्य के लिए हमेशा ‘शुद्ध एकादशी‘ चुननी चाहिए, जो इस बार 31 दिसंबर को है।

क्या होती है पौष पुत्रदा एकादशी? जानिये इसका धार्मिक महत्व

आसान शब्दों में कहें तो साल में दो बार “पुत्रदा एकादशी” आती है, जिसमें से एक श्रावण पुत्रदा एकादशी श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में पड़ती है और दूसरी पौष के महीने (दिसंबर-जनवरी) में पड़ती है।

हिंदू धर्म में इसे बेहद पवित्र माना गया है क्योंकि यह सीधे आपके परिवार की खुशहाली और आने वाली पीढ़ी से जुड़ी है। यह सिर्फ एक उपवास नहीं, बल्कि भगवान विष्णु से अपने वंश की सुख-शांति का वरदान मांगने का सबसे बड़ा दिन है।

इसे “पुत्रदा” एकादशी ही क्यों कहा जाता है?

“पुत्रदा” का अर्थ है – “संतान देने वाली“। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा सुकेतुमान को इसी व्रत के प्रताप से संतान सुख मिला था।

आज के समय में इसका महत्व सिर्फ लड़का होने से नहीं, बल्कि एक स्वस्थ, संस्कारी और भाग्यशाली संतान पाने से है।

यही कारण है कि इसे “पुत्रदा” कहा जाता है, क्योंकि यह आपकी संतान से जुड़ी हर प्रार्थना को सफल करने की शक्ति रखता है।

पद्म पुराण के अनुसार पौष एकादशी का महत्व: यज्ञ के समान फल

बहुत पुरानी किताबों में लिखा है कि पुराने जमाने में राजा बहुत बड़े-बड़े यज्ञ करते थे। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि अगर आप सच्चे मन से यह एक दिन का व्रत रख लेते हैं, तो आपको उन बड़े-बड़े यज्ञों जितना ही फल मिल जाता है। यानी मेहनत कम और आशीर्वाद सबसे ज्यादा!

मोक्ष और संतान सुख का संगम: इस व्रत के दोहरे लाभ

इस व्रत को करने के दो बड़े फायदे हैं। पहला, यह आपके घर में बच्चों की किलकारी और खुशियाँ लाता है।

दूसरा, यह हमें एक अच्छा इंसान बनाता है ताकि देह त्यागने के बाद हमें भगवान के चरणों में जगह मिले। यह व्रत आपकी आज की जिंदगी भी खुशहाल बनाता है और भविष्य भी।

नए साल की पहली सुबह पारण का सबसे शुभ मुहूर्त, जानें व्रत खोलने का सही समय और नियम

साल 2026 का पहला दिन आपके लिए डबल खुशियां लेकर आया है। एक तरफ नए साल का जश्न और दूसरी तरफ पौष पुत्रदा एकादशी 2025 के व्रत का महा-पुण्य।

याद रखें, एकादशी की तपस्या तभी पूरी होती है जब उसका पारण (व्रत खोलना) सही मुहूर्त में किया जाए। एक छोटी सी देरी आपकी पूरी साधना को अधूरा छोड़ सकती है।

पौष पुत्रदा एकादशी 2025

99Pandit की गणना के अनुसार, व्रत खोलने की सबसे शुभ घड़ी 1 जनवरी 2026 को सुबह 07:12 से 09:19 के बीच है।

सावधानी: नए साल की पार्टी और जश्न के बीच इस समय को न चूकें। इसी समय के भीतर किया गया सात्विक भोजन ही आपको व्रत का 100% लाभ दिलाएगा।

‘हरि वासर’ का खतरा: इस समय व्रत खोला तो लगेगा दोष!

शास्त्रों में ‘हरि वासर‘ के दौरान पारण करना सख्त मना है। द्वादशी तिथि के शुरुआती चौथाई हिस्से को हरि वासर कहते हैं, जिसमें भोजन करना अशुभ माना जाता है।

अगर आप इस दौरान व्रत खोलते हैं, तो व्रत खंडित हो सकता है। 99Pandit की सलाह है कि हरि वासर के बीतने का इंतजार करें और फिर शुद्ध मन से प्रभु को भोग लगाकर ही खुद अन्न ग्रहण करें।

द्वादशी बीतने से पहले पारण क्यों है अनिवार्य?

एकादशी व्रत का एक पत्थर की लकीर वाला नियम है, पारण हमेशा द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही होना चाहिए। अगर द्वादशी बीत गई और आपने व्रत नहीं खोला, तो यह शास्त्र विरुद्ध माना जाता है।

इससे आपकी पूजा का पुण्य फल कम हो सकता है। इसलिए, अपनी घड़ी सेट कर लें और नए साल की पहली सुबह प्रभु के आशीर्वाद के साथ अपना उपवास खोलें।

प्रो-टिप: पारण के दिन किसी जरूरतमंद को अन्न का दान करना आपके व्रत के फल को कई गुना बढ़ा देता है।

भगवान विष्णु को करना है प्रसन्न? पौष पुत्रदा एकादशी 2025 पर भूलकर भी न छोड़ें ये 3 काम!

भगवान विष्णु की कृपा के बिना न तो संतान सुख संभव है और न ही मन की शांति। इस पौष पुत्रदा एकादशी 2025 पर अगर आप सोई हुई किस्मत जगाना चाहते हैं, तो 99Pandit के ये 3 ‘Must-Do‘ काम आपकी लाइफ बदल सकते हैं।

तुलसी दल का चमत्कार: इसके बिना अधूरा है भोग

क्या आप जानते हैं? आप चाहे 56 भोग लगा दें, लेकिन अगर उसमें तुलसी का पत्ता नहीं है, तो श्री हरि उसे स्वीकार नहीं करते। एकादशी पर तुलसी का महत्व सबसे ज्यादा होता है।

  • प्रो-टिप: एकादशी पर तुलसी तोड़ना वर्जित है, इसलिए पत्ते एक दिन पहले (दशमी) ही तोड़ लें।
  • क्या करें: शाम को तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और 11 परिक्रमा करें। इससे घर की कलह मिटती है और संतान प्राप्ति के योग मजबूत होते हैं। याद रखें, बिना तुलसी दल के प्रभु को भोग न लगाएं।

पीला श्रृंगार और चंदन का तिलक: प्रभु का प्रिय रंग

भगवान विष्णु को ‘पीतांबरधारी‘ कहा जाता है। इस दिन उन्हें प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है ‘पीला रंग’।

  • कैसे करें: प्रभु को पीले वस्त्र पहनाएं और पीले फूलों की माला चढ़ाएं। उनकी पूजा बिना पीले चंदन के अधूरी मानी जाती है।
  • प्रभाव: पहले प्रभु के माथे पर और फिर अपने माथे पर चंदन का तिलक लगाएं। यह छोटा सा काम आपके मन को शांत करेगा और घर में पॉजिटिविटी का संचार करेगा।

दीप दान और विष्णु सहस्रनाम: मिटेगा हर बाधा का अंधेरा

अंधेरे से उजाले की ओर जाने का सबसे बड़ा माध्यम है दीप दान।

  • क्या करें: शाम को घर के मंदिर और मुख्य द्वार पर गाय के घी का दीपक जलाएं। दीप दान करने से जीवन की बड़ी से बड़ी रुकावटें खत्म हो जाती हैं।
  • साउंड थेरेपी: दीपक जलाते समय ‘विष्णु सहस्रनाम‘ का पाठ करें या मोबाइल पर सुनें। 99Pandit की यह सलाह आपके घर के वास्तु दोष मिटाती है और आपकी प्रार्थना को सीधे वैकुंठ तक पहुँचाती है।

क्या आपको पता हैं एकादशी व्रत से जुड़ी ये 5 गुप्त बातें? 99% लोग यहीं कर देते हैं बड़ी चूक!

श्रद्धा तो पूरी है, पर क्या विधि सही है? अक्सर हम अनजाने में कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जिससे व्रत का पूरा फल नहीं मिल पाता। 99Pandit के विद्वान पंडितों ने शास्त्रों से निकाल कर आपके लिए ये 5 ‘सीक्रेट्स’ साझा किए हैं।

पौष पुत्रदा एकादशी 2025

1. पीरियड्स (Menstruation) में व्रत: क्या पूजा संभव है?

यह सवाल हर महिला के मन में होता है। 99Pandit की सलाह, बिल्कुल! आप व्रत रख सकती हैं! भगवान आपकी भक्ति देखते हैं, शरीर की स्थिति नहीं।

क्या करें: मंदिर की मूर्तियों को न छुएं, लेकिन मन ही मन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें। इसे ‘मानसिक व्रत’ कहते हैं और इसका फल भी उतना ही मिलता है जितना सामान्य व्रत का।

2. ग्रूमिंग रूल्स: बाल धोना, नाखून काटना और शेविंग

सुनने में शायद थोड़ा अलग लगे, पर एकादशी के दिन शरीर की सफाई के कड़े नियम हैं। इस दिन बाल काटना, शेविंग या नाखून काटना वर्जित है। शास्त्रों के अनुसार, इससे घर की बरकत और पॉजिटिव एनर्जी कम होती है।

टिप: ये सारे काम आप एक दिन पहले यानी ‘दशमी’ को ही निपटा लें।

3. तुलसी का पत्ता: भूलकर भी न करें ये गलती!

बिना तुलसी के विष्णु जी भोग नहीं लेते, लेकिन एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना ‘महापाप‘ माना गया है। तुलसी जी खुद भी इस दिन प्रभु के लिए व्रत रखती हैं।

समाधान: पूजा के लिए पत्ते हमेशा एक दिन पहले (दशमी की शाम) ही तोड़कर रख लें। अगर भूल गए हैं, तो गमले के नीचे गिरे हुए साफ पत्तों का इस्तेमाल करें।

4. अगर गलती से कुछ खा लिया, तो क्या व्रत टूट गया?

इंसान हैं, गलती हो सकती है! अगर अनजाने में पानी पी लिया या कुछ खा लिया, तो घबराकर व्रत न छोड़ें।

प्रायश्चित: उसी समय प्रभु से माफी मांगें और ‘विष्णु सहस्रनाम’ का पाठ करें। अगले दिन किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान दें, इससे अनजाने में हुआ दोष दूर हो जाता है।

5. रात का ‘जागरण’: मोबाइल नहीं, मंत्रों का साथ

आजकल लोग जागरण के नाम पर रात भर फिल्में देखते हैं, यह गलत है। असली जागरण का मतलब है अपनी ‘चेतना’ को जगाना।

सही तरीका: रात में भगवान के भजन गाएं या मंत्र जपें। अगर शरीर साथ न दे, तो जबरदस्ती जागने के बजाय जमीन पर बिस्तर लगाकर सो जाएं, लेकिन टीवी या सोशल मीडिया में समय बर्बाद न करें।

संतान सुख और खुशहाल परिवार के लिए अपनाएं
ये विशेष पूजा विधि और उपाय

साल 2025 का अंत और पौष पुत्रदा एकादशी का संयोग एक ‘Golden Opportunity’ की तरह है। अगर आप लंबे समय से माता-पिता बनने का सपना देख रहे हैं, तो नए साल के जश्न से पहले यह एक दिन आपकी जिंदगी की सूनी गोद भर सकता है।

99Pandit आपके लिए लाया है वो चुनिंदा उपाय, जो आपकी प्रार्थना को सीधा वैकुंठ धाम तक पहुँचाएंगे।

‘संतान गोपाल मंत्र’ का जादू: रुद्राक्ष की माला से करें साधना

मंत्र केवल शब्द नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा (Energy) हैं। इस दिन नीचे दिए गए मंत्र का जाप हर मानसिक और शारीरिक बाधा को दूर कर सकता है:

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।।

अर्थ: “हे देवकी पुत्र, हे गोविंद, हे वासुदेव, हे जगत के स्वामी! मुझे संतान प्रदान करें, मैं आपकी शरण में हूँ।”

प्रो-टिप: रुद्राक्ष की माला से कम से कम 5 माला जाप करें। उच्चारण साफ रखें, क्योंकि ये वाइब्रेशन आपके घर में पॉजिटिविटी लाती हैं।

दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक: सबसे पावरफुल तरीका

बाल गोपाल (लड्डू गोपाल) का अभिषेक करना उन्हें रिझाने का सबसे बेस्ट तरीका है।

कैसे करें: दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और धीरे-धीरे प्रभु पर अर्पित करें।

फायदा: यह गुप्त प्रयोग घर के वास्तु दोष खत्म करता है और कंसीव (Conceive) करने की राह में आने वाली रुकावटों को हटाता है।

पीली वस्तुओं का दान: अपने ‘गुरु’ (Jupiter) को करें मजबूत

ज्योतिष में ‘बृहस्पति’ को संतान का कारक माना गया है। उन्हें खुश करने के लिए ‘पीला दान’ अनिवार्य है।

क्या दान करें: चने की दाल, पके केले, हल्दी और केसरिया मिठाई।
असर: यह दान आपकी कुंडली के उन ग्रहों को शांत करता है जो सालों से संतान सुख में बाधा बन रहे थे।

पति-पत्नी साथ लें संकल्प: ‘टीम वर्क’ लाएगा रंग

अकेले पूजा करने के बजाय इस बार पति-पत्नी साथ बैठें। जब दो दिल एक साथ एक ही प्रार्थना करते हैं, तो कुदरत भी उसे पूरा करने में जुट जाती है।

विधि: हाथ में जल और अक्षत लेकर संयुक्त संकल्प लें। एक-दूसरे का साथ देना आपकी मानसिक शक्ति को बढ़ाएगा।

99Pandit विशेष: ईशान कोण में जलाएं ‘आशा का दीपक’

घर की उत्तर-पूर्व (North-East) दिशा देवताओं का प्रवेश द्वार होती है।

क्या करें: शाम के समय इस कोने को साफ करें और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं। यह उजाला आपके जीवन में संतान सुख की नई रोशनी लेकर आएगा।

एकादशी पर लाइफस्टाइल के वो नियम, जो आपकी पूजा को बनाएंगे 100% सफल

एकादशी का मतलब सिर्फ भूख सहना नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल को ‘अपग्रेड’ करना है। कई लोग अनाज तो छोड़ देते हैं, पर छोटी गलतियाँ सारा पुण्य बहा देती हैं। 99Pandit की इस गाइड में जानो वो 5 बातें जो तुम्हें इस पौष पुत्रदा एकादशी 2025 पर ध्यान रखनी हैं।

चावल (Rice) न खाने का लॉजिक बड़ा सिंपल है, इस दिन पानी का असर शरीर पर ज्यादा होता है और चावल पानी सोखता है, जिससे आलस बढ़ता है और ध्यान भटकता है। इसलिए पूजा में मन लगाने के लिए चावल से दूरी जरूरी है।

सब्जियों में गोभी, पालक और बैंगन (Cauliflower, Spinach & Brinjal) को अपनी थाली से बाहर कर दें। इनमें बारीक जीव होने की संभावना ज्यादा होती है और ये तामसिक गुण बढ़ाते हैं।

रही बात सेंधा नमक और चाय की, तो सेंधा नमक शुद्ध है पर चाय का ज्यादा सेवन व्रत की पवित्रता कम कर सकता है। इसकी जगह नींबू पानी या दूध लें ताकि एनर्जी बनी रहे।

आखिरी और सबसे बड़ी बात – अपना व्यवहार। इस दिन क्रोध, झूठ, अपशब्द और ईर्ष्या करना अन्न खाने से भी बड़ा पाप है। व्रत का असली फायदा तभी है जब आपकी ज़ुबान और दिमाग शांत हो।

पौराणिक व्रत कथा: राजा सुकेतुमान की सफलता का रहस्य

क्या आप जानते हैं कि पौष पुत्रदा एकादशी का नाम ‘पुत्रदा’ क्यों पड़ा? इसके पीछे एक बहुत ही भावुक और शक्तिशाली कहानी है। 99Pandit की इस विशेष प्रस्तुति में जानिए कैसे एक उपवास ने एक पूरे साम्राज्य का भविष्य बदल दिया।

एक राजा का दुःख और पितरों की चिंता

प्राचीन काल में भद्रावती नाम की एक नगरी थी, जहाँ राजा सुकेतुमान राज करते थे। उनके पास धन-दौलत, मान-सम्मान और एक बहुत बड़ा साम्राज्य था। लेकिन कमी थी तो बस एक बात की, उनकी कोई संतान नहीं थी।

राजा और उनकी पत्नी शैव्या इसी चिंता में घुले जा रहे थे। राजा सोचते थे कि “मेरे मरने के बाद मेरा पिंडदान कौन करेगा? मेरे पितरों को तृप्ति कैसे मिलेगी?

बिना पुत्र के यह सारा वैभव किस काम का?” इसी दुख में एक दिन राजा ने अपना राजपाठ छोड़ दिया और जंगल की ओर चल दिए।

जंगल में ऋषियों का मिला साथ

जंगल में भटकते हुए राजा एक सरोवर के किनारे पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि कुछ ऋषि-मुनि इकट्ठे होकर ईश्वर की भक्ति कर रहे हैं। राजा ने ऋषियों को प्रणाम किया और अपना दुख उनके सामने रखा।

ऋषियों ने मुस्कुराते हुए कहा, “हे राजन! आज पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे ‘पुत्रदा एकादशी‘ के नाम से जाना जाता है।

जो भी दंपत्ति आज के दिन पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु का व्रत करते हैं, उन्हें तेजस्वी और लंबी आयु वाली संतान की प्राप्ति अवश्य होती है।”

व्रत का प्रभाव और संतान की प्राप्ति

ऋषियों की सलाह मानकर राजा सुकेतुमान ने उसी क्षण व्रत का संकल्प लिया। उन्होंने विधि-विधान से भगवान श्री हरि की पूजा की और रात भर जागरण किया।

अगले दिन पारण करके वे वापस अपनी नगरी लौटे। व्रत के प्रभाव और भगवान विष्णु के आशीर्वाद से कुछ ही समय बाद रानी शैव्या गर्भवती हुईं।

समय आने पर उन्होंने एक अत्यंत सुंदर और भाग्यशाली पुत्र को जन्म दिया। राजा का महल खुशियों से भर गया और उनके पितरों की चिंता भी दूर हो गई।

सीख: आपकी श्रद्धा ही आपकी सफलता है

राजा सुकेतुमान की यह कथा हमें सिखाती है कि जब इंसान के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं, तब भक्ति का रास्ता खुलता है।

अगर आप भी संतान सुख के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो साल 2025 की इस अंतिम एकादशी पर पूर्ण विश्वास के साथ व्रत करें।

निष्कर्ष

पौष पुत्रदा एकादशी 2025 केवल एक उपवास नहीं, बल्कि विश्वास की वह शक्ति है जो सूनी गोद को खुशियों से भर सकती है।

चाहे आप भारत में हों या न्यूयॉर्क और सिडनी जैसे शहरों में, भगवान विष्णु आपकी भौगोलिक दूरी नहीं, बल्कि आपके हृदय का भाव देखते हैं।

याद रखें, विधि-विधान से की गई पूजा कभी निष्फल नहीं जाती। अगर आप विदेश में हैं या घर पर विद्वान पंडितों के अभाव में पूजा को लेकर चिंतित हैं, तो 99Pandit आपकी मदद के लिए तैयार है।

आप दुनिया के किसी भी कोने से ऑनलाइन संकल्प ले सकते हैं या भारत में ऑफलाइन पूजा बुक कर सकते हैं।

इस एकादशी पर भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद लें और नए साल 2026 का स्वागत संतान सुख की नई उम्मीद के साथ करें। अपनी विशेष पूजा बुक करने के लिए आज ही हमसे जुड़ें!

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