Shri Narayana Ashtakam Lyrics: श्री नारायण अष्टकम अर्थ सहित
Narayana Ashtakam Lyrics: नारायण अष्टकम भगवान विष्णु को समर्पित श्लोक है। अष्टकम का अर्थ 8 श्लोकों के समूह से होता…
महामाया अष्टकम (Mahamaya Ashtakam Lyrics) माँ काली को समर्पित भजन है। माँ काली को सभी प्रकार की बुराइयों का नाश करने वाली कहा जाता है – चाहे वह बुरे कर्म करने वाला व्यक्ति हो या नकारात्मक अहंकार जो किसी व्यक्ति की सोचने की क्षमता को बाधित करता है।
इसलिए, महामाया अष्टकम का जाप करने से व्यक्ति अपने मन में आने वाले बुरे विचारों से छुटकारा पा सकता है और माँ काली के आशीर्वाद से आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
माँ काली पृथ्वी की दिव्य रक्षक हैं जिन्हें हिंदू धर्म में कालिका के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन देवी की विनाशकारी शक्ति के कारण, काली को अंधेरी माँ के रूप में भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, काली शब्द संस्कृत शब्द काल से आया है, जिसका अर्थ है समय। इसलिए, देवी काली समय, परिवर्तन, शक्ति, सृजन, संरक्षण और विनाश का प्रतिनिधित्व करती हैं।
आज 99Pandit के इस ब्लॉग के साथ हम माँ काली के महामाया अष्टकम के बारे में जानेंगे, साथ ही उसकी महत्व और महामाया अष्टकम के लाभों के बारे में भी ज्ञान प्राप्त करेंगे। इसके अलावा आप हमारी 99Pandit की वेबसाइट पर जा कर इसी प्रकार के अष्टकम, भजन, आरती आदि को पढ़ सकते हैं। तो बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
श्री महामाया अष्टकम एक शक्तिशाली हिंदू भजन/अष्टकम है जो देवी भद्रकाली को समर्पित है, जो देवी काली का एक उग्र और राजसी रूप है। अष्टकम में आठ श्लोक हैं (संस्कृत में अष्टकम का अर्थ है “आठ”) जो माँ काली की शक्ति, सुरक्षा और आध्यात्मिक मार्गदर्शन की प्रशंसा करते हैं।
श्री महामाया अष्टकम में श्री भद्रकाली की विजयी शक्तियों, बुरी शक्तियों को नष्ट करने की उनकी क्षमता और भक्तों के प्रति उनकी दयालु कृपा की प्रशंसा की गई है। श्री महामाया अष्टकम में उनसे नुकसान से सुरक्षा, नकारात्मक प्रवृत्तियों से मुक्ति और आत्मा की परम मुक्ति की भी प्रार्थना की गई है।
इस महामाया अष्टकम में माँ काली के अलग-अलग रूप का वर्णन किया गया है, साथ ही मां काली से वंदना और नमन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि श्री महामाया अष्टकम से माँ काली का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे शत्रुओं और बाधाओं से सुरक्षा मिलती है।
भद्रकाळि विश्वमाता जगत्स्रोत कारिणि
शिवपत्नि पापहर्त्रि सर्वभूत तारिणि
स्कन्दमाता शिवा शिवा सर्वसृष्टि धारिणि
नमः नमः महामाय़े ! हिमाळय-नन्दिनि || 1
शुभ काली देवी मां भद्रकाली,विश्व की माता,जगत रूपी स्रोत का आप कारण हो। शिव पत्नी पापों को हरनेवाली, और सभी प्राणियों की रक्षक, सारे भूतों को तारनेवाली, स्कंद की माता, हे शिवा ब्रह्मांड के समर्थक,आप सारी सृष्टि को धारण किये है, हे हिमालय की पुत्री महामाया आपको वंदन ही,नमन है। ।।१।।
You are the reason for the auspicious Kali Devi Maa Bhadrakali, the mother of the world, the source of the world. Shiva’s wife, the remover of sins, protector of all living beings, destroyer of all ghosts, mother of Skanda, O Shiva, supporter of the universe, you have sustained the entire creation, O Mahamaya, daughter of the Himalayas, I salute you. (1)
नारीणां च शंखिन्यापि हस्तिनि वा चित्रिणि
पद्मगन्धा पुष्परूपा सम्मोहिनि पद्मिनि
मातृ-पुत्री-भग्नि-भार्य़ा सर्वरूपा भवानि
नमः नमः महामाय़े ! भवभय-खण्डिनि || २
नारीओ में, हाथो के सुरम्य कमल-सुगंधित फूल-समान,आप ही संखिनी,हस्तिनी, चित्रिणी, पद्म की गंधस्वरूपा,सब को मोहनेवाली पद्मिनी का रुप लेते हो। हे सर्व व्यापी माँ- भवानी आप ही माता बेटी-बहन-पत्नी के रूप में प्रकट होती हो। हे भवसागर के भय को खंडित करने वाली महान शक्ति महामाया आपको वंदन है,नमन है। ।।२।।
Among women, with hands that are like lotus-scented flowers, you take the form of Sankhini, Hastini, Chitrini, the fragrance of Padma, Padmini who captivates everyone. O omnipresent Mother Goddess, you appear as mother, daughter, sister, and wife. O Mahamaya, the great power who destroys the fear of the ocean of existence, I bow down to you. (2)
पाप-ताप-भव-भय़ भूतेश्वरि कामिनि
तव-कृपा-सर्व-क्षय सर्वजना-वन्दिनि
प्रेम-प्रीति-लज्जा-न्याय नारीणां च मोहिनि
नमः नमः महामाय़े ! ॠण्डमाळा-धारिणि || ३
हे भूतेश्वरी, ही कामिनी, हे सर्वजन की वंदिनी, आप की कृपा से पाप-मानसिक या शारीरिक पीड़ा-भय- भय सब क्षय हो जाता है। नारी के रुप में सबको मोहनेवाली, प्रेम, स्नेह, लज्जा, न्याय के रुप में प्रकट होनेवाली, रुण्डमाला धारण करनेवाली हे महामाया ! आपको वंदन है,नमन है। ।।३।।
O Bhutheshwari, O Kamini, O worshiper of all, all sin, mental or physical pain, and fear vanish by your grace. Mahamaya is the one who charms everyone in the form of a woman, who appears in the form of love, affection, shame, and justice, who wears a garland of beads! I salute you; I salute you. (3)
खड्ग-चक्र-हस्तेधारि शंखिनि-सुनादिनि
संमोहना-रूपा-नारि हृदय-विदारिणि
अहंकार-कामरूपा-भुवन-विळासिनि
नमः नमः महामाय़े ! जगत-प्रकाशिनि || ४
हस्त में खड़ग, चक्र धारण करनेवाली,शंख धारण करनेवाली, नाद स्वरूपा,सबका सम्ममोहन करनेवाली,नारी के रुप में हृदय को छिन्न-भिन्न करने वाली,जोड़ने और तोड़ने वाली- विदार करनेवाली, अहंकार- और कामनाओं के रुप में जगत में विलास करनेवाली,इस जगत को प्रकाश देनेवाली हे महामाया आपको वंदन हे,नमन हे। ।।४।।
One who holds a sword in her hand, a discus, a conch shell, a sound-like person, one who hypnotizes everyone, one who tears hearts apart in the form of a woman, one who joins and breaks – one who separates, one who indulges in the world in the form of ego and desires. O Mahamaya, the one who gives light to this world, I salute you and salute you. (4)
लह्व-लह्व-तव-जिह्वा पापासुर मर्द्धिनि
खण्ड-गण्ड-मुण्ड-स्पृहा शोभाकान्ति वर्द्धिनि
अङ्ग-भङ्ग-रंग-काय़ा माय़ाछन्द छन्दिनि
नमः नमः महामाय़े ! दुःखशोक नाशिनि || ५
हे मां। आपकी जिह्वा बाहर निकल के पापी असुरो का लहू अपनी जिह्वा से पी के मर्दन करनेवाली, असुरो का विनाश करते हुए खंड मुंड का माला आपकी शोभाका बर्धन(बढ़ता) कर रही है। और आपके सौंदर्य और चमक को बढ़ाती है,
आप ही संसार में अपने अंग की भंगिमा और अपने रंग से सबको माया के छंद में छंदने वाली है,और दु:ख शोक का नाश करनेवाली, हे महामाया आपको वंदन हे, नमन है। ।।५।।
Hey mother. Your tongue comes out and drinks the blood of sinful demons, which makes you manly while destroying the demons; the garland of Khand Munda increases your beauty and enhances your beauty and glow.
You are the one who makes everyone in the world rhyme with the verses of Maya with the movement of your body and your colour, and the one who destroys sorrow and grief, O Mahamaya, I bow down to you. (5)
धन-जन-तन-मान रूपेण त्वम् संस्थिता
काम-क्रोध-लोभ-मोह-मद वापि मूढता
निद्राहार-काम-भय़ पशुतुल्य़ जीवनात्
नमः नमः महामाय़े ! कुरु मुक्त बन्धनात् || ६
आप धन, लोक, शरीर और मान के रूप में स्थित हैं, काम, क्रोध, लोभ, मोह और नशा आदि मूढ़ता में रेहेके निशा,आहार, कामना, भय, ये सब पशु प्रवृति मे लिप्त होके, जीवन में बंधने वाली, कृपा करके ऐसे बंधनों से मुक्त करिए। हे महामाया आपको वंदन हे, नमन हे। ।।६।।
You are situated in the form of money, world, body, and honor, living in foolishness like lust, anger, greed, attachment and intoxication, etc., food, desires, fear, all these are indulged in animal nature, which binds in life, by your grace. Free yourself from such bonds. O Mahamaya, I salute you and salute you. (6)
मैत्री-दय़ा-लक्ष्मी-वृत्ति-अन्ते जीव लक्षणा
लज्जा-छाय़ा-तृष्णा-क्षुधा बन्धनस्य़ कारणा
तुष्टि-बुद्धि-श्रद्धा-भक्ति सदा मुक्ति दाय़ीका
शान्ति-भ्रान्ति-क्ळान्ति-क्षान्ति तव रूपा अनेका
प्रीति-स्मृति-जाति-शक्ति-रूपा माय़ा अभेद्या
नमः नमः महामाय़े ! नमस्त्वम् महाविद्या || ७
मित्रता, दया, धन, वृत्ति, जीव में ये सब लगाव उत्पन्न करनेवाली और लज्जा, छाया, प्यास और भूख जो बंधन के कारण है,संतोष, बुद्धि, श्रद्धा और भक्ति जो की सदा मुक्ति का कारण है, शांति, भ्रम, थकान,क्षमा ऐसे आदि अनेक भिन्न भिन्न अवस्था जो मुक्त करती है, फिर प्रेम, स्मृति, जाति,शक्ति आदि अभेद्य भिन्न भिन्न रुप में सभी आपका ही रुप है। हे महाविद्या, हे महामाया आपको वंदन हे,नमन है। ।।७।।
Friendship, kindness, wealth, instincts, all these which generate attachment in the living being, and shyness, shadow, thirst, and hunger are the causes of bondage, contentment, intelligence, faith, and devotion which are always the cause of liberation, Many different states liberate you, like peace, confusion, fatigue, forgiveness, etc., then love, memory, caste, power, etc., are all your forms in different impenetrable forms. O Mahavidya, O Mahamaya, I salute you and salute you. (7)
नवदुर्गा-महाकाळि सर्वाङ्गभूषावृत्ताम्
भुवनेश्वरि-मातङ्गि हन्तु मधुकैटभम्
विमळा-तारा-षोड़शि हस्ते खड्ग धारिणि
धुमावति-मा-बगळा महिषासुर मर्द्धिनि
बाळात्रिपुरासुन्दरि त्रिभुवन मोहिनि
नमः नमः महामाय़े ! सर्वदुःख हारिणि || ८
सर्वांग में भूषण पहननेवाली हे नवदुर्गा, महाकाली मधुकैटभ का वध करनेवाली,हस्त में खड़ग धारण करनेवाली, महिषासुर का वध करनेवाली, त्रिभुवन को मोहनेवाली, मां भुवनेश्वरी,मातंगी, विमला तारा, षोडशी, धुमावती, बगला, बालात्रिपुरसुंदरी, सब दुःख हरनेवाली, हे महामाया आपको वंदन है,नमन है। ।।८।।
O Navadurga, who wears all the ornaments, who kills Madhukaitbha, who holds a sword in her hand, who kills Mahishasura, who charms Tribhuvan, Maa Bhuvaneshwari, Matangi, Vimala Tara, Shodashi, Dhumavati, Bagala, Balatripurasundari, who removes all sorrows, O Mahamaya. I salute you, I salute you (8)
मम माता लोके मर्त्त्य़ कृष्णदासः तव भृत्त्य़
य़दा तदा य़था तथा माय़ा छिन्न मोक्ष कथा
सदा सदा तव भिक्षा कृपा दीने भव रक्षा
नमः नमः महामाय़े कृष्णदासे तव दय़ा || 9
हे मेरी माँ। इस मृत्युलोक में कृष्णदास आपका सेवक है, दास है,जो की हर जगह, हर प्रकार में माया को छिन्न भिन्न करके मोक्ष्य पाने का चिंतन करता है,ये दीन भिक्षा प्रार्थी हे की हे मां आप दया करके इस भवसागर से रक्षा कर दीजीए और कृष्णदास पे आपकी दया ऐसे ही बनी रहे। हे महामाया, आपको वंदन हे,आपको बारंबार नमन है।।।9।।
O my mother. In this mortal world, Krishnadas is your servant, a slave, who thinks of attaining salvation by disintegrating Maya in every place, in every form; this poor beggar is pleading that, O Mother, please protect me from this ocean of existence and Krishnadas May your kindness continue to remain like this. O Mahamaya, I salute you and bow to you repeatedly. (9)
||इति श्री कृष्णदासः विरचितं महामाय़ा अष्टकम् यः पठति सः भव सागर निस्तरति ||
जो कृष्णदास द्वारा रचित इस महामाया अष्टकम का निष्काम भाव से पाठ करता है, वह भव के सागर से पार हो जायेगा।
One who selflessly recites this Mahamaya Ashtakam written by Krishnadas will cross the ocean of existence.
माँ काली के महामाया अष्टकम का जाप आपके जीवन को और अधिक उज्ज्वल बनाने में मदद करता है। यदि आप नियमित रूप से इन मंत्रों का जाप करते हैं तो आपको सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होगा। ये अष्टकम जातक की वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने और सभी ऋणों को दूर करने में सहायता करते हैं।
प्रेम जीवन के संदर्भ में भी, महामाया अष्टकम का जाप करने से आपके प्रेम जीवन से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने में मदद मिल सकती है और आपको हर तरह से सफलता प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।यह सफलता, खुशी, प्रगति और कल्याण प्रदान करता है।
महामाया अष्टकम का जाप और उससे निकलने वाले कम्पन आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। महामाया अष्टकम बुरी नजर और किसी भी बुराई को दूर करते हैं जो आपके जीवन में विकास को रोकने का प्रयास करती है।
मंत्र आपको वैवाहिक प्रयोजनों के लिए एक अच्छा साथी खोजने में मदद करते हैं। महामाया अष्टकम का जाप सुनिश्चित करता है कि विवाह में किसी भी तरह की देरी का समाधान हो जाता है। देवी काली अष्टकम का जाप जीवन में स्थिरता लाता है। आप यह तय कर सकते हैं कि आपके जीवन के लिए क्या अच्छा है। आप हमेशा अच्छे निर्णय लेते हैं। यही इस महामाया अष्टकम की महिमा हैं।
दारुक नाम का एक कुख्यात असुर था जिसने ब्रह्मा को प्रसन्न करके वरदान प्राप्त किया था। वरदान के अनुसार वह असुर देवताओं और ब्राह्मणों को दुःख पहुँचा सकता था। इतना ही नहीं, दारुक ने स्वर्ग में अपना राज्य भी स्थापित करना शुरू कर दिया। यह देखकर सभी देवता ब्रह्मा और विष्णु के पास पहुँचे, जहाँ उन्हें बताया गया कि दुष्ट दारुक को केवल एक महिला ही मार सकती है।
यह सुनकर सभी देवता स्त्री रूप धारण कर दारुक से युद्ध करने चले गए, लेकिन वे सभी उससे हार गए। पराजय के बाद देवता भगवान शिव से अपना कष्ट साझा करने के लिए कैलाश पर्वत पर पहुंचे। देवताओं की बात सुनकर भगवान शिव ने माता पार्वती की ओर देखा और कहा, “हे कल्याणी, मैं आपसे दुष्ट दारुक का नाश करने और संसार की रक्षा करने की प्रार्थना करता हूं।” यह सुनकर माता पार्वती का एक अंश भगवान शिव में समा गया।
भगवती माता का वह अंश भगवान शिव के शरीर में प्रवेश कर गया और शिव के गले में विष के कारण भगवती माता एक काली देवी में बदल गईं। भगवान शिव ने उस अंश को अपने अंदर महसूस किया और अपनी तीसरी आंख खोली और भयंकर रूप में देवी काली के रूप में प्रकट हुईं।
शिव की तरह ही माँ काली के पास भी तीसरी आंख और चंद्र रेखा थी। गले में कराल विष का निशान था और वे त्रिशूल धारण करती थीं। माँ काली का रौद्र रूप देखकर देवता और सिद्ध भागने लगे। माँ काली के हुंकार मात्र से दारुक समेत सारी असुर सेना जलकर राख हो गई।
फिर भी काली का रौद्र रूप खत्म नहीं हुआ। माँ का क्रोध पूरी दुनिया को जलाने लगा। दुनिया को क्रोध से बचाने के लिए शिव ने बालक का रूप धारण किया और काली के सामने प्रकट हुए।
जब माँ काली ने उस शिशु शिरूपी को देखा तो वह उस रूप पर मोहित हो गईं। उन्होंने शिव को गले लगा लिया और उन्हें अपने स्तनों से दूध पिलाने लगीं। कुछ ही देर में माँ काली बेहोश हो गईं क्योंकि शिवजी ने माँ काली का क्रोध पी लिया था।
देवी को होश में लाने के लिए शिवजी ने शिव तांडव किया। जब माँ काली वापस होश में आईं तो उन्होंने शिव को नृत्य करते देखा और उनके साथ शामिल हो गईं, जिसके कारण उन्हें योगिनी भी कहा गया।
आशा है आपका हमारा लेख महामाया अष्टकम पढ़कर अच्छा महसुस हुआ होगा। सदियों से देवी काली ने धर्म की रक्षा करने और पाप करने वालों का नाश करने के लिए कई रूप धारण किए हैं। मां कालिका हिंदू धर्म में सबसे जागृत देवी हैं और उन्होंने चार रूपों में पृथ्वी पर विचरण किया है – दक्षिणा काली, शमशान काली, मां काली और महाकाली।
इन सभी रूपों ने रक्षा वध से लेकर पृथ्वी और उसके निवासियों के उपचार तक के विभिन्न उद्देश्यों को पूरा किया है।
माँ काली आत्मशक्ति का भंडार हैं। इससे आपका व्यक्तित्व निखरता है और आप उन परिस्थितियों में भी निडर होकर बोलते हैं, जिनका सामना करने से आप पहले डरते थे। माँ काली हमारे जीवन से अशुभ तत्वों को नष्ट करके सुख और संतोष को बढ़ाती हैं।
Table Of Content