Maha Magh Mela 2026: कब से शुरु होने वाला है महा माघ मेला? जाने स्नान की प्रमुख तिथियाँ
महा माघ मेला 2026: क्या आप जानते हैं कि हर साल प्रयागराज की पावन धरती पर एक ऐसा संगम सजता…
0%
पौष पुत्रदा एकादशी 2025: क्या आप जानते हैं कि साल 2025 अब धीरे-धीरे हमसे विदा ले रहा है? लेकिन जाते-जाते यह साल हमें एक बहुत ही प्यारा तोहफा देकर जा रहा है।
हम बात कर रहे हैं पौष पुत्रदा एकादशी की, जो साल 2025 की आखिरी एकादशी है। इसे आप एक “सुनहरा अवसर” समझ सकते हैं!

जैसे साल के आखिर में हम सब कुछ अच्छा-अच्छा करना चाहते हैं, वैसे ही भगवान विष्णु की यह एकादशी हमारे घर में खुशियों की सौगात लाती है।
खासतौर पर उन मम्मी-पापा के लिए जो एक प्यारा सा बच्चा चाहते हैं या अपने बच्चों की तरक्की चाहते हैं, उनके लिए तो यह दिन किसी वरदान से कम नहीं है।
इस लेख में हम समझेंगे कि पौष पुत्रदा एकादशी 2025 की सही तारीख, पूजा का सबसे आसान तरीका क्या है, संतान सुख के लिए कौन से छोटे-छोटे उपाय करने चाहिए।
तो फिर देर किस बात की? आइए, अपने दोस्त 99Pandit के साथ मिलकर जानते हैं इस खास दिन से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात, ताकि आप इस व्रत का पूरा लाभ उठा सकें और भगवान विष्णु का आशीर्वाद पा सकें।
क्या आपको लग रहा है कि 30 दिसंबर को व्रत रखना सही है? रुकिए! कैलेंडर की तारीखें अक्सर उलझा देती हैं।

लेकिन जब बात भगवान विष्णु की प्रिय ‘पुत्रदा एकादशी‘ की हो, तो एक छोटी सी गलती व्रत का फल आधा कर सकती है। सोशल मीडिया के शोर को छोड़िए और 99Pandit की इस सटीक गणना को समझिए।
सबसे पहले टाइमिंग का पक्का हिसाब नोट कर लीजिए:
अब सस्पेंस यह है कि तिथि 30 की रात से लगी है, तो व्रत 31 को क्यों?
हिंदू धर्म का सुनहरा नियम है – ‘उदयातिथि‘। जिस तिथि में सूर्योदय होता है, वही पूरे दिन के लिए मान्य होती है। 31 दिसंबर की सुबह जब सूरज की पहली किरण आएगी, तब एकादशी तिथि मौजूद होगी।
इसीलिए गृहस्थों (Family People) के लिए 31 दिसंबर को ही व्रत रखना शास्त्रसम्मत और पक्का है। इस्कॉन और वैष्णव समाज भी इसी दिन उपवास रखेंगे।
ज्योतिष में 30 दिसंबर वाली एकादशी को ‘दशमी विद्धा‘ कहा जाता है। सरल शब्दों में इस दिन, एकादशी पर पिछली तिथि (दशमी) की छाया है।
शास्त्रों के अनुसार, दशमी मिली हुई एकादशी का व्रत पूर्ण फल नहीं देता। शुद्ध पुण्य के लिए हमेशा ‘शुद्ध एकादशी‘ चुननी चाहिए, जो इस बार 31 दिसंबर को है।
आसान शब्दों में कहें तो साल में दो बार “पुत्रदा एकादशी” आती है, जिसमें से एक श्रावण पुत्रदा एकादशी श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में पड़ती है और दूसरी पौष के महीने (दिसंबर-जनवरी) में पड़ती है।
हिंदू धर्म में इसे बेहद पवित्र माना गया है क्योंकि यह सीधे आपके परिवार की खुशहाली और आने वाली पीढ़ी से जुड़ी है। यह सिर्फ एक उपवास नहीं, बल्कि भगवान विष्णु से अपने वंश की सुख-शांति का वरदान मांगने का सबसे बड़ा दिन है।
“पुत्रदा” का अर्थ है – “संतान देने वाली“। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा सुकेतुमान को इसी व्रत के प्रताप से संतान सुख मिला था।
आज के समय में इसका महत्व सिर्फ लड़का होने से नहीं, बल्कि एक स्वस्थ, संस्कारी और भाग्यशाली संतान पाने से है।
यही कारण है कि इसे “पुत्रदा” कहा जाता है, क्योंकि यह आपकी संतान से जुड़ी हर प्रार्थना को सफल करने की शक्ति रखता है।
बहुत पुरानी किताबों में लिखा है कि पुराने जमाने में राजा बहुत बड़े-बड़े यज्ञ करते थे। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि अगर आप सच्चे मन से यह एक दिन का व्रत रख लेते हैं, तो आपको उन बड़े-बड़े यज्ञों जितना ही फल मिल जाता है। यानी मेहनत कम और आशीर्वाद सबसे ज्यादा!
इस व्रत को करने के दो बड़े फायदे हैं। पहला, यह आपके घर में बच्चों की किलकारी और खुशियाँ लाता है।
दूसरा, यह हमें एक अच्छा इंसान बनाता है ताकि देह त्यागने के बाद हमें भगवान के चरणों में जगह मिले। यह व्रत आपकी आज की जिंदगी भी खुशहाल बनाता है और भविष्य भी।
साल 2026 का पहला दिन आपके लिए डबल खुशियां लेकर आया है। एक तरफ नए साल का जश्न और दूसरी तरफ पौष पुत्रदा एकादशी 2025 के व्रत का महा-पुण्य।
याद रखें, एकादशी की तपस्या तभी पूरी होती है जब उसका पारण (व्रत खोलना) सही मुहूर्त में किया जाए। एक छोटी सी देरी आपकी पूरी साधना को अधूरा छोड़ सकती है।

99Pandit की गणना के अनुसार, व्रत खोलने की सबसे शुभ घड़ी 1 जनवरी 2026 को सुबह 07:12 से 09:19 के बीच है।
सावधानी: नए साल की पार्टी और जश्न के बीच इस समय को न चूकें। इसी समय के भीतर किया गया सात्विक भोजन ही आपको व्रत का 100% लाभ दिलाएगा।
शास्त्रों में ‘हरि वासर‘ के दौरान पारण करना सख्त मना है। द्वादशी तिथि के शुरुआती चौथाई हिस्से को हरि वासर कहते हैं, जिसमें भोजन करना अशुभ माना जाता है।
अगर आप इस दौरान व्रत खोलते हैं, तो व्रत खंडित हो सकता है। 99Pandit की सलाह है कि हरि वासर के बीतने का इंतजार करें और फिर शुद्ध मन से प्रभु को भोग लगाकर ही खुद अन्न ग्रहण करें।
एकादशी व्रत का एक पत्थर की लकीर वाला नियम है, पारण हमेशा द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही होना चाहिए। अगर द्वादशी बीत गई और आपने व्रत नहीं खोला, तो यह शास्त्र विरुद्ध माना जाता है।
इससे आपकी पूजा का पुण्य फल कम हो सकता है। इसलिए, अपनी घड़ी सेट कर लें और नए साल की पहली सुबह प्रभु के आशीर्वाद के साथ अपना उपवास खोलें।
प्रो-टिप: पारण के दिन किसी जरूरतमंद को अन्न का दान करना आपके व्रत के फल को कई गुना बढ़ा देता है।
भगवान विष्णु की कृपा के बिना न तो संतान सुख संभव है और न ही मन की शांति। इस पौष पुत्रदा एकादशी 2025 पर अगर आप सोई हुई किस्मत जगाना चाहते हैं, तो 99Pandit के ये 3 ‘Must-Do‘ काम आपकी लाइफ बदल सकते हैं।
क्या आप जानते हैं? आप चाहे 56 भोग लगा दें, लेकिन अगर उसमें तुलसी का पत्ता नहीं है, तो श्री हरि उसे स्वीकार नहीं करते। एकादशी पर तुलसी का महत्व सबसे ज्यादा होता है।
भगवान विष्णु को ‘पीतांबरधारी‘ कहा जाता है। इस दिन उन्हें प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है ‘पीला रंग’।
अंधेरे से उजाले की ओर जाने का सबसे बड़ा माध्यम है दीप दान।
श्रद्धा तो पूरी है, पर क्या विधि सही है? अक्सर हम अनजाने में कुछ ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जिससे व्रत का पूरा फल नहीं मिल पाता। 99Pandit के विद्वान पंडितों ने शास्त्रों से निकाल कर आपके लिए ये 5 ‘सीक्रेट्स’ साझा किए हैं।

यह सवाल हर महिला के मन में होता है। 99Pandit की सलाह, बिल्कुल! आप व्रत रख सकती हैं! भगवान आपकी भक्ति देखते हैं, शरीर की स्थिति नहीं।
क्या करें: मंदिर की मूर्तियों को न छुएं, लेकिन मन ही मन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें। इसे ‘मानसिक व्रत’ कहते हैं और इसका फल भी उतना ही मिलता है जितना सामान्य व्रत का।
सुनने में शायद थोड़ा अलग लगे, पर एकादशी के दिन शरीर की सफाई के कड़े नियम हैं। इस दिन बाल काटना, शेविंग या नाखून काटना वर्जित है। शास्त्रों के अनुसार, इससे घर की बरकत और पॉजिटिव एनर्जी कम होती है।
टिप: ये सारे काम आप एक दिन पहले यानी ‘दशमी’ को ही निपटा लें।
बिना तुलसी के विष्णु जी भोग नहीं लेते, लेकिन एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना ‘महापाप‘ माना गया है। तुलसी जी खुद भी इस दिन प्रभु के लिए व्रत रखती हैं।
समाधान: पूजा के लिए पत्ते हमेशा एक दिन पहले (दशमी की शाम) ही तोड़कर रख लें। अगर भूल गए हैं, तो गमले के नीचे गिरे हुए साफ पत्तों का इस्तेमाल करें।
इंसान हैं, गलती हो सकती है! अगर अनजाने में पानी पी लिया या कुछ खा लिया, तो घबराकर व्रत न छोड़ें।
प्रायश्चित: उसी समय प्रभु से माफी मांगें और ‘विष्णु सहस्रनाम’ का पाठ करें। अगले दिन किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान दें, इससे अनजाने में हुआ दोष दूर हो जाता है।
आजकल लोग जागरण के नाम पर रात भर फिल्में देखते हैं, यह गलत है। असली जागरण का मतलब है अपनी ‘चेतना’ को जगाना।
सही तरीका: रात में भगवान के भजन गाएं या मंत्र जपें। अगर शरीर साथ न दे, तो जबरदस्ती जागने के बजाय जमीन पर बिस्तर लगाकर सो जाएं, लेकिन टीवी या सोशल मीडिया में समय बर्बाद न करें।
साल 2025 का अंत और पौष पुत्रदा एकादशी का संयोग एक ‘Golden Opportunity’ की तरह है। अगर आप लंबे समय से माता-पिता बनने का सपना देख रहे हैं, तो नए साल के जश्न से पहले यह एक दिन आपकी जिंदगी की सूनी गोद भर सकता है।
99Pandit आपके लिए लाया है वो चुनिंदा उपाय, जो आपकी प्रार्थना को सीधा वैकुंठ धाम तक पहुँचाएंगे।
मंत्र केवल शब्द नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा (Energy) हैं। इस दिन नीचे दिए गए मंत्र का जाप हर मानसिक और शारीरिक बाधा को दूर कर सकता है:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।।”
अर्थ: “हे देवकी पुत्र, हे गोविंद, हे वासुदेव, हे जगत के स्वामी! मुझे संतान प्रदान करें, मैं आपकी शरण में हूँ।”
प्रो-टिप: रुद्राक्ष की माला से कम से कम 5 माला जाप करें। उच्चारण साफ रखें, क्योंकि ये वाइब्रेशन आपके घर में पॉजिटिविटी लाती हैं।
बाल गोपाल (लड्डू गोपाल) का अभिषेक करना उन्हें रिझाने का सबसे बेस्ट तरीका है।
कैसे करें: दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और धीरे-धीरे प्रभु पर अर्पित करें।
फायदा: यह गुप्त प्रयोग घर के वास्तु दोष खत्म करता है और कंसीव (Conceive) करने की राह में आने वाली रुकावटों को हटाता है।
ज्योतिष में ‘बृहस्पति’ को संतान का कारक माना गया है। उन्हें खुश करने के लिए ‘पीला दान’ अनिवार्य है।
क्या दान करें: चने की दाल, पके केले, हल्दी और केसरिया मिठाई।
असर: यह दान आपकी कुंडली के उन ग्रहों को शांत करता है जो सालों से संतान सुख में बाधा बन रहे थे।
अकेले पूजा करने के बजाय इस बार पति-पत्नी साथ बैठें। जब दो दिल एक साथ एक ही प्रार्थना करते हैं, तो कुदरत भी उसे पूरा करने में जुट जाती है।
विधि: हाथ में जल और अक्षत लेकर संयुक्त संकल्प लें। एक-दूसरे का साथ देना आपकी मानसिक शक्ति को बढ़ाएगा।
घर की उत्तर-पूर्व (North-East) दिशा देवताओं का प्रवेश द्वार होती है।
क्या करें: शाम के समय इस कोने को साफ करें और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं। यह उजाला आपके जीवन में संतान सुख की नई रोशनी लेकर आएगा।
एकादशी का मतलब सिर्फ भूख सहना नहीं, बल्कि लाइफस्टाइल को ‘अपग्रेड’ करना है। कई लोग अनाज तो छोड़ देते हैं, पर छोटी गलतियाँ सारा पुण्य बहा देती हैं। 99Pandit की इस गाइड में जानो वो 5 बातें जो तुम्हें इस पौष पुत्रदा एकादशी 2025 पर ध्यान रखनी हैं।
चावल (Rice) न खाने का लॉजिक बड़ा सिंपल है, इस दिन पानी का असर शरीर पर ज्यादा होता है और चावल पानी सोखता है, जिससे आलस बढ़ता है और ध्यान भटकता है। इसलिए पूजा में मन लगाने के लिए चावल से दूरी जरूरी है।
सब्जियों में गोभी, पालक और बैंगन (Cauliflower, Spinach & Brinjal) को अपनी थाली से बाहर कर दें। इनमें बारीक जीव होने की संभावना ज्यादा होती है और ये तामसिक गुण बढ़ाते हैं।
रही बात सेंधा नमक और चाय की, तो सेंधा नमक शुद्ध है पर चाय का ज्यादा सेवन व्रत की पवित्रता कम कर सकता है। इसकी जगह नींबू पानी या दूध लें ताकि एनर्जी बनी रहे।
आखिरी और सबसे बड़ी बात – अपना व्यवहार। इस दिन क्रोध, झूठ, अपशब्द और ईर्ष्या करना अन्न खाने से भी बड़ा पाप है। व्रत का असली फायदा तभी है जब आपकी ज़ुबान और दिमाग शांत हो।
क्या आप जानते हैं कि पौष पुत्रदा एकादशी का नाम ‘पुत्रदा’ क्यों पड़ा? इसके पीछे एक बहुत ही भावुक और शक्तिशाली कहानी है। 99Pandit की इस विशेष प्रस्तुति में जानिए कैसे एक उपवास ने एक पूरे साम्राज्य का भविष्य बदल दिया।
प्राचीन काल में भद्रावती नाम की एक नगरी थी, जहाँ राजा सुकेतुमान राज करते थे। उनके पास धन-दौलत, मान-सम्मान और एक बहुत बड़ा साम्राज्य था। लेकिन कमी थी तो बस एक बात की, उनकी कोई संतान नहीं थी।
राजा और उनकी पत्नी शैव्या इसी चिंता में घुले जा रहे थे। राजा सोचते थे कि “मेरे मरने के बाद मेरा पिंडदान कौन करेगा? मेरे पितरों को तृप्ति कैसे मिलेगी?
बिना पुत्र के यह सारा वैभव किस काम का?” इसी दुख में एक दिन राजा ने अपना राजपाठ छोड़ दिया और जंगल की ओर चल दिए।
जंगल में भटकते हुए राजा एक सरोवर के किनारे पहुँचे। वहाँ उन्होंने देखा कि कुछ ऋषि-मुनि इकट्ठे होकर ईश्वर की भक्ति कर रहे हैं। राजा ने ऋषियों को प्रणाम किया और अपना दुख उनके सामने रखा।
ऋषियों ने मुस्कुराते हुए कहा, “हे राजन! आज पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे ‘पुत्रदा एकादशी‘ के नाम से जाना जाता है।
जो भी दंपत्ति आज के दिन पूरी श्रद्धा से भगवान विष्णु का व्रत करते हैं, उन्हें तेजस्वी और लंबी आयु वाली संतान की प्राप्ति अवश्य होती है।”
ऋषियों की सलाह मानकर राजा सुकेतुमान ने उसी क्षण व्रत का संकल्प लिया। उन्होंने विधि-विधान से भगवान श्री हरि की पूजा की और रात भर जागरण किया।
अगले दिन पारण करके वे वापस अपनी नगरी लौटे। व्रत के प्रभाव और भगवान विष्णु के आशीर्वाद से कुछ ही समय बाद रानी शैव्या गर्भवती हुईं।
समय आने पर उन्होंने एक अत्यंत सुंदर और भाग्यशाली पुत्र को जन्म दिया। राजा का महल खुशियों से भर गया और उनके पितरों की चिंता भी दूर हो गई।
राजा सुकेतुमान की यह कथा हमें सिखाती है कि जब इंसान के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं, तब भक्ति का रास्ता खुलता है।
अगर आप भी संतान सुख के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो साल 2025 की इस अंतिम एकादशी पर पूर्ण विश्वास के साथ व्रत करें।
पौष पुत्रदा एकादशी 2025 केवल एक उपवास नहीं, बल्कि विश्वास की वह शक्ति है जो सूनी गोद को खुशियों से भर सकती है।
चाहे आप भारत में हों या न्यूयॉर्क और सिडनी जैसे शहरों में, भगवान विष्णु आपकी भौगोलिक दूरी नहीं, बल्कि आपके हृदय का भाव देखते हैं।
याद रखें, विधि-विधान से की गई पूजा कभी निष्फल नहीं जाती। अगर आप विदेश में हैं या घर पर विद्वान पंडितों के अभाव में पूजा को लेकर चिंतित हैं, तो 99Pandit आपकी मदद के लिए तैयार है।
आप दुनिया के किसी भी कोने से ऑनलाइन संकल्प ले सकते हैं या भारत में ऑफलाइन पूजा बुक कर सकते हैं।
इस एकादशी पर भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद लें और नए साल 2026 का स्वागत संतान सुख की नई उम्मीद के साथ करें। अपनी विशेष पूजा बुक करने के लिए आज ही हमसे जुड़ें!
100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)
Table Of Content
Filters by categories
All Pujas
Puja On Special Events
Upcoming Pujas
Dosha Nivaran Pujas
Mukti Karmas
Filters by Trending Topics
Filters by Regions
North Indian Pujas
South Indian Pujas