Sundarkand Path Lyrics: सम्पूर्ण सुंदरकांड पाठ हिंदी लिरिक्स
सुंदरकांड पाठ: भगवान हनुमान जी कलयुग के देवता है| जिन्हें प्रसन्न करना ज्यादा कठिन कार्य नहीं है| यह थोड़ी –…
Shri Shani Stotra in Hindi: श्री शनि स्तोत्र का जाप करने से भक्तों को शनि देव की असीम कृपा प्राप्त होती है| आपको बता दे कि श्री शनि स्तोत्र एक ऐसा संस्कृत मंत्र है जो कि भगवान शनिदेव की शक्तियों, महिमा तथा उनके गुणों के बारे में व्याख्या करता है|
माना जाता है कि श्री शनि स्तोत्र का जाप करने से भगवान शनिदेव का प्रकोप कम होता है तथा उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है| शनि ग्रह का अच्छा प्रभाव पाने के लिए भी श्री शनि स्तोत्र का पाठ किया जाता है|
शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों तथा शनि दोषों का निवारण करने में भी श्री शनि स्तोत्र का जाप बहुत सहायक होता है| इस स्तोत्र का जाप करने से मनुष्य को आत्म-विकास, तथा मानसिक शांति की भी प्राप्ति होती है| तो आइये पाठ करते है इस अद्भुत श्री शनि स्तोत्र का हिंदी अर्थ सहित|
इसके अतिरिक्त आप ऑनलाइन किसी भी पूजा जैसे अंगारक दोष पूजा (Angarak Dosh Puja), विवाह पूजा (Marriage Puja), तथा गृह प्रवेश पूजा (Griha Pravesh Puja) के लिए हमारी वेबसाइट 99Pandit की सहायता से ऑनलाइन पंडित बहुत आसानी से बुक कर सकते है| इसी के साथ हमसे जुड़ने के लिए आप हमारे Whatsapp पर भी संपर्क कर सकते है|
|| श्री शनि स्तोत्र ||
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:॥
अर्थ – जिनका शरीर भगवान शंकर के समान कृष्ण तथा नीले रंग का है| उन शनि देव को मेरा प्रणाम है| इस सम्पूर्ण संसार के लिए कालाग्नि तथा कृतांत रूप श्री शनैश्चर को मेरा पुनः पुनः प्रणाम है|
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते॥
अर्थ – जिनका शरीर कंकाल के समान मांस-हीन एवं जटाएं व दाढ़ी-मूंछ बड़ी हुई है| उन शनिदेव को मेरा प्रणाम है| जिनके नेत्र बड़े-बड़े, पीठ से सटा हुआ पेट एवं भयानक आकार वाले भगवान शनि देव को मेरा प्रणाम है|
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते॥
अर्थ – जिनका शरीर दीर्घ है, रोएँ मोटे है, जो लम्बे-चौड़े लेकिन जर्जर शरीर वाले है एवं जिनकी दाढे कालरूप है| उन भगवान शनि देव को मेरा पुनः पुनः प्रणाम है|
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने॥
अर्थ – हे भगवान शनि देव ! आपके नयन कोटर की भांति गहरे है, आपकी ओर देखना बहुत ही कठिन है, आपका रूप भीषण, रौद्र तथा बहुत ही विकराल है| आपको मेरा प्रणाम है|
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च॥
अर्थ – अभय प्रदान करने वाले देवता, भास्कर पुत्र, सूर्यनंदन, आप सब कुछ भक्षण करने वाले है| ऐसे भगवान शनि देव को मेरा प्रणाम है|
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते॥
अर्थ – आपकी दृष्टि अधोमुखी है, आप मंद गति से चलने वाले एवं जिसका प्रतीक तलवार के समान है| उन भगवान शनि देव को मेरा पुनः पुनः प्रणाम है|
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:॥
अर्थ – आपने तपस्या के माध्यम से अपने शरीर को दग्ध कर लिया है, आप हमेशा योगाभ्यास में तत्पर, भूख से आतुर व अतृप्त रहते है| आपको सदा मेरा प्रणाम है|
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्॥
अर्थ – जिनके नेत्र ही ज्ञान है, काश्यपनंदन सूर्य पुत्र शनि देव को मेरा प्रणाम है| आप जिस व्यक्ति से संतुष्ट हो उसे राज्य दे देते है एवं रुष्ट होने पर उसे क्षीण भी लेते है|
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:॥
अर्थ – मनुष्य, देवता, असुर, विद्याधर, सिद्ध एवं नाग – यह सब आपकी दृष्टि पड़ने मात्र से ही नष्ट हो जाते है| ऐसे भगवान शनि देव को मेरा प्रणाम है|
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:॥
अर्थ – आप मुझपर प्रसन्न होए| मैं वर पाने के योग्य हूँ तथा आपकी शरण में आया हूँ|
॥ इति श्री शनि स्तोत्र सम्पूर्णम् ॥
100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)
Table Of Content
Filters by categories
All Pujas
Puja On Special Events
Upcoming Pujas
Dosha Nivaran Pujas
Mukti Karmas
Filters by Trending Topics
Filters by Regions
North Indian Pujas
South Indian Pujas