Shiv Stuti Lyrics in Hindi: शिव स्तुति हिंदी अर्थ सहित
Shiv Stuti Lyrics in Hindi: ‘शिव स्तुति – आशुतोष शशांक शेखर’ भगवान शिव के विभिन्न गुणों और रूपों की प्रशंसा…
इस हनुमान वडवानल स्तोत्र (Hanuman Vadvanal Stotra Lyrics) का जाप हनुमान जी की स्तुति करने के लिए किया जाता है| माना जाता है कि देवो के अतिरिक्त धरती पर केवल विभीषण ही थे, जिन्होंने हनुमान जी की शरण ली तथा उनकी स्तुति की|
रावण के भाई विभीषण को भी हनुमान जी की भांति ही अमरता का वरदान प्राप्त था अर्थात वे आज भी इस धरती पर निवास करते है| विभीषण जी ने ही श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र की रचना की थी| तो आइये जानते है इस श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र के बारे में|
इसी के साथ यदि आप हनुमान चालीसा [Hanuman Chalisa], खाटू श्याम जी की आरती [Khatu Shyam Aarti Lyrics], या बजरंग बाण [Bajrang Baan Lyrics] आदि भिन्न-भिन्न प्रकार की आरतियाँ, चालीसा व व्रत कथा पढना चाहते है तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर विजिट कर सकते है|
इसके अलावा आप हमारे एप 99Pandit For Users पर भी आरतियाँ व अन्य कथाओं को पढ़ सकते है| इस एप में भगवद गीता के सभी अध्यायों को हिंदी अर्थ सहित समझाया गया है|
|| श्री हनुमान वडवानल स्तोत्र ||
|| विनियोग ||
ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः !
श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं !!
मम समस्त विघ्न-दोष-निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे ॥
सकल-राज-कुल-संमोहनार्थे, मम समस्त-रोग-प्रशमनार्थम् !
आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त-पाप-क्षयार्थं !!
श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये ॥
|| ध्यान ||
मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं !
वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये ॥
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रम !
सकल-दिङ्मण्डल-यशोवितान-धवलीकृत-जगत-त्रितय ॥
वज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्र !
उदधि-बंधन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्र ॥
अञ्जनी-गर्भ-सम्भूत श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर कपि-सैन्य-प्राकार !
सुग्रीव-साह्यकरण पर्वतोत्पाटन कुमार-ब्रह्मचारिन् गंभीरनाद ॥
सर्व-पाप-ग्रह-वारण-सर्व-ज्वरोच्चाटन डाकिनी-शाकिनी-विध्वंसन !
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर-वीराय सर्व-दुःख निवारणाय ॥
ग्रह-मण्डल सर्व-भूत-मण्डल सर्व-पिशाच-मण्डलोच्चाटन !
भूत-ज्वर-एकाहिक-ज्वर, द्वयाहिक-ज्वर, त्र्याहिक-ज्वर ॥
चातुर्थिक-ज्वर, संताप-ज्वर, विषम-ज्वर, ताप-ज्वर !
माहेश्वर-वैष्णव-ज्वरान् छिन्दि-छिन्दि यक्ष ब्रह्म-राक्षस !!
भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय-उच्चाटय स्वाहा ॥
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते !
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां ॥
ॐ सौं एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं !
ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते श्रवण-चक्षुर्भूतानां ॥
शाकिनी डाकिनीनां विषम-दुष्टानां सर्व-विषं हर हर !
आकाश-भुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय ॥
शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय !
प्रहारय प्रहारय शकल-मायां भेदय भेदय स्वाहा ॥
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते सर्व-ग्रहोच्चाटन !
परबलं क्षोभय क्षोभय सकल-बंधन मोक्षणं कुर-कुरु ॥
शिरः-शूल गुल्म-शूल सर्व-शूलान्निर्मूलय निर्मूलय !
नागपाशानन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोटकालियान् !!
यक्ष-कुल-जगत-रात्रिञ्चर-दिवाचर-सर्पान्निर्विषं कुरु-कुरु स्वाहा ॥
ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते !
राजभय चोरभय पर-मन्त्र-पर-यन्त्र-पर-तन्त्र ॥
पर-विद्याश्छेदय छेदय सर्व-शत्रून्नासय !
नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ॥
|| इति श्री विभीषणकृतं हनुमद् वडवानल स्तोत्रं सम्पूर्णम ||
100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)
Table Of Content