When is Lohri in 2026: Date, Bonfire Time, Rituals, Celebrations & Wishes
With the happiness of heart and love of loved ones, wishing you all Happy Lohri! Lohri is one of the…
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महा माघ मेला 2026: क्या आप जानते हैं कि हर साल प्रयागराज की पावन धरती पर एक ऐसा संगम सजता है, जहाँ साक्षात देवताओं का वास होता है? जी हाँ, हम बात कर रहे हैं महा माघ मेले की।
यह सिर्फ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का मिलन नहीं है, बल्कि यह दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि माघ के महीने में स्वर्ग के सभी देवी-देवता संगम तट पर आकर निवास करते हैं।

सोचिए, जिस जगह साक्षात ईश्वर का पहरा हो, वहाँ की ऊर्जा कैसी होगी? लोग यहाँ सिर्फ नहाने नहीं आते, बल्कि अपनी जिंदगी को एक नई शुरुआत देने आते हैं।
कोई मोक्ष की तलाश में है, तो कोई मन की शांति की। लेकिन क्या आप जानते हैं कि संगम की इस रेती पर एक ऐसी दुनिया भी बसती है जिसे आम लोग देख ही नहीं पाते?
इस लेख में हम जानेंगे: महा माघ मेला 2026 की सही तारीखें, शाही स्नान का समय, कल्पवास के गुप्त नियम, संगम का अनकहा विज्ञान और वो खास टिप्स जो आपकी यात्रा को यादगार बना देंगे।
प्रयागराज में आयोजित होने वाले महा माघ मेला 2026 की तिथि और अवधि से जुड़ी जानकारी नीचे दी गई है:
यह महा माघ मेला 2026 लगभग 44 दिनों तक चलेगा। यह मेला कल्पवासियों और श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक साधना और संगम स्नान का एक महान अवसर है।
महा माघ मेले का आधिकारिक और धार्मिक शुभारंभ पौष पूर्णिमा के पवित्र स्नान के साथ होता है।
प्रारंभ तिथि और समय:
भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार, इस मेले का महत्व माघ के पूरे महीने में होता है।
| स्नान पर्व | तिथि (2026) | दिन |
| पौष पूर्णिमा (मेला प्रारंभ) | 3 जनवरी | शनिवार |
| मकर संक्रांति | 14/15 जनवरी | बुध/गुरुवार |
| मौनी अमावस्या (सबसे मुख्य स्नान) | 18 जनवरी | रविवार |
| बसंत पंचमी | 23 जनवरी | शुक्रवार |
| माघी पूर्णिमा | 1 फरवरी | रविवार |
| महाशिवरात्रि (मेला समापन) | 15 फरवरी | रविवार |
प्रयागराज के इस पवित्र मेले में आना सिर्फ घूमने जाना नहीं होता। यह अपने मन और जीवन को अच्छा बनाने का मौका होता है। यहाँ आने से शरीर, मन और आत्मा—तीनों को लाभ मिलता है। इन लाभों को बहुत आसान भाषा में समझिए।
हम सब से कभी न कभी गलती हो जाती है। कुछ हमें पता होती हैं, कुछ नहीं। मान्यता है कि माघ महीने में संगम में स्नान करने से पुराने पाप दूर हो जाते हैं।

यह ऐसा होता है जैसे मन और आत्मा साफ हो जाए। इंसान नई शुरुआत करता है। संगम का पानी बहुत पवित्र माना जाता है।
यह पानी पहाड़ों और जड़ी-बूटियों से होकर आता है, इसलिए इसमें अच्छे गुण होते हैं। लोग मानते हैं कि इससे त्वचा की समस्या कम होती है। शरीर की ताकत भी बढ़ती है।
आजकल लोग बहुत परेशान रहते हैं। यहाँ आकर मन शांत हो जाता है। ठंडी हवा चलती है। भजन सुनाई देते हैं। संगम के किनारे बैठने से डर और चिंता कम होती है। दिल को सुकून मिलता है।
शास्त्रों में कहा गया है कि माघ में संगम स्नान से बहुत पुण्य मिलता है। कहा जाता है कि यह पुण्य बड़ी पूजा के बराबर होता है। यानी छोटा सा स्नान भी बहुत फल देता है।
अगर जीवन में बार-बार परेशानी आ रही हो, तो संगम स्नान मदद करता है। लोग मानते हैं कि इससे शनि और राहु जैसे ग्रह शांत होते हैं। दान करने से लाभ और बढ़ता है।
कल्पवास का मतलब होता है – एक निश्चित समय के लिए संगम की रेती पर अपनी एक अलग दुनिया बसाना। अगर आप महा माघ मेला 2026 का हिस्सा बनने जा रहे हैं, तो कल्पवास आपके लिए 30 दिनों का एक ऐसा “जीवन में बदलाव” (लाइफ चेंजिंग) अनुभव हो सकता है, जिसे हर हिंदू को जीवन में एक बार जरूर करना चाहिए।
क्या आप जानते हैं कि कल्पवासी जमीन पर क्यों सोते हैं? विज्ञान कहता है कि संगम की गीली रेत पर सोने से हमारे शरीर का सीधा संपर्क धरती से होता है, जिसे Earthing कहते हैं।
महा माघ मेले की कड़ाके की ठंड में जब कल्पवासी ऐसा करते हैं, तो इससे शरीर की सूजन कम होती है, नींद बेहतर आती है और तनाव दूर होता है। 30 दिनों तक खुले आसमान के नीचे और शुद्ध हवा में रहने से आपका शरीर अंदर से रीसेट हो जाता है।
आजकल हम हर वक्त मोबाइल और सोशल मीडिया में खोए रहते हैं। लेकिन महा माघ मेले की पवित्र रेती पर कल्पवास के दौरान लोग फोन से दूरी बना लेते हैं।
यहाँ का नियम बहुत सादा और गहरा है, दिन में केवल एक बार सादा भोजन करना, तीन बार ठंडे पानी में स्नान और पूरा दिन ईश्वर का नाम लेना।
यह अनुशासन आपके मन को इतना मजबूत बना देता है कि आप बड़ी से बड़ी मुश्किल का सामना शांति से करना सीख जाते हैं।
माना जाता है कि महा माघ मेले में पूर्ण निष्ठा से कल्पवास करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ‘अक्षय पुण्य‘ का मतलब है, ऐसा पुण्य जो कभी खत्म न हो।
जो व्यक्ति इन 30 दिनों के कठिन नियमों का पालन कर लेता है, उसकी संकल्प शक्ति (Will Power) इतनी बढ़ जाती है कि वह वापस लौटकर अपने जीवन में जो भी कार्य करता है, उसमें उसे सफलता मिलती है।
संगम पर डुबकी लगाने के बाद, आपको इन तीन जगहों पर जरूर जाना चाहिए। महा माघ मेला 2026 की आपकी यात्रा इनके दर्शन के बिना अधूरी मानी जाएगी:

कहाँ है: यह प्रयागराज के अकबर किले के अंदर स्थित है।
क्या खास है: ‘अक्षय’ का मतलब होता है जिसका कभी विनाश न हो। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब पूरी दुनिया प्रलय में डूब जाती है, तब भी यह पवित्र बरगद का पेड़ सुरक्षित रहता है।
महा माघ मेले के दौरान श्रद्धालु यहाँ विशेष रूप से लंबी आयु और सुख-समृद्धि की मनोकामना लेकर आते हैं। किले तक पहुँचने के लिए आप संगम से पैदल या ई-रिक्शा का सहारा ले सकते हैं।
कहाँ है: यह भी अकबर किले के परिसर के भीतर ही स्थित है।
क्या खास है: जैसा कि नाम से पता चलता है, यह मंदिर जमीन के नीचे बना हुआ है। यहाँ एक साथ 43 देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियाँ हैं। माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान यहाँ आए थे।
महा माघ मेला 2026 की भीड़-भाड़ से दूर, इस मंदिर की गहराई में आपको जो शांति मिलेगी, वह सीधे आत्मा को छू लेती है। यहाँ की गई प्रार्थना बहुत शक्तिशाली मानी जाती है।
कहाँ है:
चक्र माधव: यह अलोपीबाग इलाके के पास स्थित है।
गदा माधव: यह संगम के पास दशाश्वमेध घाट के पास स्थित है।
क्या खास है: भगवान विष्णु को प्रयागराज का अधिपति माना जाता है, इसलिए उन्हें यहाँ ‘माधव’ कहा जाता है। प्रयागराज की रक्षा के लिए विष्णु जी के 12 स्वरूप (द्वादश माधव) यहाँ विराजमान हैं।
चक्र माधव के दर्शन से जीवन के संकट कट जाते हैं। गदा माधव के दर्शन से शत्रुओं पर विजय और मानसिक शक्ति मिलती है। पुराणों के अनुसार, संगम स्नान का पूरा फल तभी मिलता है जब आप इन माधव मंदिरों के दर्शन करते हैं।
Pro Tip: महा माघ मेला 2026 के दौरान अक्षयवट और पातालपुरी मंदिर देखने के लिए दोपहर 4 बजे से पहले पहुँचें, क्योंकि सुरक्षा कारणों से किले का गेट शाम को जल्दी बंद कर दिया जाता है।
संगम पर नहाना तो एक शुरुआत है, लेकिन असली सुकून दूसरों की मदद करने में मिलता है। महा माघ मेला 2026 की आपकी यह आध्यात्मिक यात्रा तभी पूरी मानी जाएगी, जब आप यहाँ की सेवा परंपरा का हिस्सा बनेंगे। यहाँ की रेती पर किया गया छोटा सा दान भी आपके जीवन में खुशियाँ भर देता है।
‘गुप्त दान’ की महिमा: प्रयागराज की परंपरा
प्रयागराज में ‘गुप्त दान‘ का एक अलग ही महत्व है। महा माघ मेले के दौरान जब आप बिना किसी को बताए या बिना दिखावा किए किसी जरूरतमंद की मदद करते हैं, तो उसे सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। कहते हैं कि गुप्त दान करने से इंसान का अहंकार मिटता है और ईश्वर की कृपा सीधे उस पर बरसती है।
साधु-संतों की सेवा और सत्संग से लाभ
इस मेले में देश के कोने-कोने से तपस्वी आते हैं। महा माघ मेले में लगने वाले विभिन्न अखाड़ों और शिविरों में जाकर संतों की सेवा करना और उनके सत्संग को सुनना आपके मानसिक तनाव को जड़ से खत्म कर सकता है। उनके अनुभव और ज्ञान से मिलने वाला वैचारिक लाभ आपको जीवन जीने का एक नया नजरिया देता है।
भूखों को भोजन (अन्नदान) और वस्त्र दान का महात्म्य
जनवरी की ठिठुरती ठंड में किसी गरीब को कंबल देना या भूखे को गर्म खाना खिलाना ही सच्ची मानवता है।
महा माघ मेला 2026 में ‘अन्नदान‘ को महादान की महत्वता दी गई है। मेले के क्षेत्र में जगह-जगह चल रहे भंडारों में सहयोग करना या खुद अपने हाथों से गरीबों को भोजन कराना आपके जीवन में समृद्धि और मानसिक शांति लेकर आता है।
अगर आप महा माघ मेला 2026 की यात्रा को बिना किसी परेशानी के पूरा करना चाहते हैं, तो ये कुछ स्मार्ट टिप्स आपके बहुत काम आएंगे। ये बातें अक्सर लोग वहां जाकर सीखते हैं, लेकिन आप इन्हें पहले ही नोट कर लें:
मौनी अमावस्या या मकर संक्रांति जैसे मुख्य स्नान के दिनों में करोड़ों की भीड़ होती है। महा माघ मेले के बड़े स्नानों पर प्रशासन कई किलोमीटर पहले ही गाड़ियाँ रोक देता है।
इसलिए बेहतर होगा कि आप मुख्य तारीख से दो से तीन दिन पहले ही प्रयागराज पहुँच जाएं और संगम के पास किसी शिविर या होटल में रुकें। इससे आप सुबह-सुबह आराम से ‘ब्रह्म मुहूर्त‘ में स्नान कर पाएंगे और लंबी पैदल यात्रा से बच जाएंगे।
अक्सर लोग मुख्य ‘VIP घाट‘ पर ही भीड़ लगाते हैं, जहाँ पानी गंदा हो जाता है। महा माघ मेला 2026 के दौरान अगर आप साफ पानी और शांति चाहते हैं, तो अरैल (Araila) घाट या झूंसी (Jhunsi) की ओर के घाटों पर जाएं।
डिजिटल युग में महा माघ मेले के लिए सरकार ने विशेष इंतज़ाम किए हैं। आप ‘Prayagraj Mela’ ऐप जरूर डाउनलोड करें। इसमें आपको पार्किंग, खोया-पाया केंद्र, प्राथमिक चिकित्सा और घाटों की लाइव लोकेशन मिल जाएगी।
साथ ही, मेले के अंदर जगह-जगह लगे ‘पुलिस सहायता केंद्र‘ का नंबर अपने पास रखें। यह ऐप आपको भीड़भाड़ वाले रास्तों से बचाकर सही घाट तक पहुँचाने में आपकी मदद करेगा।
Pro Tip: अपने साथ एक छोटा वाटरप्रूफ बैग जरूर रखें जिसमें आप अपने फोन और जरूरी कागजात रख सकें, क्योंकि संगम पर सामान चोरी होने या भीगने का डर रहता है।
प्रयागराज भारत के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। अपनी सुविधा के अनुसार आप नीचे दिए गए तरीकों में से चुनाव कर सकते हैं:

प्रयागराज में मुख्य रूप से 3 बड़े स्टेशन हैं जहाँ आप उतर सकते हैं:
महा माघ मेला 2026 के खास मौकों पर रेलवे ‘मेला स्पेशल’ ट्रेनें भी चलाता है, जिसकी जानकारी आपको IRCTC पर मिल जाएगी।
प्रयागराज के लिए यूपी रोडवेज (UPSRTC) की बसें हर बड़े शहर से चलती हैं:
सच तो यह है कि महा माघ मेला 2026 की यह यात्रा आपके लिए एक ऐसी पूंजी है, जो पूरी उम्र आपके काम आएगी। जब आप संगम की इस पवित्र रेती से अपने घर की ओर कदम बढ़ाएंगे, तो आप अपने साथ केवल यादें नहीं, बल्कि एक बदला हुआ व्यक्तित्व लेकर जाएंगे।
यह मेला हमें सिखाता है कि भीड़ के बीच रहकर भी कैसे अपने अंदर की शांति को ढूंढा जा सकता है। महा माघ मेला 2026 से आप अपने साथ केवल सामान नहीं, बल्कि जन्मों-जन्मों का पुण्य और संतों का आशीर्वाद लेकर लौटेंगे।
संगम की रेती पर बिताया गया हर पल आपको यह अहसास कराता है कि असली खुशी सादगी और दूसरों की सेवा करने में ही छिपी है।
यकीन मानिए, महा माघ मेला 2026 में मिला आध्यात्मिक सुकून आपको साल भर हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देगा।
यह मेला आपके विश्वास को और मजबूत करेगा कि ईश्वर की कृपा आप पर हमेशा बनी हुई है। तो बस, अपनी तैयारी शुरू कीजिए और इस दिव्य अनुभव का हिस्सा बनकर पुण्य के भागीदार बनिए। जय गंगे!
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