Maha Kumbh Mela 2025: A Guide to the World’s Largest Spiritual Gathering
India’s biggest spiritual gathering festival is going to happen. Yes, you heard it right: The Kumbh Mela 2025. This is…
गीता जयंती 2024 हिन्दू धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है| इस गीता जयंती 2024 [Gita Jayanti 2024] के पावन अवसर पर हिन्दू धार्मिक संस्कृति के सबसे पवित्र ग्रन्थ ‘श्रीमदभगवदगीता’ को सम्मान दिया जाता है|
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गीता जयंती 2024 [Gita Jayanti 2024] का यह पावन पर्व मार्गशीर्ष माह के 11वे दिन, यानी शुक्ल एकादशी को मनाया जाता है| श्रीमद भगवदगीता एक ऐसा ग्रन्थ है जो प्रत्येक मनुष्य के जीवन में बहुत ही बड़ा किरदार निभाती है|
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि इसी दिन महाभारत का युद्ध प्रारंभ शुरू होने से पूर्व में कुरुक्षेत्र के युद्ध क्षेत्र में अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था| इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है|
गीता में बताया गया है कि मनुष्य को दुःख, लालच तथा अज्ञानता को त्याग कर प्रत्येक परिस्थिति में धैर्य बनाये रखना चाहिए| भारतीय संस्कृति में इस पवित्र ग्रन्थ श्रीमद्भगवद्गीता को केवल पुस्तक ना मानकर, अपने आप में ही सम्पूर्ण जीवन का स्वरुप माना गया है| इस धार्मिक ग्रन्थ में कुल 700 श्लोक है| जिनमे मनुष्य जीवन से संबंधित सभी बातों के बारे में बताया गया है|
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इस वर्ष गीता जयंती 2024 का पावन पर्व 11 दिसंबर 2024 को है|
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में कुंती पुत्र अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था| इस गीता जयंती 2024 के पर्व को हिन्दू धर्म में मोक्षदा एकादशी के रूप में भी जाना जाता है| आपको बता दे कि मोक्षदा एकादशी के दिन भक्तों के द्वारा गीता जी की आरती का भी उच्चारण किया जाता है|
भगवदगीता पवित्र ग्रंथो का एक ऐसा हिस्सा है जिसमे कुल 18 अध्याय है| इसमें 6 अध्याय कर्मयोग, 6 अध्याय ज्ञानयोग तथा आखिर के 6 अध्याय में भक्तियोग के बारे में उपदेश दिए गए है| मान्यताओं के अनुसार इस वर्ष गीता जयंती की 5157 वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी|
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इसका तात्पर्य यह है कि भगवान श्री कृष्ण ने कुंती पुत्र अर्जुन को गीता का उपदेश आज से लगभग 5157 वर्ष पूर्व दिया था| जिसकी सहायता से अर्जुन के ज्ञानचक्षु खुले थे| पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस पवित्र ग्रंथ भगवद्गीता की उत्पत्ति कलयुग की शुरुआत होने से लगभग 30 वर्ष पहले हुई थी|
श्रीमद भगवतगीता में कुल 18 अध्याय तथा 700 श्लोक है| इसी के साथ पुस्तक गीता को गीतोपनिषद के नाम से भी पहचाना जाता है| गीता जयंती का त्यौहार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है|
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इस वर्ष गीता जयंती के व्रत तथा पूजन करने के लिए एक अनुष्ठान निर्धारित किया गया है| जिसके बारे में आज हम आपको जानकारी देंगे कि किस प्रकार पूजा करने से आपको भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होगा –
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार माना जाता है कि भगवदगीता एक ऐसा धार्मिक ग्रन्थ में, जिसमे एक सम्पूर्ण सृष्टि के सभी पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया गया है| इस धार्मिक पुस्तक के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने हमे जो उपदेश दिए है|
वह बहुत ही आलौकिक तथा काफी प्रेरणादायक रहे है| कहा जाता है कि जो भी भगवद्गीता को पूर्ण श्रद्धा के साथ पढता है| उसे आलौकिक ज्ञान, प्रकाश तथा अपार आनंद की प्राप्ति होती है|
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वैदिक पुराणों में भगवद्गीता की तुलना एक माँ से की जाती है जो किसी भी व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की परेशानियों को दूर करके हर प्रकार के दुःख को दूर करती है| धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को यदि कोई व्यक्ति भगवत गीता का पाठ करता है तो उसे अपने पिछले जन्म में किये हुए सभी पापों से मुक्ति मिलती है तथा उस व्यक्ति पर भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है और जिस पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा हो| उसे सदा ही मोक्ष की प्राप्ति होती है|
गीता जयंती 2024 के इस पावन पर्व को हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में बहुत प्रसन्नता तथा हर्षोल्लास से मनाया जाता है| इस त्यौहार के लिए प्रमुख स्थल होने के कारण कुरुक्षेत्र को बहुत ही धार्मिक भावनाओं तथा पवित्रताओं के साथ जोड़ा गया है| इसके अलावा कुरुक्षेत्र कई अन्य वजहों से भी जाना जाता है|
जैसे कि कई पौराणिक ग्रन्थ ऋग्वेद, एवं सामवेद की रचना भी हरियाणा के कुरुक्षेत्र में की गई थी| आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सुप्रसिद्ध ऋषि मनु ने भी इसी भी स्थान पर मनुस्मृति की रचना की थी| माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के अलावा भी सिख गुरुओं और गौत्तम बुद्ध जैसे कई महान लोगों ने इस स्थान का दौरा किया है|
कुरुक्षेत्र में ही गीता जयंती के त्यौहार का आयोजन किया जाता है| सम्पूर्ण भारत से तीर्थयात्री एवं श्रद्धालुजन इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए हरियाणा के कुरुक्षेत्र इकठ्ठा होते है| गीता जयंती 2024 [Gita Jayanti 2024] के दिन भगवान श्रीकृष्ण के सभी भक्तों के द्वारा सन्निहित सरोवर तथा ब्रह्म सरोवर के पवित्र जल में स्नान किया जाता है|
इस समय पर बहुत ही भरी संख्या में धार्मिक गतिविधियों का आयोजन करने से वहां का सम्पूर्ण परिवेश आध्यात्मिक तथा पूर्ण रूप शुद्ध हो जाता है| यह त्यौहार लगभग एक सप्ताह तक चलता है| जिसमे नृत्य प्रदर्शन, भगवद्गीता कथा वाचन, नाटक, भजन, पुस्तक प्रदर्शनियां, श्लोक पाठ तथा मुफ्त चिकित्सा सुविधा जैसे कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है|
आपको बता दे कि गीता जयंती का यह सम्पूर्ण समारोह कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, जिला प्रशासन, हरियाणा पर्यटन, कला व सांस्कृतिक मामले विभाग हरियाणा के द्वारा आयोजित किया जाता है|
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आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से गीता जयंती 2024 [Gita Jayanti 2024] के बारे में काफी बातें जानी है| आज हमने कुरुक्षेत्र में होने वाले गीता जयंती 2024 [Gita Jayanti 2024] समारोह के बारे में भी जाना|
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Q.गीता जयंती की शुरुआत कब हुई?
A.गीता जयंती का त्यौहार प्रशासनिक स्तर पर 1989 में मनाना शुरू हुआ था|
Q.गीता जयंती कैसे मनाते हैं?
A.इसके लिए पहले फूल, अक्षत से ग्रंथ की पूजा करें और फिर पाठ की शुरुआत करें|
Q.गीता जयंती का मतलब क्या होता है?
A.इस दिन ही मनुष्य को अंधकार से ज्ञान की ओर ले जाने वाली गीता भगवान श्रीकृष्ण के मुख से संसार में आई|
Q.गीता जयंती कहां मनाई जाती है?
A.गीता जयंती महोत्सव कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर मनाया जाता है|
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