Bikaner Camel Festival 2025: Dates, Events, & Highlights
Bikaner Camel Festival 2025 is a top attraction for visitors from other states to see the festival. Bikaner is a…
रक्षाबंधन के त्यौहार के भांति ही हिन्दू धर्म में एक त्यौहार और आता है| जो भी इसी त्यौहार की भांति ही भाई – बहन के अटूट रिश्ते को प्रदर्शित करता है| जिसे भारत देश में सर्वाधिक भाई दूज के नाम से जाना जाता है|
इस भाई दूज 2024 (Bhai dooj 2024) के त्यौहार को अलग – अलग नामों से जाना जाता है| जैसे – भाई टिका, भाई फोटा, भ्रातृ द्वितीया| इसके अलावा हिन्दू धर्म में भाई दूज के इस त्यौहार को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है|
भाई दूज या भैया दूज एक हिन्दू त्यौहार के रूप में मनाया जाता है| इस दिन सम्पूर्ण देश में सभी महिलाए अपने भाइयों की लम्बी उम्र की कामना करके भगवान से प्रार्थना करती है| तथा इसके बाद उपहार का आदान – प्रदान किया जाता है|
धर्म ग्रंथों के अनुसार भाई दूज 2024 (Bhai dooj 2024) का यह पावन त्यौहार दिवाली के तीसरे दिन के पश्चात ही भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है| भाई दूज का त्यौहार कार्तिक मास के उज्जवल पखवाड़े या फिर शुक्ल पक्ष के दुसरे दिन मनाया जाता है|
हर वर्ष भाई दूज की तिथि अलग – अलग होती है लेकिन इस बार भाई दूज 2024 (Bhai dooj 2024), 03 नवम्बर 2024 – रविवार को मनाया जाएगा| भाई दूज के इस त्यौहार का हिन्दू धर्म में बहुत ही अधिक महत्व बताया गया है| इस दिन सभी बहने अपने भाईयों को कुम्हर के फुल, चांदी के सिक्के और पान के पत्तो की सहायता से नौता जाता है|
इस समय बहने यह बोलती है कि जिस प्रकार से यमुना जी ने यमराज जी को नौता था| उसी प्रकार से मैं भी अपने भाई को नौत रही हूं| इसलिए जिस प्रकार गंगा का जल बढ़ता है| उसी प्रकार मेरे भाई की आयु भी बढती रहे|
आइये जानते इस वर्ष भाई दूज 2024 (Bhai dooj 2024) की तिथि और शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है| भाई दूज के बारे में अन्य सभी जानकारियां पाने के लिए हमारे इस लेख (Article) को पूरा पढ़े|
भाई दूज 2024 तारीख (Date) | 03 नवम्बर 2024, रविवार |
भाई दूज शुभ मुहूर्त | 03 नवम्बर 2024, रविवार
दोपहर 01:10 बजे से दोपहर 03:22 बजे तक |
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि प्रारंभ | 02 नवम्बर 2024, शनिवार ,समय – रात्रि 08:21 |
कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि समाप्त | 03 नवम्बर 2024, रविवार, समय – रात्रि 10:05 |
भाई दूज रक्षाबंधन की ही तरह मनाया जाने वाले एक हिन्दू धर्म का ही त्यौहार है| इस भाई दूज 2024 (Bhai dooj 2024) के त्यौहार को अलग – अलग नामों से जाना जाता है| जैसे – भाई टिका, भाई फोटा, भ्रातृ द्वितीया| इसके अलावा हिन्दू धर्म में भाई दूज के इस त्यौहार को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है|
हिन्दू धर्म में भाई दूज का त्यौहार भी रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के त्यौहार के समान ही महत्व रखता है| भाई दूज का यह त्योहार दिवाली के तीसरे दिन मनाया जाता है| भाई दूज का यह पावन त्यौहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है| यह पर्व भाइयों और बहनों के मध्य के प्रेम को दर्शाता है|
100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)
इस दिन सभी बहने अपने भाइयों को तिलक लगाती है| उसके पश्चात भाइयों को भोजन करवाने की परंपरा होती है| भाई दूज के दिन बहने अपने भाइयों की लम्बी उम्र के लिए कामना करती है| जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके है कि यह भाई दूज का त्यौहार रक्षाबंधन के त्यौहार के समान ही भाई और बहन के प्रेम व स्नेह का प्रतीक है|
यह एक बहुत ही पवित्र त्यौहार है| जिसका सभी भाई और बहनों को बेसब्री से इंतज़ार रहता है| भाई दूज का धार्मिक महत्व भी बहुत माना गया है| भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है|
भाई दूज को यम द्वितीया कहने के पीछे भी एक कारण है| धार्मिक कथाओं के अनुसार यमुना जी ने अपने भाई यमराज जी को इस (भाई दूज) के दिन सम्पूर्ण आदर और सत्कार के साथ भोजन करवाया था|
इस वजह से भाई दूज के इस त्यौहार को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है|
यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष में दो बार मनाया जाता है| एक तो होली के समय और दूसरा दिवाली के तीन बाद यह भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है| अब हम भाई दूज का त्यौहार मनाते समय जो थाली उपयोग में लायी जाती है| उसमे प्रयोग में होने वाली सामग्री के बारे में चर्चा करेंगे|
भाई दूज 2024 की पूजा में काम आने वाली सामग्री निम्न है –
इस त्यौहार को भी रक्षाबंधन के त्यौहार के रूप में ही मनाया जाता है| भाई दूज का यह पावन त्यौहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है| यह पर्व भाइयों और बहनों के मध्य के प्रेम को दर्शाता है| भाई दूज के इस पावन त्यौहार पर सभी बहने उनके भाइयों को अपने घर बुलाती है| और फिर अपने भाइयों को तिलक लगाकर भोजन भी करवाती है|
इस दिन बहने प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर सर्वप्रथम अपने इष्ट देवता और इस संसार के पालक भगवान विष्णु की पूजा और उनसे प्रार्थना करती है| इसके पश्चात उन्हें चावलों को पीसकर उनसे चौक बनाना चाहिए| तथा उस पर अपने भाई को बैठाए|
फिर इसके बाद में अपने भाई की हथेली पर चावल के घोल को लगवाए| इसके बाद में अपने भाई के हाथों पर हल्का सा सिंदूर लगाकर फूल, सुपारी और कुछ पैसे आदि रख दे और अब धीरे – धीरे भाई के हाथों पर पानी डाले|
इसके पश्चात अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारे और फिर उनके हाथ पर कलावा अवस्य बांधे| अब अपने भाई को मिठाई खिला कर उनका मुँह मीठा कीजिये| इसके बाद अपने भाई को भोजन कराएं और उसे पान भी खिलाएं|
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि भाई दूज के इस त्यौहार पर यदि बहने अपने भाइयों को पान खिलाती है तो भाई को पान खिलाने से बहन को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है| तिलक और आरती करने के बाद भाई अपनी बहन को उपहार देता है| और हमेशा अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है|
पौराणिक ग्रन्थों की मान्यता है कि इस दिन यदि बहन अपने भाई का हाथ पकड़ कर यमुना नदी में स्नान करती है तो यमराज उसके भाई की अकाल मृत्यु को टाल देते है|
इस त्यौहार से संबंधित अनेक कथाएं प्रचलित है लेकिन हम आपको आज दो सर्वाधिक प्रचलित कथाओं के बारे में बतायेंगे|
इस कथा के अनुसार बताया गया है भगवान सूर्य देव और उनकी धर्मपत्नी जिनका नाम संज्ञा था| उनके दो संताने थी| जिसमे से एक पुत्र था और दूसरी पुत्री थी| जो पुत्र था उसका नाम यम था और पुत्री का नाम यमुना रखा गया था| भगवान सूर्य देव की पत्नी संज्ञा उनका तेज सहन नहीं कर पाती थी|
इस कारण से उन्होंने एक दिन अपनी छाया का निर्माण किया और उस छाया को अपने बच्चो के साथ छोड़कर वहां से चली गयी| दोनों भाई – बहन (यम और यमुना) में बहुत ही प्रेम था| इसी के चलते कुछ समय पश्चात ही यमुना का विवाह हो गया| विवाह के बाद भी यमुना अपने भाई को भोजन करने के लिए अपने घर बुलाती थी|
लेकिन यम किसी ना किसी कार्य में व्यस्त होने की वजह से अपनी बहन (यमुना) से मिलने उसके घर नहीं जा पाते थे| एक बार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन यमुना से मिलने उसके घर पहुँचे| जब यम अपनी बहन के घर पहुंचे तो उनके आया देखकर यमुना भी बहुत ही खुश हुई|
100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)
इसके पश्चात यमुना सबसे पहले अपने भाई का आदर – सत्कार किया| और उसके पश्चात अपने भाई को पूर्ण आदर के साथ ही यमुना ने भोजन भी खिलाया| अपनी बहन के इस आदर सत्कार से प्रसन्न होकर यम ने उन्हें एक वरदान मांगने को कहा – उस समय यमुना ने यह वर माँगा कि प्रत्येक वर्ष इस दिन आप मुझसे मिलने अवश्य आएंगे|
मेरी ही भांति जो भी बहने इस दिन अपने भाई के टिका करेंगी| उन्हें तुमसे किसी भी प्रकार का भय नहीं होगा| यमराज ने यह वरदान यमुना को किया और उसे धन – धान्य देकर वापिस यमलोक चले गए|
लोककथा के अनुसार किसी गाँव में एक वृद्ध महिला रहती थी| जिसके दो संताने थी| एक बेटा और एक बेटी, जो बेटी थी वह बेटे से बढ़ी थी| जब बेटी की शादी हो गई तो बेटे ने अपनी बहन से मिलने के बारे में सोचा| तब लड़के भी माँ ने उससे कहा कि तेरी बहन का व्यवहार तेरे साथ बिल्कुल अच्छा नहीं है| वो हमेशा ही तुझसे लडती रहती है|
इस वजह से तुझे उससे मिलने के लिए नहीं जाना चाहिए| लेकिन बेटा जाने की ही जिद करता है| तो माँ भी उसे जाने देती है| लेकिन जब वो घर से जाने के लिए है तो उसे कई सारी चुनोतियों का सामना करना पढता है| सबसे पहले एक नदी आई और उससे कहा कि मैं तेरा काल बनके आई हुई| तुझे मुझमे समाना होगा|
लेकिन इससे बच कर वो निकल गया और फिर आगे उसको सांप भी मिला जो भी उसे मारना चाहता था| और बाद में एक शेर भी मिला लेकिन इनसे बचकर वो निकल गया| अंत में भाई अपनी बहन के घर के दरवाजे पर पहुँच गया और उसने अपनी बहन को आवाज दी|
उस समय बहन सूत कात रही थी और सूत टूट गया| पौराणिक मान्यता है कि बहन अपने भाई से तब तक बात नहीं कर सकती है| जब तक कि सूत को दुबारा से नहीं जोड़ा जाए| अगर ऐसा होता है तो भाई के जीवन में संकट आ जाएगा| इसलिए भाई के आवाज़ देने पर भी वह नहीं आई|
इससे भाई को भी बहुत दुःख हुआ और वह वापिस जाने लगा तभी सूत के जुड़ जाने से वह भागती हुई गई और अपने भाई को रोका| उसने अपने भाई को देर से आने कारण बताया और उसे अंदर ले गयी तथा उसके लिए भोजन बनाया व उसे खिलाया|
भाई दूज या भैया दूज एक हिन्दू त्यौहार के रूप में मनाया जाता है| इस दिन सम्पूर्ण देश में सभी महिलाएं अपने भाइयों की लम्बी उम्र की कामना करके भगवान से प्रार्थना करती है| भाई दूज रक्षाबंधन की ही तरह मनाया जाने वाले एक हिन्दू धर्म का ही त्यौहार है|
इस भाई दूज 2024 (Bhai dooj 2024) के त्यौहार को अलग – अलग नामों से जाना जाता है| इसके अलावा हिन्दू धर्म में भाई दूज के इस त्यौहार को यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है| हिन्दू धर्म में भाई दूज का त्यौहार भी रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के त्यौहार के समान ही महत्व रखता है|
सनातन धर्म में मान्यता है कि भाई दूज के इस त्यौहार पर यदि बहने अपने भाइयों को पान खिलाती है तो भाई को पान खिलने से बहन को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है| इस दिन सभी बहने अपने भाईयों को कुम्हर के फुल, चांदी के सिक्के और पान के पत्तो की सहायता से नौता जाता है|
इस समय बहने यह बोलती है कि जिस प्रकार से यमुना जी ने यमराज जी को नौता था| उसी प्रकार से मैं भी अपने भाई नौत रही हूं| इसलिए जिस प्रकार गंगा का जल बढ़ता है| उसी प्रकार मेरे भाई की आयु भी बढती रहे| यमुना के तट पर भाई और बहन का समवेत भोजन बहुत ही कल्याणकारी माना जाता है|
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से भाई दूज के बारें में काफी बाते जानी है| आज हमने भाई दूज पूजन के फ़ायदों के बारे में भी जाना| हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी|
इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|
किसी भी तरह की पूजा करने के लिए हमें बहुत सारी तैयारियां करनी होती है| गावों में पूजा आसानी से हो जाती है लेकिन शहरों में लोगों के पास समय की कमी होती है| जिस वजह से वह लोग पूजा नहीं करवा पाते है तो उनकी इस समस्या का समाधान हम लेकर आये है 99Pandit के साथ|
यह सबसे बेहतरीन प्लेटफार्म है जिससे आप किसी पूजा के लिए ऑनलाइन पंडित जी को बुक कर सकते है|
Q.दिवाली के समय भाई दूज कब है ?
A.इस वर्ष दिवाली के समय 03 नवम्बर 2024, रविवार का है|
Q.भाई दूज के दिन भाई को क्या दिया जाता है ?
A.इस दिन बहने अपने भाइयों को तिलक लगती है, और उसे गोला या सुखा नारियल देती है|
Q.भाई दूज 2024 का शुभ मुहूर्त क्या है ?
A.इस वर्ष भाई दूज मनाने का शुभ समय 02 नवम्बर 2024, शनिवार ,समय – रात्रि 08:21 से 03 नवम्बर 2024, रविवार, समय – रात्रि 10:05 तक मनाया जाएगा|
Q.भाई दूज के दिन क्या किया जाता है ?
A.इस त्यौहार को भी रक्षाबंधन के त्यौहार के रूप में ही मनाया जाता है| भाई दूज का यह पावन त्यौहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है| यह पर्व भाइयों और बहनों के मध्य के प्रेम को दर्शाता है| भाई दूज के इस पावन त्यौहार पर सभी बहने उनके भाइयों को अपने घर बुलाती है| और फिर अपने भाइयों को तिलक लगाकर भोजन भी करवाती है|
Table Of Content