Verified Pandit at Your Doorstep for 99Pandit PujaGanesh Chaturthi Puja Book Now

Om Mantra Chanting: ॐ का अर्थ, उच्चारण के फायदे व महत्व

99Pandit Ji
Last Updated:August 22, 2024

ॐ (ओम)” यह शब्द आपने अपने सम्पूर्ण जीवन कभी ना कभी जरुर सुना होगा, जब भी आपने इस ओम (ॐ) का उच्चारण सुना होगा| उस समय आपके मन यह ख्याल जरुर आया होगा कि इस शब्द की उत्पति कब और कैसे हुई होगी| तथा इस शब्द में ऐसी क्या शक्ति है, जिससे इसके उच्चारण मात्र से ही हमारे आस – पास का वातावरण में एक अलग ही सकारात्मकता फ़ैल जाती है|

तो आज हम इस लेख के माध्यम से इसी शब्द ओम (ॐ) के बारे में बात करेंगे और इसके शब्द के पीछे के कई रहस्यों के बारे में जानेंगे| सबसे पहले हम यह जानेंगे कि यानी ओम, जिसे ‘ओंकार’ या ‘प्रवण’ के नाम से भी जाना जाता है|

यह शब्द दिखने में केवल ढाई अक्षर का है, लेकिन समझने पर ज्ञात होता है कि इस ढाई अक्षर के इस शब्द में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का सार समाया हुआ है| ओम (ॐ) का सम्बन्ध किसी एक धर्म से नहीं है लेकिन हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म में इस ओम शब्द को एक अलग ही पारंपरिक प्रतीक और पवित्र ध्वनि के रूप में दर्शाया जाता है|

Om Mantra Chanting

ओम किसी एक विशेष धर्म का नहीं है| यह ओम(ॐ) शब्द सभी का है, यह सार्वभौमिक है, तथा इस ढाई अक्षर के में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समाया हुआ है| माना जाता है कि ओम (ॐ) को सर्वप्रथम ध्वनि माना जाता है|

पौराणिक कथाओं और वैज्ञानिकों के अनुसार यह माना जाता है कि जब इस ब्रह्माण्ड के भौतिक निर्माण के अस्तित्व में आने से पहले के समय जो ध्वनि इस ब्रह्माण्ड में विद्यमान थी| वह ओम (ॐ) शब्द की ही गूंज थी| यही कारण है कि ओम (ॐ) को ब्रह्माण्ड की आवाज़ की कहा जाता है|

ओम(ॐ) शब्द का अर्थ क्या है ? 

सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार ओम (ॐ) शब्द की वास्तविकता का गठन सम्पूर्ण मनुष्य जाति के किये गए सबसे पवित्र और महान अविष्कारों में से ही एक है| माना जाता है ओम शब्द को सबसे पहले उपनिषदों में वर्णित किया गया था जो कि वेदांत से जुड़े हुए लेख होते है|

इन उपनिषदों में ओम (ॐ) शब्द को बहुत ही अलग – अलग तरह से बताया गया है जैसे कि “ब्रह्मांडीय ध्वनि”, “रहस्यमय शब्द” तथा “दैवीय चीज़ों का प्रतिज्ञान” इत्यादि| अगर संस्कृत भाषा में देखा जाए तो ओम शब्द तीन अलग – अलग शब्दों से मिलकर बना होता है| जैसे – “अ”, “उ” और “म”|

जब “अ” और “उ” शब्द को मिलाया जाता है तो “ओ” की ध्वनि प्राप्त होती है| जैसा कि आपने अनुभव किया ही होगा आप जब “अ” और “उ” शब्द का लगातार उच्चारण करते है तो यह स्वयं ही “ओ” की ध्वनि के रूप में उच्चारित होने लगता है| इसके पश्चात आखिरी शब्द “म” आता है| यह जो “अ” शब्द है| इस शब्द की ध्वनि गले के पिछले हिस्से से निकलती है|

99pandit

100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)

99pandit

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि “अ” एक ऐसा शब्द है जो जन्म लेने पश्चात मनुष्य के मुख से सबसे पहले निकलता है| इसलिए “अ” शब्द प्रारम्भ को दर्शाता है| इसके बाद में आता है “उ” शब्द जो कि तब निकलता है जब मनुष्य का मुख खुलने की स्थिति में हो| इसी कारण “उ” शब्द परिवर्तन के संयोजन को दर्शाता है|

इसके आखिर में आता है “म” शब्द जो तब उच्चारित होता है जब दोनों होंठ आपस में मिले हुए हो और मुख बंद हो| यह “म” शब्द अंत या समापन का प्रतीक माना जाता है| इसी वजह से जब यह तीनो शब्द आपस में मिलते है तो ओम (ॐ) शब्द की ध्वनि का निर्माण होता है| जिसका अर्थ है – प्रारंभ, मध्य और अंत|

ओम शब्द ऐसा है कि इसके अलावा कोई सी भी ध्वनि हो फिर चाहे वो कैसी भी ध्वनि हो या किसी भी भाषा में बोली जाती हो| वह सभी ध्वनियाँ इन तीनो अक्षरों के अंतर्गत ही आती है| इसके अलावा जो ये तीन अक्षरों के प्रतीक शब्द है प्रारम्भ, मध्य और अंत| यह तीनो स्वयं ही सृष्टि के प्रतीक के रूप में दर्शाया जाता है|

ॐ शब्द की व्याख्याएं –

  • – ब्रह्मा (निर्माता), – विष्णु (रक्षक), – शिव (विध्वंसक)
  • – वर्तमान, – भुत, – भविष्य 
  • – जागे होने की स्थिति, – स्वप्न की स्थिति, – गहरी निद्रा की स्थिति
  • – तामस (अज्ञान), – राजस (जुनून), – सत्व (शुद्धता)

ओम (ॐ) शब्द का सही उच्चारण

यह ओम शब्द एकमात्र ऐसा शब्द है जिसके केवल उच्चारण मात्र से ही हमारे आस – पास का वातावरण पवित्र हो जाता है| तथा हमारे मन में भी सकारात्मक भाव उत्पन्न होने लगते है| इस ओम शब्द को इस प्रतीक “ॐ” के रूप में लोगों के द्वारा पहचाना जाता है|

लेकिन माना जाता है कि जब भी ओम (ॐ) की बात की जाती है तो सबसे पहले ओम (ॐ) के उच्चारण पर अधिक जोर दिया जाता है| ऐसा इस कारण से किया जाता है क्योंकि अभी भी कई सारे लोग ऐसे है जिन्हें ओम (ॐ) का सही उच्चारण करने का तरीका नहीं पता है| 

ओम का उच्चारण सही प्रकार से किया जाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है| धार्मिक परम्पराओं के अनुसार माना जाता है| किसी भी प्रकार की ध्वनि को किसी ना किसी ध्येय के हेतु बनाया जाता है|

Om Mantra Chanting

जैसा कि आप स्वयं की रोजाना की जिन्दगी में देखते ही होंगे कि संगीत किसी भी प्रकार हो लेकिन वह हमारे मन की स्थिति को काफी ज्यादा प्रभावित करता है| इस वजह से किसी भी प्रकार की धार्मिक ध्वनि या ओम की ध्वनि का नियम पूर्वक ही उच्चारण किया जाना चाहिए|

हिन्दू धर्म तथा वर्तमान में वैज्ञानिकों ने भी यह माना है कि इस ओम (ॐ) शब्द का उच्चारण करना मनुष्य की मानसिक स्थिति पर बहुत ही अच्छा और सकारात्मक प्रभाव डालते है| मान्यता है कि ओम का ध्यान करने से मनुष्य को मानसिक अशांति और जीवन में चल रही परेशानियों से राहत मिलती है|

आगे हम लेख के माध्यम से यह जानेंगे कि जब इस ओम शब्द के अर्थ को अपने मन और दिमाग में रखकर इसका ध्यान किया जाता है तो किस प्रकार यह व्यक्ति के मानसिक और स्वाभाविक दशाओं पर बहुत ही गहरा सकारात्मक प्रभाव डालता है|

ओम (ॐ) का जाप किस प्रकार किया जाता है 

सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस ओम (ॐ) शब्द का जाप या इसका ध्यान, इस शब्द के अर्थ को अपने मन और दिमाग में रखकर ही करना चाहिए| यह ओम शब्द ईश्वर की प्रतिनिधित्व का प्रतीक माना जाता है| इसलिए ओम (ॐ) का जप करते समय आपको भगवान का चिंतन भी अपने मन में करते रहना चाहिए| तो आइये अब हम जानते है कि ओम का उच्चारण किस प्रकार से किया जाता है|

ओम (ॐ) उच्चारण जाप विधि –

  • ओम का ध्यान करने के लिए सर्वप्रथम एक शांत और आरामदायक स्थान का चुनाव करे तथा ध्यान करने के आसन में बैठ जाए,जैसे कि – सुखासन, पद्मासन इत्यादि| ओम का जाप करते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखे कि आपकी रीढ़ की हड्डी व गर्दन बिलकुल सीधी होनी चाहिए| 
  • इसके पश्चात जप करने के लिए एक गहरी सांस को अन्दर भर ले| फिर अपनी सांस को धीरे – धीरे छोड़ते हुए ओम का उच्चारण करें| 
  • जब आप ओम का उच्चारण करेंगे तब आप नाभि के क्षेत्र में “ओ” अक्षर की ध्वनि से होने वाले कंपन को महसूस करेंगे| तथा इस कंपन को ऊपर की ओर आते हुए भी महसूस करेंगे|  
  • जैसे – जैसे आप ओम का उच्चारण जारी रखेंगे| उसी प्रकार आप इस कम्पन को अपने गले की ओर आता हुआ महसूस करेंगे| 
  • जब ओम की ध्वनि से उत्पन्न कंपन आपके गले तक पहुँच चुका हो तो इस समय “ओ” की ध्वनि को “म” की एक गहरी ध्वनि में बदल लेवे| 
  • इस उच्चारण के माध्यम से होने वाले कंपन को तब तक महसूस करे जब तक कि यह आपके सिर के ऊपरी सिरे तक नहीं पहुंच जाए| 
  • इसके पश्चात यदि आप चाहें तो आप इस प्रक्रिया को आपकी श्रद्धा के अनुसार कितनी भी बार कर सकते है लेकिन इसका उच्चारण कम से कम दो बार तो अवश्य ही किया जाना चाहिए| 
  • जब आपकी ओम (ॐ) उच्चारण की प्रक्रिया समाप्त हो जाए तो प्रक्रिया के पूर्ण होने के पश्चात भी आपको उठना नहीं चाहिए, बल्कि ध्यान की मुद्रा में ही बैठे रहकर अपने पूरे शरीर में ओम (ॐ) उच्चारण हुए कंपन को महसूस कीजिये| 

ओम (ॐ) का जप व ध्यान करने के फायदे 

जब भी कोई व्यक्ति ओम (ॐ) शब्द का जाप करता है| तो उसके पूरे शरीर में एक कंपन उत्पन्न होती है| जिससे व्यक्ति को अपने अन्दर एक अद्भुत शक्ति का अनुभव होता है| ओम का जाप करने से मनुष्य के शरीर में प्राण शक्ति का प्रवाह होता है| अधिक प्राण का अर्थ होता है अधिक जीवन, व्यक्ति को स्वयं के साथ ज्यादा संवाद करने तथा हमारे रिश्तों को अधिक सचेत करने में भी सहायक होता है|

99pandit

100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)

99pandit

कई लोगों का मानना यह भी ओम (ॐ) केवल अध्यात्म व भगवान से सम्बन्ध रखता है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है| ओम केवल अध्यात्म से सम्बंधित नहीं है बल्कि ओम (ॐ) शब्द का नियमित रूप से जप करने से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से छुटकारा मिलता है| अब हम इस लेख के द्वारा आपको ओम (ॐ) शब्द के उच्चारण से संबंधित कुछ फायदों के बारे में जानेंगे| 

तनाव को दूर करके मन शांत करता है ओम (ॐ) का उच्चारण –

पौराणिक काल की मान्यताओं के अनुसार ओम (ॐ) शब्द का उच्चारण करने के व्यक्ति मानसिक शांति की अनुभूति होती है| जब आप नियमित रूप से ओम का उच्चारण करेंगे तो इसका प्रभाव आपको कुछ ही समय में देखने को मिल जाएगा|

जैसे – जैसे आप इसका उच्चारण करते रहेंगे| वैसे वैसे ही आपको यह अनुभव होने लगेगा कि धीरे – धीरे आपका मस्तिष्क हल्का व शरीर ढीला प्रतीत होगा| ऐसा इसलिए महसूस होता है क्योंकि इस समय हमारे शरीर से हर प्रकार की चिंता एवं तनाव बाहर निकलते है| 

ओम का उच्चारण बनाता है एकाग्रता को उत्तम – 

माना जाता है कि जब भी कोई व्यक्ति अपनी सांस पर काबू करके या उसे एक स्थान पर केन्द्रित करके इस ओम (ॐ) शब्द का उच्चारण नियमित रूप से करता है तो निश्चित रूप से ही उस व्यक्ति की ध्यान लगाने की क्षमता तथा एकाग्रता बहुत ही बेहतरीन हो जाती है| 

दिमाग और शरीर को डिटॉक्स करता है ओम (ॐ) उच्चारण – 

ओम (ॐ) का उच्चारण करने से जो कम्पन उत्पन्न होता है| वह कम्पन हमारे शरीर में तुरंत कार्य करता है| इस कारण से जब भी कोई व्यक्ति ओम का उच्चारण करता है तो उसके शरीर और दिमाग में उपस्थित सभी नकारात्मक ऊर्जाओं से छुटकारा दिलाने में बहुत ही ज्यादा सहायक होता है|

जब आप ओम का उच्चारण करने लगेंगे तो आपको अपना दिमाग हल्का तथा शरीर ढीला महसूस होने लगेगा| यही कम्पन का प्रभाव हमारे शरीर को साफ़ करने या हम कह सकते है कि हमारे शरीर को डीटॉक्स करने में मदद करता है| 

हिन्दू धर्म तथा अन्य धर्मों में ओम (ॐ) का महत्व 

सनातन धर्म में ओम के उच्चारण का बहुत बड़ा महत्व बताया है| हिन्दू धर्म के लोगों का मानना यह है कि यह ओम (ॐ) शब्द उनके लिए ईश्वरीय तथा अध्यात्मिक दोनों ही तरीकों से महत्व रखता है|

पौराणिक कथाओं के साथ – साथ वैज्ञानिकों ने भी यह दावा किया है कि इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सर्वप्रथम कोई आवाज़ थी तो वह ओम की ही आवाज़ थी| कुछ विद्वानों के अनुसार ओम का सम्बन्ध हिन्दू धर्म के सबसे शक्तिशाली देवता भगवान शंकर (महादेव) से भी बताया गया है|

Om Mantra Chanting

यह ओम शब्द आत्मा और ब्रह्म (वास्तविकता, ब्रह्माण्ड) को प्रदर्शित करता है| ओम (ॐ) शब्द लगभग सभी वेदों, उपनिषदों तथा धार्मिक ग्रंथों में प्रारम्भ तथा अंत में विद्यमान होता है|

इसके अलावा भी कई प्रकार पूजाओं, शादी समारोह, अनुष्ठान तथा कुछ योग क्रियाओं को करने से पहले भी ओम शब्द का उच्चारण करना बहुत ही शुभ माना जाता है| हिन्दू धर्म के साथ – साथ जैन धर्म, सिख धर्म और बौद्ध धर्म के लोगों के द्वारा भी ओम (ॐ) को काफी महत्व दिया जाता है|  

निष्कर्ष 

आज के इस लेख के द्वारा हमने हिन्दू धर्म में ओम (ॐ) के महत्व के बारे में जाना कि ओम (ॐ) का सही उच्चारण किस प्रकार से किया जाता है| इसके अलावा यदि हम ओम का नियमित रूप से उच्चारण करते है तो यह हमारे लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से ही बहुत लाभदायक है| तथा अंत में हमने ओम (ॐ) उच्चारण का हिन्दू धर्म में तथा अन्य कुछ धर्मों में महत्व के बारे में भी जाना| 

हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|

ओम का हिन्दू धर्म में बहुत ही बड़ा महत्व है| इसका नियमित रूप से उच्चारण करने से दिमाग को शान्ति मिलती है| किन्तु ओम का उच्चारण की कुछ नियमों के अनुसार होता है| इसके अलावा किसी भी पूजा के लिए एक बहुत ही अनुभवी पंडित को आप हमारी वेबसाइट 99Pandit से ऑनलाइन बुक कर सकते है| 99Pandit एक ऐसा ऑनलाइन विकल्प है| जिसके द्वारा किसी भी पूजा के लिए हर जगह पर पंडित सिर्फ एक कॉल पर बुक किये जाते है|

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.ओम क्या है ?

A.“अ” शब्द प्रारम्भ को दर्शाता है, “उ” शब्द परिवर्तन के संयोजन को दर्शाता है तथा अंत में “म” शब्द अंत या समापन का प्रतीक माना जाता है|

Q.ओम (ॐ) की उत्पत्ति कैसे हुई ?

A.मान्यताओं के अनुसार ओम की उत्पत्ति भगवान शिव के मुख मानी जाती है|

Q.ओम किस भगवान से संबंधित है ?

A.अ – ब्रह्मा (निर्माता), उ – विष्णु (रक्षक), म – शिव (विध्वंसक)

Q.ओम का दूसरा नाम क्या है ?

A.ओम (ॐ) शब्द को प्रणव के नाम से भी जाना जाता है| जिसका अर्थ होता है – परमेश्वर|

99Pandit

100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)

99Pandit
Book A Astrologer