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Tulsidas Jayanti 2023: हमारा यह भारत देश अनेको विद्वानों की जन्म भूमि है| इस देश में ऐसे महान लोगों ने जन्म लिया है| जिन्होंने समाज के कल्याण के लिए बहुत ही बड़े बड़े कार्य किये है| आज हम उन्ही में से एक अखंड विद्वान् की जयंती के बार में बात करेंगे| जिन्होंने अपने जीवनकाल में सबसे बड़ी और बहुत महत्वपूर्ण रचनाए की| हम बात कर रहे है महाकवि तुलसीदास जी के बारे में जो कि भगवान श्री राम के बहुत बड़े भक्त के रूप में जाने जाते थे| इन्होने अपनी रचनाओं के माध्यम से भगवान राम के जीवन के बारे में लोगों को अवगत करवाया| तुलसीदास जयंती हिन्दू धर्म के महान संत तुलसीदास जी के जन्म के रूप में मनाई जाती है|
तुलसीदास जी के द्वारा कई चमत्कारी रचनाए की गई है| भगवान राम जी के जीवन पर आधारित रामचरितमानस की रचना भी महाकवि तुलसीदास जी के द्वारा की गई है| इतना ही नहीं इसके अलावा भी अनेकों ऐसी रचनाए है जो कलयुग में भी लोगों में प्रचलित है| विकिपीडिया के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष में अमावस्या के सातवे दिन तुलसीदास जयंती का यह पावन पर्व मनाया जाता है|
तुलसीदास जी के द्वारा कुल 12 पुस्तकों की रचना की गई थी| जिसमे में सबसे प्रसिद्ध पुस्तक श्री रामचरितमानस है| तुलसीदास जी ने इस पुस्तक को अवधी भाषा में लिखा था| जो उत्तर भारत के लोगों की भाषा है| आगे हम इस आर्टिकल के माध्यम से तुलसीदास जयंती के बारे सम्पूर्ण जानकारी देंगे तो तुलसीदास जयंती से जुडी सभी जानकारी, शुभ तिथि और मुहूर्त जानने के लिए आर्टिकल पूरा पढ़े|
तुलसीदास जयंती | 23 अगस्त 2023 |
तिथि | सप्तमी |
दिन | बुधवार |
शुभ मुहूर्त | सुबह 11:57 बजे – दोपहर 12:50 बजे |
राहुकाल | दोपहर 12:30 बजे – दोपहर 02:05 बजे |
कुलिक काल | सुबह 10:53 बजे – दोपहर 12:30 बजे |
यमगंड काल | सुबह 07:46 बजे – सुबह 09:20 बजे |
महाकवि तुलसीदास जी का जन्म विक्रम संवत 1589 या 1532 ई. में उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिला के राजपुर नामक स्थान पर हुआ था| तुलसीदास जी के पिताजी का नाम आत्माराम शुक्ल दुबे तथा उनकी माता का नाम हुलसी था| संत तुलसीदास जी का जन्म ही एक असाधारण बालक के रूप में हुआ था| ऐसा इस कारण से कहा जा रहा है क्योंकि जब कोई साधारण बच्चा पैदा होता है| तो वह पैदा होते ही रोने लगता है लेकिन जब तुलसीदास जी का जन्म हुआ था| तब में बिल्कुल नहीं रोए थे| इसके अलावा सबसे चौकाने वाली बात यह थी कि जब तुलसीदास जी का जन्म हुआ था| उस समय उनके मुख में पुरे दांत उपस्थित थे| जो कि कोई साधारण बात नहीं है|
तुलसीदास जी का नाम पहले तुलसीदास जी नहीं था| इससे पहले उन्हें रामबोला के नाम से जाना जाता था| तुलसीदास की एक पत्नी थी| जिसका नाम रत्नावली था| माना जाता है कि तुलसीदास जी की पत्नी बहुत ही विद्वान् थी| इनका एक पुत्र भी था| जिसका नाम तारक था| तुलसीदास जी को अपनी पत्नी से बहुत ही अधिक स्नेह था| वह अपनी पत्नी से ज्यादा समय तक दूर नहीं रह पाते थे| एक बार की बात है जब उनकी पत्नी उन्हें बताए बिना ही अपने पिताजी के घर चली गयी थी| जब यह बात तुलसीदास जी को ज्ञात हुई तो वह उनके पास मिलने आधी रात को ही उनके ससुर के घर चले गए|
अपने पति की ऐसी हरकत की वजह से रत्नावली को बहुत ही अधिक शर्म महसूस हुई| तब तुलसीदास जी से उनकी पत्नी ने कहा – मेरा शरीर केवल मांस और हड्डियों का पुतला है| इस गंदे शरीर से प्रेम और लगाव लगाने से अच्छा यदि आप भगवान श्री राम से आधा भी प्रेम करते तो इस माया रूपी भवसागर से बाहर निकल पाते| अपनी पत्नी से ऐसी बात सुनकर तुलसीदास जी को बहुत अधिक बुरा लगा| रत्नावली की यह बात तीर के भांति उनके दिल पर लगी| इसके पश्चात तुलसीदास जी उनके घर से तुरंत ही चले गए|
इसके पश्चात तुलसीदास जी ने अपना घर त्याग दिया और तपस्वी बन गए| अब उन्होंने चौदह वर्षों में तीर्थ के सभी पवित्र स्थानों का भ्रमण कर लिया| एक बार जब तुलसीदास जी रोजाना की भांति नित्यकर्म करके वापिस आ रहे थे| तब उन्होंने एक पेड़ की जड़ों में बचा हुआ पानी डाला| उस पेड़ पर एक आत्मा रहती थी, जो तुलसीदास जी से प्रसन्न हो गयी| उस आत्मा ने तुलसीदास जी कहा कि वह उनकी एक इच्छा पूरी कर सकती है|
तब तुलसीदास जी ने उस आत्मा से कहा कि उन्हें भगवान श्री राम के दर्शन चाहिए| तब आत्मा ने कहा कि हनुमान मंदिर चले जाओ| वहा प्रतिदिन रामायण पाठ होता है तो हनुमान कोढ़ी के वेश में सबसे पहले पाठ सुनने आते है और सबसे अंत में जाते है| उनकी तलाश करो| इसमें वह आपकी मदद अवश्य करेंगे|
उस आत्मा के कहे अनुसार तुलसीदास हनुमान जी से मिले और हनुमान जी की सहायता से ही तुलसीदास जी भगवान श्री राम के भी दर्शन हो गए|
हिन्दू संत व महाकवि के नाम से प्रसिद्ध तुलसीदास जी ने अपने जीवन काल में कुल 12 पुस्तकों की रचना की| जिनमे से सबसे प्रसिद्ध और सर्वाधिक लोगों के द्वारा पसंद की जाने वाली पुस्तक श्री रामचरितमानस है जो भगवान श्री राम की जीवन चरित्र पर आधारित है| श्री रामचरितमानस को उत्तर भारत में बहुत ही श्रद्धा के साथ पूजा जाता है|
महाकवि तुलसीदास जी ने इस पुस्तक की रचना की थी और उन्होंने इस पुस्तक को सात खंडों में बांटा था|
जब मुगल बादशाह के द्वारा तुलसीदास को कारागार में बंद कर दिया था| उस समय तुलसीदास जी ने हनुमान जी से वंदना करते हुए हनुमान चालीसा की रचना की थी| इसके बाद पुरे मुगल दरबार में बंदरो ने आतंक मचा दिया| जिससे परेशान होकर बादशाह ने तुलसीदास जी को रिहा कर उनसे क्षमा मांगी| उस समय हनुमान जी ने प्रकट होकर तुलसीदास जी को यह वरदान दिया कि जो भी आपके द्वारा रचित इस हनुमान चालीसा को सौ बार पढ़ेगा| मै उसके सभी संकट में दूर कर दूंगा| यही कारण है कि कलयुग में भी हनुमान चालीसा लोगों द्वारा पढ़ी जाती है|
माना जाता है कि बजरंग बाण पाठ की रचना हनुमान चालीसा के बाद ही हुई थी| बजरंग बाण ने तुलसीदास जी की बीमारी को दूर करने में सहायता की थी| बजरंग बाण एक ऐसा पाठ है जो तुरंत कार्य करता है लेकिन इस पाठ को तभी पढना चाहिए| जब आप के जीवन पर कोई भयंकर संकट आ रखा हो| इस बजरंग बाण का पाठ प्रतिदिन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें पाठ में हम हनुमान जी को भगवान श्री राम की कसम दी जाती है| इस पाठ को बिना किसी कारण से करने पर यह मनुष्य के क्रोध को बढाता है|
इस ग्रंथ की रचना तुलसीदास ने 1643 वी ई. के आस – पास की थी| इस पुस्तक के अंदर कवि तुलसीदास जी ने भगवान श्री कृष्ण के बालक रूप से लेकर युवावस्था की क्रीडाओं और लीलाओं का वर्णन किया गया है|
तुलसीदास जी द्वारा रचित इस गीतावली पुस्तक में भगवान श्री राम की बचपन की लीलाओं से उनके युवावस्था तक के जीवन का वर्णन किया गया| इसके संदर्भ में कई लोगों का यह भी मानना है कि गीतावली और कृष्ण गीतावली लगभग एक समान ही है| इसके बारे में कोई एक मत रखना संभव नहीं है|
इस पुस्तक के अंदर तुलसीदास जी ने भगवान श्री राम के प्रति अपने भक्ति – भाव को दिखाते हुए स्वयं को श्री राम के चरणों में समर्पित कर दिया है| यह तुलसीदास जी के द्वारा रचित सबसे सुन्दर रचना है|
यह तुलसीदास जी के द्वारा रचित सबसे प्रमुख रचनाएं है| इसके अलावा भी कई रचनाएँ है जो तुलसीदास जी के द्वारा की गई है| लेकिन यह सारी प्रमुख व प्रसिद्ध रचनाएँ है|
इस त्यौहार को उतर भारत में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है| तुलसीदास जयंती को हिन्दू धर्म में पूर्ण श्रद्धा और अध्यात्मिक तरीके से मनाया जाता है| इस दिन हिन्दू धर्म के लोग हनुमान जी और भगवान श्री राम के मंदिर में एकत्रित होते है| इसके पश्चात बड़े ही उत्साह के साथ तुलसीदास जी की याद में भजन और कीर्तन के साथ रामायण का पाठ किया जाता है| इस दिन लोग तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरिमानस का भी पाठ करते है| रामचरितमानस के साथ ही मन्दिरों में गीता के उपदेश भी पढ़े जाते है|
तुलसीदास जयंती के दिन देश में कई सारी जगहों पर दोहे और कविताओं की प्रतियोगिताएँ भी रखी जाती है| जिसमे बहुत सारे लोग भाग लेते है| तथा अपने द्वारा लिखी हुई कविता और दोहों को एक सभा में सुनाते है| तुलसीदास जी के कार्य की प्रसंशा बड़े – बड़े विद्वानों तथा शोधकर्ताओं के द्वारा भी की गई है| यह भी तुलसीदास के द्वारा लिखी हुई साहित्य कृतिया और भारत देश की संस्कृति में उनके योगदान आश्चर्यचकित है| आज के दिन यानी तुलसीदास जयंती के दिन लोगों को उनकी आध्यामिकता पुनः याद दिलाने की कोशिश करेंगे| तुलसीदास जयंती के दिन मंदिरों में ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है|
अब हम तुलसीदास जी से जुड़े हुए कुछ तथ्यों पर चर्चा करेंगे –
महाकवि तुलसीदास एक कवि होने साथ ही एक हिन्दू संत भी है| जिन्होंने अपनी रचना श्री रामचरितमानस के माध्यम से सम्पूर्ण जगत को भगवान श्री राम के जीवन और चरित्र के बारे में ज्ञान दिया| तुलसीदास जी भगवान श्री राम के बहुत बड़े भक्त है| हनुमान जी के दर्शन पाने के बाद हनुमान जी ही सहायता से तुलसीदास जी ने भगवान श्री राम के भी दर्शन कर लिये|
इसके अलावा तुलसीदास जी को रामायण के रचियता वाल्मीकि जी का पुर्नजन्म भी माना जाता है| तुलसीदास जयंती के दिन हिन्दू धर्म के लोग हनुमान जी और भगवान श्री राम के मंदिर में एकत्रित होते है| इसके पश्चात बड़े ही उत्साह के साथ तुलसीदास जी की याद में भजन और कीर्तन के साथ रामायण के पाठ को गाया जाता है|
हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन मास में अमावस्या के सातवें दिन तुलसीदास जयंती का यह पावन पर्व मनाया जाता है| तुलसीदास ने अपने जीवन का सर्वाधिक समय वाराणसी शहर में गुजरा था| इस वजह से वहा उपस्थित गंगा नदी का प्रसिद्ध तुलसी घाट उन्हीं के नाम से है|
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से तुलसीदास जयंती के बारे में काफी बातें जानी है| हमने तुलसीदास जयंती से होने वाले लाभों के बारे में भी जाना| इसके अलावा हमने आपको तुलसीदास जयंती से जुड़ी काफी सारी बातों के बारे में बताया है| हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है।
यदि आप तुलसीदास जयंती के अनुष्ठान या उसके उद्दीपन के लिए पंडित जी की तलाश कर रहे है तो हम आपको आज एक ऐसी वेबसाइट के बारे में बताने जा रहे है| जिसकी सहायता से आप घर बैठे ही किसी भी जगह से आपकी पूजा के उपयुक्त और अनुभवी पंडित जी को खोज सकते है| आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है।
Q.इस वर्ष तुलसीदास जयंती कब है ?
A.विकिपीडिया के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष में अमावस्या के सातवें दिन तुलसीदास जयंती का यह पावन पर्व मनाया जाता है| इस वर्ष 2023 में तुलसीदास जयंती 23 अगस्त की है|
Q.तुलसीदास जयंती क्यों मनाई जाती है ?
A.सावन मास के शुक्ल पक्ष में अमावस्या के सातवें दिन तुलसीदास जी का जन्म हुआ था| इसी कारण उनके जन्म की खुशी में तुलसीदास जयंती मनाई जाती है|
Q.तुलसीदास जी क्यों प्रसिद्ध है ?
A.महाकवि तुलसीदास जी हिंदी साहित्यों के ज्ञाता और सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक है|
Q.तुलसीदास जी के गुरु कौन थे ?
A.तुलसीदास के गुरु नरहरी दास बाबा को माना जाता है|