Hanuman Chalisa Path Lyrics: श्री हनुमान चालीसा पाठ हिंदी में
श्री हनुमान चालीसा पाठ: कलयुग में हनुमान जी ही एकमात्र ऐसे साक्षात देव है जो थोड़ी सी पूजा मात्र से…
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अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम के संस्कृत बोल सही संरचना और हिंदी अर्थ के साथ सीखें। सटीक छंदों से अपनी भक्ति बढ़ाएँ। आज ही सम्पूर्ण स्तोत्र पढ़ें।
Ashtalakshmi Stotram Lyrics: अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम माँ लक्ष्मी के आठ रूपों की एक बहुत ही प्यारी और शुभ स्तुति है। इसे पढ़ते या सुनते ही मन शांत हो जाता है और घर का माहौल भी हल्का और अच्छा लगने लगता है।
इस स्तोत्र में माँ के वे रूप बताए गए हैं जो हमें धन, सुख, शांति, समझ, हिम्मत और घर में बरकत देते हैं। इसी वजह से लोग अष्टलक्ष्मी स्तोत्र को रोज पढ़ना पसंद करते हैं, ताकि माँ का आशीर्वाद हमेशा साथ बना रहे।

इस स्तोत्र की खास बात यह है कि इसे पढ़ना बहुत आसान है। इसमें कोई मुश्किल शब्द या कठिन नियम नहीं हैं। बस थोड़ा सा समय निकालकर, शांत मन से माँ को याद करते हुए पढ़ लीजिए। धीरे-धीरे इसके श्लोक खुद ही याद होने लगते हैं और मन में एक अच्छी सी भावना रहती है।
अगर आप चाहते हैं कि आपके घर में सकारात्मकता बढ़े, मन शांत रहे और कामों में सफलता मिले, तो Ashtalakshmi Stotram Lyrics का रोज पाठ करना एक बहुत ही सरल और अच्छा उपाय है। इसे कोई भी व्यक्ति बिना परेशानी के पढ़ सकता है।
|| अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम ||
अध्यात्मरामायणान्तर्गतम्
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि
चन्द्र सहोदरि हेममये ।
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनि
मञ्जुल भाषिणि वेदनुते ।
पंकजवासिनि देव सुपूजित
सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि
आद्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥
अयि कोंकण सेरि मलयज सुषोभित
वामभाग हेममये ।
धरनि गर्भ भवोद्भव वन्दित
नन्दनविद्युत् लोलुकये ।
सकल जीव निवासिनि कौसल्या
सुनन्दित देव नुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि
धान्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥
जय वरद विराजित शौरि
सहायिनि शशिधरि हेममये ।
करुणा करि वराभय दायिनि
कौशिक गोत्र संबुद्धये ।
घनसदृश श्यामलि कोमल-देहिनि
कारुण्य वर्षिणि कामदुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि
वीरलक्ष्मी परिपालय माम् ॥
जय जय दुग्धाब्धि निवासिनि
कामिनि कौस्तुभ शोभित कुन्दलये ।
गजमुख चन्द्र निकेतन धारिणि
गज वाहिनि मनोहरि शङ्करये ।
वसन विभूषण भूषित शुचि
सुमनस वन्दित शोनश्रुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि
गजलक्ष्मी परिपालय माम् ॥
अयि जननि कुमकुम पाङ्गिलुकां
अधिशायिनि वात्सल्य युते ।
विमल हृदय भवनाय वसतिं
करुणा करि हे वरदुते ।
बहु तनय भूति रक्षिणि सर्व
गातनि नाम सु- वन्द्यते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि
संतानलक्ष्मी परिपालय माम् ॥
जय कमलासन देव सुपूजित
सर्व दलानां शोक विनाशिनि ।
वर कलित वल्गित वाग्विलासिनि
वैभव दायिनि जय वरदे ।
कनकधारा करुणा सुधा
वर्षिणि निर्व्याज शुभप्रदे ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि
विजयलक्ष्मी परिपालय माम् ॥
प्रणत सुरेश्वरि भारति
भार्गवि शोक विनाशिनि रत्नमये ।
मणिमय मन्दिर विलसिनि
मान्य विधिशङ्कर देव नुते ।
वेद पुराण इतिहास सुपूजित
वेदमयि जय जय सुव्रते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि
विद्यालक्ष्मी परिपालय माम् ॥
धनरूपा परमेश्वरि
मङ्गलदे मालिनी शचि देव नुते ।
हरिवरद करुणामयि मातुरि
कामद दायिनि सिद्धियुते ।
कनकधारा कलशोद्भव
मङ्गलदे शुभमङ्गलदे ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि
धनलक्ष्मी परिपालय माम् ॥
अर्थ – हे माता आद्य लक्ष्मी, आपको देवता, ऋषि और सभी अच्छे लोग सम्मान देते हैं। आप भगवान विष्णु की पहली शक्ति हैं, जो दुनिया की रक्षा करती हैं। आप सभी को मोक्ष यानी गहरी शांति और असली सुख देती हैं।
आपकी बातें मीठी हैं और वेद भी आपकी महिमा बताते हैं। आप कमल में रहती हैं और सब पर अच्छे गुण और शांति बरसाती हैं। हे माता, कृपया हमेशा मेरी रक्षा करें और मुझे अपनी कृपा देती रहें।

अर्थ – हे माता धनलक्ष्मी, आप सोना, चाँदी, पैसा और हर तरह की दौलत देने वाली देवी हैं। देवता और लोग दोनों आपकी पूजा करते हैं। जो लोग मेहनत करते हैं, उन पर आप हमेशा कृपा करती हैं और उनके जीवन में धन की कमी नहीं होने देतीं।
आप घर में बरकत, खुशी और सुख लाती हैं। कृपया मेरे घर को हमेशा समृद्ध रखें और मुझे धन का सही उपयोग करना भी सिखाएँ।
अर्थ – हे माता धान्यलक्ष्मी, आप अनाज, फल, सब्जियाँ और खाने का पूरा भंडार देने वाली माता हैं। आपकी वजह से धरती अनाज से भर जाती है और लोग भूखे नहीं रहते।
आप हर घर की रसोई में बरकत रखती हैं और परिवार को स्वस्थ और खुश रखती हैं। कृपया हमारे घर में हमेशा भोजन की कमी न होने दें और हमें खाने की चीज़ों का सम्मान करना सिखाएँ।
अर्थ – हे माता गजलक्ष्मी, जिनकी सेवा हाथी भी करते हैं, आप शक्ति, सम्मान और राजसी वैभव देने वाली देवी हैं। जहाँ आपकी कृपा होती है वहाँ आदर, शांति और समृद्धि बढ़ती है।
आप जीवन में स्थिरता और अच्छा माहौल देती हैं। कृपया मुझे भी सम्मान, आत्मविश्वास और खुशी दें और मेरे जीवन से हर तरह की परेशानी दूर करें।
अर्थ – हे माता संतान लक्ष्मी, आप बच्चों की रक्षा करने वाली और परिवार को पूरा बनाने वाली देवी हैं। आपकी कृपा से बच्चे स्वस्थ, समझदार और संस्कारी बनते हैं।
आप माता-पिता को शक्ति देती हैं और परिवार में शांति बनाए रखती हैं। कृपया हमारे बच्चों की रक्षा करें, उन्हें अच्छी सोच दें और हमारे परिवार को हमेशा खुश रखें।
अर्थ – हे माता वीर लक्ष्मी, आप साहस, हिम्मत और ताकत देने वाली माता हैं। आपकी कृपा से लोग मुश्किलों से नहीं डरते और बहादुरी से हर काम करते हैं।
आप डर और कमजोरी को दूर करती हैं और मन में आत्मविश्वास देती हैं। कृपया मुझे भी हर कठिनाई का सामना करने की ताकत दें और सही रास्ते पर चलने का साहस दें।
अर्थ – हे माता विजय लक्ष्मी, आप हर काम में जीत और सफलता दिलाने वाली देवी हैं। आपकी कृपा से लोग अपने लक्ष्य पूरे करते हैं और जीवन की लड़ाइयों में आगे बढ़ते हैं।
आप मन में उम्मीद और सकारात्मकता भरती हैं। कृपया मुझे भी हर अच्छे काम में सफलता दें और मेरे जीवन में जीत का मार्ग खोलें।
अर्थ – हे माता विद्या लक्ष्मी, आप ज्ञान, बुद्धि और सीखने की शक्ति देने वाली देवी हैं। आपके आशीर्वाद से बच्चों और बड़ों दोनों का मन पढ़ाई में लगता है।
आप समझ बढ़ाती हैं और अज्ञानता दूर करती हैं। आप जीवन में उजाला और सही दिशा देती हैं। कृपया मुझे अच्छी बुद्धि दें, पढ़ाई में मन लगाएँ और हमेशा सही रास्ता दिखाएँ।
Ashtalakshmi Stotram Lyrics माता लक्ष्मी के आठ रूपों – आद्य, धन, धान्य, गज, संतान, वीर, विजय और विद्या की महिमा और आशीर्वाद का सुंदर संग्रह है।
इसे पढ़ने या सुनने से घर और मन दोनों में सुख, शांति और समृद्धि आती है। यह स्तोत्र केवल धन और ऐश्वर्य नहीं देता, बल्कि आत्मविश्वास, मानसिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ाता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र पढ़ने से माता लक्ष्मी की शक्ति हमारे घर और मन में फैलती है। इसे पढ़कर हमारे मन में भगवान के प्रति भक्ति और श्रद्धा मजबूत होती है। भक्ति का अनुभव हर दिन ताजगी देता है।
इस स्तोत्र को रोज पढ़ने से घर और कमरे में खुशियों और ऊर्जा का वातावरण बनता है। पूरा परिवार आनंदित और प्रसन्न महसूस करता है। सकारात्मक ऊर्जा मन को हल्का और उत्साहित रखती है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र पढ़ने से डर, चिंता और दुख धीरे-धीरे कम होते हैं। मन शांत और संतुलित महसूस करता है। रोज़ पढ़ने से भय और नकारात्मक भावनाएँ दूर होती हैं।
यह स्तोत्र जीवन के सभी हिस्सों – धन, पढ़ाई, परिवार, बच्चे और सफलता में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। इसे पढ़ने से सब कुछ सही तरीके से चलता है और जीवन आसान लगता है।
इसे पढ़कर भगवान में विश्वास और भक्ति बढ़ती है। हम अच्छे काम करने और सही फैसले लेने में सक्षम होते हैं। भक्ति का भाव मन में खुशी और संतोष भर देता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र पढ़ने से हमारे अंदर ताकत, हिम्मत और आत्मविश्वास आता है। मुश्किल काम आसान लगते हैं और हम अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए तैयार रहते हैं।
इस स्तोत्र का नियमित जाप हमारे अच्छे संस्कार और आदतों को बढ़ाता है। हमारा व्यवहार और सोच और भी नेक, प्यारा और सही बन जाता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र पढ़ने से घर और मन शांत और खुशहाल रहते हैं। परिवार के सभी सदस्य सुख और संतोष महसूस करते हैं।
इस स्तोत्र को पढ़ने से हमारे काम, पढ़ाई और खेल-कूद में सफलता मिलती है। हम अपने प्रयासों में आगे बढ़ते हैं और अच्छे नतीजे पाते हैं।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र पढ़ने से जीवन के सभी पहलू धन, स्वास्थ्य, सुख, बच्चों का सुख और परिवार में संतुलन पूर्ण और खुशहाल रहते हैं। समृद्धि का अनुभव घर और मन दोनों में आता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना बहुत सरल और लाभकारी है। इसे कोई भी व्यक्ति किसी भी समय पढ़ सकता है, लेकिन सुबह जल्दी या शाम को शांत समय में इसका पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है।
नियमित रूप से अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम पढ़ने से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और खुशहाली आती है।

साफ-सुथरा स्थान चुनें: स्तोत्र का पाठ करने के लिए कमरा या पूजा स्थल साफ और शांत होना चाहिए। आप छोटे से मंदिर या पूजा स्थान का चयन कर सकते हैं। ऐसा स्थान मन और वातावरण दोनों को पवित्र बनाता है।
संकल्प करें: मन में निश्चय करें कि आप माता लक्ष्मी की भक्ति और आशीर्वाद पाने के लिए यह स्तोत्र पढ़ रहे हैं। यह संकल्प मन में एक सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है।
प्रकाश और अगरबत्ती: दीपक जलाएँ और अगरबत्ती करें। इससे माहौल पवित्र बनता है और ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है।
पाठ शुरू करें: अष्टलक्ष्मी स्तोत्र धीरे-धीरे और ध्यान से पढ़ें। शब्दों का अर्थ समझने का प्रयास करें और मन से भक्ति रखें।
भक्ति और ध्यान: पाठ करते समय माता लक्ष्मी का ध्यान करें। मन में श्रद्धा, भक्ति और आस्था बनाए रखें।
समाप्ति: पाठ पूरा होने पर हाथ जोड़कर प्रणाम करें और माता से आशीर्वाद मांगें।
नियमितता: रोज़ या कम से कम सप्ताह में कुछ दिन इसका पाठ करें। नियमित पाठ से अधिक लाभ मिलता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का नियमित पाठ हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। Ashtalakshmi Stotram Lyrics का पाठ करने से न केवल धन, स्वास्थ्य और परिवार में संतुलन आता है, बल्कि मन और आत्मा भी मजबूत होती है।
यह स्तोत्र भक्त के मन में श्रद्धा और भक्ति की भावना को बढ़ाता है और सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है। इस स्तोत्र को साफ और शांत स्थान पर पढ़ना, दीपक और अगरबत्ती के साथ भक्ति भाव रखना और नियमित रूप से इसे अपनाना सबसे अधिक लाभकारी माना जाता है।
नियमित पाठ से जीवन में डर, चिंता और नकारात्मक भावनाएँ कम होती हैं, और आत्मविश्वास, हिम्मत और खुशियों का अनुभव बढ़ता है।
यदि आप चाहते हैं कि आपका घर और मन खुशहाल, संतुलित और समृद्ध बने, तो रोज़ाना या सप्ताह में कुछ दिन अष्टलक्ष्मी स्त्रोत्र का पाठ अवश्य करें। यह सरल उपाय आपके जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार की समृद्धि लाने में मदद करता है।
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