Top 15 Famous Temples in Tamilnadu: Discover the Spiritual Heritage
Famous Temples in Tamilnadu: Tamil Nadu also known as the city of temples is one of the Highly religious states…
हिन्दू धर्म में भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha) को सुनने का बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है| हिन्दू धर्म तिथियों का बहुत को बहुत ही महत्वपूर्ण तथा शुभ माना जाता है| मुख्य रूप से प्रदोष तिथि का व्रत तथा प्रदोष व्रत की कथा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए की जाती है| जब यह प्रदोष व्रत की तिथि मंगलवार के दिन आती है तो इसे भौम प्रदोष व्रत भी कहा जाता है| भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha) के बिना यह व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है| हिन्दू धर्म में भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha) को कहना एवं सुनना बहुत ही पुण्यदायी माना गया है|
माना जाता है कि जो भी इस भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha) को सच्ची श्रद्धा से पढ़ता है तो उस भक्त निश्चित रूप से ही भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा उस व्यक्ति के जीवन सभी प्रकार दुःख व कष्ट दूर हो जाते हैं| भौम प्रदोष व्रत की तिथि के दिन भगवान शिव की पूजा करके भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha) का जाप करना चाहिए| तो आइये आज इस लेख के माध्यम से भौम प्रदोष व्रत कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha) के बारे में जानेंगे|
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बहुत ही पुराने समय की बात है| किसी गाँव में एक वृद्ध महिला रहती थी| उसका केवल एक ही पुत्र था| वह वृद्ध महिला भगवान हनुमान जी की बहुत बड़ी भक्त थी| वृद्ध महिला प्रत्येक मंगलवार के दिन हनुमान जी के लिए उपवास करती तथा उन्हें भोग भी लगाती थी| इस दिन वह महिला न तो घर को लीपती थी और न ही मिट्टी को खोदती थी| एक बार हनुमान अपनी इस भक्त की परीक्षा लेने का विचार किया| जिसके पश्चात हनुमान जी एक साधु का वेश धारण करके उस वृद्ध महिला की कुटिया के बाहर पहुंचे|
वृद्ध महिला की कुटिया के बाहर जाकर साधु का रूप बनाए हनुमान जी ने बोला – हे कोई ऐसा हनुमान भक्त ! जो हमारी इच्छा को पूर्ण कर सके? जैसे ही साधु की आवाज़ उस वृद्ध महिला के कानों में पड़ी| वह तुरंत ही बाहर चली आई तथा उन साधु को प्रणाम करके बोली – आज्ञा कीजिये महाराज | उस वृद्ध महिला के ऐसा बोलने पर साधु वेशभूषा में स्थित हनुमान जी ने कहा कि हे देवी ! मैं भूखा हूँ, मुझे भोजन करना है| इसलिए मेरे लिए थोड़ी-सी जमीन को लीप दो| साधु के ऐसा कहने पर वृद्ध महिला दुविधा में पैड गयी क्योंकि उस दिन मंगलवार था|
वृद्ध महिला ने कहा कि हे महाराज ! लीपने तथा मिट्टी खोदने के अतिरिक्त मुझे कोई अन्य आज्ञा दे| मैं उसे अवश्य ही पूरी करुँगी| वृद्ध महिला से तीन बार प्रतिज्ञा करने के बाद साधु ने कहा – तू अपने बेटे को बुला| मैं उसकी पीठ पर आग जलाकर भोजन बनाऊंगा| साधु के ऐसा कहते ही वृद्ध महिला घबरा गई किन्तु वह वचनबद्ध थी| महिला ने अपने बेटे को बुलाया व उन साधू सौंप दिया| इसके पश्चात हनुमान जी ने महिला के द्वारा अपने उसके पुत्र को पेट के बल लिटाया तथा उसकी पीठ पर आग जलवाई|
थोड़ी देर के बाद ही साधु ने वृद्ध महिला को बुलाया और कहा कि मेरा भोजन तैयार हो गया है| अपने पुत्र को भी बुला ताकि वो भी भोग लगा ले| इस पर वृद्ध महिला ने कहा कि हे महाराज ! उसका नाम लेकर मुझे कष्ट ना दे| लेकिन साधु के ना मानने पर उसके अपने पुत्र को आवाज़ लगाईं| आवाज़ लगाते ही उसका बेटा उसके पास आ गया| अपने पुत्र को जीवित देखकर वह महिला आश्चर्य में पड़ गयी तथा साधु के चरणों में गिर गयी| उस समय हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में आ गए व वृद्ध महिला को उसकी भक्ति के लिए आशीर्वाद दिया|
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