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Bhojan Mantra in Hindi: भोजन मंत्र क्या है एवं भोजन करने के नियम

99Pandit Ji
Last Updated:June 19, 2024

भोजन मंत्र: हिंदू धर्म की परंपराओं के अनुसार भोजन करने से पहले तथा भोजन करने के बाद कुछ नियमों के बारे में बताया गया है| पौराणिक समय में लोग भोजन करने से पूर्व एवं भोजन करने के बाद इन नियमों का पालन करते थे|

परन्तु आज के समय में भोजन के नियमों का पालन करना तो दूर, लोगों के पास सही समय पर खाना खाने का वक्त भी नहीं होता है| धार्मिक ग्रंथों में इस बारे में बताया गया है कि अन्न में माता अन्नपूर्णा का वास होता है|

इस कारण हमेशा भोजन करने से पहले माता अन्नपूर्णा को प्रणाम करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए| इसलिए भोजन करने से पूर्व भोजन मंत्र का जाप करना चाहिए| ऐसा करने से हम माता अन्नपूर्णा के प्रति सम्मान को प्रकट करते है| भोजन करने से पूर्व भोजन मंत्र (Bhojan Mantra Lyrics) का जाप करने से माता अन्नपूर्णा बहुत ही प्रसन्न होती है|

भोजन मंत्र

भोजन मंत्र का जाप करने के पश्चात किया हुआ भोजन स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक होता है| आज इस लेख के माध्यम से हम आपको भोजन मंत्र, भोजन मंत्र का हिंदी अर्थ एवं भोजन के नियमों के बारे में बताएँगे|

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भोजन मंत्र लिरिक्स- Bhojan Mantra Lyrics in Hindi

अन्न ग्रहण करने से पहले
विचार मन मे करना है
किस हेतु से इस शरीर का
रक्षण पोषण करना है
हे परमेश्वर एक प्रार्थना
नित्य तुम्हारे चरणों में
लग जाये तन मन धन मेरा
विश्व धर्म की सेवा में ॥

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।

ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्‌विषावहै॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

भोजन मंत्र

Bhojan Mantra Lyrics in Hindi – ॐ सह नाववतु।

Ann grahan karne se pehle
Vichar man me karna hai
Kis hetu se is Shareer ka
Rakshan Poshan karna hai
Hey Parameshwar ek Prarthana
Nitya tumhare charnon mein
Lag jaye tan man dhan mera
Vishva dharm ki seva mein.

Brahmarpanam brahmahavirbrahmagnau brahmana hutam.
Brahmaiva tena gantavyam brahmakarma samadhina.

Om Sah navavatu.
Sah nau bhunaktu.
Sah veeryam karavavahai.
Tejasvina vadheetamastu.
Ma Vidvishavahai.
Om shanti: shanti: shanti:

भोजन करने के कुछ महत्वपूर्ण नियम – Some Important Rules for Eating

  • सर्वप्रथम भोजन करने से पूर्व शरीर के पांच अंगों (2 हाथ, 2 पैर और मुंह) को धोकर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए|
  • भोजन प्रारम्भ करने से पहले अन्नपूर्णा माता का ध्यान करते हुए “सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो” ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए|
  • जो व्यक्ति भोजन बनाने वाला है उसे स्नान करके शुद्ध मन से एवं मंत्र का जाप करते हुए ही भोजन बनाना चाहिए एवं सबसे पहले 3 रोटियां कुत्ते, गाय और कौवे के अलग निकालकर ही परिजनों को भोजन परोसना चाहिए|
  • भोजन हमेशा परिवार के सभी सदस्यों को साथ मिलकर ही करना चाहिए| कहा जाता है कि अलग – अलग भोजन करने से परिवार के सदस्यों में कभी भी प्रेम एवं एकता बढ़ नही पाती है|
  • भोजन को उत्तर एवं पूर्व दिशा की ओर मुख रखकर ही करना चाहिए| पश्चिम दिशा की ओर मुख रखकर भोजन करने रोगों में वृद्धि होती है तथा दक्षिण दिशा की ओर मुख करके किया हुआ भोजन प्रेतों को प्राप्त होता है|

निष्कर्ष

हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि भोजन करने से पहले भोजन मंत्र का जाप करना मनुष्यों के लिए बहुत ही लाभकारी साबित होता है| भोजन को हमेशा हाथ – मुंह धोकर ही खाना चाहिए|

माना जाता है कि भोजन मंत्र से हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार की ऊर्जा प्राप्त होती है| पूर्ण विधि विधान के साथ तथा भोजन मंत्र का जाप करके भोजन करने से हमे इसका दुगना फल प्राप्त होता है|

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