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Maha Lakshmi Ashtakam Lyrics: महालक्ष्मी अष्टकम संस्कृत में

99Pandit Ji
Last Updated:April 22, 2024

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माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam) का पाठ किया जाता है| महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam) का नियमित रूप से पाठ करने से भक्तों को माता लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है| पद्म पुराण से लिया गया यह पवित्र महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam) माता लक्ष्मी जी को समर्पित किया जाता है|

हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु की धर्म – पत्नी के रूप में भी जाना जाता है| ऐसे तो महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam) का पाठ प्रतिदिन किया जा सकता है, लेकिन दिवाली के समय महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam ) का जाप करने से माता लक्ष्मी जी अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनपर धन की वर्षा करती है| तो आइये जानते है इस महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam ) के बारे में|

महालक्ष्मी अष्टकम

इसी के साथ यदि आप किसी भी आरती या चालीसा जैसे शिव तांडव स्तोत्रम [Shiv Tandav Stotram], दुर्गा कवच [Durga Kavach], या कनकधारा स्तोत्र [Kanakdhara Stotra] आदि भिन्न-भिन्न प्रकार की आरतियाँ, चालीसा व व्रत कथा पढना चाहते है तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर विजिट कर सकते है|

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महालक्ष्मी अष्टकम हिंदी अर्थ सहित | Maha Lakshmi Ashtakam Lyrics with Hindi Meaning

श्री गणेशाय नमः

नमस्तेस्तू महामाये श्रीपिठे सूरपुजिते ।
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥1॥

हिंदी अर्थ – देवराज इंद्र बोले – श्रीपीठ पर स्थित एवं समस्त देवताओं द्वारा पूजनीय हे महामाये ! आपको नमस्कार है| अपने हाथों में चक्र, शंख एवं गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मी ! आपको प्रणाम है|

नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी ।
सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥2॥

हिंदी अर्थ – पक्षियों के राजा गरुड़ जिनके वाहन है| भयानक से भयानक राक्षस भी जिनसे कांपते है| सभी पापों को हर लेने वाली देवी महालक्ष्मी आपको प्रणाम है|

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी ।
सर्व दुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥3॥

हिंदी अर्थ – देवराज इंद्र बोले: मैं उन देवी की पूजा करता हूँ, जिन्हें सबकुछ ज्ञात है| सबको वरदान देने वाली, सभी के दुखों को दूर करने वाली है| हे देवी महालक्ष्मी ! आपको प्रणाम है|

सिद्धीबुद्धूीप्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी ।
मंत्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ 4 ॥

हिंदी अर्थ – बुद्धि, सिद्धि, भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाली हे मंत्रपूत भगवती महालक्ष्मी ! आपको सदा नमन है|

आद्यंतरहिते देवी आद्यशक्ती महेश्वरी ।
योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ 5 ॥

हिंदी अर्थ – हे देवी ! हे आदि – अंतरहित आदिशक्ते ! हे महेश्वरी ! योग के द्वारा प्रकट भगवती माँ लक्ष्मी आपको प्रणाम है|

महालक्ष्मी अष्टकम

स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ती महोदरे ।
महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥6 ॥

हिंदी अर्थ – हे माता ! आप आप सूक्ष्म, स्थूल तथा महारौद्ररूपिणी हो, आप बड़े – बड़े पापों का नाश करने वाली हो| हे देवी महालक्ष्मी ! आपको नमस्कार है|

पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्हस्वरूपिणी ।
परमेशि जगन्मातर्र महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥7॥

हिंदी अर्थ – हे कमल के आसन पर विराजमान परमब्रह्म स्वरूपिणी देवी ! हे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की माता ! हे महालक्ष्मी ! आपको मेरा प्रणाम है|

श्वेतांबरधरे देवी नानालंकार भूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्मार्त महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥8॥

हिंदी अर्थ – हे माता ! आप श्वेत वस्त्र धारण करने वाली तथा भिन्न – भिन्न प्रकार के आभूषण धारण करने वाली है| आप सम्पूर्ण जगत में व्याप्त तथा अखिल संसार को जन्म देने वाली हो, हे महालक्ष्मी ! आपको मेरा प्रणाम है|

महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेत् भक्तिमान्नरः ।
सर्वसिद्धीमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥9॥

हिंदी अर्थ – जो भी मनुष्य पूर्ण भक्ति भाव से महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam) का पाठ करता है| वह सम्पूर्ण सिद्धियों एवं राज्य वैभव को प्राप्त करता है|

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनं ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्य समन्वितः ॥10॥

हिंदी अर्थ – महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam ) का प्रतिदिन एक बार जाप करने से भक्तों सभी पाप नष्ट हो जाते है| यदि कोई भक्त महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam ) का प्रतिदिन दो बार पाठ करता है तो उसे धन – धान्य की प्राप्ति होती है|

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रूविनाशनं ।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥11॥

हिंदी अर्थ – प्रतिदिन तीनों कालों में इस महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam ) स्तोत्र का पाठ करने से सभी शत्रुओं का नाश होता है एवं उन भक्तों से कल्याणकारी देवी महालक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती है| माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से उनके सभी भक्तों के हर कार्य सिद्ध होते है|

॥ इतिंद्रकृत श्रीमहालक्ष्म्यष्टकस्तवः संपूर्णः ॥

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