Vindheshwari Chalisa Lyrics in Hindi: श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा हिंदी में
श्री विंधेश्वरी चालीसा देवी दुर्गा के अवतार माँ विंध्येश्वरी को समर्पित है। देवी विंध्येश्वरी को विंध्यवासिनी नाम से भी जाना…
माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam) का पाठ किया जाता है| महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam) का नियमित रूप से पाठ करने से भक्तों को माता लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है| पद्म पुराण से लिया गया यह पवित्र महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam) माता लक्ष्मी जी को समर्पित किया जाता है|
हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु की धर्म – पत्नी के रूप में भी जाना जाता है| ऐसे तो महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam) का पाठ प्रतिदिन किया जा सकता है, लेकिन दिवाली के समय महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam ) का जाप करने से माता लक्ष्मी जी अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उनपर धन की वर्षा करती है| तो आइये जानते है इस महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam ) के बारे में|
इसी के साथ यदि आप किसी भी आरती या चालीसा जैसे शिव तांडव स्तोत्रम [Shiv Tandav Stotram], दुर्गा कवच [Durga Kavach], या कनकधारा स्तोत्र [Kanakdhara Stotra] आदि भिन्न-भिन्न प्रकार की आरतियाँ, चालीसा व व्रत कथा पढना चाहते है तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर विजिट कर सकते है|
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श्री गणेशाय नमः
नमस्तेस्तू महामाये श्रीपिठे सूरपुजिते ।
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥1॥
हिंदी अर्थ – देवराज इंद्र बोले – श्रीपीठ पर स्थित एवं समस्त देवताओं द्वारा पूजनीय हे महामाये ! आपको नमस्कार है| अपने हाथों में चक्र, शंख एवं गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मी ! आपको प्रणाम है|
नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी ।
सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥2॥
हिंदी अर्थ – पक्षियों के राजा गरुड़ जिनके वाहन है| भयानक से भयानक राक्षस भी जिनसे कांपते है| सभी पापों को हर लेने वाली देवी महालक्ष्मी आपको प्रणाम है|
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी ।
सर्व दुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥3॥
हिंदी अर्थ – देवराज इंद्र बोले: मैं उन देवी की पूजा करता हूँ, जिन्हें सबकुछ ज्ञात है| सबको वरदान देने वाली, सभी के दुखों को दूर करने वाली है| हे देवी महालक्ष्मी ! आपको प्रणाम है|
सिद्धीबुद्धूीप्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी ।
मंत्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ 4 ॥
हिंदी अर्थ – बुद्धि, सिद्धि, भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाली हे मंत्रपूत भगवती महालक्ष्मी ! आपको सदा नमन है|
आद्यंतरहिते देवी आद्यशक्ती महेश्वरी ।
योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ 5 ॥
हिंदी अर्थ – हे देवी ! हे आदि – अंतरहित आदिशक्ते ! हे महेश्वरी ! योग के द्वारा प्रकट भगवती माँ लक्ष्मी आपको प्रणाम है|
स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ती महोदरे ।
महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥6 ॥
हिंदी अर्थ – हे माता ! आप आप सूक्ष्म, स्थूल तथा महारौद्ररूपिणी हो, आप बड़े – बड़े पापों का नाश करने वाली हो| हे देवी महालक्ष्मी ! आपको नमस्कार है|
पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्हस्वरूपिणी ।
परमेशि जगन्मातर्र महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥7॥
हिंदी अर्थ – हे कमल के आसन पर विराजमान परमब्रह्म स्वरूपिणी देवी ! हे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की माता ! हे महालक्ष्मी ! आपको मेरा प्रणाम है|
श्वेतांबरधरे देवी नानालंकार भूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्मार्त महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥8॥
हिंदी अर्थ – हे माता ! आप श्वेत वस्त्र धारण करने वाली तथा भिन्न – भिन्न प्रकार के आभूषण धारण करने वाली है| आप सम्पूर्ण जगत में व्याप्त तथा अखिल संसार को जन्म देने वाली हो, हे महालक्ष्मी ! आपको मेरा प्रणाम है|
महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेत् भक्तिमान्नरः ।
सर्वसिद्धीमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥9॥
हिंदी अर्थ – जो भी मनुष्य पूर्ण भक्ति भाव से महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam) का पाठ करता है| वह सम्पूर्ण सिद्धियों एवं राज्य वैभव को प्राप्त करता है|
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनं ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्य समन्वितः ॥10॥
हिंदी अर्थ – महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam ) का प्रतिदिन एक बार जाप करने से भक्तों सभी पाप नष्ट हो जाते है| यदि कोई भक्त महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam ) का प्रतिदिन दो बार पाठ करता है तो उसे धन – धान्य की प्राप्ति होती है|
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रूविनाशनं ।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥11॥
हिंदी अर्थ – प्रतिदिन तीनों कालों में इस महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam ) स्तोत्र का पाठ करने से सभी शत्रुओं का नाश होता है एवं उन भक्तों से कल्याणकारी देवी महालक्ष्मी हमेशा प्रसन्न रहती है| माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से उनके सभी भक्तों के हर कार्य सिद्ध होते है|
॥ इतिंद्रकृत श्रीमहालक्ष्म्यष्टकस्तवः संपूर्णः ॥
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