Authentic Pandit for Rudrabhishek Group Puja Rudrabhishek Group Puja Book Now

निर्जला एकादशी व्रत कथा

Nirjala Ekadashi Vrat Katha in Hindi: निर्जला एकादशी व्रत कथा

99Pandit Ji
Last Updated:July 16, 2025

निर्जला एकादशी व्रत कथा: निर्जला एकादशी साल की सभी एकादशियों में सबसे खास मानी जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आता है।

इस व्रत की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें ना केवल अन्न बल्कि जल का भी त्याग किया जाता है। गर्मी के मौसम में आने के कारण इस दिन जल न पीना बहुत कठिन होता है, इसलिए इसे सबसे कठिन एकादशी भी कहा जाता है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा

मान्यता है कि जो व्यक्ति यह व्रत पूरी श्रद्धा से करता है, उसे पूरे साल की सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाता है।

यह व्रत सिर्फ उपवास नहीं, बल्कि आस्था, संयम और आत्मशुद्धि का प्रतीक होता है। भक्त इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाकर व्रत का समापन करते हैं।

इस दिन का एक-एक पल भक्त के लिए बहुत फलदायी होता है। माना जाता है कि निर्जला एकादशी व्रत करने से जीवन में दुख-दर्द दूर होते हैं और सुख-शांति बनी रहती है।

क्या है निर्जला एकादशी?

निर्जला एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित साल की सबसे कठिन और पुण्यदायक एकादशी मानी जाती है। इसका मतलब ही होता है – “बिना जल के व्रत रखना।”

इस दिन ना तो अन्न खाया जाता है और ना ही पानी पीया जाता है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह व्रत किया जाता है, जब गर्मी अपने चरम पर होती है इसलिए यह और भी कठिन हो जाता है।

मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरे साल की 24 एकादशियां नहीं कर पाता, अगर वह सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर ले, तो उसे पूरे साल का पुण्य मिल जाता है। यही कारण है कि इसे “भीमसेनी एकादशी” भी कहते हैं, क्योंकि पांडवों में भीम ने सिर्फ यही व्रत किया था।

इस दिन व्रत करने वाले को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए, भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, भजन-कीर्तन या पूजा आराधना करनी चाहिए और दिन-रात बिना अन्न-जल के उपवास करना चाहिए।

अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन और दान देकर व्रत का समापन होता है। यह व्रत सिर्फ शरीर की नहीं, आत्मा और मन की भी परीक्षा होती है, जो व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाता है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा

बहुत समय पहले की बात है। महाभारत के समय की। पांडव भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। पाँचों भाई हर महीने आने वाली एकादशी का व्रत रखते थे।

लेकिन भीम को एक परेशानी थी — उन्हें भूखा रहना बिल्कुल पसंद नहीं था। भीम का शरीर बहुत भारी और ताकतवर था।

उन्हें दिनभर में खूब खाना चाहिए होता था। अगर वो थोड़ी देर भी बिना खाए रह जाते, तो कमजोरी महसूस होने लगती थी।

इसलिए जब उन्होंने देखा कि उनके सभी भाई हर एकादशी पर उपवास करते हैं, तो उन्हें बुरा भी लगा और दुख भी।

एक दिन भीम ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा, “हे कृष्ण! मैं भी एक सच्चा भक्त हूं। लेकिन उपवास करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है।

क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे मैं भी व्रत का फल पा सकूं, लेकिन हर महीने उपवास ना करना पड़े?” भगवान श्रीकृष्ण मुस्कुरा दिए। उन्होंने कहा, “हाँ भीम! तुम्हारे जैसे भक्तों के लिए एक खास व्रत है – ‘निर्जला एकादशी’।

इसमें पूरे साल की सभी एकादशियों का पुण्य एक साथ मिल जाता है। लेकिन इसमें एक शर्त है – इस दिन तुम्हें पानी तक नहीं पीना होगा। बस भगवान विष्णु का ध्यान करना होगा और पूरे दिन उपवास रखना होगा।”

भीम ने व्रत रखने की ठान ली। जब निर्जला एकादशी का दिन आया, तो भीम ने सुबह जल्दी उठकर स्नान किया, साफ कपड़े पहने और भगवान विष्णु के सामने बैठकर संकल्प लिया।

उन्होंने पूरे दिन कुछ नहीं खाया और एक बूंद पानी तक नहीं पिया। गर्मी का दिन था, शरीर भारी लग रहा था, गला भी सुख रहा था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, उन्होंने मन में बस यही दोहराया – “मैं ये व्रत कर रहा हूँ भगवान विष्णु के लिए।”

उन्होंने रात को भजन-कीर्तन किया। भगवान विष्णु का नाम लेते रहे। अगले दिन सूरज निकलने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाया और उनका आशीर्वाद लिया।

जब भीम ने ये व्रत पूरा किया, तो स्वर्ग से फूलों की बारिश हुई। देवताओं ने कहा – “आज भीम ने अपने मन, शरीर और आत्मा – तीनों की परीक्षा पूर्ण कर ली।

अब उन्हें पूरे साल की 24 एकादशियों का फल मिलेगा।” तभी से इस एकादशी को “भीमसेनी निर्जला एकादशी” भी कहा जाने लगा।

कहते हैं, जो भी श्रद्धा से ये व्रत करता है – उसके सारे पाप मिट जाते हैं, जीवन में शांति आती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व

निर्जला एकादशी का व्रत सिर्फ उपवास नहीं होता – ये हमारे शरीर, मन और आत्मा की परीक्षा होता है। इस व्रत का महत्व बहुत बड़ा होता है, क्योंकि इसमें पूरे दिन बिना अन्न और बिना पानी के उपवास किया जाता है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा

यह व्रत ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी को आता है, जब गर्मी सबसे तेज़ होती है। ऐसे समय में जल भी न पीना अपने आप में एक बड़ा त्याग होता है। लेकिन यही त्याग हमें भगवान विष्णु के और करीब ले जाता है।

धार्मिक महत्व

  • यह व्रत भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है।
  • मान्यता है कि जो व्यक्ति यह व्रत करता है, उसे पूरे साल की 24 एकादशियों का फल मिलता है।
  • यह व्रत भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि भीम ने इसी एकादशी को किया था।
  • व्रत करने से पाप नष्ट होते हैं, और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन की गई पूजा, दान और भक्ति कई गुना फल देती है।
  • भगवान विष्णु का आशीर्वाद जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।

मानसिक और आत्मिक लाभ

  • यह व्रत हमारे अंदर धैर्य और संयम बढ़ाता है।
  • बिना पानी के उपवास करने से मन स्थिर होता है और भक्ति में गहराई आती है।
  • व्रत करने से आत्मा शुद्ध होती है और नकारात्मक सोच दूर होती है।
  • पूरे दिन भजन-कीर्तन करने से मन शांत और खुश रहता है।

शारीरिक और वैज्ञानिक महत्व

  • उपवास करने से शरीर को आराम मिलता है, पाचन तंत्र साफ़ होता है।
  • बिना पानी के व्रत से शरीर का मेटाबॉलिज्म संतुलन होता है।
  • यह व्रत सिखाता है कि हम ज़रूरी चीजों के बिना भी आस्था और भक्ति से दिन गुजार सकते हैं।
  • शाम को दिया जलाना, भगवान का नाम लेना और ध्यान लगाना — तनाव कम करता है और मन को नई ऊर्जा देता है।

निर्जला एकादशी व्रत केवल भूखा रहने का नाम नहीं है — यह अपने आप को परखने का एक मौका है। यह हमें सिखाता है कि त्याग, श्रद्धा और भक्ति से हम ईश्वर को प्रसन्न कर सकते हैं और जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।

जो भी भक्त इस व्रत को पूरे मन और सच्चे भाव से करता है, उसके जीवन में धीरे-धीरे सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं।

निर्जला एकादशी पूजा सामग्री

निर्जला एकादशी के दिन पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। अगर आप ये व्रत रख रहे हैं, तो पूजा के लिए कुछ जरूरी चीज़ें पहले से तैयार रखनी चाहिए। नीचे लिस्ट दी गई है —

  • भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर – पूजा का मुख्य केंद्र यही होगी।
  • पीला या सफेद कपड़ा – भगवान को ओढ़ाने और पूजा स्थान सजाने के लिए।
  • गंगाजल या साफ पानी – स्नान और शुद्धि के लिए।
  • पंचामृत – दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर।
  • तुलसी के पत्ते – विष्णु भगवान को बहुत प्रिय होते हैं।
  • चंदन या हल्दी-कुमकुम – तिलक के लिए।
  • अक्षत (चावल) – पूजा में ज़रूरी माने जाते हैं।
  • दीपक और रूई की बाती – घी या तेल का दीपक जलाने के लिए।
  • अगरबत्ती और धूप – माहौल को शुद्ध और सुगंधित करने के लिए।
  • फूल (पीले या सफेद) – भगवान को अर्पित करने के लिए।
  • फल और मिठाई (या मिश्री) – भोग के लिए।
  • रोल, सुपारी और इलायची – पारंपरिक पूजा की चीज़ें।
  • तांबे या पीतल का लोटा और थाली – जल अर्पण व पूजा के लिए।
  • घंटी या शंख – पूजा के समय वातावरण को सकारात्मक करने के लिए।
  • व्रत कथा पुस्तिका – निर्जला एकादशी की कथा पढ़ने या सुनने के लिए।

नारियल और कलश भी रखें, जितना हो सके पीली चीज़ों का इस्तेमाल करें पीला रंग विष्णु जी का सबसे पसंदीदा माना जाता है (मिठाई, कपड़े हो या फूल), इससे पूजा और शुभ मानी जाती है। पूजा के बाद ब्राह्मण को फल, मिठाई और जल पात्र दान देना भी शुभ होता है।

निर्जला एकादशी पूजा विधि

निर्जला एकादशी व्रत की पूजा विधि बहुत ही सरल है, बस इसमें मन की श्रद्धा और नियम का पालन ज़रूरी होता है।

इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। नीचे स्टेप-बाय-स्टेप पूजा की पूरी प्रक्रिया दी गई है:

1. सुबह जल्दी उठें

  • ब्रह्म मुहूर्त यानी सूरज उगने से पहले उठें।
  • स्नान करें और साफ सुथरे, हल्के रंग के कपड़े पहनें।
  • घर के पूजा स्थल को साफ करें।
  • भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति को गंगाजल या शुद्ध जल से धो लें।

2. व्रत का संकल्प लें

  • भगवान के सामने बैठकर हाथ में जल लें।
  • मन में कहें – “मैं आज निर्जला एकादशी व्रत श्रद्धा और नियम से रख रहा/रही हूं, कृपया मेरी पूजा स्वीकार करें”।

3. पूरा दिन उपवास करें

  • इस दिन जल और अन्न कुछ भी नहीं लेना होता।
  • अगर स्वास्थ्य में कमजोरी हो, तो केवल तुलसी डाला हुआ थोड़ा सा जल लिया जा सकता है।
  • मन में भगवान विष्णु का नाम लेते रहें और जितना हो सके मौन रखें।

4. शाम के समय पूजा की तैयारी करें

  • एक साफ पट्टे या चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • एक दीपक जलाएं, अगरबत्ती और धूप लगाएं।
  • पूजा की सभी सामग्री पास में रखें।

5. भगवान विष्णु की पूजा करें

  • पहले गंगाजल से मूर्ति को स्नान कराएं।
  • फिर पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, मिश्री) से अभिषेक करें।
  • दोबारा साफ जल से स्नान कराएं।
  • चंदन, अक्षत (चावल), फूल, तुलसी पत्र, फल और मिठाई अर्पित करें।
  • घी का दीपक और कपूर से आरती करें।
  • अंत में भगवान को भोग लगाएं।

6. मंत्र जाप करें

  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र जाप 108 बार करें।
  • चाहें तो विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं।

7. व्रत कथा पढ़ें या सुनें

  • निर्जला एकादशी की पौराणिक कथा ज़रूर पढ़ें या किसी से सुनें।
  • कथा सुनना इस व्रत का आवश्यक भाग माना गया है।

8. व्रत का पारण (अगले दिन)

  • अगले दिन सूर्योदय के बाद स्नान करें।
  • भगवान विष्णु को प्रणाम करें।
  • ज़रूरतमंद को जल, भोजन या वस्त्र दान दें।
  • फिर व्रत खोलें।

निर्जला एकादशी व्रत के लाभ

निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसमें जल तक नहीं पिया जाता, लेकिन इसका फल भी उतना ही बड़ा और चमत्कारी होता है। इस व्रत को रखने से सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि जीवन में शांति, संतुलन और सकारात्मकता भी आती है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा

नीचे इस व्रत के प्रमुख लाभ दिए गए हैं –

1. पुरे साल की सभी एकादशियों का फल
अगर कोई व्यक्ति पूरे साल एकादशी का व्रत न रख पाए, तो सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखकर वह सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त कर सकता है।

2. भगवान विष्णु की विशेष कृपा
इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

3. पापों से मुक्ति
कहा जाता है कि इस व्रत को करने से जाने-अनजाने किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है।

4. मोक्ष की प्राप्ति
यह व्रत मृत्यु के बाद मोक्ष की ओर मार्ग प्रशस्त करता है। जो इस व्रत को करता है, उसे स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है।

5. मानसिक और आत्मिक शांति
निर्जला एकादशी पर उपवास, पूजा और ध्यान से मन को गहरी शांति मिलती है। नकारात्मकता दूर होती है और आत्मबल बढ़ता है।

6. स्वास्थ्य में सुधार
उपवास से शरीर साफ़ होता है, पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर की ऊर्जा बेहतर होती है। एक दिन का पूर्ण उपवास शरीर को अंदर से साफ करता है।

7. जल का महत्व समझ में आता है
जब एक दिन बिना जल के रहना पड़ता है, तो हमें पानी का मूल्य भी समझ आता है। इससे जीवन में नियंत्रण और आभार आती है।

8. दान-पुण्य से पुण्य की प्राप्ति
इस दिन जल, फल, वस्त्र, छाता, घड़ा आदि दान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है।

निर्जला एकादशी व्रत कथा के लिए ऑनलाइन पण्डित बुकिंग

आजकल जब ज़्यादातर चीज़ें घर बैठे ऑनलाइन हो रही हैं, तो पूजा-पाठ के लिए अनुभवी पण्डित जी को बुलवाना भी अब बहुत आसान हो गया है।

99Pandit एक भरोसेमंद ऑनलाइन सेवा है, जहां से आप निर्जला एकादशी व्रत की कथा और विशेष पूजा के लिए अपने शहर में पंडित जी को बुक कर सकते हैं, वो भी पूरी विधि और पूजा सामग्री के साथ।

इस सेवा में आपको ये सब मिल सकता है:

  • पण्डित जी द्वारा सम्पूर्ण पूजा
  • मंत्रोच्चारण, कथा पाठ और हवन
  • जरूरत के अनुसार सामग्री के साथ
  • पूजा का सही मुहूर्त और मार्गदर्शन

निर्जला एकादशी व्रत के लिए पंडित बुकिंग की लागत कई बातों पर निर्भर करती है जैसे पूजा कितनी बड़ी है, कितने ब्राह्मण चाहिए, सामग्री कौन देगा और दक्षिणा कितनी होगी।

99Pandit से बुकिंग करने का तरीका

  • अपने मोबाइल फ़ोन पर हमारी वेबसाइट का नाम  www.99pandit.com लिखें।
  • वेबसाइट पर जाकर “निर्जला एकादशी व्रत पूजा” का विकल्प चुनें।
  • अपना शहर, तारीख और भाषा भरें।
  • “सामग्री सहित” या “बिना सामग्री” विकल्प चुनें।
  • बाकी जानकारी भरकर बुकिंग करें।
  • कुछ ही देर में आपको कन्फर्मेशन कॉल या मैसेज मिलेगा।
  • बुकिंग कन्फर्म होने के बाद आप पंडित जी से सीधे बात करके विधि, समय, सामग्री आदि की बातचीत कर सकते हैं।

Note: 99Pandit किसी भी प्रकार से आपसे रजिस्ट्रेशन फॉर्म फिल करने या पण्डित जी से बात करने तक किसी भी तरह के भुगतान की मांग नही करता है।

निष्कर्ष

निर्जला एकादशी का व्रत सिर्फ भूखा-प्यासा रहने का नाम नहीं है, ये अपने मन, शरीर और आत्मा को साफ करने का तरीका है। इस व्रत में इंसान अपने आप से जुड़ता है, भगवान से बात करता है और अपनी इच्छाओं को शांत करता है।

जब हम एक दिन बिना पानी के रहते हैं, तो न सिर्फ हमारे शरीर को आराम मिलता है, बल्कि हमें सब्र, सहनशीलता और श्रद्धा की असली अहमियत भी समझ में आती है।

ये व्रत हमें बताता है कि भगवान भाव के भूखे होते हैं, दिखावे के नहीं। जो भी व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसकी हर मनोकामना धीरे-धीरे पूरी होने लगती है। जीवन में सुकून आता है, शांति मिलती है और मन से डर और चिंता दूर होने लगती है।

इसलिए अगर आप दिल से चाहते हैं कि भगवान विष्णु की कृपा मिले और जीवन में सुख-शांति बनी रहे, तो साल में एक बार निर्जला एकादशी का व्रत ज़रूर करें। यह सिर्फ एक दिन की तपस्या नहीं, बल्कि जीवन को बेहतर बनाने वाला अनुभव है।

99Pandit

100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)

99Pandit
Enquire Now
..
Filter