तुलसीदास जयंती 2024: शुभ तिथि, मुहूर्त, परिचय व महत्व
Tulsidas Jayanti 2024: हमारा यह भारत देश अनेको विद्वानों की जन्म भूमि है| इस देश में ऐसे महान लोगों ने…
राम मंदिर का इतिहास (Ram Mandir History) सम्पूर्ण भारत देश के लिए बहुत ही संघर्ष पूर्ण रहा है| राम मंदिर इतिहास में 1528 से लेकर 2020 तक अर्थात इन सम्पूर्ण 492 वर्षों में बहुत ही सारे उतार-चढ़ाव सामने आये है| सबसे महत्वपूर्ण राम मंदिर इतिहास में 9 दिसंबर 2019 का दिन है क्योंकि इसी दिन 5 जजों की संवैधानिक बेंच के द्वारा इस ऐतिहासिक फैसले को सुनाया गया था| अयोध्या जमीन विवाद भारत में सबसे लंबे चलने वाले केस में से एक माना जाता है| इसी बीच 5 अगस्त 2020 का दिन राम मंदिर इतिहास में सुनहरे अक्षरों में हो गया|
इस लेख के माध्यम से हम आपको भगवान श्रीराम के मंदिर के लिए 492 वर्षों तक किये गए संघर्ष के बारे में जानकारी देंगे कि किस प्रकार सनातनी लोगों ने भगवान श्रीराम मंदिर की जमीन के लिए किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा| इतने लम्बे समय के पश्चात 22 जनवरी 2024 को भगवान श्री राम मंदिर का भव्य उद्घाटन होने जा रहा है| तो आइये जानते है कि हमारे प्रभु श्रीराम के मंदिर की नीवं किस प्रकार डाली गई|
इसके आलवा यदि आप ऑनलाइन किसी भी पूजा जैसे अखंड रामायण पाठ (Akhand Ramayana Path), तथा सुंदरकांड पाठ (Sundarkand Path) के लिए आप हमारी वेबसाइट 99Pandit की सहायता से ऑनलाइन पंडित बहुत आसानी से बुक कर सकते है| इसी के साथ हमसे जुड़ने के लिए आप हमारे Whatsapp पर भी हमसे संपर्क कर सकते है|
जानकारी के अनुसार मुग़ल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी के द्वारा उस विवादित स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण करवाया| जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से भी जाना जाता था| इसके संदर्भ में हिन्दू समुदाय के लोगों ने यह दावा किया कि जिस स्थान बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था| वह स्थान प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि है एवं वहां एक प्राचीन मंदिर भी था| बाबरी मस्जिद में कुल 3 गुम्बद थे और हिन्दू धर्म के लोगों के यह मानना था कि मस्जिद के मुख्य गुम्बद के नीचे ही प्रभु श्रीराम का जन्म स्थान था|
सबसे पहले सन 1853 में विवादित जमींन के आस-पास दंगे किये गए| उसके पश्चात सन 1859 में अंग्रेजी सरकार के द्वारा विवादित जमीन के चारों ओर बाढ़ लगा दी थी| इसके मुताबिक मुस्लिम समुदाय के लोगों को उस ढाँचे के अन्दर तथा हिन्दू समुदाय के लोगों को बाहर ही चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई थी|
अयोध्या श्री राम मंदिर को लेकर गहन विवाद 23 दिसंबर 2024 से प्रारंभ हुआ क्योंकि अचानक ही उस मस्जिद में प्रभु श्रीराम की मूर्तियाँ मिली| इस घटना हिन्दू समुदाय के लोगों का यह कहना था कि भगवान श्री राम अपने जन्म स्थान पर प्रकट हुए है| वही दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने यह आरोप लगा कि इन मूर्तियों किसी व्यक्ति के द्वारा रात के समय मस्जिद के अन्दर रखा गया है|
उस समय यूपी सरकार ने भगवान श्री राम की मूर्तियों को मस्जिद से हटाने का आदेश दिया| परन्तु केके नायर जो कि उस समय जिला मजिस्ट्रेट थे| उन्होंने हिन्दू समुदाय के लोगों की धार्मिक भावनाओं के भड़कने के भय से उस आदेश के खिलाफ अपनी असमर्थता दिखाए| जिस कारण से उस स्थान को विवादित ढांचा मानकर यूपी सरकार ने उसपर ताला लगवा दिया|
ढाँचे पर यूपी सर्कार के द्वारा ताला लगवा देने के बाद कुछ साल बाद ही फैजाबाद शहर के सिविल कोर्ट में हिन्दू समुदाय के लोगों के द्वारा दो अर्जियां दाखिल गई| जिसमे से एक अर्जी यह थी कि भगवान श्री राम की पूजा तथा दूसरी अर्जी यह थी कि भगवान श्री राम मकी मूर्तियों को विवादित स्थान से नहीं हटाया जाएं| इसी बीच निर्मोही अखाड़ा के द्वारा सन 1959 में तीसरी अर्जी भी कोर्ट में दाखिल कर दी गई|
हिन्दू समुदाय के लोगों द्वारा अर्जी दाखिल करने पर यूपी सुन्नी वफ्क बोर्ड में भी अपनी अर्जी दाखिल की| इस अर्जी में उन्होंने विवादित स्थान से भगवान श्री राम की मूर्तियाँ एवं पजेशन को हटाने की मांग की|
कुछ वर्षों के पश्चात उस विवादित मस्जिद के ढांचे के स्थान पर प्रभु श्री राम का मंदिर बनाने के लिए वर्ष 1984 में विश्व हिन्दू परिषद के द्वारा एक कमिटी का गठन किया गया|
विश्व हिन्दू परिषद द्वारा बनाई गई कमिटी के ही सदस्य यूसी पांडे ने फैजाबाद कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल की| यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे जी के द्वारा 01 फरवरी 1986 के दिन हिन्दू समुदाय के लोगों को पूजा करने की अनुमति प्रदान कर दी गई तथा उस ढाँचे पर से ताला हटाने का आदेश भी जारी कर दिया गया|
हिन्दू समुदाय के लोगों को पूजा करने का अधिकार मिलते ही वीएचपी तथा शिवसेना सहित अन्य सभी हिन्दू संगठनों के सभी सदस्यों ने मिलकर उस बाबरी मस्जिद के ढाँचे को गिरा दिया| जिस कारण से सम्पूर्ण भारत देश में दंगे भड़कने लग गये| दंगों के कारण कई सारे मासूम लोगों ने अपनी गवां दी|
दंगों ने इतने लोगों की जान जाने के पश्चात भी जब सब कुछ शांत हो गया था उसी बीच सन 2002 में हिन्दू समुदाय के लोगों को लेकर गोधरा जा रही ट्रेन में आग लगा दी गई| ट्रेन में आग लगने की वजह से हिन्दू समुदाय के लगभग 58 लोगों की मौत हो गई| एक साथ इतने लोगों की हत्या होने पर गुजरात में भी दंगे प्रारंभ हो गए| इन दंगों के कारण 2 हज़ार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई|
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बहुत ही लम्बे समय के पश्चात एक फैसला दिया| जिसमें विवादित चल रहे स्थान को सुन्नी वुक्फ, भगवान श्री राम तथा निर्मोही अखाड़ा के मध्य में 3-3 बराबर भागों में बांट दिया गया था|
एक वर्ष के पश्चात ही अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी|
इस समय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट एक्ट का उपयोग किया गया| इसका अर्थ होता है – ट्रायल कोर्ट के द्वारा अंतिम निर्णय देने से पहले विवाद का समाधान| इसके एक्ट के तहत बीजेपी पार्टी के मुख्य नेताओं पर पुनः आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए|
आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट एक्ट का उपयोग करने के पश्चात भी जब इस समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ| तब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को मध्यस्था के लिए आगे भेजा था| इसके अंतर्गत पैनल को 8 सप्ताह के भीतर ही कार्यवाही को समाप्त करने के लिए कहा गया|
इस दिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा भेजे गए मामले पर मध्यस्था पैनल ने अपनी रिपोर्ट जारी की गई थी|
एक दिन बाद ही मध्यस्था पैनल द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्था पैनल भी इस मामले का समाधान निकालने में असफल रहा|
इसके पश्चात अयोध्या विवाद से संबंधित मामलों पर प्रतिदिन सुनवाई की जाने लगी|
इस दिन अयोध्या के जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई पूर्ण की तथा अपने फैसले को सुरक्षित भी रखा|
यह दिन सम्पूर्ण हिन्दू समुदाय के लोगों के लिए बहुत ही खुशहाली का दिन था क्योंकि इस दिन सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच के द्वारा राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया गया था| इसके फलस्वरूप 2.77 एकड़ राम मंदिर की जमीन हिन्दू समुदाय के लोगों को मिली| इसके अलावा मस्जिद के लिए भी 5 एकड़ जमीन दिलाने का आदेश भी जारी किया गया था|
इस दिन हमारे प्रभु श्री राम को करीब 28 सालों के पश्चात टेंट से निकलकर फाइबर के मंदिर में विराजित किया गया था|
भगवान श्रीराम के मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम इस दिन पूर्ण किया गया| जिसमे माननीय प्रधानमन्त्री श्रीमान नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और साधू-संतों समेत 175 लोगों को न्योता दिया गया था| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिन अयोध्या में जाकर हनुमानगढ़ी मंदिर के दर्शन किए तथा भूमि पूजन के कार्यक्रम में भी शामिल हुए|
जैसा कि आप सभी लोगों को यह ज्ञात है कि 22 जनवरी 2024 को हमारे प्रभु श्री राम पुनः अयोध्या नगरी में पधार रहे है अर्थात श्री राम मंदिर का भव्य उद्घाटन होने जा रहा है| लेकिन इसके पीछे के संघर्ष के बारे न कोई जानता है और न ही कोई जानना चाहता है| जिसके बारे में हमने जितना हो सका उतना इस लेख के माध्यम से आपको बताया है| इसी के साथ 22 जनवरी 2024 को भगवान श्रीराम की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा प्रोग्राम का आयोजन किया जाएगा|
Q.राम मंदिर के स्थान पर पहले क्या था?
A.बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने अयोध्या में एक मस्जिद बनवाई। यह मस्जिद उसी जगह बनी जहां भगवान राम का जन्म हुआ था। बाबर के सम्मान में मीर बाकी ने इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद दिया।
Q.राम मंदिर के निर्माता कौन है?
A.1800 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर’ का निर्माण इंजीनियरिंग और इन्फ्रा सेक्टर की दिग्गज कंपनी लार्सन एंड टुब्रो कर रही है।
Q.राम मंदिर का इतिहास क्या है?
A.राम और सीता की मूर्तियाँ 1949 में मस्जिद में रखी गई थीं, इससे पहले कि 1992 में इस पर हमला किया गया और इसे ध्वस्त कर दिया गया।
Q.राम मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
A.यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जिसे हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम का जन्मस्थान माना जाता है।
Table Of Content