Jeev Ashtakam Lyrics in Hindi: जीव अष्टकम हिंदी अर्थ सहित
हरे कृष्ण ! जीव अष्टकम आठ संस्कृत छंदों (अष्ट = आठ, काम = छंद) का एक सेट है, जिसे अक्सर…
सूर्य देव की आरती [Surya Dev Ki Aarti] का जाप भगवान सूर्य को प्रसन्न करने तथा उनका आशीर्वाद लेने के लिए किया जाता है| हिन्दू धर्म में भगवान सूर्य देव को रविवार का दिन समर्पित किया गया है| इस सूर्य देव की पूजा करके सूर्य देव की आरती [Surya Dev Ki Aarti] का जाप करना सूर्य भगवान अर्घ्य देना बहुत ही शुभ माना जाता है| सूर्य देव की आरती [Surya Dev Ki Aarti] करने से जातक को कई प्रकार के लाभ होते है| सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है| इसलिए जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य बलवान होता है| उस व्यक्ति के सभी बिगड़े काम सुधरने लगते है व उसके उन्नति के सभी द्वार खुलने लगते है|
सूर्य देव की आरती [Surya Dev Ki Aarti] का पूर्ण श्रद्धा के साथ जाप करने से आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है| सूर्य देव की पूजा तथा आरती करने से सभी प्रकार की बीमारियों का नाश होता है| सूर्य ग्रह की स्थिति कुंडली में मजबूत होने पर व्यक्ति को नौकरी तथा व्यवसाय में भी सफलता प्राप्त होती है| सूर्य देव की आरती [Surya Dev Ki Aarti] करने से भक्त का भाग्य उज्जवल होता है| इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रविवार के दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्यदेव की उपासना तथा आरती करना चाहिए|
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|| सूर्य देव की आरती ||
ॐ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ॐ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ॐ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ॐ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ॐ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ॐ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ॐ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ॐ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ॐ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ॐ जय सूर्य भगवान..॥
ॐ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ॐ जय सूर्य भगवान ॥
|| Surya Dev Ki Aarti ||
Om Jai Surya Bhagwan,
Jai Ho Dinkar Bhagwan.
Jagat ke netra swaroopa,
Tum ho trigun swaroopa.
Dharat sab hi tav dhyaan,
Om Jai Surya Bhagwan.
Om Jai Surya Bhagwan…||
Saarthi Arun hain Prabhu tum,
Shwet Kamaldhari.
Tum chaar bhujadhari.
Ashwa hain saat tumhare,
Koti kirana pasaare.
Tum ho Dev Mahan.
Om Jai Surya Bhagwan…||
Usha kaal mein jab tum,
Udayachal aate.
Sab tab darshan Paate.
Phailate ujiyara,
Jagata tab jag saara.
Kare sab tab gun gaana.
Om Jai Surya Bhagwan.
Om Jai Surya Bhagwan…||
Sandhya mein Bhuvaneshwar,
Astachal Jaate.
Godhan tab ghar aate.
Godhuli bela mein,
Har ghar har aangan mein.
Ho taw mahima gaan.
Om Jai Surya Bhagwan.
Om Jai Surya Bhagwan…||
Dev danuj nar naari,
Rishi munivar bhajate.
Aditya hriday japate.
Strot ye mangalkari,
Iski hai rachna nyaari.
De nav Jeevanadaan.
Om Jai Surya Bhagwan.
Om Jai Surya Bhagwan…||
Tum ho trikaal rachiyata,
Tum jag ke aadhaar.
Mahima tab aparmpaar.
Pranon ka sinchan karke,
Bhakton ko apne dete.
Bal vridhi aur gyaan.
Om Jai Surya Bhagwan.
Om Jai Surya Bhagwan…||
Bhoochar jal char khechar,
Sab ke ho praan tumhi.
Sab jeevon ke praan tumhi.
Ved puran bakhaane,
Dharm sabhi tumhe maane.
Tum hi sarv shaktimaan.
Om Jai Surya Bhagwan.
Om Jai Surya Bhagwan…||
Poojan karti dishaayein,
Pooje dash dikpaal.
Tum bhuvanon ke pratipaal.
Rituyen tumhari daasi,
Tum shashwat avinaashi.
Shubhkaari Anshuman.
Om Jai Surya Bhagwan…||
Om Jai Surya Bhagwan,
Jai Ho Dinkar Bhagwan.
Jagat ke netr roop,
Tum ho trigun swaroop.
Dharat sab hi tav dhyaan,
Om Jai Surya Bhagwan.
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