Ahoi Mata ki Aarti Lyrics: अहोई माता की आरती हिंदी में
Ahoi Mata Ki Aarti Lyrics: अहोई माता की आरती का जाप अहोई माता को प्रसन्न करने के लिए ही किया…
बगलामुखी माता जी की आरती को प्रसन्न करने के लिए बगलामुखी आरती (Baglamukhi Aarti) का जाप किया जाता है| बगलामुखी माता हिन्दू धर्म में पूजनीय देवीयों में से ही एक है| माता के सभी भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए बगलामुखी आरती (Baglamukhi Aarti) का गान करते है| बगलामुखी देवी को युद्ध की देवी के रूप में भी जाना जाता है| इस वजह से मुख्यतः बगलामुखी माता की पूजा तंत्र-मंत्र की विद्या के लिए की जाती है| माना जाता है कि जो भी व्यक्ति बगलामुखी आरती (Baglamukhi Aarti) का जाप सच्चे मन से करता है तो देवी माँ उनके जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानियाँ नहीं आने देती है तो आइये जानते है बगलामुखी आरती (Baglamukhi Aarti) के लिरिक्स|
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|| बगलामुखी आरती ||
जय जय श्री बगलामुखी माता,
आरती करहूँ तुम्हारी |
जय जय श्री बगलामुखी माता,
आरती करहूँ तुम्हारी |
पीत वसन तन पर तव सोहै,
कुण्डल की छबि न्यारी |
कर कमलों में मुद्गर धारै,
अस्तुति करहिं सकल नर नारी |
जय जय श्री बगलामुखी माता …………
चम्पक माल गले लहरावे,
सुर नर मुनि जय जयति उचारी |
जय जय श्री बगलामुखी माता ……………
त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब,
भक्ति सदा तव है सुखकारी |
जय जय श्री बगलामुखी माता …………….
पालन हरत सृजत तुम जग को,
सब जीवन की हो रखवारी ||
जय जय श्री बगलामुखी माता ………..
मोह निशा में भ्रमत सकल जन,
करहु ह्रदय महँ, तुम उजियारी ||
जय जय श्री बगलामुखी माता ………..
तिमिर नशावहू ज्ञान बढ़ावहु,
अम्बे तुमही हो असुरारी |
जय जय श्री बगलामुखी माता ………..
सन्तन को सुख देत सदा ही,
सब जन की तुम प्राण प्यारी ||
जय जय श्री बगलामुखी माता ……….
तव चरणन जो ध्यान लगावै,
ताको हो सब भव – भयहारी |
जय जय श्री बगलामुखी माता ………..
प्रेम सहित जो करहिं आरती,
ते नर मोक्षधाम अधिकारी ||
जय जय श्री बगलामुखी माता ………….
|| दोहा ||
बगलामुखी की आरती, पढ़ै सुनै जो कोय |
विनती कुलपति मिश्र की, सुख सम्पति सब होय ||
|| Baglamukhi Aarti ||
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata,
Aarti karhu tumhari |
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata,
Aarti karhu tumhari |
Peet vasan tan par tav sohai,
Kundal ki chhavi nyari |
Kar kamalon mein mudgar dhare,
Astuti karhin sakal nar nari |
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata …………
Champak maal gale leharave,
Sur nar muni jai jayati uchhari |
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata ……………
Trividh taap miti jaat sakal sab,
Bhakti sada tav hai sukhakaari |
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata …………….
Palan harat srijat tum jag ko,
Sab jeevan ki ho rakhwaari ||
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata ………..
Moh nisha mein bhramat sakal jan,
Karhu hridaya mah, tum ujiyaari ||
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata ………..
Timir nashaavahu gyaan badhaavahu,
Ambe tumhi ho asuraari |
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata ………..
Santan ko sukh det sada hi,
Sab jan ki tum praan pyaari ||
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata ……….
Tav charanan jo dhyaan lagaavai,
Taako ho sab bhav – bhayahari |
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata ………..
Prem sahit jo karhin aarti,
Te nar mokshadhaam adhikaari ||
Jai Jai Shri Baglamukhi Mata ………….
|| Doha ||
Baglamukhi ki aarti, padhai sunai jo koy |
Vinati kulpati Mishra ki, sukh sampati sab hoy ||
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