Sita Navami 2025: Date, Mythological Story & Celebration
Sita Navami 2025 is a holy Hindu festival in which devotees gather to celebrate the birthday of Mata Sita, the…
Kartik Purnima 2024: जैसा कि आप सभी लोग जानते ही है कि हिन्दू धर्म में प्रत्येक माह में कोई ना कोई तिथि या व्रत आते ही रहते है| आज हम जिस तिथि के बारे में बात करने वाले है वो है कार्तिक पूर्णिमा 2024 की तिथि के बारे में| प्रत्येक वर्ष में कार्तिक पूर्णिमा की तिथि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही मानी जाती है|
यह त्यौहार कार्तिक महीने का अंतिम त्यौहार माना जाता है| इस त्यौहार को सम्पूर्ण भारत में अलग – अलग नामों से जाना जाता है| कुछ जगहों पर कार्तिक पूर्णिमा 2024 को त्रिपुरी पूर्णिमा व गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है|
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी पूजा की जाती है| हिन्दू धर्म में माना जाता है कि इस कार्तिक पूर्णिमा 2024 के त्योहार के दिन जो भी व्यक्ति भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजा करता है तो उस मनुष्य को परम सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाए पूर्ण होती है|
शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा 2024 के दिन जप, तप और दान करने का बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है| कई विद्वान् ऋषियों का कहना है कि यह कार्तिक मास बहुत ही पवित्र होता है| जब कार्तिक पूर्णिमा ‘कृतिका’नक्षत्र में प्रवेश करती है तब इसे महा कार्तिक कहा जाता है जो भी हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखता है|
इस कार्तिक पूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी तीर्थ स्थलों पर सूर्योदय के समय जो स्नान किया जाता है| उस स्नान को कार्तिक स्नान भी कहा जाता है| इस दिन सभी भक्तगण कार्तिक पूर्णिमा के लिए उपवास रखते है|
कार्तिक पूर्णिमा | 15 नवंबर 2024, शुक्रवार |
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ | 15 नवंबर 2024, शुक्रवार – सुबह 06:19 से |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 16 नवंबर 2024, शुक्रवार – सुबह 02:58 तक |
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार एक राक्षस जिसका नाम तारकासुर था| उस असुर के तीन पुत्र थे| तारकक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली| भगवान शिव (शंकर) के बड़े पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया| जिसकी वजह से तीनों पुत्र बहुत ही दुखी हो गए और वह तीनों ही ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या करने लगे|
उन तीनो की घोर तपस्या को देखकर भगवान ब्रह्म देव उनसे प्रसन्न हो गए| जब ब्रह्मा जी उनके समीप प्रकट हुए तो उन्होंने ब्रह्मा से अमरता का वरदान माँगा| लेकिन ब्रह्मा जी ने उन तीनो से इसके अलावा अन्य कोई वरदान मांगने के लिए कहा – तब उन तीनों ने ब्रह्मा जी से तीन अलग – अलग नगरों का निर्माण करवाया|
उसके पश्चात वह तीनो अपने – अपने नगर से सम्पूर्ण पृथ्वी पर आसमान के मार्ग से घूमते रहे| एक हज़ार साल बाद वह तीनो पुनः मिले| ब्रह्मा जी ने उन्हें यह वरदान दिया था कि जब उन तीनो के नगर मिलकर एक हो जाएँगे तो देवता उन्हें एक बाण से नष्ट करेंगे|
यही उनकी मृत्यु का कारण बनेगा| ब्रह्मा जी यह वरदान पाकर वह तीनो बहुत ही खुश हुए| ब्रह्मा जी ने मयदानव के द्वारा तीन नगरों का निर्माण करवाया जिसमे से एक सोने, दूसरा चांदी का तथा तीसरा लोहे का था|
इसके पश्चात उन तीनों ने सभी लोकों में अपना अधिकार जमा लिया| उनके भय से सभी देवतागण भगवान शिव से सहायता मांगने के लिए गए| तब भगवान शंकर उन तीनो का अंत करने के लिए मान गए|
भगवान विश्वकर्मा ने भगवान शिव के लिए अद्भुद रथ का निर्माण किया| सूर्य और चंद्रमा उस रथ के पहिये बने| भगवान इंद्र, वरुण, यम, और कुबेर उस रथ के घोड़े बने| हिमालय ने धनुष का रूप लिया तथा शेषनाग धनुष की प्रत्यंचा बने| भगवान विष्णु बाण बने और अग्नि देव उस बाण की नौक बने|
जब उस रथ पर सवार होकर भगवान शंकर जब उन तीनों त्रिपुरों का वध करने के लिए निकले तो सभी देत्यों में हाहाकार मच गया| तथा देवताओं और असुरों में भयंकर युद्ध प्रारम्भ हो गया| जैसे ही वह तीनो भाई एक सीध में आये| तभी भगवान शंकर ने एक ही बाण के प्रहार से उनका अंत कर दिया|
इस दिन लोग उपवास रखते है और भगवान विष्णु की पूजा करते है| कार्तिक पूर्णिमा से सम्बंधित बहुत सारी कहानियाँ व कथाएं है लेकिन आज हम जिस कथा के बारे में बाते करेंगे| वह सबसे प्रचलित कथा है| बहुत समय पहले एक तारकासुर नाम का असुर था|
जिसने भगवान से मिले हुए वरदान का गलत उपयोग करके सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में उथल – पुथल मचा दी थी| वरदान मिले होने की वजह से वह असुर किसी देवता के द्वारा हराया नहीं जा सकता था| इसलिए सभी देवतागण भगवान शंकर के पास सहायता मांगने के लिए गए|
माना जाता है कि भगवान शंकर से उत्पन्न पुत्र से ही उस असुर का अंत किया जा सकता था| तभी कार्तिकेय जी जन्म हुआ और उन्होंने तारकासुर राक्षस का वध किया| तारकासुर राक्षस पर कार्तिकेय भगवान की विजय के इस शुभ अवसर को लोग कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जानने लगे और इस दिन उपवास भी रखने लगे|
जो व्यक्ति इस दिन सम्पूर्ण श्रद्धा और सच्चे मन से उपवास रखता है| उसे परम आनंद की अनुभूति होती है| इस दिन व्रत करने वाले लोग शुभ जल्दी उठते है और स्नान आदि करके भगवान शिव की पूजा करते है| तथा पुरे दिन उपवास रखते है और भगवान विष्णु एवं भगवान शंकर का भी ध्यान करते है|
इसके पश्चात रात को चंद्र देवता को अर्घ्य देते है और अपना व्रत खोलते है| व्रत के दौरान व्यक्ति पूरी तरह से भूखा रहता है| तथा अन्न व्रत खोलने के पश्चात ही ग्रहण करता है| इस व्रत को करने मात्र से ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है| तथा व्यक्ति जन्म और मृत्यु के चक्र से भर निकल जाता है| यह कार्तिक पूर्णिमा का त्यौहार हमे भक्ति का महत्व और भक्ति में विश्वास रखने की शक्ति का ज्ञान देता है|
जब कार्तिक पूर्णिमा ‘कृतिका’ नक्षत्र में प्रवेश करती है तब इसे महा कार्तिक कहा जाता है जो भी हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखता है| कार्तिक पूर्णिमा 2024 के पावन पर्व पर सभी तीर्थ स्थलों पर सूर्योदय के समय जो स्नान किया जाता है| उस स्नान को कार्तिक स्नान भी कहा जाता है|
कार्तिक पूर्णिमा का त्यौहार हिन्दू धर्म में बहुत ही अधिक महत्व रखता है| यह त्यौहार सामान्यत नवंबर के महीने में आता है| यह त्यौहार हिन्दू धर्म के लोगों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों तरीकों से ही बहुत महत्व रखता है|
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी पूजा की जाती है| हिन्दू धर्म में माना जाता है कि इस कार्तिक पूर्णिमा 2024 के त्योहार के दिन जो भी व्यक्ति भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजा करता है तो उस मनुष्य को परम सौभाग्य की प्राप्ति होती है|
यह त्यौहार कार्तिक महीने का अंतिम त्यौहार माना जाता है| इस त्यौहार को सम्पूर्ण भारत में अलग – अलग नामों से जाना जाता है| कुछ जगहों पर कार्तिक पूर्णिमा 2024 को त्रिपुरी पूर्णिमा व गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है|
कार्तिक पूर्णिमा 2024 को देव दीपावली के नाम से भी जाना जाता है| यह त्यौहार कार्तिक मास के प्रारम्भ होने का प्रतीक माना जाता है| जो कि हिन्दू पंचांग के अनुसार बहुत ही शुभ है| कार्तिक पूर्णिमा 2024 का यह पावन त्यौहार हिन्दू धर्म के साथ – साथ जैन धर्म के लोगों में भी बहुत मान्य होता है|
मान्यता है कि इस दिन जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी| इसी वजह से जैन धर्म के लोग भी इस दिन पूजा अर्चना करते है और दान – पुण्य भी करते है|
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से कार्तिक पूर्णिमा 2024 के बारें में काफी बाते जानी है| आज हमने कार्तिक पूर्णिमा 2024 पूजन के फ़ायदों के बारे में भी जाना| हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी|
इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|
अगर आप कार्तिक पूर्णिमा 2024 पूजन हेतु पंडित जी की तलाश कर रहे है तो आपको बता दे की 99Pandit पंडित बुकिंग की सर्वश्रेष्ठ सेवा है जहाँ आप घर बैठे मुहूर्त के हिसाब से अपना पंडित ऑनलाइन आसानी से बुक कर सकते हो|
यहाँ बुकिंग प्रक्रिया बहुत ही आसान है| बस आपको “Book a Pandit” विकल्प का चुनाव करना होगा और अपनी सामान्य जानकारी जैसे कि अपना नाम, मेल, पूजन स्थान , समय,और पूजा का चयन के माध्यम से आप आपना पंडित बुक कर सकेंगे|
Q.कार्तिक स्नान किस समय करना चाहिए ?
A.इस दिन सूर्योदय से पहले किया गया स्नान ही कार्तिक स्नान होता है|
Q.कार्तिक पूजा 2024 की तिथि है ?
A.इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 2024 की तिथि 15 नवंबर 2024 को है|
Q.कार्तिक पूर्णिमा के दिन किस चीज़ का दान करना शुभ माना जाता है ?
A.इस दिन गुड का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है|
Q.पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए ?
A.इस दिन तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन आदि का सेवन करने से बचें| कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी भी प्रकार का मांसाहारी ना करे और ना ही नशीले पदार्थों का सेवन करें|
100% FREE CALL TO DECIDE DATE(MUHURAT)
Table Of Content
Filters by categories
All Pujas
Puja On Special Events
Upcoming Pujas
Dosha Nivaran Pujas
Mukti Karmas
Filters by Trending Topics
Filters by Regions
North Indian Pujas
South Indian Pujas