ऋषि पंचमी 2023: जानिए क्या है व्रत का उद्देश्य, शुभ तिथि और महत्व

Posted By: 99PanditJi
Posted On: August 8, 2023
Last Update On: August 8, 2023

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हिन्दू धर्म में ऋषि पंचमी 2023 के त्यौहार को बहुत ही शुभ माना जाता है| इस दिन भारत देश में ऋषियों के सम्मान के रूप में मनाया जाता है| ऋषि पंचमी 2023 का यह पावन त्यौहार हिन्दू धर्म में सर्वज्ञानी सप्तऋषियों को समर्पित किया गया है| इसमें ऋषि शब्द सप्त ऋषियों के लिए और पंचमी का दिन पांचवें दिन से है| ऋषि पंचमी के शुभ अवसर पर भारत देश के महान महान ऋषियों को याद किया जाता है| ‘ऋषि पंचमी’ का यह त्यौहार भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है| 

ऋषि पंचमी 2023

इस दिन देश के महान सप्तर्षियों के सम्मान उपवास भी रखा जाता है| ऋषि पंचमी का यह त्यौहार गणेश चतुर्थी के अगले दिन तथा हरतालिका तीज के दो दिन बाद मनाया जाता है| यह त्योहार सप्तऋषियों को ही समर्पित किया है| इन सप्त ऋषियों ने मानव जाति के कल्याण के लिए अपने प्राणों को त्याग किया था| यह सप्त ऋषि अत्यंत ही सिद्धांतवादी थे| हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार उन्होंने मानवता के कल्याण के लिए संतों और अपने शिष्यों की सहायता से इस देश के लोगों को सच्चाई और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी| 

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ऐसा माना जाता है कि वह सभी ऋषि चाहते थे कि इस धरती पर सभी लोग दान, मानवता  और ज्ञान के मार्ग का पालन करें| उनका मानना था कि जब लोग यहाँ एक दुसरे की सहायता के लिए हमेशा तत्पर होंगे तो इससे मानवता का विकास होता है| एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के जरूरत के समय काम आएगा| हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है| 

ऋषि पंचमी व्रत का क्या उद्देश्य है ?  

हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह व्रत किया जाता है| इस दिन व्रत करके सप्तऋषियों की पूजा की जाती है| हिन्दू धर्म में यह त्यौहार ख़ास इसलिए भी है क्योंकि इस दिन महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करके सुख – शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करती है| हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार ऋषि पंचमी के दिन व्रत के साथ व्रत कथा को पढ़ने मात्र से ही सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है| इस दिन माहेश्वरी समाज के लोग राखी का त्यौहार मनाते है| 

ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर सप्तऋषि की पूजा करने से अत्यंत पुण्य की प्राप्ति होती है| हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन सप्तऋषियों का पारम्परिक तरीके से पूजन करने की प्रथा है| इन सप्त ऋषियों के नाम निम्न है – 1. ऋषि कश्यप, 2. ऋषि भारद्वाज, 3. ऋषि अत्रि, 4. ऋषि विश्वामित्र, 5. ऋषि गौतम, 6. ऋषि जमदग्नि और 7. ऋषि वशिष्ठ| इन सभी सप्तऋषियों ने मानवता और समाज के कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण कार्य किये है| इसी कारण ऋषि पंचमी के दिन इन सातों ऋषियों की पूजा की जाती है| 

ऋषि पंचमी के इस पावन अवसर पर कोई भी व्यक्ति खासकर महिलाएं जो सप्त ऋषियों का पूजन करते है| उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है| प्राचीन मान्यताओं के अनुसार महिलाओं को रजस्वला दोष लगता है| ऋषि पंचमी के पूजन से इस पाप से छुटकारा मिलता है| ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषियों की पूजा करने से महिलाओं के द्वारा मासिक धर्म के समय अनजाने में किये पाप या गलती से मुक्ति मिल जाती है| ऋषि पंचमी का त्यौहार सभी के लिए बहुत लाभदायक है| लेकिन इस यह व्रत महिलाओं के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है| 

ऋषि पंचमी 2023 : शुभ मुहूर्त व तिथि 

ऋषि पंचमी तिथि प्रारंभ – ऋषि पंचमी 2023 तिथि,  19 सितम्बर 2023 मंगलवार, दोपहर 01:43 से शुरू 

पंचमी तिथि समाप्त –   20 सितंबर 2023 बुधवार, दोपहर 02:16 पर समाप्त 

तिथि – ऋषि पंचमी वर्ष 2023 में 20 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी| 

ऋषि पंचमी 2023 पूजा मुहूर्त –  20 सितंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 01 मिनट से शुरू होकर दोपहर 01 बजकर 48 मिनट तक रहेगा| 

ऋषि पंचमी क्यों मनाई जाती है ?

हमारे देश में सभी धर्मों की अलग – अलग विशेषता है| हिन्दू धर्म में पवित्रता को सर्वोत्तम महत्व दिया जाता है| हिन्दू धर्म में मासिक धर्म से समय महिलाओं को अशुद्ध माना जाता है| ऐसा भी कहा जाता है कि इस समय यदि कोई भी महिला धार्मिक कार्यों में भाग लेती है तो उसे रजस्वला दोष लग जाता है| इसलिए इस दोष से पीड़ित महिलाओं को ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखकर सप्त ऋषियों की पूजा करने की सलाह दी जाती है| 

मान्यता है नेपाली हिन्दुओं के द्वारा ऋषि पंचमी के इस त्यौहार को बहुत ही अधिक उत्साह से मनाया जाता है| ऋषियों को वेदों का मूल सम्प्रदाय माना जाता है| जैन धर्म में भी ऋषि पंचमी के त्यौहार को बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है| जैन धर्म में ऋषि पंचमी के दिन जैनों के धर्म गुरु और संतों को याद किया जाता है| जिन्होंने इस पूरी दुनिया को काफी महत्वपूर्ण   संदेश दिए है| हिन्दू धर्म और जैन धर्म दोनों में ही ऋषि पंचमी के त्यौहार को सम्पूर्ण भक्ति के भाव से मनाया जाता है|  

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ऋषि पंचमी का यह त्यौहार मानवता और ज्ञान के मार्ग पर चलने वाले सप्तऋषियों की स्मृति में मनाया जाता है| सप्तर्षि मंडल के प्रथम सदस्य ऋषि वशिष्ठ थे जो कि राजा दशरथ के कुल गुरु थे| ऋषि वशिष्ठ ने उनके द्वारा रचित सौ सूक्तों की रचना सरस्वती नदी के किनारे की थी| दुसरे सप्तर्षि ऋषि होने से पूर्व एक राजा थे| माना जाता है कि उन्होंने कामधेनु गाय के लिए ऋषि वशिष्ठ से भी युद्ध किया| लेकिन इस युद्ध में हार जाने के बाद वे ऋषि बन गए| इसी भांति सभी सात ऋषियों की अलग – अलग कहानी है| 

ऋषि पंचमी की पूजा विधि  

हिन्दू और जैन धर्म में ऋषि पंचमी के त्योहार को बहुत ही भक्ति भाव और धार्मिक परंपरा के अनुसार मनाया जाता है| इस दिन व्रत व सप्तर्षियों की पारम्परिक तरीके से पूजा करने पर भक्तों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है| इस दिन शास्त्रों में बताए गए सप्तर्षियों की पूजा की जाती है| आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानेंगे कि ऋषि पंचमी के दिन सात ऋषियों की पूजा किस प्रकार की जाती है| 

ऋषि पंचमी 2023

  • इस दिन पूजा करने से पहले ही कुछ चीज़े जैसे साफ़ कपड़ा, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) फूल, धूप, दीपक आदि पूजा के लिए एकत्रित करके रखे| 
  • फिर एक साफ़ स्थान का चुनाव करके चौकी को वहा पर रख दे और उसे फूलों से सजाए| 
  • उसके बाद चौकी पर साफ़ कपड़े को बिछाकर उसपर सप्तऋषियों या अपने धार्मिक गुरुओं की तस्वीर को रखे| 
  • इसके बाद उन्हें फूल, जल, धूप और अर्घ्य अर्पित किया जाता है| 
  • पूजा में ऋषियों को सभी चीज़े अर्पित कर देने के पश्चात निम्न मंत्रो का जाप करें| 1. ॐ नमः शिवाय  2. ॐ नमो नारायणाय
  • इन सभी के पश्चात पूजा करते हुए उन सप्त ऋषियों से प्रार्थना करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करे| 

ऋषि पंचमी की व्रत कथा 

ऋषि पंचमी के सम्बंधित कई सारी कथाएँ प्रचलित है| आज हम आपको उन्ही में से एक कथा के बारे में बताने वाले है| सतयुग काल में श्येनजित नाम का एक राजा था| उसके राज्य में एक सुमित्र नाम का ब्राह्मण रहता था जो वेदों का प्रकांड विद्वान् था| सुमित्र खेती के माध्यम से ही अपने परिवार के सदस्यों का पालन – पोषण करता था| सुमित्र की पत्नी का नाम जयश्री सती था जो कि एक साध्वी थी| वह भी अपने पति के साथ खेत के सभी कामों में उसकी सहायता करती थी| 

इस बार जयश्री ने रजस्वला अवस्था में घर के सभी काम कर लिए और उसी के साथ अपने पति को भी स्पर्श कर लिया| देवयोग के कारण दोनों पति – पत्नी ने अपना शरीर का एक साथ ही त्याग किया| रजस्वला अवस्था में स्पर्श का ध्यान नहीं रखने पर पति को बैल और पत्नी को कुतिया की योनि प्राप्त हुई| परंतु पिछले जन्म में किया हुए कुछ अच्छे कर्मों के कारण उनका ज्ञान व स्मृति बनी रही| संयोग से वे दोनों पुनः अपने ही घर में अपने पुत्र और पुत्रवधू के साथ ही रह रहे थे| 

ब्राह्मण के पुत्र का नाम सुमति था| सुमति भी अपने पिता की भांति वेदों का सर्वश्रेष्ठ ज्ञाता था| पितृपक्ष में उसने अपने माता – पिता का श्राद्ध करने के विचार से अपनी पत्नी खीर बनवाई थी| तथा ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रण भी दिया| किन्तु उसी समय एक जहरीले सांप ने आकर खीर को जहरीला कर दिया| कुतिया बनी ब्राह्मणी ने यह देख लिया उसने सोचा यदि यह जहरीली खीर ब्राह्मण खाएंगे तो खीर में जहर होने की वजह से वह मर जाएंगे और उनके पुत्र सुमति को इससे पाप लगेगा| 

इस वजह से उसने सुमति की पत्नी के सामने ही खीर को छु लिया| लेकिन इस वजह से सुमति की पत्नी को गुस्सा आ गया और उसने चूल्हे में से जलती हुई लकड़ी निकाल कर कुतिया की पिटाई कर दी| और उसे इस दिन खाने के लिए भी कुछ नहीं दिया| रात होते ही बैल को कुतिया ने सारी बात बताई| बैल ने भी कहा कि आज उसे भी खाने के लिए नहीं दिया गया| बल्कि पुरे दिनभर मुझे काम भी करवाया गया| उसने कहा कि सुमति ने हमारे लिए ही श्राद्ध का आयोजन किया था लेकिन हमे ही भूखा रख रखा है| अगर ऐसा ही रहा तो उसका श्राद्ध करना व्यर्थ हो जाएगा| 

यह बात दरवाजे पर लेटे हुए सुमति ने सुन ली| सुमति पशुओं की भाषा भली – भांति समझता था| उसे यह बात जानकर अत्यंत दुःख हुआ कि उसके माता – पिता इन पशुओं की योनियों में पड़े हुए है| वह दोड़ता हुआ एक ऋषि के पास गया और उनसे पूछा कि उसके माता – पिता पशुओं की योनि में क्यों पड़े है और उन्हें इससे मुक्त कैसे किया जा सकता है| तब ऋषि ने अपने तप और योगबल की शक्ति से इसका कारण जान लिया और सुमति को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली ऋषि पंचमी का व्रत करने की सलाह दी| 

इस दिन उसे बैल के द्वारा जोता गया अनाज खाने से मना कर दिया| ऋषि ने सुमति से कहा कि इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे माता – पिता को इस पशु योनि से मुक्ति मिल जाएगी| उन्होंने बिल्कुल वैसा ही किया जैसा कि ऋषि ने उनसे करने के लिए कहा था| इससे सुमति के द्वारा किये गए व्रत के प्रभाव से उसके माता – पिता इस पशु योनि से मुक्ति मिल गयी| 

ऋषि पंचमी के दिन इन बातों का रखें ध्यान  

ऋषि पंचमी 2023 की पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान देना आवश्यक है| जो हम आपको बताने वाले है 

ऋषि पंचमी 2023

  • इस दिन व्रत के दौरान स्वयं पर थोड़ा संयम बनाए रखे और ध्यान का अभ्यास अवश्य करें| 
  • ऋषि पंचमी के दिन दान – पुण्य करना काफी शुभ माना जाता है| 
  • पूजा करने के बाद तुलसी माँ को जल चढ़ाना बहुत लाभकारी है| 
  • इस दिन आपको किसी भी जीव हत्या या बलि नहीं देनी है| 
  • ऋषि पंचमी व्रत के दौरान विवादों से बचना चाहिए और दुसरे की बात भी समझने की कोशिश करनी चाहिए | 
  • इस दिन नशीले पदार्थों से दूरी बनाए रखना आवश्यक है| 
  • पूजा करते समय अपने ध्यान को भटकने ना दे| मन को एक जगह पर एकाग्रचित करके रखे| 
  • जब पूजा कर रहे हो तब फ़ालतू की बात चीत ना करें और पूजा पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करें|
  • ऋषि पंचमी की पूजा के पश्चात सभी लोगों को प्रसाद अवश्य बांटे|

ऋषि पंचमी पर किये जाने वाले अनुष्ठान 

  • ऋषि पंचमी व्रत से संबंधित सभी रीति – रिवाजों और सभी अनुष्ठानों को सच्चे मन और अच्छे इरादे के साथ ही पूर्ण करना चाहिए |
  • किसी भी इंसान का इरादा उसके शरीर और उसकी आत्मा के शुद्धिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है| 
  • इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठते है और उठकर सबसे पहले पवित्र रूप से स्नान आदि करना चाहिए| 
  • भक्तों के द्वारा ही इस दिन सबसे कठोर व्रत किया जाता है| 
  • इस व्रत को करने से पूर्व केवल एक ही उद्देश्य का पालन करना जरूरी है कि पूजा करने से पूर्व भक्त को पवित्र होना जरूरी है| 
  • ऋषि पंचमी का व्रत करने वाले व्यक्ति को जड़ी – बूटी से अपने दाँतों को साफ़ करना चाहिए और उस दिन जड़ी – बूटी से ही स्नान करना चाहिए| 
  • मान्यता है कि इस दिन बाहरी शरीर का जड़ी – बूटियों की सहायता से शुद्धिकरण किया जाता है| इसके अलावा दूध, मक्खन, तुलसी और दही का मिश्रण को पिने से आत्मा का शुद्धिकरण होता है| 
  • इस दिन भक्तों के द्वारा सप्तर्षियों की पूजा की जाती है| जो सभी अनुष्ठानों के अंतिम भाग का ही आखिरी पहलू है| 
  • सभी सप्तऋषियों का ध्यान करने के लिए प्रार्थना के साथ ही कई सारी चीज़ों का जैसे फूल और खाद्य सामग्री का भी उपयोग किया जाता है| 
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हमारी वेबसाइट 99Pandit की सहायता से आप ऋषि पंचमी व्रत के अनुष्ठान के लिए पंडित जी को किसी भी जगह से ऑनलाइन ही बुक कर सकते है| 

निष्कर्ष  

इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान ले सकते है। इसके अलावा अगर आप ऑनलाइन किसी भी पूजा जैसे सुंदरकांड पाठ, अखंड रामायण पाठ, गृह प्रवेश पूजन और विवाह समारोह के लिए भी आप हमारी वेबसाइट 99Pandit और हमारे ऐप [99Pandit] की सहायता से ऑनलाइन पंडित  बहुत आसानी से बुक कर सकते है। आप हमे कॉल करके भी पंडित जी को किसी की कार्य के बुक कर सकते है जो कि वेबसाइट पर दिए गए है फिर चाहे आप किसी भी राज्य से हो। हम आपको आपकी भाषा वाले ही पंडित जी से ही जोड़ेंगे| 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.इस वर्ष 2023 में ऋषि पंचमी कब है ?

A.वर्ष 2023 में ऋषि पंचमी का त्यौहार 20 सितंबर 2023 का है|

Q.ऋषि पंचमी के व्रत में किस प्रकार का भोजन नहीं करना चाहिए ?

A.इस दिन हल से जोते हुआ किसी भी प्रकार का भोजन नहीं करना चाहिए|

Q.ऋषि पंचमी किस मास व तिथि को मनाई जाती है ? 

A.यह त्यौहार भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है|

Q.ऋषि पंचमी का व्रत कैसे रखा जाता है ?

A.इस दिन प्रातकाल: जल्दी उठकर किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए| इसके बाद धरती पर किसी भी जगह को गंगाजल को छिड़कर उसे पवित्र करे| फिर इस जगह पर हल्दी की सहायता से चोकोर मंडल बनाए| मंडल के बीच में सप्तऋषि को स्थापित करें|

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