Sharad Purnima 2023 | जानिए शुभ मुहूर्त, तिथि, पूजा विधि और महत्व

Posted By: 99PanditJi
Posted On: August 2, 2023
Last Update On: August 2, 2023

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Sharad Purnima 2023: हिन्दू धर्म में हर माह में कोई ना कोई तिथि आती ही रहती है| आज हम जिस तिथि के बारे में बात करने वाले है वो है शरद पूर्णिमा 2023 के बारे में| शरद पूर्णिमा 2023 का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है| शरद पूर्णिमा 2023 हिन्दू धर्म के लोगों के लिए नयी उमंग लेकर आएगा| शरद पूर्णिमा 2023 के पश्चात ही हल्की सर्दी का अनुभव होने लग जाता है| इस वर्ष यानी शरद पूर्णिमा 2023 के ख़ास होने की एक वजह यह की है कि इस दिन जो भी इस पूजा को पूर्ण श्रद्धा से करेगा| उसके जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाएँगे और उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होगी| इस वर्ष शरद पूर्णिमा 2023 में 28 अक्टूबर 2023 को है|

शरद पूर्णिमा 2023

हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि के समाप्त होने के बाद आने वाली पूर्णिमा को “शरद पूर्णिमा” कहा जाता है| इस दिन किये जाने वाले व्रत को कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है| हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विनी मास में ही शरद पूर्णिमा की तिथि आती है| इसे रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है| हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इस महारास रचा था| इस दिन के लिए मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है| इस दिन कई जगहों पर खीर बनाने की प्रथा भी है| इस दिन खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है| शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण किया जाता है| शरद पूर्णिमा 2023 में रात में भ्रमण और चंद्रमा की रोशनी का शरीर पर पड़ना बहुत माना गया है तो आइये जानते है शरद पूर्णिमा 2023 का शुभ मुहूर्त कब है? 

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शरद पूर्णिमा 2023: शुभ मुहूर्त व तिथि

तिथि – 28 अक्टूबर 2023 

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 28 अक्टूबर 2023, 04:15

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 29 अक्टूबर 2023, 01:50  

शरद पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है ?

शरद पूर्णिमा 2023 पूरे वर्ष में आने वाली सभी पूर्णिमा तिथियों में तन, मन और धन तीनो में ही सर्वश्रेष्ठ बताई गयी है| माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी से अमृत की वर्षा होती है| इस दिन महालक्ष्मी पूजा करने पर भक्तों को धन – धान्य की प्राप्ति होती है| शरद पूर्णिमा को एक अलग नाम कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है| शरद पूर्णिमा अश्विनी मास में आती है| इस दिन चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश करता है| इसलिए इस महीने को अश्विनी के नाम से भी जाना जाता है| एक माह में चंद्रमा 27 नक्षत्रों में प्रवेश करता है| जिसमे से सबसे पहला नक्षत्र अश्विनी नक्षत्र ही है| 

शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और इसी दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक भी होता है| इसी कारण अन्य दिनों के अपेक्षा इस दिन चंद्रमा का आकार बड़ा दिखाई प्रतीत होता है| आयुर्वेद के आचार्य भी इस दिन का इंतज़ार करते है क्योकि इस दिन सभी जीवनदायिनी जड़ी – बूटियों को चंद्रमा की रोशनीमें रखा जाता है| इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है| इन सभी जड़ी – बूटियों को अमृत वर्षा में स्नान करवाया जाता है| जिसके पश्चात यह जड़ी – बूटियां रोगियों पर तुरंत असर करती है| चंद्रमा को वेदों और पुराणों में जल का कारक माना गया है| वही दूसरी ओर चंद्रमा को ओषधियों या जड़ी – बूटियों का स्वामी भी कहा जाता है| शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में खीर खाने की प्रथा काफी पुराने समय से प्रचलित है| मान्यता है कि इस दिन खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखकर उसे खाली पेट खाने से शरीर के सभी रोग दूर हो जातें है| 

शरद पूर्णिमा 2023 के लिए पूजा विधि 

  • इस दिन सुबह जल्दी या हो सके तो ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी ने स्नान करें| 
  • अगर किसी वजह से आप नदी में स्नान नहीं कर सकते तो घर पर ही गंगाजल डालकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें| 
  • इस दिन सफ़ेद रंग के वस्त्र को धारण करना शुभ माना जाता है| 
  • इसके पश्चात लकड़ी की चौकी पर एक लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उसपर गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध करें|
  • उसके बाद माँ लक्ष्मी की मूर्ति लाये| उसे चौकी पर स्थापित कीजिये और चुनरी पहनाइये|  
  • अब लाल रंग के फूल, इत्र,नेवेद्य, दीपक और सुपारी आदि से देवी लक्ष्मी माँ की विधिवत रूप से पूजा कीजिये| 
  • इसके बाद लक्ष्मी माता की मूर्ति के सामने बैठ कर लक्ष्मी चालीसा का पाठ कीजिए| 
  • पूजा के पूर्ण होने के बाद माता लक्ष्मी जी की आरती करें| 
  • इसके बाद शाम पुनः माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दे|
  • भगवान विष्णु को जब भोग चढ़ाए तो उसमे एक तुलसी का पत्ता अवश्य डाले, बिना तुलसी के पत्ते के भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते है|  
  • शाम के समय चंद्रमा निकलने पर मिट्टी के 100 दीये तेल या घी से जलाएं|  
  • फिर चावल और गाय के दूध से बनी खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रख दे|  
  • मध्य रात्रि में माता लक्ष्मी जी को खीर का भोग लगाएं और सभी सदस्यों को प्रसाद के रूप में खीर का सेवन करवाए| इससे सभी रोगों का निवारण हो जाएगा| 
  • शरद पूर्णिमा के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कपड़े, मिठाई और फल आदि का दान करें| 

शरद पूर्णिमा 2023

शरद पूर्णिमा व्रत की कथा

हर महीने मे आने वाली पूर्णिमा का व्रत करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में जो शरद पूर्णिमा आती है। वह अत्यंत शुभ मानी जाती है| शरद पूर्णिमा वाले दिन बहुत से लोग दान करते है। इस दिन दान दक्षिणा करना शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए एक साहूकार की दो बेटियां हर महीने पूर्णिमा का व्रत करती थी। बड़ी बेटी पूर्णिमा का व्रत पूरे विधान के साथ करती थी किन्तु  छोटी बेटी पूर्णिमा का व्रत पूरे नियम से नही करती थी। जैसे ही दोनों बेटियां बड़ी हुई साहूकार ने उन दोनो की शादी करवा दी| 

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शादी के एक साल के बाद बड़ी बेटी के घर स्वस्थ संतान ने जन्म लिया तथा छोटी बेटी के घर संतान तो हुई लेकिन उसने जन्म लेते ही दम तोड दिया| छोटी बहन के साथ ऐसा कई बार हुआ फिर उसने अपनी कहानी एक ब्राह्मण को बताई ब्राह्मण ने उससे पूरी बात जानने के बाद उसे बताया कि तुमने पूर्णिमा का व्रत अधूरा किया है। इस कारण तुम्हे व्रत का फल नहीं मिल रहा है। यह तुम्हारे अधूरे व्रत का दोष है। ब्राह्मण की बात सुनकर उसने पूर्णिमा का व्रत पूरी सच्ची निष्ठा के साथ करने का निर्णय लिया और पूर्णिमा आने से पहले ही उसने एक पुत्र को जन्म दिया जन्म लेते ही उसकी मृत्यु हो गई।  

इस बार उसने अपने बेटे के शव को एक पीढे से ढक दिया और उस पर एक कपड़ा डाल दिया ताकि किसी को पता नहीं चले फिर उसने अपनी बडी बहन को बुलाया और उसे बैठने को वही पीढा दिया। बडी बहन जैसे ही पीढ़े पर बैठने लगी उसके लहंगे के स्पर्श से बच्चे की रोने की आवाज आई ये देखकर बड़ी बहन डर गई और छोटी बहन पर क्रोधित होकर बोली तुम मेरे पर बच्चे की हत्या का दोष और कलंक लगाना चाहती हो इस पर छोटी बहन ने उत्तर दिया यह बच्चा मरा हुआ था। तुम्हारे तप और स्पर्श के कारण ही यह जीवित हो गया है। पूर्णिमा के दिन जो तुम व्रत और तप किया करती हो उसके कारण तुम दिव्य तेज से परिपूर्ण और पवित्र हो गई हो।

अब मै भी तुम्हारे तरह ही व्रत करूंगी फिर उसने भी पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि विधान के साथ किया| इस व्रत के महत्व और फल का पूरे नगर में प्रचार हो गया। जिस प्रकार मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु ने साहूकार की बेटी की कामना पूर्ण कर सौभाग्य प्रदान किया वैसे ही हमें भी करे । इस कथा से हमें ये सीख मिलती है कि चाहे कोई भी व्रत हो उसे हमें पूरी सच्ची निष्ठा के साथ करना चाहिए। जब तक हम व्रत को पूरे विधि विधान से नही करते है। तब तक हमें उसका फल नहीं मिलता है। शरद पूर्णिमा का व्रत करने से घर मे सुख शान्ति और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है। 

शरद पूर्णिमा के दिन रखें इन बातों का ध्यान

हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी जी जन्म हुआ था| इस दिन व्रत रखकर जो भी माता लक्ष्मी जी की सच्ची श्रद्धा से पूजा करता है| उसकी सभी मनोकामनाएं लक्ष्मी माँ पूर्ण करती है| इस दिन कुछ ऐसे भी कार्य है जिन्हें करने से हमें बचना चाहिए, नहीं तो हमें भारी नुकसान भी हो सकता है| तो आइये जानते है कि ऐसे कौन से कार्य जिन्हें हमें इस दिन करने से बचना चाहिए| 

  • शरद पूर्णिमा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना अति आवश्यक है| 
  • वैसे तो शरद पूर्णिमा के दिन दान करना शुभ माना जाता है लेकिन यदि आपको इस दिन दान करना है तो सूर्यास्त से पूर्व ही दान करें| मान्यता है कि सूर्यास्त के पश्चात दान करना आपको कर्जदार भी बना सकता है| 
  • इस दिन चूल्हे पर कढाई अवश्य चढ़ाए किन्तु कच्चा खाना ना बनाएं| 
  • शरद पूर्णिमा के दिन काले कपड़े पहनने से बचे और सफ़ेद वस्त्र धारण करें| इस दिन सफ़ेद रंग के वस्त्र को धारण करना शुभ माना जाता है| 

Sharad Purnima 2023

शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में क्यों रखी जाती है खीर 

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा रात्रि में अमृत वर्षा करता है| शरद पूर्णिमा के दिन चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखनी की प्रथा है| इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी मौजूद है| जैसा कि आप सभी को पता है कि दूध में लेक्टिक एसिड उपस्थित होता है| चंद्रमा की तेज रोशनी में यह एसिड दूध में उपस्थित बेक्टीरिया को अधिक बढ़ा देता है और चांदी के बर्तन में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की क्षमता होती है| चंद्रमा का प्रकाश शरद पूर्णिमा के दिन काफी अधिक होता है| इसलिए खीर को चाँद की रोशनी में रखना फायदेमंद माना जाता है| 

शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें और क्या ना करें

  • शरद पूर्णिमा के दिन लोगों का मानना है कि चंद्रमा की रोशनी में बैठकर सुई में धागा पिरोने की कोशिश करनी चाहिए| धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने चंद्रमा की रोशनी हमारी आंखों में जाती है| जिससे आँखों की रोशनी बढ़ती है| 
  • इस दिन चंद्रमा को जल चढ़ाना चाहिए| ऐसा करने से अस्थमा रोग से छुटकारा मिलता है| 
  • शरद पूर्णिमा के दिन गर्भवती महिलाओं को चंद्रमा के दर्शन करना अत्यंत लाभकारी बताया गया है| ऐसा माना जाता है कि गर्भवती महिला को चंद्रमा के दर्शन करवाने से गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है| 
  • इस दिन चांद की रोशनी में बैठकर चांदी के बर्तन में भोजन करने से व्यक्ति की मानसिक व शारीरिक तकलीफ दूर होती है| 
  • ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन पति – पत्नी को अपनी कामवासना पर काबू पाना चाहिए| इसी के साथ ही इस दिन नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए|

इन उपायों को करने से होगी माँ लक्ष्मी प्रसन्न

रात्रि के समय चंद्रमा की रोशनी में घी को रखे, उसके बाद इस घी से दीपावली पर दीपक जलाएं| ऐसा करने से मां लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होती है| इससे घर में सुख – समृद्धि बढती है और पुरे घर में खुशहाली का माहोल बनता है| शारीरिक रूप से कमज़ोर बच्चो की इस घी से मालिश करने उसके स्वास्थ्य में सुधार होता है|

शरद पूर्णिमा की रात शहद को चंद्रमा की रोशनी में रखने पर यह औषधि के रूप में तैयार हो जाती है| ऐसे बच्चे जो मंदबुद्धि है, किसी की याददाश्त कमज़ोर है और यदि कोई जल्दी थक जाता हो तो उसे इस औषधीय रूपी शहद का सेवन करना चाहिए| 

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इस दिन गाय के दूध को किसी भी बर्तन में भरकर चंद्रमा की रोशनी में रखे| इसके पश्चात दूध को अपने पुरे घर में छिड़क दे| ऐसा करने से घर में उपस्थित सभी नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और जिसका भी कुंडली में पितृ दोष या काल सर्प दोष पूजा होता है तो इससे उसका भी प्रभाव भी कम होता है| गंगाजल को चंद्रमा की रोशनी में रखकर अगले दिन उस जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से आपके जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयाँ दूर हो जाएंगी| 

शरद पूर्णिमा 2023  का महत्व

 हिन्दू धर्म में हर माह में कोई ना कोई तिथि आती ही रहती है| आज हम जिस तिथि के बारे में बात करने वाले है वो है शरद पूर्णिमा 2023 के बारे में| शरद पूर्णिमा 2023 का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है| शरद पूर्णिमा 2023 हिन्दू धर्म के लोगों के लिए नयी उमंग लेकर आएगा| शरद पूर्णिमा 2023 के पश्चात ही हल्की सर्दी का अनुभव होने लग जाता है| इस वर्ष यानी शरद पूर्णिमा 2023 के ख़ास होने की एक वजह यह की है कि इस दिन जो भी इस पूजा को पूर्ण श्रद्धा से करेगा| उसके जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाएँगे| 

पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी प्रकट हुई थी। ऐसा माना जाता है कि इस दिन  मां लक्ष्मी अपने भक्तो पर कृपा बरसाती है। शरद पूर्णिमा का दिन  मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए खास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन रात को  मां लक्ष्मी भ्रमण पर निकलती है। शरद पूर्णिमा से ही शरद ऋतु का आगमन होता है।

निष्कर्ष

शरद पूर्णिमा के व्रत का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्त्व है| हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि के समाप्त होने के बाद आने वाली पूर्णिमा को “शरद पूर्णिमा” कहा जाता है| इस दिन किये जाने वाले व्रत को कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है| हिन्दू पंचांग के अनुसार अश्विनी मास में ही शरद पूर्णिमा की तिथि आती है| इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको शरद पूर्णिमा के बारे पूर्ण रूप सारी जानकारी उपलब्ध करवा दी है|

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.शरद पूर्णिमा 2023 की तिथि क्या है ?

A.इस वर्ष शरद पूर्णिमा 2023 में 28 अक्टूबर 2023 को है|

Q.शरद पूर्णिमा की रात को क्या होता है ?

A.शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की रोशनी में दूध से बने उत्पादों का चांदी के बर्तन में सेवन करना चाहिए|

Q.शरद पूर्णिमा के दिन किसकी पूजा की जाती है ?

A.शरद पूर्णिमा के दिन व्रत करके मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है|

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