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श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे, उत्पत्ति, अर्थ और महत्व

99Pandit Ji
Last Updated:August 18, 2025

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पावन, शक्तिशाली और सरल मंत्र है, जिसका उच्चारण करते ही मन शांत हो जाता है और आत्मा को दिव्यता का अनुभव होता है।

इस मंत्र का अर्थ है – “हे भगवान शिव, आपको मेरा बारंबार नमस्कार है।” यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि समर्पण, श्रद्धा और आस्था की पूर्ण अभिव्यक्ति है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र

जब जीवन में संकट हो, जब मन भटक रहा हो, या जब किसी सहारे की आवश्यकता हो तब यह मंत्र शिव से जोड़ने वाली एक सीधी राह बन जाता है।

यह मंत्र न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा, आत्मविश्वास और भगवान शिव कृपा भी दिलाता है।

शिव भक्त इस मंत्र को ध्यान, पूजा, जाप और साधना में उपयोग करते हैं क्योंकि यह एक सरल परंतु अत्यंत प्रभावशाली माध्यम है शिव को प्रणाम करने का।

इसका नियमित जाप व्यक्ति को शिव तत्व के समीप ले जाता है और जीवन में स्थिरता, सकारात्मकता और शुद्धता का संचार करता है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र क्या है?

“श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” एक संक्षिप्त, लेकिन गहन मंत्र है, जो भगवान शिव को समर्पित एक विनम्र और श्रद्धापूर्ण प्रणाम है। इसका सरल अर्थ है – “हे श्री शिव, मैं आपको प्रणाम करता हूँ।”

हालांकि यह मंत्र आकार में छोटा है, इसकी भावनात्मक शक्ति अपार है। इसमें शिव के प्रति न केवल नमस्कार करने की भावना है, बल्कि उनके प्रति आत्मसमर्पण, श्रद्धा और आस्था का गहरा अहसास भी है।

यह मंत्र भक्तों और भगवान के बीच एक पुल का कार्य करता है। “श्री” शब्द शुभता और सुख-संपन्नता का प्रतीक है। “शिवाय” का अर्थ है – केवल शिव को समर्पित। “नमस्तुभ्यं” का तात्पर्य है, “आपको”।

इस मंत्र की पौराणिक उत्पत्ति

श्री शिवाय नमुस्तुभ्यं मंत्र की उत्पत्ति शिव महापुराण से हुई है, जो हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से है, और इस मंत्र का जाप करने से “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र की उत्पत्ति प्राचीन वैदिक एवं पौराणिक परंपराओं से जुड़ी हुई है।

यह मंत्र कोई साधारण वाक्य नहीं, बल्कि ऋषियों, देवताओं और भक्तों द्वारा शिव को समर्पित श्रद्धा का प्रतीक है।

इसी प्रकार, अनेक भक्तों और संतों ने ध्यान व तपस्या के समय इस मंत्र का उच्चारण किया। यह मंत्र शिवभक्तों के मन, वाणी और आत्मा से स्वयं निकलता रहा है।

विशेष रूप से यह मंत्र शिव पूजा, रुद्राभिषेक, रात्रि ध्यान, तथा संकट के समय शिव का आह्वान करने हेतु प्रयुक्त होता रहा है। यह पौराणिकता और लोक आस्था का ऐसा संगम है जो आज भी हर शिवभक्त के जीवन में गूंजता है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का शाब्दिक अर्थ और भावार्थ

यह मंत्र देखने में भले ही छोटा है, लेकिन इसके भीतर छिपे शब्दों में गहन भाव, ऊर्जा और आत्मसमर्पण समाया हुआ है। आइए इसे शब्द दर शब्द समझते हैं:

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र

श्री” – यह शब्द सम्मान, सौभाग्य और दिव्यता का प्रतीक है। जब हम किसी को “श्री” कहकर संबोधित करते हैं, तो उसमें श्रद्धा, आदर और देवत्व समाहित होता है।

शिवाय” – “शिव” का चतुर्थी विभक्ति रूप है, जिसका अर्थ है “शिव के लिए” या “शिव को”। यह सूचित करता है कि हमारा संपूर्ण भाव और समर्पण शिव की ओर ही केंद्रित है।

नमस्तुभ्यं” – “नमः” का रूप, जिसका अर्थ होता है “नमन, प्रणाम, वंदन।” और “तुभ्यम्” का अर्थ है “आपको”। यानी, “आपको नमस्कार है।”

इस प्रकार मंत्र का संपूर्ण अर्थ: “हे परमेश्वर शिव! आपको मेरा विनम्र नमस्कार है।”

भावार्थ की दृष्टि से यह मंत्र एक पूर्ण आत्मसमर्पण है। यह केवल शब्द नहीं, बल्कि भक्त की आत्मा से निकला हुआ श्रद्धा का निवेदन है।

जब कोई इस मंत्र का जाप करता है, तो वह शिव से कहता है – “हे प्रभु! मैं कुछ नहीं, सब कुछ आप हैं, मुझे स्वीकार करें।

शिव भक्ति में इस मंत्र का आध्यात्मिक महत्व

जो भी मनुष्य भगवान शिव की आराधना सच्चे मन से करता है, उसपे भगवान शिव की असीम कृपा होती हैं अर्थात वह मनुष्य सकारात्मक होता जाता हैं, इस मन्त्र का जाप करने से मनुष्य के मन और मस्तिष्क को भि साफ करता हैं |

“श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र आकार में छोटा होते हुए भी, अध्यात्म के स्तर पर अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावशाली है।

यह मंत्र केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि मन, आत्मा और श्रद्धा का शिव के चरणों में पूर्ण समर्पण है। शिव भक्ति में यह मंत्र एक ऐसा माध्यम है जो साधक को शिव से सीधे जोड़ता है।

आइए इस मंत्र के आध्यात्मिक महत्व को बिंदुओं के माध्यम से समझते हैं:

1. आत्म-समर्पण का प्रतीक

इस मंत्र में “नमस्तुभ्यं” शब्द यह दर्शाता है कि भक्त अपने अहंकार, इच्छाएं और माया से मुक्त होकर स्वयं को शिव के चरणों में समर्पित करता है। यह समर्पण अध्यात्म की पहली सीढ़ी है जहाँ “मैं” समाप्त होकर “तू” शेष रह जाता है।

2. अहंकार का क्षय और विनम्रता की प्राप्ति

शिव, सब कुछ त्यागने वाले हैं – वे स्वयं भस्म लगाकर श्मशान में निवास करते हैं। इस मंत्र का जप करते समय, साधक धीरे-धीरे अहंकार, क्रोध, मोह और ईर्ष्या जैसे विकारों को छोड़ना सीखता है। उसका अंतर्मन विनम्र और शांत होता जाता है।

3. आत्मिक शुद्धि और मन की स्थिरता

नियमित जाप से साधक के विचार, बोल और कर्म शुद्ध होने लगते हैं। यह मंत्र मन को भटकाव से रोककर एकाग्रता की ओर ले जाता है, जिससे ध्यान की गहराई बढ़ती है। यही स्थिति अध्यात्म के मार्ग को सरल बनाती है।

4. शिव तत्व से जुड़ाव

शिव कोई बाहरी शक्ति मात्र नहीं, बल्कि हमारे भीतर का परम तत्व हैं – चेतना, शांति और अनंत ऊर्जा के स्रोत।

इस मंत्र का जाप करते-करते साधक उस आंतरिक शिव से जुड़ने लगता है, जिससे आध्यात्मिक चेतना का जागरण होता है।

5. भवसागर से पार होने का मार्ग

हिंदू दर्शन में यह माना गया है कि जीवन एक महासागर है – दुःख-सुख, मोह-माया की लहरों से भरा। “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र शिव को नमन करते हुए भवसागर पार करने की प्रार्थना है। यह जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति का रास्ता दिखाता है।

6. कर्मों का शुद्धिकरण

जब हम बारंबार शिव को प्रणाम करते हैं, तो हमारे पूर्व जन्मों के संस्कार और पाप धीरे-धीरे शांत होने लगते हैं।

यह मंत्र साधक के जीवन में न केवल आध्यात्मिक उन्नति लाता है, बल्कि उसकी दिनचर्या, व्यवहार और संबंधों को भी शुभ बनाता है।

7. ध्यान और साधना में सहायक

यह मंत्र शिव ध्यान का अद्भूत उपकरण है। साधक जब इस मंत्र के साथ ध्यान करता है, तो उसका चित्त गहराई में उतरता है और वह शिव के स्वरूप का आंतरिक अनुभव करने लगता है। इसे कई योगीगण नित्य साधना में प्रयोग करते हैं।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के चमत्कारी लाभ

भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। उन्हें “भोलेनाथ” यूं ही नहीं कहा गया। वो केवल भाव देखते हैं – अगर आप सच्चे दिल से उन्हें याद करते हैं, तो वो बिना देर किए कृपा बरसाते हैं।

“श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र भी ऐसा ही है – छोटा सा मंत्र, लेकिन इसके असर बहुत गहरे होते हैं। जब कोई इसे रोज़ दिल से बोलता है, तो जीवन में कई अच्छे बदलाव खुद-ब-खुद आने लगते हैं।

चलिए, जानते हैं इसके कुछ खास और चमत्कारी फायदे:

1. मन को शांति और तनाव से राहत मिलती है

अगर मन बार-बार बेचैन रहता है, नींद नहीं आती, चिंता बहुत होती है – तो ये मंत्र बहुत फायदेमंद है। जब आप इसे रोज़ 108 बार जपते हैं, तो धीरे-धीरे मन शांत होता है, सोचने का तरीका पॉजिटिव बनता है और टेंशन कम होने लगता है।

2. डर, दुख और संकट दूर होते हैं

कभी-कभी ऐसा लगता है कि जीवन में हर तरफ से मुसीबतें आ रही हैं – तब यह मंत्र एक सुरक्षा कवच बन जाता है।

जब आप “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” कहते हैं, तो शिव खुद आपकी रक्षा करते हैं। यह मंत्र भय, अशुभ और अनहोनी से बचाने में मदद करता है।

3. हिम्मत और आत्मविश्वास बढ़ता है

कभी ऐसा लगता है कि हम कमजोर हैं, किसी से बात करने में डर लगता है या कोई बड़ा कदम उठाने से घबराते हैं तो यह मंत्र आपके अंदर से डर को निकालकर हिम्मत और भरोसा पैदा करता है। जब आप शिव को नमस्कार करते हैं, तो भीतर से आवाज़ आती है – “अब मैं अकेला नहीं हूं।”

4. शरीर में ऊर्जा और बीमारियों से राहत

इस मंत्र के उच्चारण से शरीर के भीतर पॉजिटिव एनर्जी पैदा होती है। इससे दिमाग शांत होता है, ब्लड प्रेशर बैलेंस होता है और धीरे-धीरे थकान, सिरदर्द, नींद की कमी जैसी समस्याएं भी कम होती हैं। यह मंत्र एक तरह से आंतरिक हीलिंग देता है।

5. घर में सुख-शांति आती है

अगर घर में क्लेश हो, लोगों में झगड़े हों या माहौल नेगेटिव हो, तो इस मंत्र का रोज़ मिलकर सामूहिक जाप करें।

इससे घर का वातावरण शांत, सकारात्मक और प्रेमपूर्ण बन जाता है। भगवान शिव की ऊर्जा पूरे परिवार को एकजुट और सुखी बनाती है।

6. बुरे कर्मों का प्रभाव कम होता है

कई बार हमें लगता है कि हमने पहले कुछ गलतियां की हैं और अब उसका असर झेल रहे हैं। “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र शिव से माफ़ी मांगने जैसा होता है। यह मंत्र हमारे पापों और बुरे कर्मों को धीरे-धीरे शांत करता है और जीवन को एक नई दिशा देता है।

7. ध्यान और साधना में मदद करता है

अगर आप ध्यान करते हैं या आत्मिक रूप से आगे बढ़ना चाहते हैं तो यह मंत्र बहुत उपयोगी है। इससे मन एकाग्र होता है, विचार शांत होते हैं और शिव से जुड़ाव बढ़ता है। यह मंत्र साधना की शुरुआत के लिए बहुत पावन माध्यम है।

8. शिव के आशीर्वाद से जीवन बदल सकता है

कई साधकों और भक्तों ने अनुभव किया है कि जब वे इस मंत्र को रोज़ जपते हैं, तो अंदर एक नई ऊर्जा, स्थिरता और आनंद भर जाता है। रास्ते खुद-ब-खुद खुलते हैं, मन स्थिर होता है और शिव कृपा का अनुभव होने लगता है।

मंत्र जाप की सही विधि और नियम

“श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र का प्रभाव तभी पूर्ण रूप से महसूस होता है जब इसे श्रद्धा, नियम और सही विधि से किया जाए।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र

हालांकि यह मंत्र इतना सरल और सहज है कि कोई भी, कभी भी, कहीं भी इसका जाप कर सकता है, फिर भी कुछ आध्यात्मिक नियमों और परंपराओं का पालन करने से शिव कृपा जल्दी और गहराई से प्राप्त होती है।

1. जाप का शुभ समय

  • सबसे उत्तम समय है प्रातः ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच)। इस समय वातावरण शुद्ध और मन शांत होता है।
  • दूसरा श्रेष्ठ समय है शाम को सूर्यास्त के बाद, जब शिव का ध्यान करना विशेष फलदायक माना गया है।
  • यदि समय निश्चित न हो, तो आप दिन में किसी भी समय शुद्ध मन और श्रद्धा से जाप कर सकते हैं।

2. आसन और दिशा

  • जाप के लिए कुशासन, चटाई या ऊन का आसन उपयोग करें। जमीन पर सीधे न बैठें।
  • उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना श्रेष्ठ माना गया है। इससे ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहता है।

3. मंत्र का उच्चारण

  • “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” इसे बोलते समय मन एकाग्र रखें, शब्दों को साफ और भावपूर्ण उच्चारित करें।
  • अगर संभव हो तो आँखें बंद करके शिव का ध्यान करते हुए जप करें।

4. कितनी बार जाप करें? (जाप की संख्या)

  • शुरुआत में दिन में 11, 21 या 108 बार जाप करें।
  • आदर्श रूप से एक माला (108 बार) प्रतिदिन जप करें, और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 5, 7 या 11 माला तक ले जा सकते हैं।
  • जाप के लिए रुद्राक्ष की माला सबसे पवित्र मानी जाती है।

5. जाप के दौरान क्या सोचें? (भाव)

  • मन में बार-बार यह भाव रखें: “हे शिव! मैं आपका हूँ। मुझे शरण दें, कृपा करें।”
  • शिव के शांत, सौम्य रूप की कल्पना करें – जटाधारी, त्रिनेत्रधारी, गंगाधर रूप में।
  • आप चाहें तो शिवलिंग या भोलेनाथ की मूर्ति/फोटो के सामने बैठकर जप करें।

6. मंत्र जाप के नियम और सावधानियाँ

  • मंत्र का जप शुद्ध और साफ-सुथरे कपड़ों में करें।
  • जप के समय शांत वातावरण चुनें जहाँ कोई आपको बार-बार परेशान न करे।
  • कोशिश करें कि एक ही स्थान और समय पर रोज जाप करें – इससे ऊर्जा का केंद्र बनता है।
  • जप के बाद जल या पंचामृत अर्पित करके शिव को प्रणाम करें।
  • खाने के तुरंत बाद मंत्र जाप न करें – थोड़ा अंतर रखें।

7. क्या महिलाएं कर सकती हैं जाप?

  • जी हां, सभी स्त्रियाँ और पुरुष, बालक और वृद्ध – जो भी श्रद्धा से शिव का स्मरण करना चाहे, इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • मासिक धर्म के दौरान जाप न करने की परंपरा है, परंतु यह पूरी तरह श्रद्धा और मान्यता पर आधारित है।

8. जाप के साथ और क्या करें?

  • मंत्र जाप के बाद “ॐ नमः शिवाय” या महामृत्युंजय मंत्र का 3 बार उच्चारण करें।
  • आप चाहें तो दूध से शिवलिंग पर अभिषेक करते हुए भी यह मंत्र बोल सकते हैं।
  • सोमवार और शिवरात्रि जैसे पावन दिनों पर विशेष रूप से इसका जाप करें।

किसे करना चाहिए इस मंत्र का नियमित जाप?

“श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र एक ऐसा दिव्य मंत्र है, जिसे हर कोई जप सकता है चाहे वह किसी भी उम्र, वर्ग, परिस्थिति या जीवन-स्तर से जुड़ा हो। भगवान शिव, करुणा और सरलता के देवता हैं।

उन्हें केवल सच्चा भाव और श्रद्धा चाहिए। इस मंत्र का जाप न तो कठिन है, न ही इसके लिए कोई विशेष योग्यता की जरूरत होती है। आइए जानते हैं – किन लोगों को इसका नियमित जाप अवश्य करना चाहिए और क्यों:

1. जिनके जीवन में मानसिक तनाव या बेचैनी हो

  • अगर आपका मन बार-बार अशांत रहता है, चिंता बहुत होती है या कोई स्पष्ट कारण न होते हुए भी मन में डर बना रहता है — तो यह मंत्र मन को स्थिर और शांत करने में बहुत सहायक है।
  • रोज़ इसका जाप करने से मन में संतुलन आता है और भीतर से एक ऊर्जा पैदा होती है, जो जीवन की उलझनों को सुलझाने में मदद करती है।

2. विद्यार्थी और युवा वर्ग

  • जो छात्र पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते, बार-बार विचलित होते हैं या जीवन में लक्ष्य तय करने में मुश्किल महसूस करते हैं — उनके लिए यह मंत्र बेहद लाभकारी है।
  • यह मंत्र एकाग्रता बढ़ाता है, निर्णय शक्ति मजबूत करता है और आत्मविश्वास जगाता है। युवा इसे दिन की शुरुआत में या रात को सोने से पहले जपें।

3. जो किसी बीमारी या कमजोरी से जूझ रहे हों

  • भगवान शिव को वैद्यराज और जीवनदाता कहा गया है। जो लोग शारीरिक कष्ट, पुरानी बीमारियों, या मानसिक कमजोरी से पीड़ित हैं उनके लिए यह मंत्र अंदर से शक्ति और साहस देता है।
  • यह चिकित्सा का विकल्प नहीं है, लेकिन आंतरिक संतुलन और शीघ्र स्वस्थ होने के लिए एक आध्यात्मिक सहयोग जरूर है।

4. जिनके घर में अशांति, कलह या संकट हो

  • अगर परिवार में अनबन, वाणी में कटुता या सदस्यों में दूरी महसूस हो रही हो — तो यह मंत्र घर में सकारात्मकता और मेलजोल का वातावरण बनाता है।
  • हर रोज़ या सोमवार को पूरा परिवार मिलकर 108 बार जपे, तो घर में शिव तत्व का वास होने लगता है।

5. साधक, ध्यान करने वाले और आध्यात्मिक पथ के यात्री

  • जो व्यक्ति ध्यान, योग या साधना में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह मंत्र मन की एकाग्रता और आत्म-जागरण का सीधा रास्ता है।
  • यह मंत्र शिव को नमस्कार करते-करते अहंकार का विनाश करता है और व्यक्ति को अपने भीतर के शिव से जोड़ता है।

6. महिलाएं, गृहिणियां और माता-पिता

  • यह मंत्र गृहस्थ जीवन में शांति, धैर्य और संतुलन लाता है। महिलाएं दिन की शुरुआत में या रसोई कार्य से पहले कुछ समय निकालकर इसका जप करें, तो घर का वातावरण शुद्ध रहता है।
  • माता-पिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए भी यह मंत्र शिवलिंग के सामने जप सकते हैं।

7. जो जीवन में दिशा भ्रमित हैं या बार-बार असफल हो रहे हैं

अगर आपको लगता है कि मेहनत तो बहुत करते हैं, लेकिन परिणाम नहीं मिलते तो यह मंत्र रुकावटें हटाकर जीवन को नई दिशा देता है। शिव जब प्रसन्न होते हैं, तो बाधाएं स्वयं दूर हो जाती हैं।

अन्य शिव मंत्रों से इसकी तुलना

भगवान शिव के अनेक मंत्र हैं – कुछ लंबे, कुछ छोटे, कुछ गूढ़ तांत्रिक और कुछ अत्यंत सरल। हर मंत्र का अपना एक उद्देश्य, असर और भाव होता है।

“श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” भी ऐसा ही एक विशेष मंत्र है, जो दिखने में छोटा जरूर है, लेकिन उसका आध्यात्मिक प्रभाव अत्यंत गहरा होता है।

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र

अब हम इसकी तुलना कुछ प्रमुख और प्रसिद्ध शिव मंत्रों से करेंगे ताकि यह समझ सकें कि इस मंत्र की अलग विशेषता क्या है।

1. ॐ नमः शिवाय

यह सबसे प्रसिद्ध और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला शिव मंत्र है, जिसे पंचाक्षरी मंत्र भी कहते हैं। इसका अर्थ होता है – “मैं शिव को नमन करता हूँ।”

तुलना में:

  • “ॐ नमः शिवाय” आत्मा को जागृत करने वाला गूढ़ मंत्र है।
  • यह मंत्र ध्यान और साधना के लिए श्रेष्ठ है।
  • वहीं, “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” में थोड़ा अधिक नम्रता और भावुकता होती है।
  • यह एक सच्चे शरणागत की तरह भगवान को प्रणाम करने की अभिव्यक्ति है।

2. महामृत्युंजय मंत्र

इस मंत्र का जाप रोग, मृत्यु भय और कष्टों से मुक्ति के लिए किया जाता है। यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली है और विशेष अनुष्ठानों में प्रयोग होता है।

तुलना में:

  • महामृत्युंजय मंत्र लंबा है और उसके सही प्रभाव के लिए शुद्ध उच्चारण और विधि की जरूरत होती है।
  • दूसरी ओर, “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” छोटा है और कोई भी इसे आसानी से कभी भी जप सकता है।
  • यह शुद्ध भाव से शिव को समर्पण करने वाला मंत्र है, जो सरलता से मन को जोड़ देता है।

3. शिव तांडव स्तोत्र

यह स्तोत्र रावण द्वारा रचित है और शिव के तांडव रूप का भव्य वर्णन करता है। इसमें शिव की शक्ति, सौंदर्य और तेजस्विता को बड़े भाव से गाया गया है।

तुलना में:

  • शिव तांडव स्तोत्र तेज ऊर्जा देने वाला है और इसे पढ़ने के लिए सही लय, उच्चारण और अभ्यास की ज़रूरत होती है।
  • जबकि “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” सौम्य, शांत और सरल ऊर्जा वाला मंत्र है, जो भक्त को धीरे-धीरे शिव की शरण में ले आता है।

4. रुद्राष्टकम

यह तुलसीदासजी द्वारा रचित स्तुति है, जिसमें शिव के निराकार, निर्गुण और अनंत स्वरूप की व्याख्या है। यह अत्यंत सुंदर और काव्यात्मक स्तुति है।

तुलना में:

  • रुद्राष्टकम एक साहित्यिक रचना है, जिसका पाठ समय और शुद्ध उच्चारण से ही सुंदर बनता है।
  • पर “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र हर समय, हर स्थिति में बोला जा सकता है – चाहे आप मंदिर में हों, घर में, यात्रा में या काम पर।

5. ॐ शिव शंकराय नमः

यह मंत्र भी छोटा और सरल है, और शिव के सौम्य स्वरूप को समर्पित है।

तुलना में:

  • “ॐ शिव शंकराय नमः” नाम स्मरण के लिए उपयोगी है।
  • लेकिन “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” में ‘श्री’ और ‘नमस्तुभ्यं’ जैसे शब्द जुड़ने से यह अधिक श्रद्धा, सम्मान और समर्पण प्रकट करता है।

क्यों “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र अलग और विशेष है?

1. सरल और याद रखने योग्य
कोई भी व्यक्ति, चाहे वह नया साधक हो या वृद्ध, इस मंत्र को आसानी से याद कर सकता है। इसमें न तो लंबा उच्चारण है, न ही कोई कठिन शब्द।

2. सच्चे समर्पण की भावना
“नमस्तुभ्यं” का अर्थ ही है – “आपको नमस्कार है”। जब हम इसे बोलते हैं, तो हमारा मन स्वयं शिव के चरणों में झुक जाता है। यह भाव ही हमें आत्मिक शांति देता है।

3. किसी विशेष समय या विधि की आवश्यकता नहीं
जहाँ कई मंत्र सुबह या विशेष मुहूर्त में ही जपे जाते हैं, “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” को कभी भी, कहीं भी बोला जा सकता है – चाहे सुबह, शाम, यात्रा में या मन अशांत हो।

4. मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन
इस मंत्र का जप करते ही एक अलग शांति महसूस होती है। यह हमारे भीतर की उलझनों, डर और नकारात्मकता को दूर करता है।

निष्कर्ष

भगवान शिव की भक्ति में कोई बड़ा नियम नहीं, कोई जटिल विधि नहीं केवल सच्चा भाव, पवित्र मन, और समर्पण ही काफी है। “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र इसी सच्ची भक्ति का प्रतीक है।

आज के समय में जहाँ जीवन भागदौड़ और तनाव से भरा है, वहाँ शिव का यह छोटा-सा मंत्र हमें आंतरिक शांति, स्थिरता और दिव्यता का अनुभव कराता है। यह मंत्र न केवल भगवान को प्रणाम है, बल्कि स्वयं को उनके चरणों में अर्पित करने की प्रक्रिया है।

जब हम इस मंत्र का जाप करते हैं, तो हम यह स्वीकार करते हैं कि हम सब कुछ छोड़कर शिव के शरणागत हैं और यही भावना कृपा की सबसे बड़ी कुंजी है।

जहाँ कुछ मंत्र शक्ति और सिद्धि के लिए जपे जाते हैं, वहीं “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” केवल श्रद्धा, प्रेम और नम्रता से शिव को पुकारने का माध्यम है। इसे किसी भी समय, किसी भी स्थान पर जपा जा सकता है बस मन सच्चा होना चाहिए।

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