Purnabrahma Stotram in Sanskrit: पूर्णब्रह्म स्तोत्रम् अर्थ सहित
पूर्णब्रह्म स्तोत्रम् भगवान जगन्नाथ अर्थार्थ जग के नाथ को समर्पित एक मधुर और सुंदर भजन है। भगवान जगन्नाथ, जो पूर्णब्रह्म…
माना जाता है कि इस निर्वाण षट्कम (Nirvana Shatakam) की श्री आदि शंकराचार्य जी के द्वारा की गई थी| यह निर्वाण षट्कम (Nirvana Shatakam) सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से है| जिसका केवल जाप करने मात्र से मनुष्य को मोक्ष एवं आंतरिक शांति की प्राप्ति होती है| यह निर्वाण षट्कम (Nirvana Shatakam) पाठ करने वाले व्यक्ति को संसार के आकर्षण को त्यागने के लिए प्रोत्साहित करता है|
इस निर्वाण षट्कम (Nirvana Shatakam) का पाठ भगवान शिव का स्मरण करके किया जाता है अर्थात यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है| प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य के आस-पास एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है| आज इस लेख के माध्यम से हम आपको निर्वाण षट्कम (Nirvana Shatakam) के हिंदी अर्थ के बारे में बताएँगे|
इसी के साथ यदि आप शिव तांडव स्तोत्रम [Shiv Tandav Stotram], खाटूश्याम जी की आरती [Khatu Shyam Aarti Lyrics], या कनकधारा स्तोत्र [Kanakdhara Stotra] आदि भिन्न-भिन्न प्रकार की आरतियाँ, चालीसा व व्रत कथा पढना चाहते है तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर विजिट कर सकते है|
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मनोबुद्धयहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे
न च व्योम भूमिर्न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम्
हिंदी अर्थ – मैं न तो मन हूँ, न बुद्धि हूँ, न अहंकार हूँ, न ही चित्त हूँ
मैं न तो कान हूँ, न जीभ हूँ, न नासिका हूँ, न ही नेत्र हूँ
मैं न तो आकाश हूँ, न धरती हूँ, न अग्नि हूँ और न ही वायु हूँ
मैं तो शुद्ध चेतना हूँ, अनादि, अनंत शिव हूँ|
न च प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायु: न वा सप्तधातुर्न वा पञ्चकोश:
न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थपायू चिदानन्द रूप:शिवोऽहम् शिवोऽहम्
हिंदी अर्थ – मैं न तो प्राण हूँ और न ही पंच वायु हूँ
मैं न सात धातुं हूँ,
और न ही पांच कोश हूँ
मैं न वाणी हूँ, न पैर हूँ, न हाथ हूँ और न ही उत्सर्जन की इन्द्रियां हूँ
मैं तो शुद्ध चेतना हूँ, अनादि, अनंत शिव हूँ|
न मे द्वेष रागौ न मे लोभ मोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्य भाव:
न धर्मो न चार्थो न कामो ना मोक्ष: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम्
हिंदी अर्थ – न मुझमे घृणा है, न ही लगाव है, न मुझे लोभ है और न ही मोह
न मुझे अभिमान है और न ही ईर्ष्या
मैं धर्म, धन, काम एवं मोक्ष से परे हूँ
मैं तो शुद्ध चेतना हूँ, अनादि, अनंत शिव हूँ|
न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खम् न मन्त्रो न तीर्थं न वेदार् न यज्ञा:
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता चिदानन्द रूप:शिवोऽहम् शिवोऽहम्
हिंदी अर्थ – मैं पुण्य, पाप, सुख और से भिन्न हूँ
मैं न मंत्र हूँ, न ही तीर्थ हूँ, न ज्ञान हूँ और न ही यज्ञ हूँ
न मैं भोगने की वस्तु हूँ, न ही भोग का अनुभव हूँ, और न ही भोक्ता हूँ
मैं तो शुद्ध चेतना हूँ, अनादि, अनंत शिव हूँ|
न मे मृत्यु शंका न मे जातिभेद:पिता नैव मे नैव माता न जन्म:
न बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम्
हिंदी अर्थ – मुझे न तो मृत्यु का भय है, न ही किसी जाती से भेदभाव है
मेरा न तो कोई पिता है और न ही माता, न ही मैं कभी जन्मा
मेरा न तो कोई भाई है, न मित्र, न शिष्य और न ही गुरु
मैं तो शुद्ध चेतना हूँ, अनादि, अनंत शिव हूँ|
अहं निर्विकल्पॊ निराकार रूपॊ विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्
न चासंगतं नैव मुक्तिर्न मेय: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम्
हिंदी अर्थ – मैं निर्विकल्प हूँ, मैं निराकार हूँ
मैं चैतन्य के रूप में प्रत्येक स्थान पर व्याप्त हूँ, सभी इन्द्रियों में मैं हूँ
मुझे न किसी चीज़ में आसक्ति है और न ही मैं उससे मुक्त हूँ
मैं तो शुद्ध चेतना हूँ, अनादि, अनंत शिव हूँ|
|| Nirvana Shatakam Mantra ||
Mano Buddhi ahankara chittani naaham,
na cha shrotravjihve na cha ghraana netre
Na cha vyoma bhoomir na tejoo na vaayuhu,
chidanand rupah shivo’ham, shivo’ham
Na cha prana sangyo na vai pancha vayuhu,
Na va sapta dhatur na va panch koshah
Na vak pani padam na chopastha payu,
Chidananda rupah shivo’ham, shivo’ham
Na me dvesha ragau na me lobh mohau,
Na me vai mado naiva matsarya bhavah
Na dharmo na chartho na kamo naa mokshaha,
Chidananda rupah shivo’ham shivo’ham
Na punyam na papam na saukhyam na dukham,
Na mantro na tirtham na veda na yajnah
Aham bhojanam naiva bhojyam na bhokta,
Chidananda rupah shivo’ham shivo’ham
Na me mrityu shanka na me jaati bhedaha,
pita naiva me naiva mata na janmah
Na Bandhur na Mitram gurur naiva shishyaha,
Chidananda rupah shivoham shivoham
Aham nirvikalpo nirakara rupo,
Vibhut vatcha sarvatra sarvendriyaanam
Na cha sangatham naiva muktir na meyaha,
Chidananda rupah shivoham, shivoham
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