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Basant Panchami 2024: जाने क्या है शुभ तिथि, पूजा विधि और महत्व

99Pandit Ji
Last Updated:February 6, 2024

Basant Panchami 2024: क्या आप जानते है कि बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) का त्यौहार क्यों मनाया जाता है तथा इसका क्या महत्व है| आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे| यह बसंत पंचमी का पावन त्यौहार प्रत्येक वर्ष माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है| हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) का दिन ज्ञान, विद्या तथा संगीत की देवी माता सरस्वती जी को समर्पित किया जाता है| बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती के साथ-साथ कलम तथा दवात की भी पूजा की जाती है|

बसंत पंचमी 2024

विद्वानों के अनुसार बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) के दिन माता सरस्वती की पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजा करने से देवी काली तथा माँ लक्ष्मी बहुत ही प्रसन्न हो होती है| आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) के त्यौहार को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है| इस वर्ष बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) का त्यौहार 14 फरवरी 2024 बुधवार के दिन मनाया जाएगा| इसी दिन तक्षक पूजा तथा कामदेव पूजा भी जाती है|

इसी के साथ यदि आप ऑनलाइन माध्यम से किसी भी पूजा जैसे विवाह पूजन [Marriage Puja], नवग्रह शांति पूजा [Navgrah Shanti Puja], या गृह प्रवेश पूजा [Griha Pravesh Puja] के लिए पंडित जी को बुक करना चाहते है तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit की सहायता से ऑनलाइन पंडित  बहुत आसानी से बुक कर सकते है| यहाँ बुकिंग प्रक्रिया बहुत ही आसान है| बस आपको “Book a Pandit” विकल्प का चुनाव करना होगा और अपनी सामान्य जानकारी जैसे कि अपना नाम, मेल, पूजा स्थान, समय,और पूजा का चयन के माध्यम से आप अपना पंडित बुक कर सकेंगे|

बसंत पंचमी 2024 तिथि – Basant Panchami 2024 Dates

पंचमी तिथि प्रारंभ  13 फरवरी 2024 दोपहर 02:41 से प्रारंभ
पंचमी तिथि समाप्त  14 फरवरी 2024 दोपहर 12:09 तक 

 

बसंत पंचमी 2024 मुहूर्त – Basant Panchami 2024 Muhurat

  1. बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) सरस्वती पूजा मुहूर्त – 14 फरवरी 2024 बुधवार के दिन प्रातःकाल 07:01 से दोपहर 12:35 के बीच तक|
  2. अमृत काल मुहूर्त – सुबह 08:30 से सुबह 09:00 बजे तक
  3. गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:08 से 06:33 तक
  4. रवि योग – सुबह 10:43 से अगले दिन सुबह 07:00 बजे तक

बसंत पंचमी 2024 की कथा – Basant Panchami 2024 Katha

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्माजी अपने द्वारा ही रचित की गई सृष्टि पर भ्रमण करने के लिए निकले| जब ब्रह्माजी ने सम्पूर्ण सृष्टि को देखा तो उन्हें सब कुछ मौन ही नज़र आया अर्थात सभी जगह पर बिल्कुल ही ख़ामोशी-सी छा गई हो| यह देखने के पश्चात ब्रह्माजी को भी लगा कि संसार की रचना करने में कुछ कमी-सी रह गई है|

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इसके पश्चात ब्रह्माजी भ्रमण करते हुए एक स्थान पर रुक गए तथा उन्होंने अपने कमंडल से कुछ जल लेकर उसे छिड़क दिया| ब्रह्माजी के जल छिड़कने से एक महान ज्योतिपुंज के द्वारा एक देवी उत्पन्न हुई| जिनके हाथ में पुस्तक, वीणा, हाथों में श्वेत कमल एवं चेहरे पर एक अलग ही तेज था| इन्हें ही देवी सरस्वती के नाम से जाना जाता है| देवी सरस्वती जी ने ब्रह्माजी को प्रणाम किया| माता सरस्वती के अवतरण के दिवस को ही बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) के रूप में मनाया जाता है| 

इसके बाद ब्रह्मा जी ने माता सरस्वती से कहा कि – हे देवी ! इस सम्पूर्ण ससार के लोग मूक है अर्थात मौन है| यह लोग केवल चल-फिर रहे है किन्तु इन सभी में किसी भी प्रकार का कोई आपसी संवाद नहीं हो रहा है| यह लोग आपस में बातचीत नहीं कर पा रहे है| ब्रह्मा जी के ऐसा कहने पर माता सरस्वती ने ब्रह्मा जी से पूछा कि हे प्रभु मेरे लिए क्या आज्ञा है? तब ब्रह्मा जी ने कहा कि हे देवी ! आप अपनी वीणा की सहायता से सम्पूर्ण जगत को ध्वनि प्रदान करे| जिसकी सहायता से लोग आपस में एक-दुसरे से बातें कर सके एवं एक दुसरे की समस्या को समझ सके| इसके पश्चात ही माता सरस्वती ने पूरी सृष्टि को ध्वनि प्रदान की|

बसंत पंचमी 2024 पूजन सामग्री – Basant Panchami 2024 Pujan Samagri

पूजन सामग्री निम्न प्रकार है:

  • माता सरस्वती जी मूर्ति या तस्वीर
  • लकड़ी की चौकी
  • चौकी पर बिछाने के लिए लाल रंग का कपडा
  • पीले फूल तथा माला
  • हल्दी
  • सिंदूर
  • अक्षत
  • सुपारी
  • आम के पत्ते 
  • धूप
  • अगरबत्ती
  • घी 
  • दीया
  • जल के लिए कलश
  • नारियल
  • केला
  • पूजा के लिए थाली
  • बेर 
  • मौसमी
  • बूंदी के लड्डू
  • फल 
  • सफ़ेद तिल के लड्डू

बसंत पंचमी 2024 पूजा विधि – Basant Panchami 2024 Puja Vidhi

  • इस बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाइए| अब माता सरस्वती के प्रिय पीले रंग के कपड़े धारण करने चाहिए| यदि आप चाहे तो बसंत पंचमी के दिन सफ़ेद रंग के वस्त्र भी धारण कर सकते है| फिर माता सरस्वती की पूजा का संकल्प लेते है|
  • जिस जगह पर आप पूजा करने वाले है, उस स्थान देवी सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करे| उसके पश्चात माता सरस्वती को गंगाजल से स्नान अवश्य कराएं| अंत में सरस्वती माता को पीले रंग के वस्त्र धारण कराएं|

बसंत पंचमी 2024

  • इसके पश्चात सरस्वती माता को फूल, अक्षत, सफ़ेद चन्दन, पीले फूल, दीप, धूप, पीले रंग की रोली आदि अर्पित करे|
  • बसंत पंचमी के इस अवसर पर माता सरस्वती को उनके प्रिय गेंदे के फूल चढ़ाने चाहिए तथा इसी के साथ ही माता सरस्वती को पीले रंग की मिठाई का भोग भी लगाना चाहिए|
  • इसके पश्चात माता सरस्वती की वंदना करे और देवी सरस्वती के मंत्रों का भी जाप करें| यदि आप बसंत पंचमी के दिन सरस्वती कवच का भी जाप करते है तो वह हमारे लिए बहुत ही लाभकारी होता है| पूजा समाप्त होने के पश्चात हवन सामग्री तैयार कर ले| अब “ॐ श्री सरस्वत्यै नमः” का जाप करें|
  • अंत माता सरस्वती जी की आरती भी करें|

सरस्वती वंदना – Saraswati Vandana

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता, सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥१॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं, वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌ ।

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌, वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌ ॥२॥

बसंत पंचमी 2024 की कुछ ख़ास बातें – Basant Panchami 2024 Important Things

  • भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में कहा है कि – “मैं ऋतुओं में वसंत हूँ|”
  • वसंत ऋतू के आने पर पेड़ों से पुराने पत्ते गिर जातें है तथा नए पत्ते आने प्रारंभ हो जातें है|
  • वसंत पंचमी के बाद में वसंत ऋतु का आगमन होता है|
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  • माना जाता है कि भगवान श्री राम भी वसंत पंचमी के दिन ही शबरी के आश्रम में गए थे|
  • यह बसंत पंचमी का त्यौहार हमे गुरु रामसिंह कुका के बलिदान की याद दिलाता है|
  • इस दिन कामदेव की भी पूजा की जाती है क्योंकि भगवान शिव ने कामदेव को अपनी तीसरी नेत्र से भस्म कर दिया था| इसके पश्चात रति को दिए गए वरदान स्वरुप कामदेव ने भगवान श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लिया|

बसंत पंचमी 2024 का महत्व – Importance Of Basant Panchami 2024

यह बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) का त्यौहार किसी भी नए तथा शुभ कार्य को प्रारंभ करने के लिए बहुत अच्छा माना जाता है| किन्तु बसंत पंचमी के त्यौहार को सबसे ज्यादा शुभ विवाह के लिए माना जाता है| इसके अलावा भी बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) का त्यौहार नवीन विद्या प्राप्ति तथा गृह प्रवेश पूजा के लिए भी बहुत ही शुभ माना गया है| इसे प्रकृति का उत्सव भी माना गया है| तुलसीदास जी ने भी बसंत ऋतु को भी अपने ऋतुसंहार काव्य में अलंकृत किया है| इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण ने भगवद गीता में कहा है है कि “मैं ऋतुओं में बसंत हूँ|” 

बसंत पंचमी 2024

इसके अतिरिक्त पौराणिक कथाओं के अनुसार कामदेव तथा रति के द्वारा सर्वप्रथम मानव के हृदय में प्रेम का संचार किया था| इसलिए देवी सरस्वती के अलावा इस दिन कामदेव तथा रति की पूजा भी की जाती है| बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) के दिन कामदेव तथा रति की पूजा करने जातक का दाम्पत्य जीवन सुखद रहता है तथा माता सरस्वती की पूजा करने भक्त का जीवन अंधकार से निकलकर ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर अग्रसर होता है|

निष्कर्ष – Conclusion

आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से बसंत पंचमी 2024 (Basant Panchami 2024) के बारे में काफी बातें जानी है| हमने इस लेख के माध्यम से सरस्वती पूजा तथा बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी प्रदान की है| हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद अवश्य मिली होगी| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है| 

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – Frequently Asked Questions

Q.हिंदू कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी कब मनाई जाती है?

A.बसंत पंचमी की पूजा के लिए 14 फरवरी 2024 को सुबह 07 बजकर 01 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक का समय शुभ माना गया है.

Q.बसंत पंचमी मनाने के पीछे क्या कारण है?

A.मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी का विवाह हुआ था।

Q.बसंत पंचमी का दूसरा नाम क्या है?

A.इस त्यौहार को देश के कई हिस्सों में सरस्वती पूजा के रूप में भी जाना जाता है और इसमें देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।

Q.सरस्वती को कौन सा फल पसंद है?

A.बेर या बेर , एक फल है जिसका बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा से गहरा संबंध है। इस भारतीय बेर को देवताओं को अर्पित करें, और फिर इसे एक शुभ वर्ष के लिए प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।

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