Khush Honge Hanuman Ram Ram Kiye Ja Lyrics: खुश होंगे हनुमान राम राम किये जा भजन
यह भजन “खुश होंगे हनुमान राम राम किये जा” भगवान हनुमान जी की स्तुति करने के लिए गाया जाता है|…
माता लक्ष्मी को धन – संपत्ति तथा सौभाग्य की देवी माना जाता है| आज हम इन्ही माता लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) के बारें में जानेंगे| माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी है जो कि इस सम्पूर्ण सृष्टि के पालनकर्ता है| माना जाता है कि माँ लक्ष्मी समुन्द्र मंथन के समय प्रकट हुई थी| भगवान विष्णु को लक्ष्मी माता ने ही स्वयं पति के रूप में चुना था| हिन्दू धर्म में किसी भी भगवान की पूजा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती है| जब तक की उस भगवान की आरती नहीं गायी जाएं| माता लक्ष्मी जी की पूजा मुख्य रूप से दीपावली के पावन पर्व की जाती है लेकिन वैभव लक्ष्मी व्रत, लक्ष्मी जयंती तथा वरलक्ष्मी व्रत के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है|
माना जाता है कि माता लक्ष्मी की पूजा करने के पश्चात लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) की जाती है| धार्मिक ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार ही इस व्रत तथा त्योहारों के अलावा भी सुबह – शाम माता लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) करनी चाहिए| यदि प्रतिदिन नहीं को सके तो गुरुवार तथा शुक्रवार के दिन भी माता लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) की जा सकती है|
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माना जाता है कि लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) में कुल 16 पंक्तियाँ होती है| पौराणिक मान्याताओं के अनुसार माता लक्ष्मी को शक्ति तत्व माना जाता है| इसलिए लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) को ऊंची राग के साथ माध्यम स्वर तथा माध्यम वेग में गाने की सलाह दी जाती है| माँ लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) का उच्चारण सही रूप से किया जाना चाहिए| लक्ष्मी जी आरती के लिए शुद्ध कपास यानि रुई से बनी हुई घी की बत्ती होनी चाहिए| लक्ष्मी जी आरती के समय तेल से बनी हुई बत्तियों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए|
कपूर की सहायता से भी माँ लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) की जाती है| आरती के लिए बत्तियों की संख्या एक, पांच, नौ, ग्यारह या इक्कीस मानी जाती है| लक्ष्मी जी की आरती (Lakshmi Ji Ki Aarti) को घडी की दिशा में ही सही तरीके से होनी चाहिए|
या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्॥
लक्ष्मी जी की आरती – Lakshmi Ji Ki Aarti
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय,वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता॥
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