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हिन्दू धर्म में अनेकों देवी – देवताओं की पूजा की जाती है| सभी लोग अपनी श्रद्धा व आस्था के अनुसार अलग – अलग देवी – देवताओं को मानते है| तथा उनसे प्रार्थना करने के लिए कई सारे पूजा – पाठ, चालीसा, आरतियाँ और अन्य कई ऐसे बहुत सी चीज़े है| आज हम जिनकी चालीसा के बारे में बात करेंगे वो है इस संसार के पालक भगवान शिव| जिसे शिव चालीसा के नाम से भी जाना जाता है|
माना जाता है कि भगवान केवल एक दीपक जलने मात्र से ही अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते है| भगवान को प्रसन्न करने के लिए अनेकों आरतियों और चालीसा और मंत्रो का निर्माण किया गया जिनका नियमित रूप से जप करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है तथा सभी कष्टों का निवारण होता है|
भगवान शिव की इस शिव चालीसा को उनके प्रिय ग्रंथ शिव पुराण से लिया गया है| शिव पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा की गयी है| इसलिए शिव चालीसा के रचयिता भी महर्षि वेदव्यास जी ही है| शिव पुराण एक बहुत ही पवित्र ग्रन्थ है| जिसे देववाणी संस्कृत में लिखा गया है| इस शिव पुराण में 24 हजार श्लोक है| शिव चालीसा का यह पाठ भगवान शंकर को प्रसन्न करने एक बहुत ही अच्छा साधन है| हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार शिव चालीसा का पाठ करने से भक्तों को बहुत जल्द लाभ की प्राप्ति होती है|
शिव चालीसा का पाठ कुछ जरुरी नियम को अपनाकर करने से महादेव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते है और उनके सभी दुःख व कष्टों को भी दूर करते है| शिव चालीसा में “चालीस” चौपाईयां है| जिनमे भगवान शिव की स्तुति का गुणगान किया गया है| महादेव की इस शिव चालीसा का पाठ चालीस बार करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है|
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला ।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन क्षार लगाए ।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी, बाम अंग सोहत छवि न्यारी ।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे |
कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा, तब ही दुख प्रभु आप निवारा ।
किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ, लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ।
आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई |
किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं |
वेद नाम महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला, जरत सुरासुर भए विहाला |
कीन्ही दया तहं करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा |
सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नयन पूजन चहं सोई |
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी |
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै, भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
मात-पिता भ्राता सब होई, संकट में पूछत नहिं कोई |
स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं, जो कोई जांचे सो फल पाहीं |
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन, मंगल कारण विघ्न विनाशन |
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाय |
जो यह पाठ करे मन लाई, ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी |
पुत्र हीन कर इच्छा जोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे |
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा, ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे, शंकर सम्मुख पाठ सुनावे |
जन्म जन्म के पाप नसावे, अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी, जानि सकल दुःख हरहु हमारी |
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
भगवान शिव अपने भक्तों से एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से ही बहुत प्रसन्न हो जाते है| सभी देवों में से महादेव ही एकमात्र ऐसे जो अपने भक्तो के बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते है| महादेव अपनी सरल प्रकृति के साथ ही अपने रौद्र रूप के लिए भी जाने जाते है| भगवान शिव का व्यवहार अत्यंत ही भोला है| इसलिए उन्हें भोले नाथ के नाम से भी जाना जाता है|
भगवान महादेव को प्रसन्न करने के लिए ही शिव चालीसा का निर्माण किया गया था| जो भी व्यक्ति सच्चे मन से इस शिव चालीसा प्रत्येक को सोमवार के दिन पढता है| भगवान शिव के द्वारा उसे मनचाहे फल की प्राप्ति होती है|
वेदों के अनुसार शिव चालीसा का पाठ अधिकतर तब किया जाता है| जब किसी भक्त पर कोई परेशानी या संकट आया हो| शिव चालीसा ही एक मात्र ऐसा उपाय है जिसकी सहायता से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है और भक्तों के सभी दुःख – दर्द दूर हो जाते है| हिन्दू धर्म में भगवान शिव के भक्तों के लिए शिव चालीसा का बहुत ही बड़ा महत्व माना गया है|
शिव चालीसा में महर्षि वेद व्यास जी के द्वारा लिखे आसान शब्दों की सहायता से भगवान शिव को बहुत ही जल्दी प्रसन्न किया जा सकता है| शिव चालीसा से कठिन से कठिन कार्यों को भी किया जा सकता है| शिव चालीसा में उपस्थित चालीस पंक्तियों के भीतर भगवान शिव की महिमा का बखान किया गया है| भगवान शिव को इस सम्पूर्ण सृष्टि का पालनकर्ता और संहारकर्ता भी माना जाता है|
भगवान शिव जितने ही स्वभाव के अच्छे है| उतना ही उनका क्रोध भी भयानक है| हनुमान जी को भगवान शंकर के ही 11 वे रूद्र अवतार में जाना जाता है| हनुमान चालीसा के बारे में भी यदि आप कुछ जानना चाहते है तो हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर देख सकते है|
सनातन धर्म में भगवान शिव अनेकों नामों से जाना जाता है| जैसे – शंकर भगवान, महादेव, आदिनाथ, भोलेनाथ, आदि ऐसे ही कई नामो से जाना जाता है| एक ब्रह्माण्ड में जिस तरह से ब्रह्मा जी को इस सृष्टि का रचनाकार, विष्णु भगवान को पालनकर्ता|
उसी प्रकार ही भगवान शिव को इस सृष्टि के संहारक के रूप में भी जाना जाता है| हमारे महादेव का रहन – सहन और उनकी वेशभूषा बिल्कुल ही अलग है| महादेव का यही रूप इनके भक्तों को बहुत ही भाता है| आज हम आपको कैलाश पर्वत के अधिपति भगवान शंकर व उनके जीवन से जुड़ी हुई कई सारी बातों के बारे में जानेंगे|
इस धरती पर सबसे पहले भगवान शंकर ने ही जीवन के प्रचार और प्रसार के लिए कोशिश की थी| इसके भोलेनाथ तो आदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है| भगवान शिव के अनेकों शस्त्र है| जैसे – धनुष पिनाक, चक्र भवरेंदु तथा सुदर्शन, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है जो की महादेव के द्वारा ही बनाए गए है|
इसके अलावा भगवान शिव के गले में जो नाग लिपटा हुआ रहता है उनका नाम वासुकी है जो कि शेषनाग के छोटे भाई है| भगवान शिव की पहले पत्नी सती माँ ने ही पार्वती जी के रूप में दोबारा जन्म लिया था| उन्हें उमा, उर्मि कहा जाता है| माता पार्वती और भगवान शिव के कुल 6 पुत्र है| जिनके नाम – गणेश जी, कार्तिकेय जी, सुकेश, जलंधर, अयप्पा और भूमा है|
भगवान शिव के बहुत सारे गण है जिनमे से सबसे प्रमुख भैरव, वीरभद्र, चंदिस, श्रृंगी, नंदी, भृगिरिटी, घंटाकर्ण, जय और अजय है| और इन सबके अलावा पिशाच, राक्षस, नाग – नागिन और पशु और पक्षियों को भी भगवान शिव ही गण माना गया है| भगवान सूर्य देव , गणेशजी, देवी माँ , रूद्र और भगवान विष्णु यह सभी भगवान शिव की पंचायत कहलाते है| महादेव को देवताओं और असुरों दोनों के द्वारा ही पूजा जाता है|
भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता है जो अपने भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते है| महादेव के कई सारे भक्त उनकी पूजा करते है और शिव चालीसा का पाठ करते है| लेकिन उन लोगों को इसका पूर्ण रूप से लाभ नहीं मिल पाता है| इसके कई कारण हो सकते है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि कही ना कही हम लोगों से शिव चालीसा का पाठ करने के जो नियम है, उनमे चूक हो जाती है|
बहुत से लोग है जिनको शिव चालीसा पाठ के नियमों के बारे कुछ भी पता नहीं है| यदि आपको शिव चालीसा पाठ का सम्पूर्ण लाभ चाहिए तो आपको शिव चालीसा से सम्बंधित नियम और विधि के बारे में ज्ञान होना आवश्यक है| तो आइये जानते है कि वह क्या नियम और विधि है जिनका हमे शिव चालीसा पढ़ते समय ध्यान रखना होता है|
किसी भी तरह की पूजा करने के लिए हमें बहुत सारी तैयारियां करनी होती है| गावों में पूजा आसानी से हो जाती है लेकिन शहरों में लोगों के पास समय की कमी होती है| जिस वजह से वह लोग पूजा नहीं करवा पाते है तो उनकी इस समस्या का समाधान हम लेकर आये है 99Pandit के साथ| यह सबसे बेहतरीन प्लेटफार्म है जिससे आप किसी पूजा के लिए ऑनलाइन पंडित जी को बुक कर सकते है| इसके अलावा वर्तमान में ऐसे बहुत से लोग जिन्हें अपने ग्रंथो के बारे में कुछ भी नहीं पता है|
यदि आप हनुमान चालीसा या श्री रामचरितमानस में जानकारी लेनी हो या किसी पूजा के लिए पंडित जी की तलाश कर रहे है तो हम आपको आज एक ऐसी वेबसाइट के बारे में बताने जा रहे है| जिसकी सहायता से आप घर बैठे ही किसी भी जगह से आपकी पूजा के उपयुक्त और अनुभवी पंडित जी को खोज सकते है| आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|
Q.शिव चालीसा का पाठ कैसे किया जाता है ?
A.सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ़ वस्त्रों को धारण करना चाहिए| भगवान शिव को हल्के रंग के काफी ज्यादा पसंद है तो इस दिन गहरे रंग की अपेक्षा हल्के रंग के कपड़े ही धारण करे|
भगवान की वंदना या चालीसा पढ़ते समय फिर चाहे वो किसी भी भगवान की हो, हमेशा साफ़ सुथरा आसन बिछाकर ही करे|
Q.शिव चालीसा का पाठ कब करना चाहिए ?
A.सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ़ वस्त्रों को धारण करना चाहिए इसके पश्चात ही शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए|
Q.शिव चालीसा पढ़ने से क्या लाभ है ?
A.इस शिव चालीसा का प्रतिदिन नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति के मन में साहस बहुत ही अधिक बढ़ता है और शक्ति का संचार होता है| जिसकी सहायता से वह हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है|
Q.भोलेनाथ (भगवान शिव) को सर्वाधिक प्रिय क्या है ?
A.हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र बहुत अधिक प्रिय है| यदि भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाया जाए तो भगवान शिव इससे बहुत ही प्रसन्न होते है और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाए पूर्ण करते है|