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Vijaya Ekadashi Vrat Katha: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन महीने में आने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है| भगवान विष्णु जी की कृपा पाने के लिए एकादशी के व्रत का बहुत ही महत्व है| विजया एकादशी का व्रत तथा विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya Ekadashi Vrat Katha) का जाप करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है तथा विजया एकादशी का उपवास करने से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है|
किसी भी एकादशी व्रत को उसकी व्रत कथा का जाप किये बिना अधूरा माना जाता है| इसी कारण आज इस लेख के माध्यम से हम आपको विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya Ekadashi Vrat Katha) बताने जा रहे है जो भी भक्त फाल्गुन माह में आने वाली एकादशी का व्रत करता है| उसे इस विजया एकादशी व्रत कथा का जाप जरूर करना चाहिए|
प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी का व्रत किया जाता है| इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान होता है| इस दिन सम्पूर्ण विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा तथा विजया एकादशी का उपवास करने से भक्तों को शुभ फल की प्राप्ति होती है|
इसी के साथ यदि आप किसी भी आरती या चालीसा जैसे खाटू श्याम जी की आरती [Khatu Shyam ji Ki Aarti], कनकधारा स्तोत्र [Kanakdhara Stotra], या पापमोचनी एकादशी व्रत कथा [Papmochani Ekadashi Vrat Katha] आदि भिन्न-भिन्न प्रकार की आरतियाँ, चालीसा व व्रत कथा पढना चाहते है तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर विजिट कर सकते है|
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युधिष्ठिर भगवान श्री कृष्ण से बोले कि – भगवन ! आपने मुझसे माघ महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी जिसे जया एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, का बहुत ही अच्छे व सरल रूप वर्णन किया है| हे प्रभु आप स्वदेज, जरायुज चारों प्रकारों के जीवों को उत्पन्न, पालन तथा नाश करने वाले है|
अब मैं आपसे विनती करता हूँ कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी के बारे में मुझे कुछ जानकारी प्रदान करे| इस एकादशी का क्या नाम है? इसका विधान क्या है? इसका व्रत करने से किस प्रकार के फल की प्राप्ति होती है| सब विधि पूर्वक बताएं|
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इस पर भगवान श्री कृष्ण ने बोला – हे राजन! फाल्गुन मास में आने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है| जो भी भक्त विजया एकादशी का उपवास करता है, उसे हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है| भगवान श्री कृष्ण कहते है कि इस एकादशी के दिन विजया एकादशी व्रत कथा (Vijaya Ekadashi Vrat Katha) को पढ़ना अथवा सुनना मनुष्य के सभी पापों को नष्ट कर देता है|
यदि आप किसी ऐसी परिस्थिति में हो, जिसमें चारों ओर से शत्रुओं से घिरे हुए हो, आपका विजय होना संभव न हो| उस समय विजया एकादशी व्रत आपको हर कार्य में विजयी बनाने की क्षमता रखता है|
बहुत ही पुराने समय की बात है एक बार भगवान नारद जी ने इस जगत के सृजनकर्ता (जगत पिता) ब्रह्मा जी से कहा – हे प्रभु! आप मुझसे फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली विजया एकादशी के विधान के बारे में कहिये|
इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि – हे नारद देवता! विजया एकादशी का व्रत करने सभी कालों के पापों का नाश होता है| विजया एकादशी की विधि के बारे में अभी तक मैंने किसी को भी नहीं बताया है| विजया एकादशी का विधि पूर्ण उपवास करना जातक को किसी भी परिस्थिति में विजयी बना सकता है|
त्रेता युग के समय भगवान विष्णु के अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी को चौदह वर्ष के लिए जब वनवास जाना पड़ा था| तब वह अपने छोटे भाई श्री लक्ष्मण तथा उनकी धर्मपत्नी माता सीता के साथ पंचवटी वन की ओर निकल गए तथा वही पर ही निवास करने लगे|
उसी समय दुष्ट रावण ने माता सीता का छल से हरण कर लिया| इसकी सूचना जब भगवान श्री राम तथा लक्ष्मण जी को ज्ञात हुई तो वह अत्यंत व्याकुलता के साथ माता सीता की खोज ने निकल पड़े| माता सीता की खोज करते हुए उन्हें मार्ग में जटायु मरणासन्न की स्थिति में मिले|
जटायु जी ने उन्हें सीता माता हुआ सम्पूर्ण वृत्तांत बता दिया तथा अंत में स्वर्गलोक पधार गए| जटायु जी के कहे अनुसार भगवान श्री राम वानर राज सुग्रीव के पास पहुंचे तथा उनसे मित्रता की| सुग्रीव की सहायता हेतु भगवान श्री राम ने सुग्रीव के भाई बाली का भी वध किया| इसके पश्चात हनुमान जी ने लंका जाकर माता सीता को प्रभु श्री राम तथा सुग्रीव की मित्रता तथा अन्य बातों के बारे में बताया| वहां से लौटने के पश्चात हनुमान जी ने प्रभु श्री राम को सम्पूर्ण समाचार दे दिया|
इसके बाद भगवान श्री राम ने सुग्रीव तथा उनकी सम्पूर्ण वानर सेना के साथ लंका की ओर प्रस्थान किया| जब भगवान श्री राम किनारे पर पहुंचे तो वहां पर मगरमच्छों से युक्त उस अनंत सागर को देख उन्होंने लक्ष्मण जी से कहा कि हम इस सागर को किस प्रकार पार करेंगे| इस पर श्री लक्ष्मण – हे भ्राता! आप आदिपुरुष है व सब कुछ जानते है| यहाँ से कुछ ही दूरी पर कुमारी द्वीप पर ऋषि वकदाल्भ्य रहते है| इस संदर्भ में वह हमारी सहायता अवश्य करेंगे|
लक्ष्मण की बात सुनकर भगवान श्री राम मुनि वकदाल्भ्य के आश्रम में पहुंचे तथा उन्हें प्रणाम करके उनके समीप बैठ गए| इसके पश्चात मुनि ने उनसे पूछा – हे राम! आपका यहाँ आना कैसे हुआ? इस पर भगवान श्री राम ने उनसे कहा कि – हे महात्मा! मैं अपनी सम्पूर्ण सेना के साथ राक्षसों के अंत करने के लिए लंका जा रहा हूँ| आप कृपा करके हमें इस विशाल समुद्र को पार करने का कोई मार्ग बताइए| मैं इस कारणवश आपके पास आया हूँ|
इस पर ऋषि वकदाल्भ्य ने उनसे कहा कि फाल्गुन माह में आने वाली एकादशी तिथि का विधिपूर्वक व्रत करने आपको निश्चित ही विजय की प्राप्ति होगी तथा यह आपको समुन्द्र पार करने में अवश्य सहायता करेगा| इस व्रत की विधि यह है कि दशमी तिथि के दिन सोना, चांदी, तांबा या मिट्टी का एक घड़ा बनाए|
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उस घड़े में जल भरकर तथा पांच पल्लव रखकर उसे वेदिका पर स्थापित करे| उस घड़े के ऊपर सतनजा तथा जौ रखे| इसके पश्चात भगवान विष्णु की स्वर्ण की मूर्ति को स्थापित करे| एकादशी तिथि के दिन स्नान आदि से निवृत होकर नैवेद्य, धूप, दीप नारियल आदि से भगवान श्रीनारायण की पूजा करे|
इसके पश्चात उस मूर्ति के सामने बैठकर ही अपना सम्पूर्ण दिन व्यतीत करना है तथा रात्रि में उसी भांति जागरण करना है| अगले दिन नित्य कार्यों से निवृत होकर उस घड़े को किसी ब्राह्मण को दे देवे| हे राम! यदि आप इस व्रत को अपने सभी सेनापतियों के साथ करते है तो युद्ध में अवश्य ही विजय प्राप्त होगी| भगवान श्री राम ने ऋषि वकदाल्भ्य के कहे अनुसार व्रत किया तथा युद्ध में विजय प्राप्त की|
Q.विजया एकादशी कब आती है?
A.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन महीने में आने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है|
Q.विजया एकादशी के दिन किस देवता की पूजा की जाती है?
A.समस्त एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित की जाती है| इसी कारण पापमोचनी एकादशी के दिन भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है|
Q.भगवान श्री राम को विजया एकादशी व्रत करने के लिए किसने कहा था?
A.ऋषि वकदाल्भ्य ने प्रभु श्री राम से कहा कि फाल्गुन माह में आने वाली एकादशी तिथि का विधिपूर्वक व्रत करने आपको निश्चित ही विजय की प्राप्ति होगी तथा यह आपको समुन्द्र पार करने में अवश्य सहायता करेगा|
Q.विजया एकादशी का व्रत करने से क्या लाभ है?
A.इस एकादशी के दिन विजया एकादशी व्रत कथा को पढ़ना अथवा सुनना मनुष्य के सभी पापों को नष्ट कर देता है| यदि आप किसी ऐसी परिस्थिति में हो, जिसमें चारों ओर से शत्रुओं से घिरे हुए हो, आपका विजय होना संभव न हो| उस समय विजया एकादशी व्रत आपको हर कार्य में विजयी बनाने के क्षमता रखता है|
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