Gopashtami 2025: Date, Timings, Rituals & Significances
Gopashtami 2025 is celebrated in Kartik during the shukla paksha of its eighth day. This is celebrated as a festival…
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Dhanteras 2025: दीपावली के एक या फिर दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है| हिन्दू धर्म में पाँच दिन के इस दीप पर्व की जो शुरुआत है वो धनतेरस से ही होती है|
धनतेरस के त्यौहार को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है| हिन्दू धर्म के लोगों के लिए कुछ भी नया सामान खरीदने के लिए इस त्यौहार का मुहूर्त बहुत ही शुभ माना जाता है|
धनतेरस या धन त्रयोदशी का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है| धनतेरस को पांच दिवसीय दिवाली त्योहार का पहला दिन माना जाता है|

यह त्यौहार सम्पूर्ण भारत देश में बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है| धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान कुबेर जी की पूजा की जाती है|
धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा करने से वित्तीय समृद्धि में बढ़ावा होता है| तथा उस व्यक्ति को कभी भी, किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है|
हिन्दू धर्म के लोग इस दिन को अच्छा भाग्य मानकर ही धनतेरस के दिन सोने व चांदी की वस्तुएं खरीदते है| पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सोने व चांदी तथा अन्य किसी प्रकार की नयी वस्तु लेने से घर में सुख और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है|
महान ज्योतिषियों के अनुसार धनतेरस 2025 पर ग्रहों की स्थिति बड़े समय के लिए फाइनेंस स्कीम और कोई भी सम्पति को खरीदने के बहुत ही शुभ मानी गयी है|
इस वर्ष धनतेरस 2025 का त्योहार 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा| तथा इसके 2 दिन बाद ही दिवाली (दीपावली) का पावन त्यौहार मनाया जाएगा|
घर, गाडी, सोना – चांदी जैसी महत्वपूर्ण और कीमती वस्तुएं खरीदने के लिए धनतेरस 2025 का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है|
किसी भी त्यौहार को अच्छे से व सम्पूर्ण रीति रिवाजों के साथ मनाने से त्यौहार की तिथि और उसके उचित मुहूर्त के बारे में जानना भी बहुत आवश्यक है|
यदि हम बात करें धनतेरस या धन त्रयोदशी के त्यौहार की तो इस दिन खरीदारी के लिए भी शुभ मुहूर्त के बारे में जानना भी आवश्यक है|
इस वर्ष धनतेरस 2025 का त्यौहार 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा| तथा इसके 2 दिन बाद ही दिवाली (दीपावली) का पावन त्यौहार मनाया जाएगा|
इसके अलावा धनतेरस या धन त्रयोदशी का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है|
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 18 अक्टूबर 2025 दोपहर 12:18 बजे से
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 19 अक्टूबर 2025, दोपहर 01:51 बजे तक
धनतेरस पूजा मुहूर्त: 07:26 PM से 08:26 PM
प्रदोष काल: 05:56 PM से 08:26 PM
वृषभ काल: 07:26 PM to 09:26 PM
दीपावली के त्यौहार से पहले धनतेरस की पूजा का बहुत ही बड़ा महत्व माना गया है| इस दिन भगवान गणेश जी, माता लक्ष्मी जी और धन के देवता कुबेर भगवान की पूजा की जाती है|
धनतेरस शब्द का अर्थ यह है कि इस दिन अपने धन को तेरह गुना बनाने और धन में वृद्धि करने के लिए लोग माता लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा कुबेर जी की पूजा करते है|
माना जाता है इस दिन भगवान धन्वंतरि का भी जन्म हुआ था| जो कि समुद्र मंथन के समय अमृत का कलश तथा आयुर्वेद भी साथ ही लेकर प्रकट हुए थे|
यही कारण है कि भगवान धन्वंतरि को औषधियों के जनक के रूप में भी जाना जाता है| धनतेरस 2025 का त्योहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है|
इस दिन सोने व चांदी के बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है| साथ ही इस दिन धातु खरीदना भी बहुत अच्छा माना गया है| धनतेरस में धन का अर्थ समृद्धि और तेरस का अर्थ तेरह से होता है|
इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से सुख – समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है| धनतेरस के दिन के बाद से ही दिवाली की भी तैयारियां शुरू कर दी जाती है|
लक्ष्मी माता को घर में आमंत्रित करने के लिए घर के मुख्य के द्वार पर उनके पैरों की भांति पदचिह्न बनाए जाते है| इसके पश्चात शाम को कुल 13 दीपक जलाकर माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है|
सौभाग्य प्राप्ति के लिए धनतेरस के दिन सोने व चांदी के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है| इसके अलावा भी जमीन, कार खरीदने, निवेश करने तथा किसी भी व्यापार की नयी शुरुआत के लिए भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है|
हिन्दू धर्म में प्रत्येक त्यौहार को मनाने के पीछे कोई ना कोई कारण अवश्य होता है| भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को धन के कई ज्यादा ऊपर माना गया है|
इसलिए एक कहावत भी है कि पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया’ इसलिए धनतेरस को दिवाली से पहले बहुत महत्व दिया जाता है|
धनतेरस को मनाने के पीछे बहुत सारी पौराणिक कथाएँ चली आ रही है| जिनके बारे में हम आपको आज बताएँगे|
एक बहुत ही पुरानी कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि अपने हाथो में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे|
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने ही चिकित्सा विज्ञान के विस्तार के लिए ही भगवान धन्वंतरि का अवतार लिया था| इन्हें भगवान व देवताओं का वैद्य भी कहा जाता है|
भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य सुख तथा स्वास्थ्य में लाभ मिलता है| इसके ही दो दिन समुद्र मंथन ने माता लक्ष्मी जी निकली थी| जिस दिन दिवाली का पावन त्यौहार मनाया जाता है|
धनतेरस का त्यौहार भगवान विष्णु के वामन अवतार से बहुत गहरा सम्बन्ध रखता है| क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्त करने के लिए वामन अवतार में जन्म लिया था|
भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग जमीन मांगी थी| तब भगवान वामन ने पहले पग में धरती, दूसरे में आसमान नाप दिया| जब तीसरा पैर रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो राजा बलि ने अपने सिर पर उनका पैर रखवा लिया|
जिससे राजा बलि पाताल लोक में चले गए| इस तरह से भगवान वामन ने देवताओं को राजा के भय से मुक्ति दिलाई और उन्हें उनकी खोई हुई संपत्ति भी वापस मिल गयी|
इस प्राचीन कथा के अनुसार उस समय में एक हेम नाम का राजा था| जिसकी रानी के एक पुत्र हुआ| इस बालक के जन्म के समय ही ज्योतिषियों ने बता दिया था कि जब इस बालक की शादी होगी तो शादी के चौथे दिन ही इसकी मृत्यु हो जाएगी|
अपनी संतान की मृत्यु के भय के कारण राजा ने उस बालक को गुफा में एक ब्रह्मचारी के रूप में बड़ा किया| एक दिन महाराज हंस की पुत्री यमुना नदी के तट पर घूम रही थी|
तभी उसकी नजर राजा हेमू के पुत्र को देखा| जिसको देखकर वह उससे काफी ज्यादा आकर्षित हुई| और उससे गंधर्व विवाह कर लिया|
इसके बाद में वही हुआ जो कि भविष्यवाणी की गई थी| यमराज ने इस अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस की पूजा को सम्पूर्ण विधि विधान से करना ही बताया|
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि को पीतल की धातु अधिक प्रिय है| इसलिए इस दिन पीतल के बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है|
पीतल के समान के अलावा भी इस दिन सोने – चांदी के सामान व साथ ही बर्तन भी खरीदने चाहिए| सोने व चांदी से बनी हुई वस्तुएं घर में लाने से घर में आरोग्यता व समृद्धि का भी आगमन होता है|
इस दिन घर में झाड़ू खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है| झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है| इसलिए झाड़ू को घर में लाने से घर में लक्ष्मी जी का आगमन होता है|
धनतेरस के दिन लोग नए – नए सामान खरीदते है लेकिन इसका मतलब यह नही है कि इस दिन कुछ भी सामान खरीदा जा सकता है| कुछ सामान ऐसे भी होते है जिन्हें खरीदने से माता लक्ष्मी भक्तों से नाराज़ हो जाती है|
मान्यता है कि धनतेरस के दिन चीनी या मिट्टी के शोपिस तथा लोहे के सामान को नहीं खरीदना चाहिए| लोहे को शनिदेव का कारक माना जाता है| जो कि अशुभ है|
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि धनतेरस के दिन अपने हाथो मे अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।
धनतेरस के दिन हम धन्वंतरि देव,लक्ष्मी जी और कुबेर देव की पूजा की जाती है।धनतेरस के दिन कुबेर देव की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से घर में धन की कमी नहीं होती है।
इस दिन हम अपने घरों को तरह-तरह की डिजाइन वाली लाइट और दीयों से घर को सजाते है। बाजारों को भी तरह-तरह की फैंसी डिजाइन वाली लाइटों से सजाते है|
लाइटों से सजाने के बाद बाजार जगमगा उठते है। धनतेरस के पहले से ही घरों की साफ सफाई करते है। धनतेरस के दिन सोने चांदी के आभूषण और बर्तनो की खरीदारी करना बहुत शुभ बताया गया है|
लक्ष्मी माता को घर में आमंत्रित करने के लिए घर के मुख्य के द्वार पर उनके पैरों की भांति पदचिह्न बनाए जाते है|
इसके पश्चात शाम को कुल 13 दीपक जलाकर माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है| सौभाग्य प्राप्ति के लिए धनतेरस के दिन सोने व चांदी के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है|
धनतेरस के दिन अक्षत जरूर खरीदकर लाना चाहिए इससे माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर में भी धन की वृद्धि होती है।
धनतेरस के दिन 11 गोमेद चक्र खरीद कर लाना चाहिए इस गोमेद चक्र की दिवाली के दिन पूजा करनी चाहिए। इसके बाद इन्हे एक पीले वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रख दें।
इससे घर में संपन्नता आती है। और घर के लोग निरोगी रहते है। धनतेरस के दिन श्री यंत्र खरीद कर घर मे लाये।
किसी भी तरह की पूजा करने के लिए हमें बहुत सारी तैयारियां करनी होती है| गावों में पूजा आसानी से हो जाती है लेकिन शहरों में लोगों के पास समय की कमी होती है|
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आज हमने धनतेरस पूजन के फ़ायदों के बारे में भी जाना| हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी|
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