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धनतेरस 2025

Dhanteras 2025: धनतेरस कब है 18 या 19 अक्टूबर, सही तिथि व शुभ मुहूर्त

99Pandit Ji
Last Updated:October 13, 2025

Dhanteras 2025: दीपावली के एक या फिर दो दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है| हिन्दू धर्म में पाँच दिन के इस दीप पर्व की जो शुरुआत है वो धनतेरस से ही होती है|

धनतेरस के त्यौहार को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है| हिन्दू धर्म के लोगों के लिए कुछ भी नया सामान खरीदने के लिए इस त्यौहार का मुहूर्त बहुत ही शुभ माना जाता है|

धनतेरस या धन त्रयोदशी का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है| धनतेरस को पांच दिवसीय दिवाली त्योहार का पहला दिन माना जाता है|

धनतेरस 2025

यह त्यौहार सम्पूर्ण भारत देश में बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है| धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और भगवान कुबेर जी की पूजा की जाती है|

धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा करने से वित्तीय समृद्धि में बढ़ावा होता है| तथा उस व्यक्ति को कभी भी, किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है|

हिन्दू धर्म के लोग इस दिन को अच्छा भाग्य मानकर ही धनतेरस के दिन सोने व चांदी की वस्तुएं खरीदते है| पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सोने व चांदी तथा अन्य किसी प्रकार की नयी वस्तु लेने से घर में सुख और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है|

महान ज्योतिषियों के अनुसार धनतेरस 2025 पर ग्रहों की स्थिति बड़े समय के लिए फाइनेंस स्कीम और कोई भी सम्पति को खरीदने के बहुत ही शुभ मानी गयी है|

इस वर्ष धनतेरस 2025 का त्योहार 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा| तथा इसके 2 दिन बाद ही दिवाली (दीपावली) का पावन त्यौहार मनाया जाएगा|

घर, गाडी, सोना – चांदी जैसी महत्वपूर्ण और कीमती वस्तुएं खरीदने के लिए धनतेरस 2025 का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है|

धनतेरस शुभ मुहूर्त व तिथि – Dhanteras 2025 Shubh Muhurat and Date

किसी भी त्यौहार को अच्छे से व सम्पूर्ण रीति रिवाजों के साथ मनाने से त्यौहार की तिथि और उसके उचित मुहूर्त के बारे में जानना भी बहुत आवश्यक है|

यदि हम बात करें धनतेरस या धन त्रयोदशी के त्यौहार की तो इस दिन खरीदारी के लिए भी शुभ मुहूर्त के बारे में जानना भी आवश्यक है|

इस वर्ष धनतेरस 2025 का त्यौहार 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा| तथा इसके 2 दिन बाद ही दिवाली (दीपावली) का पावन त्यौहार मनाया जाएगा|

इसके अलावा धनतेरस या धन त्रयोदशी का त्यौहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है|

धनतेरस 2025 का शुभ मुहूर्त – Dhanteras 2024 Shubh Muhurat

त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 18 अक्टूबर 2025 दोपहर 12:18 बजे से
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 19 अक्टूबर 2025, दोपहर 01:51 बजे तक 

धनतेरस पूजा मुहूर्त: 07:26 PM से 08:26 PM

प्रदोष काल: 05:56 PM से 08:26 PM
वृषभ काल: 07:26 PM to 09:26 PM

धनतेरस क्या है – What is Dhanteras

दीपावली के त्यौहार से पहले धनतेरस की पूजा का बहुत ही बड़ा महत्व माना गया है| इस दिन भगवान गणेश जी, माता लक्ष्मी जी और धन के देवता कुबेर भगवान की पूजा की जाती है|

धनतेरस शब्द का अर्थ यह है कि इस दिन अपने धन को तेरह गुना बनाने और धन में वृद्धि करने के लिए लोग माता लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा कुबेर जी की पूजा करते है|

माना जाता है इस दिन भगवान धन्वंतरि का भी जन्म हुआ था| जो कि समुद्र मंथन के समय अमृत का कलश तथा आयुर्वेद भी साथ ही लेकर प्रकट हुए थे|

धनतेरस 2025

यही कारण है कि भगवान धन्वंतरि को औषधियों के जनक के रूप में भी जाना जाता है| धनतेरस 2025 का त्योहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है|

इस दिन सोने व चांदी के बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है| साथ ही इस दिन धातु खरीदना भी बहुत अच्छा माना गया है| धनतेरस में धन का अर्थ समृद्धि और तेरस का अर्थ तेरह से होता है|

इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से सुख – समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है| धनतेरस के दिन के बाद से ही दिवाली की भी तैयारियां शुरू कर दी जाती है|

लक्ष्मी माता को घर में आमंत्रित करने के लिए घर के मुख्य के द्वार पर उनके पैरों की भांति पदचिह्न बनाए जाते है| इसके पश्चात शाम को कुल 13 दीपक जलाकर माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है|

सौभाग्य प्राप्ति के लिए धनतेरस के दिन सोने व चांदी के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है| इसके अलावा भी जमीन, कार खरीदने, निवेश करने तथा किसी भी व्यापार की नयी शुरुआत के लिए भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है|

क्यों मनाई जाती है धनतेरस – Why is Dhanteras celebrated?

हिन्दू धर्म में प्रत्येक त्यौहार को मनाने के पीछे कोई ना कोई कारण अवश्य होता है| भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को धन के कई ज्यादा ऊपर माना गया है|

इसलिए एक कहावत भी है कि पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया’ इसलिए धनतेरस को दिवाली से पहले बहुत महत्व दिया जाता है|

धनतेरस को मनाने के पीछे बहुत सारी पौराणिक कथाएँ चली आ रही है| जिनके बारे में हम आपको आज बताएँगे|

पहली पौराणिक कथा – First Mythology

एक बहुत ही पुरानी कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भगवान धन्वंतरि अपने हाथो में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे|

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने ही चिकित्सा विज्ञान के विस्तार के लिए ही भगवान धन्वंतरि का अवतार लिया था| इन्हें भगवान व देवताओं का वैद्य भी कहा जाता है|

भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आरोग्य सुख तथा स्वास्थ्य में लाभ मिलता है| इसके ही दो दिन समुद्र मंथन ने माता लक्ष्मी जी निकली थी| जिस दिन दिवाली का पावन त्यौहार मनाया जाता है|

दूसरी पौराणिक कथा – Second Mythology

धनतेरस का त्यौहार भगवान विष्णु के वामन अवतार से बहुत गहरा सम्बन्ध रखता है| क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्त करने के लिए वामन अवतार में जन्म लिया था|

भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग जमीन मांगी थी| तब भगवान वामन ने पहले पग में धरती, दूसरे में आसमान नाप दिया| जब तीसरा पैर रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो राजा बलि ने अपने सिर पर उनका पैर रखवा लिया|

जिससे राजा बलि पाताल लोक में चले गए| इस तरह से भगवान वामन ने देवताओं को राजा के भय से मुक्ति दिलाई और उन्हें उनकी खोई हुई संपत्ति भी वापस मिल गयी|

तीसरी पौराणिक कथा – Third Mythology

इस प्राचीन कथा के अनुसार उस समय में एक हेम नाम का राजा था| जिसकी रानी के एक पुत्र हुआ| इस बालक के जन्म के समय ही ज्योतिषियों ने बता दिया था कि जब इस बालक की शादी होगी तो शादी के चौथे दिन ही इसकी मृत्यु हो जाएगी|

अपनी संतान की मृत्यु के भय के कारण राजा ने उस बालक को गुफा में एक ब्रह्मचारी के रूप में बड़ा किया| एक दिन महाराज हंस की पुत्री यमुना नदी के तट पर घूम रही थी|

तभी उसकी नजर राजा हेमू के पुत्र को देखा| जिसको देखकर वह उससे काफी ज्यादा आकर्षित हुई| और उससे गंधर्व विवाह कर लिया|

इसके बाद में वही हुआ जो कि भविष्यवाणी की गई थी| यमराज ने इस अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस की पूजा को सम्पूर्ण विधि विधान से करना ही बताया|

धनतेरस के लिए पूजा विधि – Dhanteras Pujan Vidhi

  • धनतेरस के दिन शाम के वक्त शुभ मुहूर्त में उत्तर की ओर कुबेर और धन्वंतरि की प्रतिमा की स्थापना करें।
  • इस दिन लोग भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा करते है। माँ लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते है। इसके बाद दीये जलाते है और फिर पूजा करते है।
  • तिलक करने के बाद पुष्प,फल,मिठाई आदि चीजें अर्पित करें। कुबेर देवता को सफेद मिष्ठान और धन्वंतरि देव को पीले मिष्ठान का भोग लगाए। पूजा करते समय हम ‘ॐ ही कुबेराय नमः’ इस मंत्र का जाप करते है|
  • धनतेरस के दिन लोग कुबेर देवता और धन्वंतरि देव की पूजा अर्चना करने के बाद हम उनसे प्रार्थना करते है कि कभी भी हमें धन की कमी नहीं हो और हमेशा लक्ष्मी का वास हमारे घर में रहे। धनतेरस के दिन हम घर को डिजाइन वाली लाइटों से सजाते है। घर के आँगन में रंगोली बनाते है। और शाम को हम घर के दरवाजे पर दीपक जलाते है|
  • इस धनतेरस 2025 के दिन विधि विधान से कुबेर देव की पूजा की जाती है। घरो के साथ-साथ जो लोग अपना व्यवसाय करते है। वे अपनो आफिसो मे भी पूजा करते है|

धनतेरस के दिन क्या ख़रीदे और क्या नहीं?

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि को पीतल की धातु अधिक प्रिय है| इसलिए इस दिन पीतल के बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है|

पीतल के समान के अलावा भी इस दिन सोने – चांदी के सामान व साथ ही बर्तन भी खरीदने चाहिए| सोने व चांदी से बनी हुई वस्तुएं घर में लाने से घर में आरोग्यता व समृद्धि का भी आगमन होता है|

इस दिन घर में झाड़ू खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है| झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है| इसलिए झाड़ू को घर में लाने से घर में लक्ष्मी जी का आगमन होता है|

धनतेरस 2025

धनतेरस के दिन लोग नए – नए सामान खरीदते है लेकिन इसका मतलब यह नही है कि इस दिन कुछ भी सामान खरीदा जा सकता है| कुछ सामान ऐसे भी होते है जिन्हें खरीदने से माता लक्ष्मी भक्तों से नाराज़ हो जाती है|

मान्यता है कि धनतेरस के दिन चीनी या मिट्टी के शोपिस तथा लोहे के सामान को नहीं खरीदना चाहिए| लोहे को शनिदेव का कारक माना जाता है| जो कि अशुभ है|

धनतेरस का महत्व – Importance of Dhanteras

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि धनतेरस के दिन अपने हाथो मे अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।

धनतेरस के दिन हम धन्वंतरि देव,लक्ष्मी जी और कुबेर देव की पूजा की जाती है।धनतेरस के दिन कुबेर देव की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से घर में धन की कमी नहीं होती है।

इस दिन हम अपने घरों को तरह-तरह की डिजाइन वाली लाइट और दीयों से घर को सजाते है। बाजारों को भी तरह-तरह की फैंसी डिजाइन वाली लाइटों से सजाते है|

लाइटों से सजाने के बाद बाजार जगमगा उठते है। धनतेरस के पहले से ही घरों की साफ सफाई करते है। धनतेरस के दिन सोने चांदी के आभूषण और बर्तनो की खरीदारी करना बहुत शुभ बताया गया है|

लक्ष्मी माता को घर में आमंत्रित करने के लिए घर के मुख्य के द्वार पर उनके पैरों की भांति पदचिह्न बनाए जाते है|

इसके पश्चात शाम को कुल 13 दीपक जलाकर माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है| सौभाग्य प्राप्ति के लिए धनतेरस के दिन सोने व चांदी के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है|

धनतेरस के दिन अक्षत जरूर खरीदकर लाना चाहिए इससे माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और घर में भी धन की वृद्धि होती है।

धनतेरस के दिन 11 गोमेद चक्र खरीद कर लाना चाहिए इस गोमेद चक्र की दिवाली के दिन पूजा करनी चाहिए। इसके बाद इन्हे एक पीले वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रख दें।

इससे घर में संपन्नता आती है। और घर के लोग निरोगी रहते है। धनतेरस के दिन श्री यंत्र खरीद कर घर मे लाये।

निष्कर्ष – Conclusion

किसी भी तरह की पूजा करने के लिए हमें बहुत सारी तैयारियां करनी होती है| गावों में पूजा आसानी से हो जाती है लेकिन शहरों में लोगों के पास समय की कमी होती है|

जिस वजह से वह लोग पूजा नहीं करवा पाते है तो उनकी इस समस्या का समाधान हम लेकर आये है 99Pandit के साथ|

यह सबसे बेहतरीन प्लेटफार्म है जिससे आप किसी पूजा के लिए ऑनलाइन पंडित जी को बुक कर सकते है| आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से धनतेरस के बारें में काफी बाते जानी है|

आज हमने धनतेरस पूजन के फ़ायदों के बारे में भी जाना| हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गयी जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी|

इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|


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