Murudeshwar Temple: Timings, Poojas, and History
Lord Murudeshwar Temple is a famous Hindu temple located in Uttara Kannada district of the Indian state of Karnataka. This…
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Char Dham Yatra: चार धाम यात्रा का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है| हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार चार धाम की यात्रा करने के व्यक्ति अपने जीवन के सभी पापों से मुक्त हो जाता है| तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिए अग्रसर हो जाता है| आपको बता दे कि चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra)सम्पूर्ण भारत देश में सबसे महत्वपूर्ण तथा श्रद्धेय तीर्थ यात्राओं में से ही एक मानी जाती है| चारों धाम की यह यात्रा केवल धार्मिक तथा आत्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह यात्रा सम्पूर्ण भारत देश की समृद्धि तथा भारतीय परंपरा के विभिन्न पहलुओं को भी दर्शाती है| चार धाम यात्रा का समाज में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान माना गया है|
इस वजह से केवल उत्तराखंड के ही नहीं बल्कि पुरे भारत देश से आने वाली भक्तगण इस चार धाम यात्रा को अपनाते है जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से इस यात्रा को पूर्ण करता है तो यह यात्रा उस व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती है तथा उन लोगों को अपने धार्मिक और आत्मिक कार्यों के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित करती है| यह चार धाम यात्रा स्थानीय समुदाय के लिए भी विशेष भूमिका रखती है क्योंकि इस वजह से उन्हें भी रोजगार प्राप्त होता है| जिस कारण लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है| चार धाम हिमालय में स्थित चार तीर्थस्थल है जिनमे यमुनोत्री (Yamunotri), गंगोत्री (Gangotri), केदारनाथ (kedarnath) तथा बद्रीनाथ (Badrinath) शामिल है|
आज हम इस लेख के माध्यम से चार धाम यात्रा के registration तथा travel packages के बारे में बात करेंगे| इसके अलावा यदि आप किसी भी पूजा के लिए पंडितजी की तलाश कर रहे है तो 99Pandit एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म है जिसकी वेबसाइट तथा ऐप की सहायता से आप किसी भी पूजा के लिए ऑनलाइन पंडित जी को अपनी भाषा में बुक कर सकते है| आप यहाँ से गणेश चतुर्थी पूजा (Ganesh Chaturthi Puja), रामायण कथा (Ramayan Katha), सुन्दरकाण्ड पाठ (Sunderkand Path) आदि विभिन्न पूजा के लिए पंडित जी बुक कर सकते है|
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि चार धाम यात्रा की यात्रा की शुरुआत हरिद्वार से होती है| जो कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चार धामों का प्रवेश द्वार भी माना जाता है| हरिद्वार एक बहुत ही लोकप्रिय धार्मिक तथा तीर्थ स्थलों में से एक है जो अपनी पवित्र गंगा नदी की वजह से सम्पूर्ण जगत में जाना जाता है| यदि हम बात करें चार धाम यात्रा की तो यह यात्रा प्रत्येक वर्ष के आरम्भ में अप्रैल या फिर मई के महीने से प्रारम्भ हो जाती है तथा यह यात्रा अक्टूबर या नवंबर तक ही चलती है|
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सर्दी के समय अधिक बर्फबारी होने की वजह से की वजह से इस यात्रा को नवंबर के महीने तक समाप्त किया जाता है, जिससे यात्रा के लिए जाने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार की कोई भी हानि न हो पाए| अब तक हमने जाना कि चार धाम यात्रा क्या है तथा यह किस समय पर प्रारंभ होती है| अब हम आपको बताते है 99Pandit के बारे में|
99Pandit एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म है जिसकी सहायता से आप भूमि पूजन (Bhoomi Puja), नामकरण पूजा (Namkaran Puja) एवं गृह प्रवेश पूजा (Griha Pravesh Puja) जैसे अनेकों भिन्न – भिन्न पूजाओं के लिए ऑनलाइन पंडित जी बुक कर सकते है|
यह चार धाम यात्रा में आने वाला सबसे पहला तीर्थ स्थल यमुनोत्री (Yamunotri) माना जाता है जो कि भारत देश के उत्तराखंड राज्य में स्थित है| यमुनोत्री को यमुना नदी के उद्गम स्थल के रूप में भी जाना जाता है| यमुनोत्री का यह पवित्र मंदिर पूर्णत: देवी यमुना को समर्पित किया गया है| कहा जाता है कि इस मंदिर में देवी यमुना की जो मूर्ति स्थापित की हुई है, वह काले संगमरमर के पत्थर का इस्तेमाल करके बनाई गयी है| यमुनोत्री हिन्दू धर्म के लोगों का सबसे पवित्र तथा धार्मिक स्थान माना जाता है| इस मंदिर की समुद्र तल से ऊंचाई 3,293 मीटर की है| यमुना नदी का उद्गम स्थान यमुनोत्री मंदिर से केवल 1 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है|
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह मंदिर भारत देश के सुप्रसिद्ध चार धामों में शामिल किया गया है| इस मंदिर को चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव भी कहा जाता है क्योंकि यह मंदिर चार धाम का सबसे पहला स्थान है तथा चार धाम की यात्रा इस जगह से आरंभ होती है| आपको बता दे कि यमुनोत्री मंदिर किसी समय पर भूकंप के कारण ध्वस्त हो चूका था| जिसका पुनः निर्माण जयपुर की महारानी गुलेरिया के द्वारा 19वी सदी में करवाया गया था|
चार धाम यात्रा का दूसरा पड़ाव गंगोत्री धाम ही है| हिमालय के भीतर में गंगोत्री धाम सबसे पवित्र स्थान माना जाता है| जिस स्थान पर गंगा इस पृथ्वी को पहली बार स्पर्श करती है| गंगा नदी को लोग जीवन की धारा भी कहते है| उत्तराखंड को देवों की भूमि के रूप में भी जाना जाता है| इस पावन धरा पर चार धाम की यात्रा की जाती है| गंगोत्री धाम को गंगा नदी का उद्गम स्थान भी माना जाता है| समुन्द्र तल से इस मंदिर की ऊंचाई 3042 मीटर बताई गयी है| गंगा नदी की धारा को भागीरथ के नाम से भी जाना जाता है| आपको बता दे कि गंगा नदी की धारा देवप्रयाग में अलकनंदा नदी में जाकर मिलती है|
इस स्थान पर भागीरथी तथा अलकनंदा नदी मिलकर गंगा नदी बन जाती है| इस कारण से देवप्रयाग को संगम स्थल भी कहा जाता है| बहुत ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु देवप्रयाग में गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते है| माना जाता है कि पौराणिक समय में गंगा नदी की जल धारा की पूजा होती थी जो कि वर्तमान में भी होती है| पुराने समय में लोग गंगा नदी (Ganga Nadi) के किनारे गंगा माता तथा अन्य देवी – देवताओं की मूर्तियाँ बनाकर उनकी पूजा करते थे|
यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है| चार धाम की यात्रा में केदारनाथ धाम तीसरा पड़ाव माना जाता है| यह हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र और सुप्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है| यह केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है| यह मंदिर समुन्द्र तल से 3,583 मीटर ऊंचाई पर स्थित है| केदारनाथ मंदिर अपने सामने से बहने वाली नदी तथा ऊँचे ऊँचे बर्फ के पहाड़ों के बीच में स्थित होने की वजह से यह मंदिर लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित करता है| वर्तमान में जो केदारनाथ मंदिर है, उसका निर्माण आदि शंकराचार्य ने करवाया था तथा इससे पूर्व पांडवों के द्वारा कई हज़ार सालों पहले ही विशाल पत्थर की पट्टियों से बनाया गया था|
भगवान शिव का दूसरा नाम केदार भी है जिसका अर्थ होता है कि रक्षक या विध्वंसक| यह मंदिर पूर्ण रूप से भगवान शंकर को समर्पित मंदिर है| केदारनाथ के मंदिर से सम्बंधित यह कहानी भी है कि जो भी व्यक्ति केदारनाथ धाम के दर्शन करता है तो उस व्यक्ति को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है|
यह बद्रीनाथ धाम चार धाम यात्रा का चौथा तथा अंतिम पड़ाव है| माना जाता है कि इस स्थान पर साक्षात भगवान विष्णु प्रकट हुए थे| इसे मंदिर को उनकी जन्म भूमि के रूप में भी जाना जाता है| इस बद्रीनाथ मंदिर कि समुन्द्र तल से ऊंचाई 3,133 मीटर मानी जाती है| बद्रीनाथ धाम को सम्पूर्ण भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है| प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु इस मंदिर भगवान विष्णु के दर्शन करने के लिए आते है| चार धाम यात्रा केवल इन चार धामों के बारे में नहीं है,बल्कि इस सभी स्थानों पर भगवान की अनुभूति तथा अध्यात्मिक पहलु को समझना भी है|
चार धाम यात्रा एक ऐसी यात्रा है जिसमे मनुष्य के शारीरिक तथा मानसिक शक्ति के साथ साथ भगवान के प्रति आस्था तथा श्रद्धा की भावना होना भी आवश्यक है| चार धाम की यात्रा प्रत्येक हिन्दू को अपने जीवन में एक बार जरुर करनी चाहिए| इस यात्रा को करने से आपको परमात्मा से जुड़ने की अनुभूति होगी| तथा इसी के साथ में आपको हिमालय के सुंदर दृश्यों को भी देखने का अवसर प्राप्त होगा| इस यात्रा का उद्देश्य केवल भगवान के दर्शन करना नहीं है| बल्कि इस यात्रा में स्वयं के अनुभव के बारे में भी जानना है|
चार धाम यात्रा के रजिस्ट्रेशन के लिए उत्तराखंड सरकार के द्वारा एक वेबसाइट उपलब्ध करवाई जाती है| रजिस्ट्रेशन से सम्बंधित जानकारी के लिए आप उनकी वेबसाइट https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ विजिट कर सकते है| चारधाम यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करने के लिए, आपको उत्तराखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा, मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से – टूरिस्ट केयर उत्तराखंड ( Android App & iOS App डाउनलोड करें ), भी यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते है|
आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से चार धाम यात्रा तथा चार धाम यात्रा के महत्व के बारे में भी जाना| हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|
अगर आप हिन्दू धर्म से सम्बंधित किसी पूजा जैसे – वाहन पूजन, भूमि पूजन तथा श्री कालाहस्ती मंदिर में होने वाली राहु केतु पूजा के हेतु पंडित जी की तलाश कर रहे है तो आपको बता दे की 99Pandit पंडित बुकिंग की सर्वश्रेष्ठ सेवा है जहाँ आप घर बैठे मुहूर्त के हिसाब से अपना पंडित ऑनलाइन आसानी से बुक कर सकते हो | यहाँ बुकिंग प्रक्रिया बहुत ही आसान है| बस आपको “बुक ए पंडित” विकल्प का चुनाव करना होगा और अपनी सामान्य जानकारी जैसे कि अपना नाम, मेल, पूजन स्थान , समय,और पूजा का चयन के माध्यम से आप आपना पंडित बुक कर सकेंगे|
Q.चार धाम यात्रा में कितने दिनों का समय लगता है ?
A.इस यात्रा में ज्यादा से ज्यादा 9 से 10 दिन का समय लगता है|
Q.भारत के चार धाम कौन से है ?
A.1. यमुनोत्री 2. गंगोत्री 3.केदारनाथ 4. बद्रीनाथ
Q.चार धाम यात्रा का सही क्रम क्या है ?
A.चार धाम एक निश्चित अनुक्रम का अनुसरण करता है जो हमेशा पश्चिम से शुरू होता है और पूर्व में समाप्त होता है|
Q.चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) के लिए सबसे अच्छा महीना कौन सा है ?
A.इस यात्रा के लिए सबसे शुभ माह अप्रैल से लेकर जून माह के पहले पखवाड़े तक है|