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दुर्गा अष्टमी 2025

Navratri Durga Ashtami 2025: नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी का महत्व

99Pandit Ji
Last Updated:September 12, 2025

नवरात्रि के इस पावन त्यौहार में दुर्गा अष्टमी 2025 [Durga Ashtami 2025] की पूजा तथा व्रत का बहुत ही बड़ा महत्व बताया गया है| इस वर्ष 2025 में शारदीय नवरात्रि का त्यौहार 22 सितम्बर से प्रारंभ होकर 02 अक्टूबर तक समाप्त हो जाएगी तथा इसके अगले दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है|

जिस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध करके असत्य पर सत्य की विजय प्राप्त की थी| इस पावन नवरात्रि के त्यौहार के मध्य में आने वाली अष्टमी तिथि को महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है|

दुर्गा अष्टमी 2025

महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी का त्यौहार देवी दुर्गा माँ को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है| दुर्गा अष्टमी के दिन सभी महिलाएं उपवास रखती है तथा दुर्गा माता की पूजा करती है|

दुर्गा अष्टमी का यह दिन दुर्गा माता की आठवीं शक्ति महागौरी को अर्पित किया गया है| इस कारण शारदीय नवरात्रि 2025 की अष्टमी तिथि को देवी महागौरी का पूजन किया जाता है|

मान्यता है कि देवी दुर्गा महाष्टमी तिथि पर ही असुरों का संहार करने के लिए प्रकट हुई थी| इसके अलावा दुर्गा अष्टमी के दिन कन्या पूजन भी किया जाता है|

तो आइये आपको इस लेख के माध्यम से बताते है कि दुर्गा अष्टमी 2025 की तिथि का हिन्दू धर्म में इतना महत्व क्यों है|

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दुर्गा अष्टमी 2025 की शुभ तिथि व मुहूर्त

महाष्टमी 2025 / दुर्गा अष्टमी 2025 तिथि:

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी 2025 की तिथि 30 सितम्बर 2025 मंगलवार के दिन रहेगी| 

अष्टमी तिथि आरंभ : 29 सितम्बर 2025 को 04:31 PM से
अष्टमी तिथि समाप्त : 30 सितम्बर 2025 को 06:06 PM तक

क्यों मनाया जाता है दुर्गा अष्टमी का पावन त्यौहार

हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि इस दिन माता चंड-मुंड ने राक्षस का संहार किया था|

इस कारण से इस दुर्गा अष्टमी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है| इस तिथि को हथियारों की पूजा की जाती है|

इस वजह से इस तिथि को वीर अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है| महाष्टमी के त्यौहार को दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है|

दुर्गा अष्टमी की तिथि नवरात्रि पूजा के महत्वपूर्ण दिनों में से एक मानी जाती है| इस दिन माँ दुर्गा के रूप महागौरी की पूजा की जाती है|

माँ गौरी भगवान शिव की पत्नी तथा भगवान गणेश जी की माता है| सबसे पहले भगवान श्री राम ने समुन्द्र के किनारे नौ दिनों तक माँ दुर्गा की पूजा की थी|

इसके पश्चात ही उन्होंने युद्ध के लिए लंका की ओर प्रस्थान किया था| जिसके पश्चात उन्होंने रावण के खिलाफ युद्ध किया तथा उस पर विजय प्राप्त कर ली|

इस कारण से नवरात्रि पूर्ण होने अगले दिन यानि दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है| माना जाता है कि दुर्गा माँ नवरात्रि के समय कैलाश पर्वत को छोड़कर धरती पर आकर रहती है|

दुर्गा अष्टमी वह दिन है जब जब नवरात्रि का त्यौहार अंतिम चरण पर होता है| इस दिन हिन्दू धर्म में माता रानी के भक्तों के द्वारा छोटी कन्याओं को भोजन करवाया जाता है|

हिन्दू धर्म में दुर्गा अष्टमी तिथि का बहुत ही विशिष्ट महत्व बताया गया है| नवरात्रि की इस दुर्गा अष्टमी तिथि के दिन माता भवानी का जन्म हुआ था| माता भवानी एक बहुत ही महानतम शक्ति है|

इस वजह से दुर्गा अष्टमी की तिथि को महाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है| दुर्गा अष्टमी के दिन महिलाएं कन्याओं का पूजन करके अपना उपवास खोलती है|

दुर्गा अष्टमी के शुभ अवसर पर माँ दुर्गा के 108 नाम व उनका अर्थ

  1. सती– अग्नि में जल कर भी जीवित होने वाली 
  2. साध्वी– आशावादी 
  3. भवप्रीता– भगवान शिव पर प्रीति रखने वाली 
  4. भवानी– ब्रह्मांड में निवास करने वाली 
  5. भवमोचनी– सांसारिक बंधनों से मुक्त करने वाली 
  6. आर्या– देवी 
  7. दुर्गा– अपराजेय 
  8. जया– विजयी 
  9. आद्य– शुरुआत की वास्तविकता
  10. त्रिनेत्र– तीन आंखों वाली
  11. शूलधारिणी– शूल धारण करने वाली 
  12. पिनाकधारिणी– शिव का त्रिशूल धारण करने वाली 
  13. चित्रा– सुरम्य, सुंदर 
  14. चण्डघण्टा– प्रचण्ड स्वर से घण्टा नाद करने वाली, घंटे की आवाज निकालने वाली 
  15. सुधा– अमृत की देवी 
  16. मन– मनन-शक्ति 
  17. बुद्धि– सर्वज्ञाता 
  18. अहंकारा– अभिमान करने वाली
  19. चित्तरूपा– वह जो सोच की अवस्था में है 
  20. चिता– मृत्युशय्या 
  21. चिति– चेतना 
  22. सर्वमन्त्रमयी– सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली 
  23. सत्ता– सत-स्वरूपा, जो सब से ऊपर है 
  24. सत्यानंद स्वरूपिणी– अनंत आनंद का रूप 
  25. अनन्ता– जिनके स्वरूप का कहीं अंत नहीं 
  26. भाविनी– सबको उत्पन्न करने वाली, खूबसूरत औरत 
  27. भाव्या– भावना एवं ध्यान करने योग्य
  28. भव्या– कल्याणरूपा, भव्यता के साथ 
  29. अभव्या– जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं 
  30. सदागति– हमेशा गति में, मोक्ष दान 
  31. शाम्भवी– शिवप्रिया, शंभू की पत्नी 
  32. देवमाता– देवगण की माता 
  33. चिन्ता– चिन्ता 
  34. रत्नप्रिया– गहने से प्यार करने वाली 
  35. सर्वविद्या– ज्ञान का निवास 
  36. दक्षकन्या– दक्ष की बेटी
  37. दक्षयज्ञविनाशिनी– दक्ष के यज्ञ को रोकने वाली 
  38. अपर्णा– तपस्या के समय पत्ते को भी न खाने वाली 
  39. अनेकवर्णा– अनेक रंगों वाली 
  40. पाटला– लाल रंग वाली 
  41. पाटलावती– गुलाब के फूल 
  42. पट्टाम्बरपरीधाना– रेशमी वस्त्र पहनने वाली 
  43. कलामंजीरारंजिनी– पायल को धारण करके प्रसन्न रहने वाली 
  44. अमेय– जिसकी कोई सीमा नहीं 
  45. विक्रमा– असीम पराक्रमी
  46. क्रूरा– दैत्यों के प्रति कठोर 
  47. सुन्दरी– सुंदर रूप वाली 
  48. सुरसुन्दरी– अत्यंत सुंदर 
  49. वनदुर्गा– जंगलों की देवी 
  50. मातंगी– मतंगा की देवी 
  51. मातंगमुनिपूजिता– बाबा मतंगा द्वारा पूजनीय 
  52. ब्राह्मी– भगवान ब्रह्मा की शक्ति 
  53. माहेश्वरी– प्रभु शिव की शक्ति 
  54. इंद्री– इंद्र की शक्ति
  55. कौमारी– किशोरी 
  56. वैष्णवी– अजेय 
  57. चामुण्डा– चंड और मुंड का नाश करने वाली 
  58. वाराही– वराह पर सवार होने वाली 
  59. लक्ष्मी– सौभाग्य की देवी 
  60. पुरुषाकृति– वह जो पुरुष धारण कर ले 
  61. विमिलौत्त्कार्शिनी– आनन्द प्रदान करने वाली 
  62. ज्ञाना– ज्ञान से भरी हुई 
  63. क्रिया– हर कार्य में होने वाली
  64. नित्या– अनन्त 
  65. बुद्धिदा– ज्ञान देने वाली 
  66. बहुला– विभिन्न रूपों वाली 
  67. बहुलप्रेमा– सर्व प्रिय 
  68. सर्ववाहनवाहना– सभी वाहन पर विराजमान होने वाली 
  69. निशुम्भशुम्भहननी– शुम्भ, निशुम्भ का वध करने वाली 
  70. महिषासुरमर्दिनि– महिषासुर का वध करने वाली 
  71. मसुकैटभहंत्री– मधु व कैटभ का नाश करने वाली 
  72. चण्डमुण्ड विनाशिनि– चंड और मुंड का नाश करने वाली
  73. सर्वासुरविनाशा– सभी राक्षसों का नाश करने वाली 
  74. सर्वदानवघातिनी– संहार के लिए शक्ति रखने वाली 
  75. सर्वशास्त्रमयी– सभी सिद्धांतों में निपुण 
  76. सत्या– सच्चाई 
  77. सर्वास्त्रधारिणी– सभी हथियारों धारण करने वाली 
  78. अनेकशस्त्रहस्ता– कई हथियार धारण करने वाली 
  79. अनेकास्त्रधारिणी– अनेक हथियारों को धारण करने वाली 
  80. कुमारी– सुंदर किशोरी 
  81. एककन्या– कन्या
  82. कैशोरी– जवान लड़की 
  83. युवती– नारी 
  84. यति– तपस्वी 
  85. अप्रौढा– जो कभी पुराना ना हो
  86. प्रौढा– जो पुराना है 
  87. वृद्धमाता– शिथिल 
  88. बलप्रदा– शक्ति देने वाली 
  89. महोदरी– ब्रह्मांड को संभालने वाली 
  90. मुक्तकेशी– खुले बाल वाली
  91. घोररूपा– एक भयंकर दृष्टिकोण वाली
  92. महाबला– अपार शक्ति वाली 
  93. अग्निज्वाला– मार्मिक आग की तरह 
  94. रौद्रमुखी– विध्वंसक रुद्र की तरह भयंकर चेहरा 
  95. कालरात्रि– काले रंग वाली 
  96. तपस्विनी– तपस्या में लगे हुए 
  97. नारायणी– भगवान नारायण की विनाशकारी रूप 
  98. भद्रकाली– काली का भयंकर रूप
  99. विष्णुमाया– भगवान विष्णु का जादू
  100. जलोदरी– ब्रह्मांड में निवास करने वाली
  101. शिवदूती– भगवान शिव की राजदूत
  102. करली– हिंसक
  103. अनन्ता– विनाश रहित 
  104. परमेश्वरी– प्रथम देवी
  105. कात्यायनी– ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय
  106. सावित्री– सूर्य की बेटी 
  107. प्रत्यक्षा– वास्तविक
  108. ब्रह्मवादिनी– वर्तमान में हर जगह वास करने वाली

पूजा सामग्री – Durga Ashtami Puja Samagri

  • लाल वस्त्र
  • मौली
  • लाल चुनरी
  • तेल/घी
  • दीपक
  • श्रृंगार का सामान
  • धूप
  • नारियल
  • साफ़ चावल
  • कुमकुम
  • फूल
  • पान
  • सुपारी
  • देवी मां की प्रतिमा
  • लौंग
  • इलायची
  • बताशे / मिश्री
  • कलावा
  • फल – मिठाई
  • कपूर

दुर्गा अष्टमी की पूजा विधि – Durga Ashtami Puja Vidhi

  • दुर्गा अष्टमी के दिन माता महागौरी की पूजा करनी चाहिए|
  • इस दिन आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके अपने आप को पवित्र कर ले|
  • इसके बाद में आपको माता महागौरी की प्रतिमा तथा तस्वीर को स्थापित कर ले|
  • अब आपको एक चौकी पर लाल कपडा लेकर उस महागौरी यंत्र की स्थापना करनी चाहिए|
  • इसके बाद में आप महागौरी की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं तथा पुष्प अर्पित करें|
  • अब आपको माता दुर्गा की आरती तथा साथ ही उनके मंत्र का उच्चारण करना चाहिए|
  • इसके बाद आपको दुर्गा माता के आठवे रूप महागौरी को पंचामृत का प्रसाद चढ़ाया जाता है|
  • इसके अलावा उन्हें पान, सुपारी, पांच फल, किशमिश, लौंग तथा इलायची भी अर्पित करना चाहिए|
  • इस दिन नारियल का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है| आप नारियल के साथ आप मिठाई भी अर्पित कर सकते है|
  • माना जाता है कि अगर आप कन्या पूजन करते है तो आपके घर में सुख समृद्धि आती है| इसलिए आपको इस दिन 2 साल से 10 साल की कन्याओं को भोजन कराना चाहिए तथा इसके पश्चात उन्हें दक्षिणा भी प्रदान करनी चाहिए|

दुर्गा अष्टमी का महत्व – Importance Of Durga Ashtami

इस तिथि के दिन कुछ माता दुर्गा के भक्त कन्याओं को भोजन करवाते है तथा उनकी पूजा करते है| माना जाता है कि इस 2 साल से 10 साल तक बच्चियों को भोजन कराने तथा उनकी पूजा करने से आपको देवी माता की कृपा प्राप्त होती है|

इस शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी 2025 की तिथि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है| इस दिन माँ दुर्गा के रूप महागौरी की पूजा की जा सकती है|

हिन्दू धर्म के अनुसार माना जाता है कि महागौरी का रूप घर में धन तथा एक बेहतरीन जीवनशैली लाता है| दुर्गा अष्टमी के दिन कई महिलाएं उपवास रखती है|

दुर्गा अष्टमी 2024

कुछ लोग जो पुरे नौ दिन का उपवास नहीं रखते है| उन्हें अष्टमी तिथि का व्रत निश्चित रूप से रखना चाहिए| माना जाता है कि दुर्गा अष्टमी का व्रत लोगो के भाग्य में एक बहुत ही बड़ा बदलाव लाता है|

कुछ लोग अपनी सभी प्रकार की चिंताओं को दूर करने के लिए दुर्गा अष्टमी की तिथि का उपवास रखते तथा देवी दुर्गा की पूजा करते है| दुर्गा अष्टमी का त्यौहार घर तथा माता के पंडालो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है|

निष्कर्ष – Conclusion

किसी भी तरह की पूजा करने के लिए हमें बहुत सारी तैयारियां करनी होती है| गावों में पूजा आसानी से हो जाती है लेकिन शहरों में लोगों के पास समय की कमी होती है|

जिस वजह से वह लोग पूजा नहीं करवा पाते है तो उनकी इस समस्या का समाधान हम लेकर आये है 99Pandit के साथ|

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हालांकि, किसी भी समय भगवान की पूजा करना आपको कठिनाइयों, समस्याओं, तनाव और नकारात्मक ऊर्जाओं से हमें बचाता है। जैसा कि आज आपने इस लेख के माध्यम से दुर्गा अष्टमी 2025 के महत्व तथा पूजा की विधि के बारे में जाना|

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