शारदीय नवरात्रि 2023: जाने कब होगा शुभारंभ, तिथि व शुभ मुहूर्त

Posted By: 99PanditJi
Posted On: July 27, 2023
Last Update On: July 27, 2023

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Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि 2023 का यह पावन त्यौहार इस वर्ष 15 अक्टूबर 2023 को शुरू होकर 24 अक्टूबर 2023 को दशहरा के साथ समाप्त हो जाएगा| 

भारत देश हर प्रकार के त्योहारों को मनाने के लिए ही जाना जाता है| यहाँ पर हिन्दू धर्म के लोग अपनी संकृति के अनुरूप अपने त्योहारों को बड़ी खुशहाली के साथ मनाते है| हिन्दू धर्म में सभी त्यौहार अपने आप में ही एक अलग  एतिहासिक महत्व रखते है और इनका इतिहास भी काफी दिलचस्प रहता है| जिसके बारे में जानना हर सनातनी के लिए बहुत जरुरी है| आज हम जिस त्यौहार के बारें में बात कर रहे है वो है शारदीय नवरात्रि 2023 का त्यौहार| नौ देवी और उनकी आलौकिक शक्ति को पूजने वाला यह नौ दिनों का त्यौहार नवरात्रि काफी उमंग भरा, रंगीन और उज्जवल त्यौहार है|  

नवरात्रि  का यह त्यौहार वर्ष में एक नहीं दो बार आता है| सर्वप्रथम शारदीय नवरात्रि 2023 का त्यौहार चैत्र मास में आता है जिसे हिंदुओं का नववर्ष भी कहा जाता है| द्वितीय नवरात्रि या जिसे हम शारदीय नवरात्रि भी कहते है वो अश्विन मास में आती है| इसके अलावा दो नवरात्रि पोष व आषाढ़ के माह में भी आती है| जिन्हें गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है किन्तु परिवारों में सबसे ज्यादा प्रचलन चैत्र व अश्विन मास वाली नवरात्रि का ही है| दोनों शारदीय नवरात्रि 2023 में देवी माँ के नौ रूपों को पूजा जाता है| इस दिन देवी दुर्गा माता अपनी माँ और अपने भक्तों से मिलने के लिए स्वर्ग लोक से धरती पर आयी थी| 

Shardiya Navratri 2023

नवरात्रि के यह 9 दिन काफी ज्यादा शुभ माने जाते है इसलिए सभी भक्त इस समय पूर्ण आस्था के साथ घर में पूजा – पाठ करवाते है| इसके लिए भी सही तिथि और मुहूर्त का चुनाव करना अत्यंत आवश्यक है| इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी अनुभवी पंडित का चुनाव करना है जो कि आपको हमारी वेबसाइट 99Pandit से बहुत ही आसानी से मिल जाएंगे| 

शारदीय नवरात्रि मनाने का कारण 

हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि के अनोखे महत्व बताये गये है| माँ दुर्गा के सभी भक्तों को इस शारदीय शारदीय नवरात्रि 2023 का बहुत बेसब्री से इंतज़ार रहता है| इस त्योहार को मनाने के बारे में सभी के अलग – अलग तथ्य है लेकिन एक कथा जो सबसे ज्यादा प्रचलित है| इस दिन माँ दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का संहार किया था| लंका युद्ध से दौरान ब्रह्मदेव ने भगवान श्री राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए चंडी माँ पूजा करने की सलाह दी| तब भगवान श्री राम ने हवन के लिए 108 नीलकमल की व्यवस्था भी करली| वही दूसरी ओर रावण भी चंडी पूजा के लिए तैयारिया करने लगा|

देव और इंद्र देव की सहायता से श्री राम को इस बारें पता चल गया| वही इधर पूजा की सामग्री में से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति की वजह से गायब हो गया| नीलकमल के गायब होने की वजह से भगवान श्री राम को चिंता होने लगी| इतनी जल्दी फिर से नीलकमल की व्यवस्था करना सरल कार्य नहीं था| भगवान श्री राम को इस बात का डर था कि इस वजह से देवी मां क्रोधित ना हो जाए| तभी भगवान श्री राम को याद आया कि कमल नयन वाले भी कहा जाता है तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना देवी माँ को अपनी एक आँख ही समर्पित की जाएं|

 तभी श्री राम ने अपने तुणार से एक बाण निकाला और जैसे ही अपनी आँख निकालने लगे| तभी उसी क्षण देवी माँ प्रकट हो गयी और श्री राम का हाथ पकड़ लिया| देवी माँ ने श्री राम से कहा कि वह उनकी पूजा से प्रसन्न है और उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद प्रदान कर दिया| वही दूसरी ओर हनुमान जी एक छोटे बालक का रूप धारण करके लंका में हो रही पूजा में पहुँच गए और ब्राह्मणों के द्वारा माता चंडी के मंत्र का गलत उच्चारण करवा दिया| जिससे देवा माँ क्रोधित हो गई एवं रावण के सर्वनाश का श्राप दे दिया| यही शारदीय नवरात्रि 2023 से सम्बंधित सबसे प्रचलित कथा है|

नवरात्रि कलश स्थापना पूजन

शारदीय नवरात्रि 2023 में 9 दिनों तक कलश की स्थापना की जाती है| 9 दिन के पश्चात हवन के साथ ही पूजा आयोजन किया जाता है| हिन्दू के धर्म के लोग शारदीय शारदीय नवरात्रि 2023 को बहुत महत्व देते है क्योंकि यह त्यौहार माँ दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित होता है| इस दिन लोग छुट्टियां मनाते है| लोग उपवास रखते है और देवी माँ के नौ रूपों की पूजा करते है| 

इस दिन कई लोग हवन भी करवाते है| हवन के लिए पंडित जी को भी बुलाया जाता है और ऑनलाइन पंडित जी को बुक करने का सबसे भरोसेमंद प्लेटफार्म 99Pandit है| जिससे आप पुरे भारत में कही से भी किसी भी भाषा में पंडित जी को बुक कर सकते है वो भी बिल्कुल उचित मूल्य में, किसी भी पूजा के लिए| 

कलश स्थापना पूजा के लिए सामग्री

रोली, मौली, केसर, सुपारी, चावल, जौ, सुगंधित फूल, इलायची, लौंग, पान, सिंदूर, श्रृंगार सामग्री, दूध, दही, शहद, गंगाजल, चीनी, शुद्ध घी, पानी, कपड़े, आभूषण, बिल्वपत्र यज्ञोपवीत, तांबे का कलश, पंचत्र, दूब, चंदन, इत्र, चौकी, लाल कपड़ा बिछाना, दुर्गा मूर्ति, फल, धूप-दीप, नैवेद्य, अबीर, गुलाल, पिसी हुई हल्दी, पानी, शुद्ध मिट्टी, थाली, कटोरा, नारियल, दीपक , कपास आदि सभी सामग्री कलश पूजन में उपयोग में आती है| 

शारदीय नवरात्रि 2023

इन 9 दिनों तक माता देवी की पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजा करनी चाहिए| नौ दिनों तक स्वयं को देवी माँ को ही समर्पित कर दीजिये| इस दिन भक्त माता दुर्गा के लिए उपवास रखता है और उनसे उनके जीवन सुख – समृद्धि बनाए रखने की कामना करता है| 

कलश स्थापना की विधि

कलश को खंभे के सामने रखने से पहले उसे लाल रंग के कपड़े से लपेट दीजिये और मिट्टी से वेदी बना दिजिए| भीगे हुए जौ के दानो को बिखेरने के लिए कलश रखने से पूर्व वेदी के मध्य में अष्टकोणीय कलम की आकृति बनाए और उसमे जल भर दीजिये| अंत में चावल से कलश को कंठ तक भर दिया जाता है| 

कलश स्थापना का मंत्र 

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्य नृपते: तमेऽब्दे प्रमादी नाम संवत्सरे सूर्य उत्तरायणे बसंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे चैत्र मासे शुक्ल पक्षे प्रतिपदायां तिथौ बुध वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुक नामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षय पूर्वकं सर्वारिष्ट शांति निमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्त फल प्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थे श्री दुर्गा पूजनं च महं करिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन निर्विघ्नतापूर्वक कार्य सिद्धयर्थं यथामिलितोपचारे गणपति पूजनं करिष्ये।

हवन ( भगवान से प्रार्थना करना )

शारदीय नवरात्रि 2023 की पूजा के अंत में हवन करना काफी शुभ माना जाता है| हवन करने से हमारे आस – पास का वातावरण शुद्ध होता है| हवन सामग्री के साथ चावल, काले तिल और जौ भी मिलाए| नवरात्रि के बाद हवन किये बिना देवी माँ की पूजा मान्य नहीं होती है| इसके लिए एक हवन कुंड, दो लौंग, कपूर, सुपारी, गुग्गुल, लोबान, घी, पांच मेवा और अक्षत की आवश्यकता होती है। हवन के लिए भी आपको एक अनुभवी पंडित जी की आवश्यकता होगी जो आप 99Pandit से आसानी से बुक कर सकते है| 

कलश विसर्जन विधि 

अपने बाएं हाथ में चावल ले और उन्हें अपने दाहिने हाथ से लक्ष्मी माता, कुबेर जी और अपने इष्ट देवी – देवताओं को घर में रहने के आमंत्रित करते है| उनके आशीर्वाद और अपनी सफ़लता के लिए उनसे पूजा करते है| 

नवरात्रि कलश पूजन के फायदे 

इस पूजा को करने मात्र से ही भक्तों के सारे दुःख और कष्ट उसी क्षण दूर हो जातें है और उन्हें एक धन्य जीवन की प्राप्ति होती है| इस पूजा का अनुसरण करने सभी प्रकार के ग्रह दोषों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है| जातक की कुंडली में से सभी दोषों का निवारण होता है| इस पूजन का सही तरीके से पालन करने पर यह हमे बुरी नज़र, दोष और बाधाओ के प्रभाव को कम करता है| नवरात्रि के दौरान कलश पूजा की स्थापना के लिए पंडितजी की जरूरत होगी| आप हमारी वेबसाइट 99Pandit से आसानी से पंडित जी बुक कर सकते है|

नवरात्रि की प्रथा व परंपरा 

नवरात्रि शब्द को दो अलग भागों में बाटे जाने पर इसका अर्थ स्पष्ट रूप से समझ आता है| नव का अर्थ नौ तथा रात्रि का अर्थ रात से है| लोगों द्वारा मनाई जाने वाली छुट्टियों में से एक है| हिन्दू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में दो बार नवरात्रि आती है| जिसमे से शारदीय नवरात्रि को अधिक उत्साह से मनाया जाता है जो कि दशहरा उत्सव से पहले मनाया जाता है| 

देवी माँ के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है| माता के सभी अवतारों को बहुत ही सम्मान के साथ पूजा जाएगा| जिन्होंने अपनी बहादुरी से कई राक्षसों का अंत किया और लोगों के कष्टों को दूर किया है| यह व्यापक रूप से मनाया जाने वाला अवकाश भारतीय राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र में काफी हद तक मनाया जाता है, जहाँ मौज-मस्ती करने वाले नौ रातों के दौरान और यहाँ तक कि शरद पूर्णिमा पर भी नाचते, मस्ती करते और मस्ती करते हैं, जो दशहरे के लगभग दो सप्ताह बाद होता है। अपने विश्वास के बावजूद, इन जीवंत राज्यों के निवासी उत्सव के कपड़े पहनते हैं और गरबा (गुजरात का लोक नृत्य) और डांडिया (एक अन्य लोक नृत्य जो नृत्य के रूप में लकड़ी की डंडियों का उपयोग करता है) की ताल पर एक साथ नृत्य करते हैं।

जैसा आप सभी को पता ही है कि हिन्दू धर्म में सभी त्यौहार बहुत ही शुभ माने जाते है और सभी का एक अलग ही निश्चित मुहूर्त होता है| उसे सही मुहूर्त पर ही किया जाता है| अब सही मुहूर्त का पता लगाने और पूजा का अच्छे से अनुभव प्राप्त करने के लिए एक अनुभवी पंडित जी जरूरत होगी जो आपको 99Pandit पर बहुत आसानी से व कम मूल्य में मिल जाएंगे तो आज ही अपनी पूजा के लिए पंडित जी बुक करें|

पूजन विधि

पूजा करने से पूर्व व्यक्ति को स्नान करके साफ़ – सुथरे कपड़े पहकर तैयार हो जाइये| पूजा स्थल को साफ करने के बाद ताजे फूल प्रदान किए जाते हैं। एक साफ लकड़ी की चारपाई पर देवी गौरी की मूर्ति स्थापित है। पवित्र जल के साथ कलश और एक नारियल को देवी के एक तरफ रखा जाता है। सूखे मेवे और फलों वाली मिश्री को प्रसाद के रूप में रखा जाता है। देवता को शहद और प्रसाद का प्रसाद मिलता है। हाथों में कमल का फूल पकड़कर मंत्रों का जाप करना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए। विधि और मंत्रों के लिए सभी एक अनुभवी पंडित को मानते थे। 99Pandit की मदद से आप पूरे देश में कहीं भी अपनी पूजा के लिए पंडित जी ऑनलाइन ही बुक कर सकते है| 

शारदीय नवरात्रि 2023

नवरात्रि के नौ अवतार 

नवरात्रि का त्यौहार 9 रातों तक चलता है| इस दिन माँ दुर्गा के नौ अवतारों की पूजा करते है| अब हम नवरात्रि के नौ दिन होने वाले देवी माँ के 9 अवतारों के बारे जानेंगे|

माँ दुर्गा के नौ रूप निम्न है : 

पहला दिन ( प्रतिपदा )

देवी : शैलपुत्री

रंग : नारंगी 

नवरात्रि के नौ दिनों में से पहला जिसे देवी के नाम से जाना जाता है, वह देवी शैलपुत्री का दिन है। शैलपुत्री का अनुवाद “पहाड़ की बेटी (पुत्री)” (शैला) से होता है। उन्हें कई तरह से सती, भवानी, पार्वती और हेमवती के रूप में जाना जाता है। वह महादेव, विष्णु और ब्रह्मा की शक्ति का पूर्ण प्रकटीकरण है। देवी को दाहिने हाथ में त्रिशूल, बाएं हाथ में कमल और माथे पर अर्धचंद्र धारण करते हुए दिखाया गया है। वह नंदी बैल के ऊपर विराजमान है। शैलपुत्री दिवस पर पहनने के लिए पीला पसंद का रंग है। यह ऊर्जा, उपलब्धि और आनंद के लिए खड़ा है। 

मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।

दूसरा दिन ( द्वितीया )

देवी : ब्रह्मचारिणी 

रंग : सफ़ेद 

दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। वह तपस्या और बलिदान की मां हैं क्योंकि ब्रह्मचारिणी शब्द एक महिला ब्रह्मचर्य व्यवसायी (सांसारिक सुखों से त्याग) को संदर्भित करता है। वह अपने बाएं हाथ में एक कमंडल और नंगे पैर चलते हुए अपने दाहिने हाथ में एक जप माला रखती है। वह अपने अनुसरण करने वाले सभी लोगों पर कृपा, खुशी, शांति और धन प्रदान करती है। सफेद ब्रह्मचारिणी का रंग है, जो पवित्रता, कौमार्य, आंतरिक शांति और पवित्रता का भी रंग है।

मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।

तीसरा दिन ( तृतीया )

देवी : चंद्रघंटा 

रंग : लाल 

देवी चंद्रघंटा तीसरे दिन नवरात्रि मनाती है। उसके माथे पर, चंद्रघंटा के पास एक घंटी के आकार का आधा चाँद है जो उसके नाम की उत्पत्ति का प्रतीक है। भगवान शिव से विवाह करने के बाद उन्होंने अपने माथे पर अर्धचंद्र का आभूषण पहना था। तीसरे दिन, उनके उपासक शांति और सौभाग्य के प्रतीक के रूप में उनकी पूजा करते हैं। उसके 10 हाथ और तीन आंखें हैं, और वह एक बाघिन की सवारी करती है| उनका पाँचवाँ दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है, और उनके दाहिने चौथे हाथ में एक कमल, एक तीर, एक धनुष और एक जप माला है।

मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।

चौथा दिन ( चतुर्थी )

देवी : कुष्मांडा 

रंग : रॉयल ब्लू 

कूष्मांडा” शब्द का तात्पर्य देवता कुष्मांडा के जलते सूरज के अंदर मौजूद होने की क्षमता से है। उन्हें अपनी स्वर्गीय और उज्जवल मुस्कान के साथ ब्रह्मांड बनाने का श्रेय दिया जाता है। उसकी आकृति सूर्य के समान तेजस्वी है। नवरात्रि के दौरान इस देवी का महत्व यह है कि वह अपने भक्तों को स्वास्थ्य, जीवन शक्ति और शक्ति प्रदान करती हैं। उन्हें अष्टभुजा देवी के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्हें आठ हाथों से दर्शाया गया है। उनके आठ से दस हाथों में त्रिशूल, चक्र, तलवार, हुक, गदा, धनुष, बाण, शहद के दो घड़े और रक्त दिखाई देते हैं। वह एक हाथ से अभय मुद्रा को बनाए रखते हुए अपने प्रत्येक अनुयायी को आशीर्वाद देती है। 

मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।

पांचवा दिन ( पंचमी )

देवी : स्कंदमाता 

रंग – पीला 

नवरात्रि (कार्तिक) के पांचवें दिन युद्ध के देवता स्कंद की माता स्कंदमाता को सम्मानित किया जाता है। वह एक शातिर शेर की सवारी करते हुए भगवान स्कंद (एक नवजात शिशु) को अपनी गोद में रखती है। उन्हें “अग्नि की देवी” के रूप में जाना जाता है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि उन्हें दानव के खिलाफ संघर्ष का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था। अपने चार हाथों में, महिला देवता अपने ऊपर के दो हाथों में कमल का फूल, दूसरे हाथ में एक अभय मुद्रा और दाहिने हाथ में स्कंद को पकड़े हुए दिखाई देती है। उन्हें पद्मासनी के नाम से जाना जाता है और उन्हें अक्सर कमल के फूल पर बैठे हुए दिखाया जाता है।

मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नम:

छठवां दिन ( षष्ठी )

देवी : कात्यायनी 

रंग : हरा रंग 

कात्यायनी, जिसे महालक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है, मां दुर्गा का छठा अवतार है। महिषासुर बैल दानव कात्यायनी के जन्म का लक्ष्य था। उसे उसके क्रोध, प्रतिशोध की उसकी आवश्यकता और बुराई के खिलाफ उसकी अंतिम विजय द्वारा परिभाषित किया गया है। हर कोई जो उसे ईमानदारी और सबसे बड़ी आस्था के साथ याद करता है उसे आशीर्वाद मिलता है। उन्हें चार हाथ वाली और एक राजसी शेर के ऊपर बैठे हुए दिखाया गया है। उन्होंने अपने दाहिने हाथ से अभय और वरद मुद्रा करते हुए अपने बाएं हाथ में तलवार और कमल धारण किया।

मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायन्यै नम:

सातवाँ दिन ( सप्तमी )

देवी : कालरात्रि 

रंग : ग्रे 

उग्र आत्मा, काली चमड़ी और साहसी मुद्रा वाली माँ। उनकी बड़ी लाल रंग की आंखें, उभरे हुए रक्त-लाल मुंह के कारण उन्हें मृत्यु की देवी के रूप में जाना जाता है। इसके अतिरिक्त, उन्हें काली माँ और कालरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। उसे तीन गोल आंखों, तीन काले बालों के साथ चित्रित किया गया है, और वह एक गधे पर बैठी है।

मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।

आठवां दिन ( अष्टमी )

देवी : महागौरी 

रंग : बैंगनी

 देवी दुर्गा के आठवें रूप महागौरी को सबसे सुंदर माना जाता है। उसकी सुंदरता में मोती की पवित्रता है। पवित्रता, स्वच्छता, दृढ़ता और शांति की देवी की पूजा करने वालों की कमियां और त्रुटियां कम हो जाती हैं। चतुर्भुज महागौरी के पास है। वह अपने दाहिने निचले हाथ में एक त्रिशूल रखती है और अपने दाहिने हाथ से दुख को दूर करने की स्थिति रखती है। वह अपने ऊपरी बाएँ हाथ में एक डफ लिए हुए है, जबकि उसकी निचली बाएँ हाथ आशीर्वाद देती है।

मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नम:।

नौवां दिन ( नवमी )

देवी : सिद्धिदात्री 

रंग : मयूर हरा 

माँ दुर्गा के इस रूप के पास जन्म से ही उपचार की क्षमता है| यह कमल और सिंह दोनों पर ही विराजती है| इनके एक हाथ में गदा, दूसरे में चक्र, तीसरे में कमल और चौथे हाथ में शंख उपस्थित है| 

मंत्र –  ॐ ऐं ह्रीं क्लीं  सिद्धिदात्यै नमः 

निष्कर्ष 

इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है। तो आप हमारी वेबसाइट पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान ले सकते है। इसके अलावा अगर आप ऑनलाइन किसी भी पूजा जैसे सुंदरकांड पाठ,अखंड रामायण पाठ, गृह प्रवेश पूजन और विवाह के लिए भी आप हमारी वेबसाइट 99Pandit और हमारे ऐप्प [99Pandit] की सहायता से ऑनलाइन पंडित  बहुत आसानी से बुक कर सकते है। आप हमे कॉल करके भी पंडित जी को किसी की कार्य के बुक कर सकते है जो कि वेबसाइट पर दिए गए है फिर चाहे आप किसी भी राज्य से हो। हम आपको आपकी भाषा वाले ही पंडित जी से ही जोड़ेंगे | 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.माँ दुर्गा का मूल मंत्र क्या है ?

A.या देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

Q.माता रानी को प्रसन्न कैसे करें ?

A.नवरात्रि के दौरान नौ या अपनी श्रद्धा अनुसार सुहागन महिलाओं को लाल चूड़ियां दान करें|

Q.देवी दुर्गा का आशीर्वाद कैसे मिलता है ?

A.उन्हें प्रसन्न करने का सबसे अच्छा तरीका है उनके मंत्रों का जाप करना|   

Q.माँ दुर्गा को कौन सा फल चढ़ाया जाता है ?

A.गुड़हल, गुलदाउदी, कमल, चमेली, चंपा, गेंदा, सेवंती, कृष्ण कमल, बेला, पीला और सफेद रंग का कमल मां को बेहद पसंद है।

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