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Chandra Shekhar Ashtakam: चन्द्रशेखर अष्टकम के बारे में हिंदी अर्थ सहित

99Pandit Ji
Last Updated:August 5, 2024

यह चन्द्रशेखर अष्टकम (Chandra Shekhar Ashtakam) एक ऐसी प्रार्थना है जो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए की जाती है| जैसे कि हम सभी जानते है कि हिन्दू धर्म में प्रत्येक दिन किसी ना किसी भगवान को समर्पित किया जाता है| यदि हम बात करे सोमवार के दिन की तो यह दिन भगवान शिव को समर्पित किया गया है, जिनकी उपासना के लिए चन्द्रशेखर अष्टकम (Chandra Shekhar Ashtakam) का पाठ किया जाता है|

इस दिन भगवान शिव के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए बहुत सारी चीज़े करते है| भगवान शिव के बारे में यह माना जाता है कि यह केवल एक लौटा जल चढाने से ही प्रसन्न हो जाते है| भगवान शंकर की पूजा करने से भक्तों से सभी प्रकार की परेशानियां दूर होती है तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती है|

चन्द्रशेखर अष्टकम

आज हम इस लेख के माध्यम से आपको चन्द्रशेखर अष्टकम के बारे में बतायेंगे| इस चन्द्रशेखर अष्टकम का पाठ प्रतिदिन नियमित रूप से करने पर यह जातक के प्रति बहुत ही सकारात्मक प्रभाव दिखाता है| चन्द्रशेखर अष्टकम (Chandra Shekhar Ashtakam) पाठ प्रत्येक सोमवार को पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है तथा भगवन शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है|

इसी के साथ धन की बचत करने के कई सारे भी मार्ग आपको नज़र आयेंगे| सोमवार के दिन चन्द्र देव की पूजा करने का विधान माना जाता है| चन्द्र देव भगवान शिव के सिर पर विराजमान है| व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र देव के अशुभ होने मानसिक तनाव तथा जीवन में अशांति बढती है|

तो आइये इस लेख के द्वारा जानते है चन्द्रशेखर अष्टकम के बारे में हिंदी अर्थ के साथ| इस चन्द्रशेखर अष्टकम के साथ ही हम आपको बताते है 99Pandit के बारे में| यदि आप हिन्दू धर्म से संबंधित किसी भी तरह की पूजा जैसे  त्रिपिंडी श्राद्ध, नवरात्रि  की पूजा करवाना चाहते है तो 99Pandit आपके लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प होगा|

श्री चन्द्रशेखर अष्टकम हिंदी अर्थ सहित – Chandrashekhar Ashtakam with Hindi Meaning

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् |
चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् ‖1

अर्थ – हे चन्द्रशेखर (भगवान जिनका मुकुट चंद्रमा है), कृपया मेरी रक्षा करें|
हे चन्द्रशेखर (भगवान जिनका मुकुट चंद्रमा है), कृपया मुझे बचाएं| 

रत्नसानु शरासनं रजताद्रि शृङ्ग निकेतनं
शिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वर मच्युतानल सायकम् |
क्षिप्रदग्द पुरत्रयं त्रिदशालयै रभिवन्दितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 2

अर्थ – ऐसे भगवान जिन्होंने बहुमूल्य पत्थरों से भरे पर्वत (मेरु पर्वत) को अपना धनुष , जो स्वयं चांदी के पर्वत पर निवास करते है, जिन्होंने नागों के राजा (वासुकी) को अपने धनुष की प्रत्यंचा बनाया था, जिन्होंने भगवान विष्णु को तीर के रूप में इस्तेमाल किया था, जिन्हें तीनो लोकों में सभी प्रणाम करे| मै उन भगवान चंद्रशेखर की शरण लेता हूँ तो यम मेरा क्या कर सकते है?

पञ्चपादप पुष्पगन्ध पदाम्बुज द्वयशोभितं
फाललोचन जातपावक दग्ध मन्मध विग्रहं |
भस्मदिग्द कलेबरं भवनाशनं भव मव्ययं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः ‖ 3 ‖

अर्थ – जिनके पैर पांच दिव्य वृक्षों के फूलों तथा गंध से चमक रहे है, जिन्होंने अपने माथे पर मौजूद आँख की आग से प्रेम के भगवान, मनमदा को जला दिया| जिनके शरीर पर पवित्र राख या भस्म लगी हुई है, जो दुखों का नाश करने वाले है, जो अनंत काल तक जीवित है| मै उन चंद्रशेखर भगवान की शरण लेता हूँ तो यम मेरा क्या कर सकते है?

मत्तवारणमुख्यचर्मकॄतोत्तरीयमनोहरं
पङ्कजासनपद्मलोचनपूजितांघ्रिसरोरुहम ।
देवसिन्धुतरङ्गसीकर सिक्तशुभ्रजटाधरं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥ 4॥ 

अर्थ – जो अपनी भुजाओं पर बड़े ओजस्वी हाथी की खाल को वस्त्र के रूप में धारण करते है, जो मंत्रमुग्ध दिखाई देते है, जिनके कमल के समान चरणों की पूजा स्वयं सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी करते है, जो अधिकतर पंकजासन पर विराजमान रहते है| जिनके उलझे हुए बाल आकाश गंगा की लहरों से आने वाली बूंदों से साफ़ हो जाते है| मै उन चंद्रशेखर भगवान की शरण लेता हूँ तो यम मेरा क्या कर सकते है?

यक्षराजसखं भगाक्षहरं भुजङ्गविभूषणं
शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेबरम ।
क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥5॥ 

अर्थ – ऐसे भगवान जो कुबेर के निकट है, जो नागों को आभूषण के रूप में धारण करते है| जिनके शरीर का बायाँ भाग पर्वतो की पुत्री देवी पार्वती के शरीर से सुशोभित है| जिनका कंठ नीला है| जिनके हाथ शास्त्र के रूप में कुल्हाड़ी से सुशोभित है| मै उन चंद्रशेखर भगवान की शरण लेता हूँ तो यम मेरा क्या कर सकते है?

चन्द्रशेखर अष्टकम

कुण्डलीकृतकुण्डलेश्वर कुण्डलं वृषवाहनं
नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम ।
अन्धकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥6॥ 

अर्थ – जिनके कानों में कुंडलित सर्प है, जिनका वाहन बैल है| जिनके महानता की प्रसन्नता नारद जी तथा अन्य ऋषि – मुनियों के द्वारा की जाती है| वह सभी लोगों के स्वामी माने जाते है| जिन्होंने अंधक के घमंड को नष्ट किया| मै जिनकी शरणागत के लिए कामना करता हूँ| मै उन चंद्रशेखर भगवान की शरण लेता हूँ तो यम मेरा क्या कर सकते है?

भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं
दक्षयज्ञविनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम ।
भुक्तिमुक्तिफलप्रदं सकलाघसंघनिबर्हणं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥7॥

अर्थ – जो दुखी व्यक्ति के जीवन में एक औषधि के रूप में कार्य करते है, सभी कष्टों और बाधाओं को दूर करने वाले, दक्ष यज्ञ के विध्वंसक, तीन नेत्रों वाले, भक्ति, मोक्ष  तथा अन्य इच्छाओं के दाता| मै सभी पापों का नाश करने वाले उन चंद्रशेखर भगवान की शरण लेता हूँ तो यम मेरा क्या कर सकते है?

भक्तवत्सलमर्चितं निधिक्षयं हरिदंबरं
सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनुत्तमम ।
सोमवारिदभूहुताशनसोमपानिलखाकृतिं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥8॥ 

अर्थ – जो अपने सभी भक्तों का ध्यान रखते , जिनकी सभी लोग पूजा करते है, जो अपने भक्तों के लिए किसी खजाने के समान है, जो इस सम्पूर्ण दुनिया के परे है, जिनकी तुलना किसी के साथ नहीं की जा सकती है, जो विधिपूर्वक सोमपान करने वाले के रूप में विद्यमान है| मै उन चंद्रशेखर भगवान की शरण लेता हूँ तो यम मेरा क्या कर सकते है?

विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं
संहरन्तमपि प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम ।
कीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमन्वितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः॥9॥

अर्थ – जो भगवान इस सृष्टि की रचना करते है, जो सृष्टि के पालन पोषण में हमेशा तैयार रहते है| जो उचित समय पर सृष्टि का विनाश भी कर सकते है| जिन्होंने इस संसार में असंख्य लोगों के निवास का स्थान बनाया है| जो हर दिन चंचल रहते है तथा रात्रि गणों के मुखिया है, जो उन गणों में से एक की भांति ही व्यवहार करते है| मै उन चंद्रशेखर भगवान की शरण लेता हूँ तो यम मेरा क्या कर सकते है?

मृत्युभीतमृकण्डुसूनुकृतस्तवं शिवसन्निधौ
यत्र कुत्र च यः पठेन्न हि तस्य मृत्युभयं भवेत ।
पूर्णमायुररोगतामखिलार्थसंपदमादरात
चन्द्रशेखर एव तस्य ददाति मुक्तिमयत्नतः॥10॥

अर्थ – जो भी मृत्यु से भयभीत व्यक्ति मृकुंद के पुत्र द्वारा लिखी इस चन्द्रशेखर अष्टकम(Chandra Shekhar Ashtakam) को भगवान शिव के मंदिर में पढता है तो इसके माध्यम से उस व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय खत्म हो जाता है| उस पूर्ण रूप से स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है| जब कोई मुक्ति पाने का प्रयास करता है तो चंद्रमा के शिखर भगवान शिव उसे सम्पूर्ण जीवन धन तथा अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करते है|

॥ इति श्रीचन्द्रशेखराष्टकस्तोत्रं संपूर्णम ॥ 

चन्द्रशेखर अष्टकम का महत्व – Importance of Chandrashekhar Ashtakam

इस चन्द्रशेखर अष्टकम (Chandra Shekhar Ashtakam) को सुनना या उसका ध्यान करना व्यक्ति के सुखद जीवन जीने में बहुत ही काम आ सकता है| इस अष्टकम में भगवान शिव को चंद्रशेखर (चंद्र – चंद्रमा, शेखर – मुकुट) के रूप में बताया गया है| इसका अर्थ है जो अपने मुकुट को चंद्रमा से सुशोभित करते है|

यह चन्द्रशेखर अष्टकम (Chandra Shekhar Ashtakam) मार्कंडेय ऋषि के द्वारा लिखा गया है| इस बारे में एक कथा काफी पुराने काल से चली आ रही है कि किस प्रकार भगवान शिव ने भगवान यम से मार्कंडेय ऋषि के प्राण किस प्रकार बचाएं थे| आज हम इस लेख के माध्यम से इस कथा के बारे में जानेंगे|

पौराणिक कथा – Mythology

मृकंडु ऋषि तथा उनकी पत्नी मरूदमती ने पुत्र प्राप्ति के हेतु भगवान शिव की प्रार्थना की| उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और दम्पति को पुत्र के दो विकल्प प्रदान किये| जिसमे एक विकल्प था कि जिसमे उन्हें एक धर्मी पुत्र की प्राप्ति होगी किन्तु उसकी आयु क्षीण होगी| वही दूसरा विकल्प यह था उनके पुत्र की आयु सौ वर्ष होगी किन्तु वह मुर्ख होगा| मृकंडु ऋषि ने पहले विकल्प का चुनाव किया| जिससे उन्हें एक धर्मी पुत्र मार्कंडेय की प्राप्ति हुई| जिसकी आयु 16 वर्ष तक होनी निश्चित थी| 

ऋषि मार्कंडेय बड़े होकर बहुत ही बड़े शिव भक्त बने| अपने मृत्यु वाले दिन भी ऋषि मार्कंडेय ने मंदिर में भगवान शिव की पूजा जारी रखी| पूजा जारी रखने की वजह से यम दूत ऋषि मार्कंडेय को ले जाने में असमर्थ थे| इस वजह से यमराज को ऋषि मार्कंडेय के प्राण लेने स्वयं ही आना पड़ा| यमराज ने ऋषि मार्कंडेय के गले फंदा डाल दिया| अपने मंदिर में अपने भक्त के साथ ऐसा होते देखकर भगवान शिव को क्रोध आ गया है|

चन्द्रशेखर अष्टकम

इसके पश्चात यमराज तथा भगवान शिव के मध्य भयंकर युद्ध हुआ| भगवान शिव यमराज को मृत्यु की स्थिति तक हराने के पश्चात उन्हें पुनर्जीवित इस शर्त के तहत किया कि धर्मनिष्ठ व्यक्ति हमेशा जीवित रहेगा| इस समय से भगवान शिव को कालांतक(मृत्यु का अंत) के नाम से भी जाना जाने लगा| इसके पश्चात ऋषि मार्कंडेय ने भगवान शिव की स्तुति के रूप में चन्द्रशेखर अष्टकम (Chandra Shekhar Ashtakam) गाया था| 

चन्द्रशेखर अष्टकम पूजा की कीमत – Chandrashekhar Ashtakam Puja Cost

  1. 551 पाठों के साथ: पुजारियों की संख्या: 5; INR – 11,000; अवधि – 1 दिन 
  2. 1,100 पाठों के साथ : पुजारियों की संख्या: 11; INR – 21,000; अवधि – 1 दिन 
  3. 2,100 पाठों के साथ: पुजारियों की संख्या: 21; INR – 35,000; अवधि – 1 दिन 

निष्कर्ष

किसी भी तरह की पूजा करने के लिए हमें बहुत सारी तैयारियां करनी होती है| गावों में पूजा आसानी से हो जाती है लेकिन शहरों में लोगों के पास समय की कमी होती है| जिस वजह से वह लोग पूजा नहीं करवा पाते है तो उनकी इस समस्या का समाधान हम लेकर आये है 99Pandit के साथ|

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हालांकि, किसी भी समय भगवान की पूजा करना आपको कठिनाइयों, समस्याओं, तनाव और नकारात्मक ऊर्जाओं से हमेंशा बचाता है। जैसा कि आपने चन्द्रशेखर अष्टकम पाठ के हिंदी अर्थ तथा महत्व के बारे में जाना|

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.चन्द्रशेखर अष्टकम किसके द्वारा लिखा गया है?

A.ऋषि मार्कंडेय ने भगवान शिव की स्तुति के रूप में चन्द्रशेखर अष्टकम गाया था|

Q.प्रत्येक सोमवार को चन्द्रशेखर अष्टकम का पाठ करने से क्या होता है?

A.प्रत्येक सोमवार के दिन चन्द्रशेखर अष्टकम का पाठ करने से कुंडली में चन्द्र देव का नकारात्मक प्रभाव कम होता है|

Q.चंद्रशेखर का मतलब क्या होता है?

A.इस अष्टकम में भगवान शिव को चंद्रशेखर (चंद्र – चंद्रमा, शेखर – मुकुट) के रूप में बताया गया है| इसका अर्थ है जो अपने मुकुट को चंद्रमा से सुशोभित करते है|

Q.भगवान शिव को कालांतक क्यों कहा जाता है?

A.यमराज तथा भगवान शिव के मध्य भयंकर युद्ध हुआ| भगवान शिव यमराज को मृत्यु की स्थिति तक हराने के पश्चात उन्हें पुनः जीवित इस शर्त के तहत किया कि धर्मनिष्ठ व्यक्ति हमेशा जीवित रहेगा| इस समय से भगवान शिव को कालांतक (मृत्यु का अंत) के नाम से भी जाना जाने लगा|

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