Durga Kavach Lyrics in Hindi: माँ दुर्गा कवच संस्कृत में
दुर्गा कवच (Durga Kavach Lyrics in Hindi ) का पाठ माता दुर्गा से रक्षा की प्रार्थना करने के लिए किया…
चित्रगुप्त जी की आरती का जाप भगवान चित्रगुप्त को प्रसन्न करने तथा उनकी कृपा पाने के लिए किया जाता है| भगवान चित्रगुप्त जी को पुण्य तथा पाप के लेखक के रूप में भी जाना जाता है| हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा भाई दूज के दिन पंचामृत स्नान, शृंगार, हवन तथा आरती के साथ की जाती है| माना जाता कि यदि आपके पास भगवान चित्रगुप्त जी की कोई प्रतिमा नहीं हो तो आप कलश को ही भगवान चित्रगुप्त का स्वरुप मानकर उसकी पूजा कर सकते है| भगवान चित्रगुप्त की पूजा तथा आरती करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है|
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|| श्री चित्रगुप्त आरती ||
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,
यादतुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं ।
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते ।
‘नानक’ शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥
|| Shri Chitragupt Aarti ||
Om Jai Chitragupta Hare,
Swamiji Jai Chitragupta Hare.
Bhakto ke Ichhit,
Falko poorn kare.
Vighna vinashak mangalkarta,
Santan sukhadayi.
Bhakton ke pratipalak,
Tribhuvanayash chhayi.
Om Jai Chitragupta Hare…
Roop chaturbhuj, shyamal moorti,
Peetambararajai.
Maa Iravati, Dakshina,
Vamang sajai.
Om Jai Chitragupta Hare…
Kasht nivarak, dushth sanharak,
Prabhuantaryami.
Srishti samharan, jan du:kha haran,
Prakatbhaye Swami.
Om Jai Chitragupta Hare…
Kalam, davat, shankh, patrika,
Karmen ati sohai.
Vaijayanti vanamala,
Tribhuvanaman mohai.
Om Jai Chitragupta Hare…
Vishwa nyay ka kary Sambhala,
Brahmarshaye.
Koti koti devta tumhare,
Charan mein dhaye.
Om Jai Chitragupta Hare…
Nrip Sudas aur Bheeshm Pitamah,
Yad tumhein kinha.
Veg, vilamb na kinha,
Ichhit phal diya.
Om Jai Chitragupta Hare…
Dara, sut, bhagini,
Sab apne swasth ke karta.
Jao kahan sharan mein kiski,
Tumtaj main bharta.
Om Jai Chitragupta Hare…
Bandhu, pita tum Swami,
Sharan gahun kiski.
Tum bin aur na duja,
Aaskarun jiski.
Om Jai Chitragupta Hare…
Jo jan Chitragupta Ji ki aarti,
Prem sahit gaave.
Chaurasi se nischit chhute,
Ichhit phal paave.
Om Jai Chitragupta Hare…
Nyayadhish Bankunth nivasi,
Paap-punya likhte.
‘Nanak’ sharan tihare,
Aasan dooji karte.
Om Jai Chitragupta Hare,
Swamiji Jai Chitragupta Hare.
Bhakto ke ichhit,
Falko poorn kare
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