Durga Kavach Lyrics in Hindi: माँ दुर्गा कवच संस्कृत में
दुर्गा कवच (Durga Kavach Lyrics in Hindi ) का पाठ माता दुर्गा से रक्षा की प्रार्थना करने के लिए किया…
आपको बता दे कि भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को ही कुंजबिहारी जी के रूप में भी जाना जाता है| कुंजबिहारी जी को प्रसन्न करने के लिए कुंजबिहारी जी की आरती (Kunjbihari Ji Ki Aarti) का जाप किया जाता है| ऐसे तो कुंजबिहारी जी की आरती (Kunjbihari Ji Ki Aarti) कभी भी की जा सकती है लेकिन अधिकतर इस कुंजबिहारी जी की आरती (Kunjbihari Ji Ki Aarti) का जाप जन्माष्टमी के पावन अवसर पर भक्तों के द्वारा घरों तथा मंदिरों में किया जाता है| कुंजबिहारी जी की आरती (Kunjbihari Ji Ki Aarti) का जप करने से व्यक्ति के मन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होने लगता है|
यह कुंजबिहारी जी की आरती (Kunjbihari Ji Ki Aarti) भगवान श्री कृष्ण का सम्मान करने वाले समारोह का एक बड़ा हिस्सा है| इस कुंजबिहारी जी की एक खास बात यह भी है कि जब भी आप इस आरती का जप करेंगे तो आप भगवान श्री कृष्ण को अपने समीप ही महसूस करेंगे| इस कुंजबिहारी जी की आरती (Kunjbihari Ji Ki Aarti) का जाप करते समय भक्त भगवान श्री कृष्ण का भक्त भगवान श्री कृष्ण से प्रेम और आशीर्वाद पाने की कामना करते है|
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|| आरती श्री कुंजबिहारी की ||
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुँ दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
|| Aarti Kunj Bihari Ki ||
Aarti Kunjbihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ||
Aarti Kunjbihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ||
Gale Me Baijanti Mala,
Bajave Murali Madhur Bala |
Shravan Me Kundal Jhalakala,
Nand Ke Anand Nandlala |
Gagan Sam Ang Kanti Kali,
Radhika Chamak Rahi Aali |
Latan Me Thade Banmali
Bhramar Si Alak,
Kasturi Tilak,
Chandra Si Jhalak,
Lalit Chhavi Shyama Pyaari Ki,
Shri Girdhar Krishan Murari Ki ||
Aarti Kunjbihari Ki,
Shri Girdhar Krishan Murari Ki ||
Kanak May Mor Mukut Bilsai,
Devta Darshan Ko Tarse |
Gagan Sau Suman Rasi Barse |
Baje Murchang,
Madhur Mirdang,
Gwalin Sang,
Atul Rati Gop Kumari Ki,
Shri Girdhar Krishan Murari ||
Aarti Kunjbihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ||
Jahan Te Prakat Bhayi Ganga,
Sakal Man Harini Shree Ganga |
Smaran Te Hot Moh Bhanga
Basi Shiv Sis,
Jata Ke Beech,
Hare Agha Keech,
Charan Chhavi Shri Banwari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ||
Aarti Kunjbihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ||
Chamakti Ujjawal Tat Renu,
Baaj Rahi Vrindavan Benu |
Chahun Disi Gopi Gwal Dhenu
Hasat Mridu Mand,
Chandani Chand,
Katat Bhav Fand,
Ter Sun Deen Dukhari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ||
Aarti Kunjbihari Ki,
Shri Girdhar Krishna Murari Ki ||
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