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Pitru Paksha 2024 : जाने कब शुरू होंगे पितृ पक्ष 2024, तिथि, समय व महत्व

99Pandit Ji
Last Updated:July 11, 2024

पौराणिक कथाओं के अनुसार हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) का बहुत ही बड़ा महत्त्व गया है| हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) के समय पिंडदान, तर्पण तथा श्राद्ध कर्म किया जाता है|

माना जाता है कि जो भी व्यक्ति पितृ पक्ष 2024 के समय तर्पण, श्राद्ध कर्म और पिंडदान करता है तो उस व्यक्ति व्यक्ति को अपने पितरो का आशीर्वाद भी मिलता है| पितरों का शरद श्राद्ध करने से मनुष्य के जीवन में चल रही सभी प्रकार की परेशानियाँ दूर होती है|

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) के समय दान करने का भी बहुत ही बड़ा महत्त्व बताया गया है| पितृ पक्ष 2024 को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है| इन पितृ पक्ष के कुछ दिनों में हमारे पितरों की पूजा की जाती है|

पितृ पक्ष 2024

इस दिन लोग अपने मृत परिजनों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते है| इस दिन सभी लोग अपने पूर्वजों या पितरों के नाम से ब्राह्मणों को भोजन करवाते है तथा उन्हें वस्त्र इत्यादि का दान किया जाता है|

कई लोग यह भी मानते है कि हम जो भी दान करते करते है| वह पितरों के पास ब्राह्मणों के द्वारा ही पहुँचता है| इसके अलावा यदि आप किसी धार्मिक स्थान पर पितृ पक्ष पूजा तथा पितृ दोष पूजा करवाना चाहते है तो 99Pandit आपको उज्जैन जैसे धार्मिक स्थान पर पितृ दोष व पितृ पक्ष पूजा के लिए ऑनलाइन ही पंडित उपलब्ध करवाएगा|

कब से शुरू है पितृ पक्ष 2024 

पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) का यह समय हिन्दू धर्म के लोगों के मध्य बहुत बड़ा महत्व रखता है| पितृ पक्ष 2024 के यह 16 दिन पूर्ण रूप से पितरो तथा उनकी पूजा के लिए समर्पित है|

इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर 2024 मंगलवार से हो जाएगी जो कि 02 अक्टूबर 2024 शनिवार तक रहेगा|

पितृ पक्ष 2024 की महत्वपूर्ण तिथियां व समय

तारीख  श्राद्ध  तिथि
17 सितंबर 2024 पूर्णिमा श्राद्ध भाद्रपदा, शुक्ल पूर्णिमा
18 सितंबर 2024 प्रतिपदा श्राद्ध अश्विन, कृष्ण प्रतिपदा
19 सितंबर 2024 द्वितीया श्राद्ध अश्विन, कृष्ण द्वितीया
20 सितंबर 2024 तृतीया श्राद्ध अश्विन, कृष्ण तृतीया
21 सितंबर 2024 चतुर्थी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण चतुर्थी
22 सितंबर 2024 पंचमी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण पंचमी
23 सितंबर 2024 षष्ठी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण षष्ठी
24 सितंबर 2024 सप्तमी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण सप्तमी
25 सितंबर 2024 अष्टमी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण अष्टमी
26 सितंबर 2024 नवमी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण नवमी
27 सितंबर 2024 दशमी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण दशमी
28 सितंबर 2024 एकादशी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण एकादशी
29 सितंबर 2024 द्वादशी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण द्वादशी
29 सितंबर 2024 मघा श्राद्ध अश्विन, मघा नक्षत्र
30 सितंबर 2024 त्रयोदशी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण त्रयोदशी
01 अक्टूबर 2024 चतुर्दशी श्राद्ध अश्विन, कृष्ण चतुर्दशी
02 अक्टूबर 2024 सर्व पितृ अमावस्या  अश्विन, कृष्ण अमावस्या

 

पितृ पक्ष 2024 श्राद्ध तिथियों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

पूर्णिमा श्राद्ध – Purnima Shraddha 

Purnima Shraddha: हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है| भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से मनुष्य सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है| शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि हमारे जो भी पूर्वज पूर्णिमा के दिन शांत हुए थे| उनका श्राद्ध ऋषियों को समर्पित किया जाता है|

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इस दिन दिवंगत व्यक्ति को सामने रखकर पूजा – अर्चना की जाती है| पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितरों को पिंड दान करना चाहिए| इसके बाद कौआ, गाय तथा कुत्ते को प्रसाद खिलाना चाहिए| फिर ब्राह्मणों को भोजन करवा कर स्वयं भोजन करना चाहिए| 

प्रतिपदा श्राद्ध – Pratipada Shraddha 

Pratipada Shraddha: प्रतिपदा श्राद्ध के बारे में मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, अग्नि पुराण तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी विस्तार से बताया गया है| दिवंगत आत्माओं की शान्ति के लिए इस दिन तर्पण तथा अनुष्ठान की प्रक्रिया की जाती है| इस प्रतिपदा श्राद्ध को पड़वा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है| श्राद्ध करने के लिए कुटुप मुहूर्त तथा रोहिना मुहूर्त को सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है|

यह मुहूर्त अपराह्न काल समाप्त होने तक ही रहता है| श्राद्ध का अंत तर्पण प्रक्रिया को पूर्ण करके ही किया जाता है| माना जाता है कि प्रतिपदा तिथि के दिन नाना तथा नानी का श्राद्ध किया जाता है| इससे उनकी आत्मा बहुत ही प्रसन्न होती है तथा शांति व खुशी का आशीर्वाद देते है| 

द्वितीया श्राद्ध – Dwitiya Shraddha 

Dwitiya Shraddha: यह श्राद्ध हिन्दू चन्द्र महीने के दोनों पक्षों कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष का दूसरा दिन माना जाता है| हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन उन व्यक्तियों का श्राद्ध किया जाता है| जिनकी मृत्यु इन दोनों पक्षों में से किसी एक पक्ष की द्वितीया को हुई हो| द्वितीया श्राद्ध को दूज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है|

कुटुप तथा रोहिना मुहूर्त श्राद्ध के लिए बहुत अच्छे मुहूर्त माने जाते है| मार्कंडेय पुराण नामक हिन्दू शास्त्र में बताया गया है कि श्राद्ध करने से हमारे पूर्वज संतुष्ट होते है तथा सुख, स्वास्थय तथा धन प्रदान करते है| वर्तमान पीढ़ी पितृ पक्ष में श्राद्ध कर उनके प्रति अपना ऋण चुकाते है|

तृतीया श्राद्ध – Tritiya Shraddha

Tritiya Shraddha: तृतीया श्राद्ध में तीन ब्राह्मणों को भोजन करवाने का विधान माना गया है| श्राद्ध में गंगाजल, तिल, कच्चा दूध, तुलसी पत्र तथा शहद मिश्रित जल से जलांजलि दी जाती है| इसके पश्चात पित्तरों का विधिवत प्रक्रिया से पूजन किया जाता है| पितरों को गौघृत का दीपक लगाया जाता है तथा चंदन व गुलाबी फूल चढ़ाए जाते है|

इसके पश्चात पितरों को खीर, पुड़ी तथा सात्विक सब्जी का भोग लगाया जाता है| फिर पिता से लेकर अंतिम पीढ़ी के सभी दिवंगत परिवार पितृगणों के नाम का उच्चारण करते हुए स्वधा शब्द के अन्न जल की आहुति दी जाती है|

चतुर्थी श्राद्ध – Chaturthi Shraddha

Chaturthi Shraddha: श्राद्ध करने के लिए कुटुप मुहूर्त तथा रोहिना मुहूर्त को सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है| पौराणिक ग्रन्थ गरुड़ पुराण के अनुसार यह माना जाता है कि यमपुरी जाने के लिए आत्मा की यात्रा मृत्यु के तेरह दिनों के बाद आरंभ होती है|

पितृ पक्ष 2024

आत्मा को यम दरबार तक जाने के लिए 11 महीने की यात्रा करनी पड़ती है| इस अवधि के दौरान चतुर्थी श्राद्ध में भोजन तथा जल प्रदान करने के लिए पिंडदान तथा तर्पण किया जाता है| इससे यात्रा के समय आत्मा की भूख व प्यास संतुष्ट होती है| 

पंचमी श्राद्ध – Panchami Shraddha

Panchami Shraddha: सभी हिन्दू धर्म के लोगों के लिए श्राद्ध करना आवश्यक है| जिससे इस बात की पुष्टि हो सके कि पूर्वजो को सूक्ष्म दुनिया में रहते हुए उनका भोजन प्राप्त हो| कई सारे धार्मिक पुराण जैसे गरुड़ पुराण, मत्स्य पुराण तथा अग्नि पुराण में बताया गया है कि दिवंगत परिजनों की आत्मा को शान्ति प्रदान करने के लिए तर्पण तथा पिण्ड दान करना बहुत ही आवश्यक माना गया है|

पिण्डदान में परिजनों को घी, चावल, शहद, चीनी तथा बकरी के दूध  से बना पिण्ड चढ़ाया जाता है| तर्पण में पितरों को जौ, काले तिल, आटा तथा कुशा घास मिलाकर जल चढ़ाया जाता है| 

षष्ठी श्राद्ध – Shashthi Shraddha

Shashthi Shraddha: मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण, अग्नि पुराण तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि दिवंगत परिजनों की आत्मा को शान्ति प्रदान करने के लिए तर्पण तथा पिण्ड दान किया जाता है| षष्ठी श्राद्ध परिवार के उन सदस्यों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु दो चन्द्र पक्षों में से किसी एक पक्ष की षष्ठी तिथि हुई हो|

प्रयाग संगम, गया, ऋषिकेश, रामेश्वरम  तथा हरिद्वार श्राद्ध कर्मों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थान माने जाते है| पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) के सभी दिन अशुभ माने जाते है| षष्ठी श्राद्ध का अनुष्ठान करने से हमारे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति भी होगी| 

सप्तमी श्राद्ध – Saptami Shraddha

Saptami Shraddha: सप्तमी श्राद्ध हिन्दू चन्द्र महीने के दोनों पक्ष कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष के सातवें दिन होता है| यह सप्तमी श्राद्ध उन लोगों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु दोनों पक्षों में से किसी एक की सप्तमी तिथि को होती है| पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) एक श्राद्ध कार्यक्रम है|

हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन तर्पण अनुष्ठानों के अलावा सप्तमातृका या सात दिव्य माताओं की पूजा की जाती है| इस सप्तमी श्राद्ध का अनुष्ठान करने के लिए तमिल मान्यता के अनुसार तिरुवरुर के पास कुरुवी रामेश्वरम पितृ मोक्ष शिव मंदिर सबसे अच्छा स्थान माना गया है| 

अष्टमी श्राद्ध – Ashtami Shraddha

Ashtami Shraddha: अष्टमी श्राद्ध को कालाष्टमी तथा भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है| इस तिथि को गजलक्ष्मी का व्रत भी रखा जाता है| माना जाता है कि यह व्रत दिवाली की पूजा से भी महत्वपूर्ण माना जाता है| अष्टमी श्राद्ध की तिथि पर खरीददारी की जा सकती है| जिनका देहांत अष्टमी के दिन होता है| उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जाता है|

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जो भी व्यक्ति अष्टमी की तिथि को श्राद्ध करता है| उसे सम्पूर्ण समृद्धि की प्राप्ति होती है| अष्टमी श्राद्ध के दिन महिलाएं अपने बच्चों तथा पूरे परिवार के लिए उपवास रखती है| इस तिथि के दिन जो व्यक्ति विधिवत तरीके से श्राद्ध की प्रक्रिया को करता है तो उसे पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है| 

नवमी श्राद्ध – Navami Shraddha 

Navami Shraddha: इस नवमी श्राद्ध को हिन्दू धर्म में मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है| पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) में पड़ने वाली यह मातृ नवमी के दिन परिवार से जुड़ी दिवंगत महिलाओं जैसे – दादी, माँ, बहन, बेटी का विशेष रूप से श्राद्ध किया जाता है, जिन महिलाओं की मृत्यु सुहागिन के रूप में होती है| माना जाता है कि इस सम्पूर्ण विधि के साथ श्राद्ध को करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है| जिससे वह प्रसन्न होकर आपको खुशहाल जीवन का आशीर्वाद भी प्रदान करती है| 

दशमी श्राद्ध – Dashami Shraddha 

Dashmi Shradh: शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष 2024 में दशमी श्राद्ध की तिथि बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है| इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है| जिनका निधन दशमी तिथि को हुआ हो| हिन्दू धर्म में मान्यता है कि दशमी का श्राद्ध पूर्ण विधि – विधान से करने पर पितृ तृप्त हो जाते है तथा आपको आशीर्वाद भी प्रदान करते है|

माना जाता है कि यदि हमारे पितर हमसे प्रसन्न रहते है तो जीवन में चल रही किसी भी प्रकार परेशानी से मुक्ति मिल जाती है| ऐसा कहा जाता है कि जिन जातकों की कुंडली पितृ दोष हो तो उन्हें दशमी श्राद्ध अवश्य करना चाहिए| 

एकादशी श्राद्ध – Ekadashi Shraddha

Ekadashi Shraddha: हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष 2024 में यह दिन व्यक्ति जन्म और मृत्यु के दुष्चक्र से छुटकारा पाने में सहायता करने के लिए आता है| इस दिन व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों को मोक्ष प्राप्त करवाने के लिए उपवास रखता है| यह दिन एकादशी श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है|

इस दिन लोगों को अपने पितरों के लिए श्राद्ध तथा तर्पण करना चाहिए| एकादशी व्रत तीन दिवसीय पर्व होता है| जिसमे पहले भक्तों को दोपहर पहला भोजन करना होता है, दूसरे दिन एक कठोर उपवास का पालन करना होता है तथा तीसरे दिन उपवास तोडना होता है| 

द्वादशी श्राद्ध – Dwadashi Shraddha 

Dwadashi Shraddha: इस तिथि के दिन कुतुप मुहूर्त के समय किसी योग्य ब्राह्मण को घर बुलाकर किसी अपने पितरों तथा साधु – संतों का पूर्ण  विधि – विधान के साथ तर्पण तथा दान करना चाहिए| इस बात का ध्यान रखे कि श्राद्ध कर्म में जल, कुश तथा काले तिल का विशेष रूप उपयोग हो|

पितृ पक्ष 2024

कई स्थानों पर साधु – संतों की आत्मा तृप्ति तथा उनका आशीर्वाद पाने के लिए भंडारा किया जाता है| साधु – संतों को भोजन कराने से पूर्व कुत्ता, गाय तथा कौए के दिन विशेष रूप से अलग भोजन निकाल कर रखे| साधु – संतों को करवाने के पश्चात अपनी श्रद्धा के अनुसार उनके दान भी करें| 

त्रयोदशी श्राद्ध – Trayodashi Shraddha

Trayodashi Shraddha: त्रयोदशी श्राद्ध पितृ पक्ष 2024 की त्रयोदशी तिथि मानी गयी है| हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन उन व्यक्तियों का श्राद्ध किया जाता है| जिनकी मृत्यु इन दोनों पक्षों में से किसी एक पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हुई हो|

पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) श्राद्ध कर्म के लिए कुटुप तथा रोहिना मुहूर्त बहुत ही शुभ माना जाता है| इसके बाद का मुहूर्त अर्पणा कला समाप्त होने तक ही रहता है| हिन्दू धर्म के द्वारा इस पितृ पक्ष को अशुभ माना जाता है| इसलिए इस समय में कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी इत्यादि नहीं किये जाते है| 

चतुर्दशी श्राद्ध – Chaturdashi Shraddha 

Chaturdashi Shraddha: इस तिथि पर परिवार के उन सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी हथियार से, किसी दुर्घटना में, आत्महत्या, किसी हिंसक मौत का सामना करना पड़ा हो या किसी के द्वारा हत्या की गई हो| यदि किसी कारणवश इस दिन श्राद्ध नहीं किया जाए तो उस परिस्थिति में अमावस्या के दिन यह श्राद्ध किया जाता है| इस चतुर्दशी श्राद्ध को घायल चतुर्दशी या घाट चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है|

अमावस्या श्राद्ध – Amavasya Shraddha  

Amavasya Shraddha: कई बार ऐसा होता है कि लोगों को अपने पितरों की तिथि याद नहीं होती तो कभी ऐसा होता है कि लोगों को अपने पितरों के बारे में ही पता नहीं होता तो उस परिस्थिति में इन सभी पितरों का श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दिन ही किया जाता है| माना जाता है कि इस दिन श्राद्ध करने से ज्ञात तथा अज्ञात पितृ संतुष्ट होते है|

माना जाता है कि ऐसे पितृ जिनके बारे में आपको ज्ञात नहीं है| वह पितृ पक्ष में पृथ्वी पर आकर आपसे तृप्त होने की आशा रखते है| इस वजह से सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी ज्ञात तथा अज्ञात पितरों का श्राद्ध कर देना चाहिए| 

पितृ पक्ष 2024 का महत्व – Importance of Pitru Paksha 2024

हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष 2024 को बहुत ही बड़ा महत्व दिया गया है| यह पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) की तिथियाँ 16 दिनों तक चलती है| इन 16 दिनों में सभी लोग अपने पूर्वजों या पितरों का श्राद्ध करते है|

इस पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) के समय पितरों का श्राद्ध करना बहुत ही शुभ माना जाता है| इस अवसर पर सभी लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि प्रदान करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते है|

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इसके अलावा हिन्दू धर्म के लोगों का यह मानना है कि उनके पूर्वज उनके जीवन एक बहुत ही बड़ी भूमिका निभाते है| कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि पितृ पक्ष 2024 के समय हमारे पूर्वज पृथ्वी पर आते है तथा हम जो भी वस्तुएं जैसे खाना, वस्त्र इत्यादि उन्हें प्राप्त होता है|

यह दिन पितृ तर्पण, श्राद्ध कर्म या पिंडदान के लिए अत्यंत ही शुभ माने जाते है| इस दिन लोग ब्राह्मणों को अपने घर पर बुलाकर उन्हें भोजन, वस्त्र तथा दक्षिणा देते है|

निष्कर्ष – Conclusion

आज हमने इस आर्टिकल के माध्यम से  पितृ पक्ष 2024 (Pitru Paksha 2024) के बारे में काफी बातें जानी है| हमने पितृ पक्ष 2024 की 16 के नाम के साथ – साथ उनके बारे में जानकारी भी आपको प्रदान की |

हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा बताई गई जानकारी से आपको कोई ना कोई मदद मिली होगी| इसके अलावा भी अगर आप किसी और पूजा के बारे में जानकारी लेना चाहते है तो आप हमे Whatsapp पर भी सम्पर्क कर सकते है|

इसके अलावा यदि आप हिन्दू धर्म से संबंधित किसी पूजा जैसे – पितृ पक्ष श्राद्ध, त्रिपिंडी श्राद्ध पूजा इत्यादि हेतु पंडित जी की तलाश कर रहे है तो आपको बता दे की 99Pandit पंडित बुकिंग की सर्वश्रेष्ठ सेवा है जहाँ आप घर बैठे मुहूर्त के हिसाब से अपना पंडित ऑनलाइन आसानी से बुक कर सकते हो |

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.पितृ पक्ष 2024 के श्राद्ध कब से प्रारंभ है?

A.इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 02 अक्टूबर को समाप्त होंगे|

Q.श्राद्ध में क्या नहीं करना चाहिए?

A.श्राद्ध के समय तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए|

Q.पितृ पक्ष कितने दिनों का होता है?

A.हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष पूरे 16 दिनों तक चलता है|

Q.घर में पितरों का स्थान कहाँ होना चाहिए?

A.पितरों की तस्वीर हमेशा उत्तर दिशा की तरफ ही लगानी चाहिए। साथ ही पितरों का मुंह दक्षिण दिशा में होना|

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