Satyanarayan Puja Samagri | सत्यनारायण कथा पूजन के लिए आवश्यक सामग्री

Posted By: 99PanditJi
Posted On: August 9, 2023
Last Update On: August 14, 2023

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सत्यनारायण कथा का आयोजन सामूहिक रूप से करवाया जाये तो आपके साथ- साथ इससे मिलने वाले फल की प्रप्ति श्रवण करने वाले लोगो को भी होती है | सत्यनारायण की कथा में सबसे महत्वपूर्ण सत्यनारायण कथा पूजन सामग्री का ज्ञान होना होता है | बिना सामग्री के ज्ञान के कथा की दौरान विधन उत्पन्न हो सकता है ,अतः आवश्यक है की हमें पूजन सामग्री का महत्व ज्ञात हो जिससे की हमें इस धार्मिक – अनुष्ठान में कोई विधन न आये | 

सत्यनारायण भगवान विष्णु का ही एक सत्य रूप माना जाता है | इस कथा में भगवान विष्णु के सत्य नारायण रूप की पूजा होती है | भगवान श्री सत्यनारायण की कथा का आयोजन करने से आपके घर में सुख, समृद्धि, का वास होता है |

सत्यनारायण कथा 

इसका तात्पर्य यह होता है की यह हमें एक सत्यनारायण कथा हमें परमात्मा के सत्य छवि की एक दृष्टि प्रदान करवाता है | इस श्रवण के बाद हमें यह महसूस होता है की इस मायावी संसार में सत्य केवल ईश्वर या परमात्मा है बाकि सब दिखावा या मोहमाया है |   

सत्यनारायण कथा मैं विभिन्न्न उदाहरणों के माध्यम से हमें यह समझने का प्रयत्न किया है की सत्यनिष्ठ बनने से व्यक्ति का जीवन सुखमय व् शांतिमय बना रहता है | यह कथा देशभर में लोकप्रिय कथा है | लोगो की श्रद्धा भावना  इस प्रसंग को सुनकर सहज ही उभर आती है | 

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99पंडित आपको सत्यनारायण कथा पूजन सामग्री के बारे में सही व् सटीक जानकारी उपलब्ध करवाने के साथ- साथ आपको सत्यनारायण कथा करवाने हेतु 

ऑनलाइन पंडित बुकिंग की सुविधा देता है जहा आप अपनी स्थानीय भाषा के अनुरूप अनुभवी और पेशेवर पंडित बुक कर सकते है | 

99पंडित की ऑनलाइन प्लेटफार्म पर मौजूद पंडितो की टीम आपको सत्यनारायण कथा को वैदिक शास्त्रानुसार करवाने की योग्यता रखते है व सत्यनारायण कथा में होने अनावश्यक खर्चे से बचने की सलाह भी  प्रदान करवाते है जिससे की पूजा के दौरान किसी भी प्रकार का व्यवधान ना आये |  

आगे हम 99पंडित  इस ब्लॉग की माध्यम से आपको सत्यनारायण कथा के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे | जिसकी आपको सत्यनारायण कथा के दौरान आवश्यता रहेगी | 

सत्यनारायण कथा पूजन सामग्री की सूची निचे दी हुई है भगत दी गयी सूचि का ध्यानपूर्वक अवलोकन करे |  

सत्यनारायण कथा पूजन सामग्री 

सामग्री मात्रा
रोली 1 पैकेट 
कलावा (मौली) 3 पैकेट  
सिन्दूर 1 पैकेट 
लौग 1 पैकेट 
इलायची1 पैकेट 
सुपारी  11 नग 
गरिगोला  1 नग 
शहद 1 शीशी 
इत्र1 शीशी 
गंगाजल 1 शीशी 
लाल कपडा आधा मीटर 
पीला कपडाएक मीटर 
धुप बत्ती 1 पैकेट 
रूईबत्ती गोल 1 पैकेट 
कपूर50 ग्राम 
देशी घृत 500 ग्राम 
नावग्रह चावल 1 पैकेट 
हल्दी (पीसी) 1 पैकेट 
यज्ञोपर्वात 5 नग 
सकोरा मिटटी का 3 नग 
दियाळी 10 नग 
नवग्रह समिधा 1 पैकेट 
आम की लकड़ी 1 किलो 
पञ्चमेवा 100 ग्राम 
पानी वाला  नारियल 1 नग 
सप्तमृतिका1 पैकेट 
सप्तधान्य 1 पैकेट 
पंचरत्न 1 पैकेट 
सर्वोषधि 1 पैकेट 
बताशा 100 ग्राम  
हवन सामग्री 500 ग्राम 
दोना – प्रसाद लगाने के लिए 
पञ्चामृत के लिए गिलास 
भोग लगाने के लिए पंचोरी 
मिष्ठान आवश्यकतानुसार 
फल आवश्यकतानुसार 
पान पते  11 नग 
पञ्चामृत आवश्यकतानुसार बना लें 
दूध , दही , घी , चीनी 
फूलआधा किलो 
फूलमाला 5 नग (छोटे- छोटे ) 
केले के पत्ते 5 नग 
आम का पल्लव 1 नग 
तुलसी के पत्ते भोग हेतु 
ताम्रपत्र घर में उपलब्ध हो तो, नया लेन की जरुरत नहीं है 

वर्ष 2023 में सत्यनारायण पूजा-व्रत के लिए तिथि और शुभ- मुहूर्त

तिथि हिन्दू महीना समय 
6 जनवरी, शुक्रवार  पोष(पूर्णिमा) प्रारम्भ – 02:14 पूर्वाह्न

समाप्त –  04:37 पूर्वाह्न (अगले दिन ) 

5 फरवरी , रविवार माघ पूर्णिमा प्रारम्भ – 09:29 अपराह्न

समाप्त – 11:58 रात्रि (अगले दिन ) 

7 मार्च, मंगलवार फाल्गुन पूर्णिमाप्रारम्भ – 04:17 अपराह्न

समाप्त – 06:09 शाम (अगले दिन ) 

5  अप्रैल, बुधवार चैत्र पूर्णिमाप्रारम्भ – 09 : 00 पूर्वाह्न

समाप्त – 10 :04 पूर्वाह्न(अगले दिन )   

5 मई,  शुक्रवारवैशाख पूर्णिमाप्रारम्भ – 11:44 अपराह्न

समाप्त – 11:03 रात्रि (अगले दिन ) 

3 जून, शनिवारज्येष्ठ पूर्णिमाप्रारम्भ – 11:16 पूर्वाह्न

समाप्त – 11:03 पूर्वाह्न(अगले दिन ) 

3 जुलाई,  सोमवारआषाढ़ पूर्णिमाप्रारम्भ – 08:21 रात्रि 

समाप्त – 05:08 शाम (अगले दिन ) 

1 अगस्त मंगलवारश्रावण पूर्णिमाप्रारम्भ –  03 : 51  पूर्वाह्न

समाप्त – 12 : 01  पूर्वाह्न(अगले दिन ) 

30 अगस्त,बुधवार श्रावण पूर्णिमाप्रारम्भ –   10 : 58  पूर्वाह्न

समाप्त – 07 : 08 पूर्वाह्न (अगले दिन ) 

29 सितम्बर, शुक्रवारशुक्ल पूर्णिमाप्रारम्भ –  06 : 49  अपराह्न

समाप्त – 03 : 26  अपराह्न (अगले दिन ) 

28 अक्टूबर, शनिवारशुक्ल पूर्णिमाप्रारम्भ –  04 : 17   अपराह्न

समाप्त – 01 : 53   अपराह्न (अगले दिन ) 

27 नवंबर , सोमवारशुक्ल पूर्णिमाप्रारम्भ –  03 : 53  अपराह्न

समाप्त – 02  : 45  अपराह्न (अगले दिन ) 

26 दिसंबर,मंगलवार शुक्ल पूर्णिमाप्रारम्भ –  05  : 46   अपराह्न

समाप्त – 06  : 02   अपराह्न (अगले दिन ) 

सत्यनारायण कथा का महत्व 

ऐसा माना जाता है की सत्यनारायण कथा भगवान नारायण  सभी मनुष्यों से किया गया एक वादा है कि यदि आप सच्चे हैं, और सत्यता के मार्ग ओर चलने के प्रेरणा लेते है तो भगवान सत्यनारायण (विष्णु) आपको जीवन के सभी संकटों और खतरों से बचाएंगे व आपके साथ कभी गलत नहीं होने देंगे |  

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सत्यनारायण कथा पूजन सामग्री शुद्ध व पवित्र हो इसका पूरा ख्याल रखे क्यों की सत्यनारायण कथा मे पूजन सामग्री महत्वपूर्ण होती है | 

  • सत्यनारायण कथा के घर में पाठ करने से घर में सुख शान्ति रहती है | 
  • सत्यनारायण कथा  करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है | 
  • इस कथा का इतना प्रभाव होता है की व्यक्ति के अंदर जीवन में सत्यता का आगमन होता है | 
  • साथ ही सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती है | 
  • आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
  • सत्यनारायण कथा हमें बुराई के मार्ग पर चलने से रोकती है व मानसिक रूप से सत्यता की और अग्रसर करवाती है | 

घर पर सत्यनारायण कथा हेतु पूजन विधि 

  • सबसे पहले आप पूजा स्थल को साफ करें और उसे सजाएं। एक शुद्ध कपड़े को पूजा स्थल पर बिछा दें। उसके पश्चात पूजा की थाली पर कपड़ा बिछा दें और उस पर कलश रखें। कलश को जल से पूर्ण करें और उसमें नारियल रखें।
  • कलश के चारों ओर मंगलकमन्दल बनाएं और उसे फूलों से सजाएं।
  • सप्तशती की पुस्तक को खोलें और सत्यनारायण कथा का पाठ शुरू करें। यह कथा पूजा के दौरान पढ़ी जाती है और इसके पश्चात आरती की जाती है।
  • पूजा की थाली पर रोटी, चावल, दही, शहद, घी, शक्कर, फल, नर्मदा जल, पंचामृत, पुष्प, दीप, धूप, बत्ती, अगरबत्ती, कपूर आदि रखें।  

नोट :- आप सत्यनारायण कथा पूजन सामग्री की व्यवस्था 99पंडित पर बताए अनुसार अनुसार कर सकते है |  

  • पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें और मन्त्रों के साथ आरती करें।
  • पूजा के बाद, प्रसाद को भगवान को अर्पित करें और उसे बांटें।
  • अंत में, श्रद्धालुओं का भोजन करवाएं और भगवान का आशीर्वाद लें।

सत्यनारायण पूजा के लिए ऑनलाइन बुकिंग कैसे करें 

99पंडित के ऑनलाइन माध्यम से आप घर बैठे  सत्यनारायण पूजा के लिए आप घर बैठे अपना  बुक कर सकते है | इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से आप अपने स्थानीय भाषा के पंडित को आसानी से बुक कर सकते हो | बुकिंग हेतु आपको हमरी 99पंडित की ऑनलाइन वेबसाइट पर जाना होगा | 

  • तत्पश्चात आपको “बुक ए पंडित” पर क्लीक करना होगा 
  • यहाँ अपनी सामान्य जानकारी का ब्योरा देना होगा जैसे आपका नाम, आपका निवास स्थान जहा पर आपको पूजा को संपन्न करवाना है, आपका शहर, फ़ोन नंबर, ईमेल पता, और आपके द्वारा करवाई जाने वाली पूजा का चयन करके आप अपना पंडित आसानी से बुक कर सकते है | 
  • इसके बाद आपको “जमा करना” बटन पर क्लीक  पुष्टि करण करना होगा |  
  • इसके बाद आपको पंडित की पूरी जानकारी के साथ मेल या संदेश के माध्यम से पंडित और पूजा की समस्त  सूचना मिल जाएगी | व आपका पडित आपसे जल्द संपर्क कर पायेगा | 

आप सत्यनारायण कथा पूजन सामग्री के अलावा अगर आप यदि रामकथा पूजन, अखंड रामायण पाठ पूजा, या  श्रीमद् भागवत महापुराण कथा आयोजन के लिए सामग्री के बारे में पता कर रहे हो तो आप हमारी 99Pandit के ब्लॉग सेक्शन से आप  इनकी सामग्री की विस्तृत जानकारी आसानी से  प्राप्त कर सकते है | आपको सत्यनारायण कथा का पूरा लाभ मिले ऎसी हम 99पंडित कामना करते है | |धन्यवाद | 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q.सत्यनारायण पूजा घर में कब करनी चाहिए?

A.भगवान सत्यनारायण की पूजा हमें एकादशी तिथि अर्थांत हिन्दू चंद्र क्लेंडेर के अनुसार यह चंद्र पखवाड़े का ग्यारवां दिन होता होता है शुभ दिन माना जाता है | इसके अलावा आप अमावस्या या पूर्णिमा के दिन भी सत्यनारायण कथा करवाना भी आदर्श माना जाता है |

Q.नारायण और सत्यनारायण में क्या अंतर है?

A.नारायण शव्द भगवान विष्णु  के लिए प्रयुक्त होता है | सत्यनारायण भगवान  विष्णु का ही एक सत्यता का स्वरूप है जिसके माध्यम  से भगवान विष्णु हमें सत्यता के मार्ग के और बढ़ते रहने की प्रेरणा देते है |

Q.सत्यनारायण पूजा करने से क्या होता है?

A.सत्यनारायण पूजा का आयोजन धन, स्वास्थ्य, समृद्धि, संतान सुख, शुभ समाधान, और कष्टों से मुक्ति के लिए किया जाता है। यह पूजा धार्मिक तथा मानसिक शांति, प्रेम-भक्ति, समाजिक सद्भावना, उच्च आदर्शों को प्रोत्साहित करती है। इसके अलावा, यह पूजा उपासक के जीवन में आनंद, सफलता, और संतुष्टि को लाती है।

Q.सत्यनारायण की कथा कितने बजे करनी चाहिए?

A.सत्यनारायण की कथा को अमावस्या या पूर्णिमा के दिनों पर आदित्य द्वारा विधिपूर्वक की जाती है। इसे ज्यादातर लोग प्रातःकाल या शामकाल में करते हैं, लेकिन कथा को शामकाल का समय उचित माना जाता है। आमतौर पर, इसे शामकाल से शुरू करना अच्छा माना जाता है |

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