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यज्ञोपवित संस्कार पूजन सामग्री

99Pandit Ji
Last Updated:August 1, 2023

यज्ञोपवीत, जिसे ज्ञोपवित भी कहा जाता है, सनातन धर्म संस्कृति में विशेष धार्मिक स्नान और विशेष उपायों के साथ आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर यज्ञोपवीत पूजन सामग्री का महत्वपूर्ण भूमिका होती  है। इस पूजा में, ब्रह्मचारी पंडित जी के माध्यम से  विभिन्न प्रकार की सामग्री का उपयोग करके पूजन करता है ।

यज्ञोपवीत संस्कार पूजन, एक प्राचीन हिंदू धार्मिक अवसर के रूप में माना जाता है, जो ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्ण के ब्रह्मचारियों के लिए विशेष रूप से आयोजित किया जाता है। इस संस्कार को जन्म के बाद किया जाता है और इससे पहले छोटे बालक के जीवन का एक नया चरण शुरू होता है। यह प्रत्येक ब्रह्मचारी के जीवन में एक बड़ी परिवर्तनशील घटना होती है। इस पूजन में यज्ञोपवीत पूजा सामग्री का विशेष महत्व होता है | 

यज्ञोपवित संस्कार पूजन सामग्री

यह संस्कार ब्रह्मचारी को उच्चता, संकल्प, और धार्मिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है। ज्ञोपवीत संस्कार का यह पवित्र और धार्मिक अवसर हर साल लाखों ब्राह्मण, क्षत्रिय, और वैश्य परिवारों में धूमधाम से मनाया जाता है, जिससे ब्रह्मचारी को समाज में सम्मान और श्रेयस्कर पथ मिलता है।

इस ब्लॉग के पीछे हमारा उद्देश्य भगतों को यज्ञोपवीत संस्कार पूजन के बारे में बताना तथा यज्ञोपवीत पूजन सामग्री, की जानकारी देते हुए , इसके महत्व , विधि , इसके पूजन का उद्देश्य आप एक पहुंचना है | 

हम 99पंडित आशा करते है की हमारे द्वारा दी गयी यह जानकारी आपके यज्ञोपवीत संस्कार पूजन  के दौरान काम आएगी | 

यज्ञोपवीत पूजन सामग्री

आइए जानते हैं कि यज्ञोपवीत संस्कार पूजा में उपयोग की जाने वाली विभिन्न सामग्री के बारे में- 

सामग्री  मात्रा
रोली 50 ग्राम 
कलावा (मौली 4 पैकेट 
सिंदूर 50 ग्राम 
लौंग 1 पैकेट 
इलायची 1 पैकेट 
सुपारी 50 ग्राम 
शहद 1 शीशी
इत्र 1 शीशी
गंगाजल 1 शीशी
कलश बड़ा सजा हुआ  1  नग
सकोरा 5   नग
दियाली 20   नग
जनेऊ 20   नग
माचिस 1 नग
नवग्रह चावल 1 पैकेट
धूपबत्ती  2  पैकेट
रुई बत्ती  1 पैकेट
देशी गाय  का घी  500 ग्राम 
पीला वस्त्र  1 मीटर 
लाल वस्त्र  1 मीटर 
श्वेत वस्त्र  1 मीटर 
नया पीढा  1 नग 
खड़ाऊ  1 नग 
छत्ता (काला न हो ) 1 नग 
हवन सामग्री  500 ग्राम 
कपूर  100 ग्राम 
गेरू  100 ग्राम 
दोना  1 गड्डी 
सरसो का तेल अथवा तिल ल का तेल  आधा लिटर 
आम की समिधा (लकड़ी पतले साइज की )  2 किलो 
पलाश दण्ड (लगभग 5 या 7 फिट ) 1 नग 
नित्यकर्मा पूजा प्रकाश पुस्तक  1 नग 
पंचमेवा कटी हुई  200 ग्राम 
कलशी (देव एवं पितृ आमंत्रण हेतु ) 4 नग 
पिली धोती (ब्रम्चारी  हेतु संस्कार के समय ) 1 नग
ताम्बे के प्लेट (गायत्री मंत लेखन हेतु )  1 नग
नयी थाली   2 नग
कटोरी  2 नग
गिलाश (अष्टभाण्ड )  8 नग 
लोटा  1 नग
चावल  सवा किलो 
धूलि उड़द (सील पोहन में आवश्यक ) 250 ग्राम 
खम्भ  1 नग
माई मोरी (कुशा बण्डल ) 1 नग
दीवट  1 नग
सूप (मान्य  हेतु अगर आवश्यक हो तो ) 1 नग
शृंगार सामग्री आवश्यकतानुसार  1 नग
साड़ी (मान्य  हेतु अगर आवश्यक हो तो ) 1 नग
गोबर की कण्डी (आहुति हेतु ) 5  नग
पलाल की लकड़ी  200 ग्राम 
नवग्रह समिधा  1 पैकेट 
बालू (हवन वेदी निर्माण हेतु ) 1 किलो 
बताशा  2  किलो 
आम का पल्लव्  1 नग
खम्भ गाड़ने हेतु कनस्तर सजा हुआ  1 नग
ब्रम्पुर्ण पात्र (भगोना अथवा डिब्बा ) 1 नग
पूर्ण पात्र हेतु चावल ( जो खंडित न हो )  5 किलो 
नया अंगोछा या रामनामी (मंत्र देते समय)   1 नग 
बांस की छड़ी (पतली ) 1 नग 

विशेष :- इसके अलावा फल एवं मिठाई आवश्यकतानुसार , फूलमाला 5 , फूल आधा किलो , व् ग्यारह पान की आवशयकता रहेगी पूजन के समय रहेगी  | 

यज्ञोपवीत पूजन का महत्व

यज्ञोपवीत पूजन का महत्व हिंदू धर्म में बहुत उच्च माना जाता है। यह पूजन हिंदू धर्म के ब्राह्मण वर्ण के लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिसमें वे अपने वेदी जीवन की शुरुआत करते हैं। यह उन्हें वेदों के अनुसार आचार-विचार की सही दिशा में चलने की प्रेरणा देता है और उन्हें धार्मिक जीवन की नियमों और मूल्यों को समझने में मदद करता है।

यज्ञोपवीत, जिसे जनेउ संस्कार भी कहा जाता है, एक धागा होता है जो ब्राह्मण वर्ण के पुरुषों को शौच करने के बाद उनके बायें कंधे से लेकर दाहिने जाँघ तक पहनाया जाता है। यह यज्ञोपवीत उन्हें उनके गुरु वा वेद में विश्वास के साथ जीवन के उद्देश्य की ओर प्रेरित करता है। इसके अलावा यज्ञोपवीत पूजन सामग्री का इस महत्वपूर्ण संस्कार प्रमुख योगदान होता है | 

यज्ञोपवीत पूजन विधि

  • सबसे पहले पूजा के लिए एक शुद्ध और साफ जगह चुनें। फिर से नहाकर धोती वस्त्र पहनें।
  • यज्ञोपवीत( जनेऊ )  को शुद्ध और स्वच्छ जल में डालकर उसे सम्पूर्ण शरीर में धारण करें। धारण करते समय, गायत्री मंत्र उच्चारण करें। गायत्री मंत्र इस प्रकार से है –

||  ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् || 

  • अब यज्ञोपवीत को सुन्दर वस्त्र से बांध लें। इसके बाद, यज्ञोपवीत को कुमकुम, गंध और अक्षता से सजाएं।
  • तत्पश्चात फूल, अगरबत्ती, धूप और दीपक जलाएं।
  • अब यज्ञोपवीत को पूजनीय पानी से स्नान कराएं और इसे सुंदर वस्त्र से बांधें।
  • प्रसाद को भगवान को अर्पित करें और फिर स्वयं भी खाएं।

नोट :- यज्ञोपवीत पूजन सामग्री का उपयोग पूजन विधि में किस प्रकार से करना है इस हेतु पंडित जी से एक बार विचार- विमर्श अवश्य कर लें

यज्ञोपवीत पूजन का उद्देश्य 

विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक संस्कारों के साथ-साथ व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर भी होता है। यज्ञोपवीत पूजन का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:

संस्कारिक महत्व

    • यज्ञोपवीत पूजन एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जिससे ब्राह्मण वर्ण में उत्तीर्ण बालक द्विजाति के रूप में उभरते हैं। इससे उन्हें वेदों का अध्ययन करने की अनुमति मिलती है और धार्मिक कर्तव्यों को अधिक उत्साह से निभाने की शक्ति मिलती है।

धार्मिक संबंध

    • यज्ञोपवीत पूजा व्यक्ति के धार्मिक संबंधों को मजबूत बनाती है। यज्ञोपवीत व्यक्ति को धार्मिक ज्ञान, शक्ति और संयम की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है और उसे धार्मिक दिक्षा लेने का मौका देता है। यज्ञोपवीत पूजन सामग्री भी इस धार्मिक संस्कार में महत्वपूर्ण होती है अत : ध्यान रहे की वह पूर्ण शुद्ध व पवित्र हो | 

विद्वत्ता का प्रतीक

    • यज्ञोपवीत पूजन विद्यार्थियों के विद्वत्ता और ज्ञान के प्रतीक होता है। यह विद्यार्थी को अध्ययन के महत्व को समझाता है और उसे ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रोत्साहित करता है।

आध्यात्मिक संबंध

  • इसके अलावा यज्ञोपवीत पूजन व्यक्ति को आध्यात्मिक संबंधों को स्थायी बनाने के लिए प्रेरित करता है। यह व्यक्ति को अपने असली रूप को समझने, आत्मा के उद्देश्य को जानने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन करता है।

निष्कर्ष 

अगर आप यज्ञोपवीत पूजन सामग्री का प्रयोग पूर्ण वैदिक विधि से पंडित जी के परामर्श के अनुरूप करते है तो यह आपके लिए यह आपके लिए मोक्षदायी सिद्ध हो सकता है | 

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