Sundarkand Path Lyrics: सम्पूर्ण सुंदरकांड पाठ हिंदी लिरिक्स
सुंदरकांड पाठ: भगवान हनुमान जी कलयुग के देवता है| जिन्हें प्रसन्न करना ज्यादा कठिन कार्य नहीं है| यह थोड़ी –…
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार शनि चालीसा (Shani Chalisa) के पाठ को शनिवार के दिन करना बहुत ही शुभ माना जाता है| शनि देव की पूजा करने के बाद शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करने से शनिदेव अपने भक्तों से बहुत ही प्रसन्न होते है| इस शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट व परेशानियां दूर होती है| ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों पर शनि देव की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, उन्हें इससे मुक्ति पाने व शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करना चाहिए| जैसा आप सभी जानते है कि शनि देव को न्याय के देवता के रूप में भी जाना जाता है|
शनि अमावस्या के दिन शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करने व्यक्ति को पितृ दोष में भी राहत मिलती है|शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ कभी भी किया जा सकता है| यदि आप शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ प्रारंभ करना चाहते है तो शनिवार इसके लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है| शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ बहुत अधिक लाभकारी होता है, जब इसका जाप शनि देव के मंदिर में किया जाए| शनि देव की विशेष कृपा पाने के लिए पीपल के पेड़ के नीचे शनि चालीसा (Shani Chalisa) का पाठ करना चाहिए|
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|| शनि चालीसा ||
|| दोहा ||
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥
|| चौपाई ||
जयति जयति शनिदेव दयाला ।
करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै ।
माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥
परम विशाल मनोहर भाला ।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके ।
हिय माल मुक्तन मणि दमकै ॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा ।
पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥
पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन ।
यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥
सौरी, मन्द, शनी, दश नामा ।
भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥
जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं ।
रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥
पर्वतहू तृण होई निहारत ।
तृणहू को पर्वत करि डारत ॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो ।
कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥
बनहूँ में मृग कपट दिखाई ।
मातु जानकी गई चुराई ॥
लखनहिं शक्ति विकल करिडारा ।
मचिगा दल में हाहाकारा ॥
रावण की गतिमति बौराई ।
रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥
दियो कीट करि कंचन लंका ।
बजि बजरंग बीर की डंका ॥
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा ।
चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥
हार नौलखा लाग्यो चोरी ।
हाथ पैर डरवाय तोरी ॥
भारी दशा निकृष्ट दिखायो ।
तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥
विनय राग दीपक महं कीन्हयों ।
तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी ।
आपहुं भरे डोम घर पानी ॥
तैसे नल पर दशा सिरानी ।
भूंजीमीन कूद गई पानी ॥
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई ।
पारवती को सती कराई ॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा ।
नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी ।
बची द्रौपदी होति उघारी ॥
कौरव के भी गति मति मारयो ।
युद्ध महाभारत करि डारयो ॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला ।
लेकर कूदि परयो पाताला ॥
शेष देवलखि विनती लाई ।
रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ॥
वाहन प्रभु के सात सजाना ।
जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी ।
सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं ।
हय ते सुख सम्पति उपजावैं ॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा ।
सिंह सिद्धकर राज समाजा ॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै ।
मृग दे कष्ट प्राण संहारै ॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी ।
चोरी आदि होय डर भारी ॥
तैसहि चारि चरण यह नामा ।
स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा ॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं ।
धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं ॥
समता ताम्र रजत शुभकारी ।
स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै ।
कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला ।
करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई ।
विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत ।
दीप दान दै बहु सुख पावत ॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा ।
शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ॥
|| दोहा ||
पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार ।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ॥
|| Shani Chalisa ||
|| Doha ||
Jai Ganesh Girija Suvan, Mangal karan Kripal |
Dinan Ke Dukh Dur Kari, Kije Nath Nihaal ||
Jai Jai Shree Shanidev Prabhu, Sunahu Vinay Maharaj |
Karahu Kripa He Ravi Tanay, Raakhhu Jan Ki Laaj ||
|| Chaupai ||
Jayati Jayati Shanidev Dayala |
Karan Sada Bhaktan Pratipala ||
Chaari Bhuja, Tanu Shyam Viraaje |
Maathe Ratan Mukut Chhabi Chhaje ||
Param Vishal Manohar Bhala |
Tedhi Drishti Bhrikuti Vikrala ||
Kundal Sharavan Chamacham Chamke |
Hiya Maal Muktan Mani Damke ||
Kar Me Gada Trishul Kuthara |
Pal Bich Kare Arihi Sanhara ||
Pingal, Krishano, Chhaya Nandan |
Yam, Konstha, Raudra, Dukhbhanjan ||
Sauri, Mand, Shani, Dash Nama |
Bhaanu Putra Pujanhi Sab Kama ||
Jaa Par Prabhu Prasann He Jaanhi |
Rankhun Raav Kare Kshan Maahin ||
Parvathu Trin Hoe Niharat |
Trinhu Ko Parvat Kari Daarat ||
Raaj Milat Ban Ramhin Dinhon |
Kaikeihun Ki Mati Hari Linhyo ||
Banahun Me Mrig Kapat Dikhayi |
Maatu Jaanki Gai Churai ||
Lakanhi Shakti Vikal Karidara |
Machiga Dal Me Hahakar ||
Ravan Ki Gatimati Baurai |
Ramchandra Sau Bair Badhai ||
Diyo Kit Kari Kanchan Lanka |
Baji Bajrang Bir Ki Danka ||
Nrip Vikram Par Tuhi Pagu Dhara |
Chitr Mayur Nigali Gai Hara ||
Haar Naulakha Laagyo Chauri |
Haath Pair Darvaay Tori ||
Bhari Dasha Nikrisht Dikhayo |
Telihin Ghar Kolhu Chalvaayo ||
Vinay Rag Deepak Maham Kinhayo |
Tab Prasann Prabhu Haiv Sukh Dinhayo ||
Harischandra Nrip Naari Bikaani |
Apahun Bhare Dom Ghar Paani ||
Taise Nal Par Dasha Sirani |
Bhunjimin Kud Gai Paani ||
Shree Shankarhin Gahyo Jaai |
Parvati Ko Sati Karai ||
Tanik Vilokat Hi Kari Risa |
Nabh Udi Gayo Gaurisut ||
Paandav Par Bhe Dasha Tumhari |
Bachi Draupadi Hoti Ughaari ||
Kaurav Ke Bhi Gati Mati Maaryo |
Yuddha Mahabharat Kari Daaryo ||
Ravi Kahn Mukh Mahn Tatkala |
Lekar Kudi Paryo Patala ||
Shesh Devlakhi Vinati Laai |
RAvi Ko Mukh Te Diyo Chhudai ||
Vahan Prabhu Ke Saat Sajaanna |
Jag Digaaj Gardabh Mrig Swana ||
Jambuk Singh Aadi Nakh Dhaari |
So Fal Jyotish Kahat Pukari ||
Gaj Vahan Laxmi Gruh Aave |
Haya Te Sukh Sampati Upjaave ||
Gardabh Haani Kare Bahu Kaja |
Singh Siddhkar Raj Samaja ||
Jambuk Buddhi Nashth Kar Daare |
Mrig De Kashth Praan Sanhaare ||
Jab Aavahin Prabhu Swaan Sawari |
Chori Aadi Hoya Dar Bhaari ||
Taisahi Chaari Charan Yah Nama |
Swarn Lauha Chandi Aru Tama ||
Lauha Charan Par Jab Prabhu Aave |
Dhan Jan Sampatti Nashth Karave ||
Samta Taamr Rajat Shubhkari |
Swarn Sarv Sarv Sukh Mangal Bhari ||
Jo Yah Shani Charitra Nit Gaave |
Kabahun Na Dasha Nikrashth ||
Adbhut Nath Dikhaave Leela |
Kare Shatru Ke Nashi Bali Dhila ||
Jo Pandit Suyogya Bulvaae |
Vidhivat Shani Grah Shanti Karai ||
Pipal Jal Shani Divas Chadhavat |
Deep Dan De Bahu Sukh Paavat ||
Kahat Ram Sundar Prabhu Dasa |
Shani Sumirat Sukh Hot Prakasha ||
|| Doha ||
Paath Shanischar Dev Ko, Ki Ho Bhakt Taiyaar |
Karat Paath Chalish Din, Ho Bhavsagar Paar ||
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