Aigiri Nandini Lyrics in Sanskrit: महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम संस्कृत में
अयि गिरिनन्दिनि [Aigiri Nandini] के नाम से जाना जाने वाला महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम दुर्गा माता का एक लोकप्रिय देवी मंत्र…
माता सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए सरस्वती चालीसा [Saraswati Chalisa] का जाप किया जाता है| माना जाता है कि ब्रह्मा जी के मुख से ही माता सरस्वती का जन्म हुआ था| माता सरस्वती (वीणावादिनी) को समर्पित इस सरस्वती चालीसा [Saraswati Chalisa] का नित्य रूप से पाठ करने पर व्यक्ति अंधकार से बाहर निकलकर ज्ञानवान बनता है| प्रतिदिन सरस्वती चालीसा [Saraswati Chalisa] का पाठ भक्तों को बहुत लाभ देता है| सरस्वती चालीसा [Saraswati Chalisa] का पाठ करने से व्यक्ति ज्ञान तथा एकाग्रता की ओर आगे बढ़ता है|
सरस्वती चालीसा [Saraswati Chalisa] का पाठ जातक / जातिका की कुंडली बुध ग्रह की दशा को सुधारता है| बुध ग्रह संगीत, व्यापार, बुद्धि तथा वाणी को दर्शाता है| अत: सरस्वती चालीसा [Saraswati Chalisa] का पाठ प्रतिदिन करने से जातक का बुध ग्रह मजबूत होता है| इस सरस्वती चालीसा [Saraswati Chalisa] का पाठ करने से व्यक्ति में तेज बढ़ता है| जिस वजह से व्यक्ति हर क्षेत्र में यश व ऐश्वर्य हासिल करता है| इस सरस्वती चालीसा [Saraswati Chalisa] पूर्ण श्रद्धा के साथ जाप करने से व्यक्ति के अन्दर से अहंकार खत्म होता है तथा व्यक्ति सच्चाई को प्राप्त करता है|
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|| सरस्वती चालीसा ||
|| दोहा ||
जनक जननि पद्मरज,
निज मस्तक पर धरि ।
बन्दौं मातु सरस्वती,
बुद्धि बल दे दातारि ॥
पूर्ण जगत में व्याप्त तव,
महिमा अमित अनंतु।
दुष्जनों के पाप को,
मातु तु ही अब हन्तु ॥
|| चौपाई ||
जय श्री सकल बुद्धि बलरासी ।
जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी ॥
जय जय जय वीणाकर धारी ।
करती सदा सुहंस सवारी ॥
रूप चतुर्भुज धारी माता ।
सकल विश्व अन्दर विख्याता ॥
जग में पाप बुद्धि जब होती ।
तब ही धर्म की फीकी ज्योति ॥
तब ही मातु का निज अवतारी ।
पाप हीन करती महतारी ॥
वाल्मीकिजी थे हत्यारा ।
तव प्रसाद जानै संसारा ॥
रामचरित जो रचे बनाई ।
आदि कवि की पदवी पाई ॥
कालिदास जो भये विख्याता ।
तेरी कृपा दृष्टि से माता ॥
तुलसी सूर आदि विद्वाना ।
भये और जो ज्ञानी नाना ॥
तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा ।
केव कृपा आपकी अम्बा ॥
करहु कृपा सोइ मातु भवानी ।
दुखित दीन निज दासहि जानी ॥
पुत्र करहिं अपराध बहूता ।
तेहि न धरई चित माता ॥
राखु लाज जननि अब मेरी ।
विनय करउं भांति बहु तेरी ॥
मैं अनाथ तेरी अवलंबा ।
कृपा करउ जय जय जगदंबा ॥
मधुकैटभ जो अति बलवाना ।
बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना ॥
समर हजार पाँच में घोरा ।
फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा ॥
मातु सहाय कीन्ह तेहि काला ।
बुद्धि विपरीत भई खलहाला ॥
तेहि ते मृत्यु भई खल केरी ।
पुरवहु मातु मनोरथ मेरी ॥
चंड मुण्ड जो थे विख्याता ।
क्षण महु संहारे उन माता ॥
रक्त बीज से समरथ पापी ।
सुरमुनि हदय धरा सब काँपी ॥
काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा ।
बारबार बिन वउं जगदंबा ॥
जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा ।
क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा ॥
भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई ।
रामचन्द्र बनवास कराई ॥
एहिविधि रावण वध तू कीन्हा ।
सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा ॥
को समरथ तव यश गुन गाना ।
निगम अनादि अनंत बखाना ॥
विष्णु रुद्र जस कहिन मारी ।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी ॥
रक्त दन्तिका और शताक्षी ।
नाम अपार है दानव भक्षी ॥
दुर्गम काज धरा पर कीन्हा ।
दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ॥
दुर्ग आदि हरनी तू माता ।
कृपा करहु जब जब सुखदाता ॥
नृप कोपित को मारन चाहे ।
कानन में घेरे मृग नाहे ॥
सागर मध्य पोत के भंजे ।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे ॥
भूत प्रेत बाधा या दुःख में ।
हो दरिद्र अथवा संकट में ॥
नाम जपे मंगल सब होई ।
संशय इसमें करई न कोई ॥
पुत्रहीन जो आतुर भाई ।
सबै छांड़ि पूजें एहि भाई ॥
करै पाठ नित यह चालीसा ।
होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा ॥
धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै ।
संकट रहित अवश्य हो जावै ॥
भक्ति मातु की करैं हमेशा ।
निकट न आवै ताहि कलेशा ॥
बंदी पाठ करें सत बारा ।
बंदी पाश दूर हो सारा ॥
रामसागर बाँधि हेतु भवानी ।
कीजै कृपा दास निज जानी ॥
॥दोहा॥
मातु सूर्य कान्ति तव,
अन्धकार मम रूप ।
डूबन से रक्षा करहु,
परूँ न मैं भव कूप ॥
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि,
सुनहु सरस्वती मातु ।
राम सागर अधम को,
आश्रय तू ही देदातु ॥
|| Saraswati Chalisa ||
|| Doha ||
Janak Janani Padmaraj,
Nij mastak par dhari.
Bandau maatu Saraswati,
Buddhi bal de daataari.
Purna jagat mein vyapt tava,
Mahima amit anantu.
Dushjano ke paap ko,
Maatu tu hi ab hantu.
|| Chaupai ||
Jai Shri Sakal Buddhi Balarasi.
Jay Sarvgyan Amar Avinaashi.
Jai Jai Jai Veenakar Dhari.
Karti sada suhans savaari.
Roop chaturbhuj dhari maata.
Sakal vishv andar vikhyata.
Jag mein paap buddhi jab hoti.
Tab hi dharma ki feeki jyoti.
Tab hi maatu ka nij avataari.
Paap heen karti mahataari.
Valmikiji the hatyaara.
Tava prasaad jaanai sansaara.
Ramcharit jo rache banaai.
Aadi kavi ki padvi paai.
Kalidas jo bhaye vikhyata.
Teri krupa drishti se maata.
Tulsi Sur adi vidwaana.
Bhaye aur jo gyaani naana.
Tinh na aur raheu avalambaa.
Keval krupa aapki ambaa.
Karahu krupa soi maatu bhavani.
Dukhit deen nij daasahi jaani.
Putra karahin aparadh bahoota.
Tehi na dharei chit maata.
Raakhu laaj janan ab meri.
Vinay karau bhaanti bahu teri.
Main anaath teri avalambaa.
Krpa karau jai jai Jagadambaa.
Madhukaitabh jo ati balwana.
Bahuyuddh Vishnu se thaana.
Samar hajaar paanch mein ghoraa.
Phir bhi mukh unse nahin moraa.
Maatu sahaay kiin tehikalaa.
Buddhi vipreet bhai khalahaalaa.
Tehi te Mrityu bhai khal keri.
Purvahu maatu manorath meri.
Chand Mund jo the Vikhyata.
Kshan mahu sanhaare un maata.
Rakt beej se samarth paapi.
Suramuni haday dhara sab kaapi.
Kaateu sir jimi kadali khamba.
Barbaar bin vaun Jagadambaa.
Jagprasiddh jo Shumbh Nishumbha.
Kshan mein baandhe taahi tu ambaa.
Bharatmaatu buddhi Phereu jaai.
Ramchandra banvaas karaai.
Ehividi Ravan Vadhu tu kiinha.
Sur nar muni sabko sukh deinha.
Ko samarth tava yash gun gaana.
Nigam anadi anant bakhaana.
Vishnu Rudra jas kahin mari.
Jinki ho tum raksha kaari.
Rakt dantika aur Shatakshi.
Naam apaar hai daanav bhakshi.
Durgam kaaj dhara par kiinha.
Durga naam sakal jag leinha.
Durg aadi harani tu maata.
Krpa karahu jab jab sukhdaata.
Nrip kopit ko maaran chahe.
Kaanan mein ghere mrig naahe.
Saagar madhy pot ke bhanje.
Ati toofaan nahin koou sange.
Bhoot pret baadha ya Dukh mein.
Ho daridra athava sankat mein.
Naam jape mangal sab hoi.
Sanshay ismein karai na koee.
Putrahin jo aatur bhai.
Sabai chaandi pujen ehi bhai.
Karai paath nit yah chaaleesa.
Hoy putra sundar gun eeshaa.
Dhoopadik Naivedya Chadhaave.
Sankat rahit avashya ho jaave.
Bhakti maatu ki karai hamesha.
Nikat na aavai taahi kaalesha.
Bandi paath karen sat bara.
Bandi paash door ho saara.
Ram Sagar baandhi hetu bhavaani.
Keejai krupa daas nij jaani.
|| Doha ||
Maatu soorya kanti tava,
Andhakaar mam roop.
Dooban se raksha karahu,
Paroon na main bhav koop.
Bal buddhi vidya dehu mohi,
Sunahu Saraswati maatu.
Ram Sagar adham ko,
Aashray tu hi dedaatu
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