Mahashivratri Puja Muhurat 2025: Cost, Vidhi, & Benefits
Mahashivratri Muhurat 2025: Mahashivratri puja is one of the most celebrated festivals in India by Hindus, as we all know…
दशहरा 2024: इस पृथ्वी को देवों की जन्म भूमि के रूप में भी जाना जाता है| यहाँ पर अनेकों देवी – देवताओं ने जन्म लिया है और बुराई का अंत करके लोगों को धर्म और अच्छाई के मार्ग पर चलना सिखाया| इसके अलावा भी कई बार राक्षसों के संहार के लिए भी देवताओं ने इस पृथ्वी पर अवतार लिए है|
विजयादशमी या दशहरा 2024 (Dussehra 2024) को भारत देश में अलग – अलग जगहों पर इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है| यह त्यौहार हिन्दू संस्कृति में शौर्य और वीरता का प्रतीक माना जाता है|
विकिपीडिया के अनुसार दशहरा 2024 या विजयादशमी 2024 (Vijayadashami 2024)का त्यौहार आश्विन मास की शुक्ल दशमी को यह पावन पर्व मनाया जाता है| लोगों को अपने धर्म के प्रति जागरूक करने और उन्हें धर्म के मार्ग लाने के लिए दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है| इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत यानी भगवान श्री राम ने इस दिन रावण का वध किया था|
इसलिए दशहरा या विजयादशमी के त्यौहार को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है| इसलिए इस दशमी को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है| दशहरा का त्यौहार वर्ष में आने वाली तीन बहुत ही शुभ तिथियों में से एक माना गया है| इस वर्ष विजयादशमी का त्यौहार 12 अक्टूबर 2024, मंगलवार को मनाया जाएगा|
दशहरा के दिन अपने जीवन में नये – नये कार्यों की शुरुआत की जाती है| इस दिन शस्त्रों तथा वाहनों की भी पूजा की जाती है| पौराणिक समय में राजा – महाराजा विजयादशमी के दिन युद्ध में विजय पाने के लिए प्रार्थना करके ही युद्ध रण में जाया करते थे| दशहरा 2024 का त्यौहार मनुष्य को दस प्रकार के पाप – क्रोध, काम, लोभ, मोह मद, अहंकार, आलस्य, मत्सर, चोरी तथा हिंसा को त्यागने से लिए प्रेरित करता है|
मुहूर्त | समय |
विजय मुहूर्त | दोपहर 01:54 से दोपहर 02:41 तक |
अपराह्न पूजा समय | दोपहर 01:06 से दोपहर 03:29 तक |
दशमी तिथि प्रारम्भ | 12 अक्टूबर 2024, सुबह 10:58 |
दशमी तिथि समाप्त | 13 अक्टूबर 2024, सुबह 09:08 |
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ | 12 अक्टूबर 2024, सुबह 05:25 |
श्रवण नक्षत्र समाप्त | 13 अक्टूबर 2024, सुबह 04:27 |
रावण दहन समय | शाम 05:54 से रात्रि 07:27 तक |
दशहरा शब्द की उत्पत्ति ‘दश’ (दस) तथा ‘अहन्’ से बताई गयी| प्राचीन कथाओं के अनुसार दशहरे को कृषि उत्सव भी कहा जाता है| हिन्दू धर्म में दशहरा का एक अलग सांस्कृतिक पहलू भी माना गया है| जैसा कि आप सभी लोग जानते है भारत को एक कृषि प्रधान देश के रूप में भी जाना जाता है| जब भी किसान अपने खेत में फसल उगाता है| तथा उससे होने वाले अनाज को घर लाता है तो उसे बहुत ही खुशी होती है|
नवरात्रि के त्यौहार में दुर्गा माँ का महिषासुर के साथ में देवी माँ के साहसपूर्ण युद्ध के बारे में बताया गया है| तथा अगले दिन दशमी को भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था| रावण भगवान श्री राम की पत्नी माता सीता का अपहरण करके अपनी लंका नगरी में ले गया था|
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भगवान श्री राम देवी माँ दुर्गा के बहुत बड़े उपासक थे| वेदों के अनुसार माना जाता है कि रावण से युद्ध करने से पहले श्री राम ने नौ दिनों तक देवी दुर्गा माँ की पूजा की थी| उसके पश्चात दसवें दिन ही प्रभु श्री राम ने दुष्ट राक्षस रावण का वध किया| इसी कारण से दशहरा 2024 (Dussehra 2024) बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है| भगवान श्री राम के द्वारा बुराई पर अच्छाई की विजय के कारण ही इस दिन विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है|
यहाँ सभी लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ भी घूमने के लिए आते है| इस दिन श्री राम जी रामायण का नाटकीय रूप में आयोजन भी किया जाता है| अंत में दशमी के दिन रावण को भगवान श्री राम के द्वारा जला दिया है| दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है|
नवरात्रि के त्यौहार के समाप्त होने के पश्चात ही दशहरा 2024 (Dussehra 2024) का त्यौहार आ जाता है| हिन्दू धर्म के अनुसार दशहरा का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय होने का प्रतीक है| यह दशहरा का पावन त्यौहार हिन्दू पंचांग के अनुसार दशहरा या विजयादशमी का त्यौहार आश्विन मास की शुक्ल दशमी को यह पावन पर्व मनाया जाता है| मेले में रामायण का नाटकीय रूप से आयोजन किया जाता है| इस दिन रावण को जलाने का भी प्रावधान बताया गया है|
इस दिन भगवान श्री राम ने लंका पति रावण का वध किया था| दशहरा मनाने के पीछे कारण केवल रावण का वध करना ही नहीं है| इसके अलावा भी दशहरा 2024 (Vijayadashami 2024) मनाने के बहुत से कारण है जिनके बारे मे आज हम चर्चा करेंगे| दशहरा मनाने के पीछे जितनी भी कथाएँ प्रचलित है| उनमे से तीन सबसे मुख्य कथाएँ है| जिनके बारे में आज हम आपको बताएँगे|
इस दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले रावण की पूजा की जाती है| क्योंकि रावण सबसे बड़ा विद्वान और एक ब्राह्मण था इसलिए मान्यताओं के अनुसार रावण को दहन करने से पहले उसकी पूजा अवश्य की जाती है| रावण की पूजा करने से स्नान आदि करके स्वयं को साफ़ – सुथरा कर ले| साथ ही अपने घर को भी अच्छे से साफ़ कर ले|
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दशहरा के दिन अपने घर को अच्छे से गेंदे के फूल व आम के पत्तों से सजाना चाहिए| आम के पत्तों को घर के मुख्य द्वार पर भी लगाना चाहिए| घर की सजावट अच्छे से कर लेने के पश्चात स्वयं भी स्वच्छ और अच्छे कपड़े धारण करे| इस पुरुषों को भी साफ़ – सुथरे वस्त्र ही पहनने चाहिए| दशहरे की पूजा परिवार के सभी सदस्यों को साथ में मिलकर ही करना चाहिए| इसके पश्चात गोबर की सहायता से रावण बनाइए| फिर गोबर की ही सहायता से 10 गोले बनाइए|
उन गोलों को ऐसी आकृति दे कि वह बिल्कुल रावण के मुख की आकृति के समान ही दिखे| इसके बाद बनाई हुई रावण की प्रतिमा के ऊपर कपास भी चढ़ाये| इस पश्चात रावण को दही और ज्वार अर्पित करने का विधान है| नवरात्रि की पूजा में उपयोग लाये ज्वार ही रावण की पूजा में काम में लिए जाते है| इसके बाद में रावण की दीपक जलाकर पूजा की जाती है| रावण की पूजा करने के पश्चात भगवान विष्णु से प्रार्थना की जाती है| कि हमे भटके हुए मार्ग से सही मार्ग की ओर ले जाने में सहायता करे|
जैसा कि आप सभी जानते है हिन्दू धर्म में सभी पेड़ – पोधों की पूजा की जाती है| जैसे – पीपल, आक, बरगद, तुलसी, डाक आदि अनेको पेड़ – पौधे है| जिनकी हिन्दू धर्म में पूजा की जाती है| उसी प्रकार दशहरा त्यौहार के समय एक शमी नाम के वृक्ष की पूजा की जाती है|
शमी के वृक्ष को पूजने का कारण यह है कि जब भगवान श्री राम रावण से युद्ध करने के लिए जा रहे थे तो रावण वध करने से पहले भगवान श्री राम ने शमी पेड़ को प्रणाम कर आशीर्वाद लिया था|
इसके पश्चात भगवान श्री राम रावण से युद्ध करने के लिए गए| और रावण का वध किया| पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत के समय भी जब पांडव अज्ञातवास में गए थे| तब उन्होंने अपने सभी शस्त्रों को शमी के वृक्ष में भी छुपाया था| यही कारण है कि दशहरा के दिन शमी के वृक्ष की पूजा की जाती है|
कथा के अनुसार एक भयानक राक्षस था| जिसका जन्म एक महिषी और राक्षस से हुआ था| इस कारण से वह कभी दानव और कभी भैंसे का रूप धारण कर सकता था|
उसका नाम महिषासुर रखा गया| महिषासुर ने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की| उसकी अत्यंत घोर तपस्या को देखकर ब्रह्मदेव प्रसन्न हो गए और वहा प्रकट हुए| ब्रह्मा जी ने महिषासुर को वरदान मांगने के लिए कहा – तब उस असुर ने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांग लिया| लेकिन ब्रह्मा जी ने यह वरदान उसे देने से मना कर दिया|
तब महिषासुर ने ब्रह्मा जी से वरदान माँगा कि उसकी मृत्यु किसी भी देवता, दानव और मनुष्य के द्वारा ना हो सके| ब्रह्मा जी तथास्तु कहकर उसे यह वरदान दे दिया| ब्रह्मा जी से वरदान पाने के बाद उसने तीनों लोकों पर अपना आतंक मचाना शुरू कर दिया| महिषासुर ने स्वर्ग लोक से सभी देवी – देवताओं को बाहर भगा दिया|
जिसके पश्चात सभी देवता ब्रह्मदेव व भगवान विष्णु के पास गए| सभी देवताओं के तेज से एक अद्भुत शक्ति उत्पन्न हुई जो कि माँ दुर्गा थी| सभी देवताओं ने उन्हें अलग – अलग हथियार दिए| इसके पश्चात माँ दुर्गा ने लगातार नौ दिन तक महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन शेर पर सवार होकर उसका वध कर दिया| इस वजह से भी दशहरा मनाया जाता है|
इसके अलावा दूसरी कहानी जो कि सभी लोगों द्वारा भली – भाँति परिचित है| यह कहानी है भगवान श्री राम की जिन्होंने अपने पिता की आज्ञा को मानकर 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया है| जब वह वनवास के लिए गए तो एक मायावी असुर जिसको लोग रावण के नाम से भी जानते थे| वह अपना भेष बदलकर आया और सीता माता अपहरण करके अपनी लंका नगरी में ले गया|
तब भगवान श्री राम ने हनुमान जी, सुग्रीव जी, अंगद जी तथा अन्य वानर सेना की सहायता से सागर पर पुल बनाकर लंका गए| जहां उनका सामना रावण के असुरों की सेना से हुआ| युद्ध में श्री राम ने सबसे पहले मेघनाद व कुंभकरण का वध किया और अंत में रावण का भी वध किया|
अन्य त्योहारों की तरह दशहरा का त्यौहार भी हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्व रखता है| दशहरा या विजयादशमी का त्यौहार आश्विन मास की शुक्ल दशमी को यह पावन पर्व मनाया जाता है| लोगों को अपने धर्म के प्रति जागरूक करने और उन्हें धर्म के मार्ग लाने के लिए दशहरा का त्यौहार मनाया जाता है|
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इस दिन भगवान श्री राम अपनी पत्नी का हरण करने वाले लंकापति रावण वध किया और इसी दिन ही मां दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिन के युद्ध में दसवें दिन उसका वध किया था| इसी वजह से दशमी के दिन दशहरा (विजयादशमी) का त्यौहार मनाया जाता है| इस दिन असत्य पर सत्य व बुराई पर अच्छाई की विजय हुई| इसलिए इस दिन को विजय दशमी के रूप में भी जाना जाता है|
किसी भी तरह की पूजा करने के लिए हमे बहुत सारी तैयारियां करनी होती है| गावों में पूजा आसानी से हो जाती है लेकिन शहरों में लोगों के पास समय की कमी होती है| जिस वजह से वह लोग पूजा नहीं करवा पाते है तो उनकी इस समस्या का समाधान हम लेकर आये है 99Pandit के साथ| यह सबसे बेहतरीन प्लेटफार्म है जिससे आप किसी पूजा के लिए ऑनलाइन पंडितजी को बुक कर सकते है|
यदि आप दशहरा या दिवाली या नवरात्रि की पूजा के लिए पंडित जी की तलाश कर रहे है तो हम आपको आज एक ऐसी वेबसाइट के बारे में बताने जा रहे है| जिसकी सहायता से आप घर बैठे ही किसी भी जगह से आपकी पूजा के उपयुक्त और अनुभवी पंडित जी को खोज सकते है| आप हमारी वेबसाइट 99Pandit पर जाकर सभी तरह की पूजा या त्योहारों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ले सकते है|
Q.दशहरे के दिन किसकी पूजा की जाती है ?
A.इस दिन भगवान श्री राम, वनस्पति तथा शमी के वृक्ष की पूजा की जाती है|
Q.दशहरा के दिन भगवान को क्या चढ़ाया जाता है ?
A.इस दिन भगवान हनुमान जी को पान का भोग लगाया जाता है|
Q.दशहरा क्यों मनाया जाता है ?
A.इस दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था| यानी इस दिन असत्य पर सत्य व बुराई पर अच्छाई की विजय हुई|
Q.दशहरा में किसका पुतला जलाया जाता है ?
A.इस दिन रावण के साथ मेघनाद और कुम्भकरण का भी पुतला जलाया जाता है|
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