Jeev Ashtakam Lyrics in Hindi: जीव अष्टकम हिंदी अर्थ सहित
हरे कृष्ण ! जीव अष्टकम आठ संस्कृत छंदों (अष्ट = आठ, काम = छंद) का एक सेट है, जिसे अक्सर…
हिन्दू धार्मिक ग्रंथो के अनुसार बताया गया है कि श्री राम स्तुति (Shri Ram Stuti) का अर्थ होता है – भगवान श्री राम का स्मरण करना| कहा जाता है कि इस राम स्तुति के द्वारा भगवान श्री राम का स्मरण करने से मनुष्य की आत्मा तृप्त हो जाती है|
श्री राम स्तुति (Shri Ram Stuti) का जप भक्तों के मन को शांति प्रदान करता है| पुरानी कथाओं के अनुसार बताया गया है कि श्री राम स्तुति की रचना महाकवि तुलसीदास के द्वारा की गई थी|
प्रतिदिन भगवान श्री राम की इस राम स्तुति या इसे राम जी आरती भी कह सकते है, का जाप करने से भगवान श्री राम तथा साथ उनके प्रिय भक्त हनुमान जी भी हमसे प्रसन्न होते है|
श्री राम स्तुति (Shri Ram Stuti) के साथ – साथ Hanuman Ji Ki Aarti तथा Hanuman Chalisa जैसे कई बड़े ग्रंथों की रचना भी महाकवि तुलसीदास जी के द्वारा ही की गई थी| अब आगे हम इस लेख के माध्यम से हम आपको 99Pandit के बारे में जानकारी देंगे|
99Pandit एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म है जिसकी सहायता से आप हिन्दू धर्म से संबंधित किसी भी पूजाओं जैसे – धनतेरस पूजा [Dhanteras Puja], भूमि पूजा [Bhoomi Puja] के लिए ऑनलाइन पंडित बुक कर सकते है|
यहाँ बुकिंग प्रक्रिया बहुत ही आसान है| बस आपको “बुक ए पंडित” [Book a Pandit] विकल्प का चुनाव करना होगा और अपनी सामान्य जानकारी जैसे कि अपना नाम, मेल, पूजन स्थान, समय,और पूजा का चयन के माध्यम से आप आपना पंडित बुक कर सकेंगे|
|| श्री राम स्तुति ||
श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन, हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तड़ित रुचि शुचि, नौमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबंधु दिनेश दानव, दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल, चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥
शिर मुकुट कुंडल तिलक, चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर, संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर, शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु, कामादि खलदल गंजनं ॥५॥
मन जाहि राच्यो मिलहि सो, वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील, स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय, सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि, मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
जानी गौरी अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल बाम, अङ्ग फरकन लगे।
|| सियावर रामचंद्र जी की जय ||
|| Shree Ram Stuti ||
Shri Ramachandra Kripalu Bhajuman, Harana Bhava Bhaya Darunam ।
Navakanja Lochana Kanja Mukha, kara Kanja Pada Kanjaarunam ॥1॥
Kandarpa Aganita Amit Chhavi, Nav Neel Neerad Sundaram ।
Patapita Maanahum Tadita Ruchi Shuchi, Nomi Janaka Sutaavaram ॥2॥
Bhaju Deena Bandhu Dinesh Daanav, Daitya vansha Nikandanam ।
Raghunanda Aanand Kanda Kaushal, Chanda Dasharatha Nandanam ॥3॥
Shir Mukuta Kundala Tilaka, Charu Udaaru Anga Vibhooshanam ।
Aajanu Bhuja Shara Chaap dhara, Sangram-jita-kara Dooshanam ॥4॥
Iti Vadati Tulsidas Shankar, Shesh Muni Mana ranjanam ।
Mama Hridayakanja Niwas Kuru, Kamadi Khaladal Ganjanam ॥5॥
Manu Jaahin Raacheu Milihi so Baru, Sahaja Sundara Saanvaro ।
Karuna Nidhaan Sujaan Sheel, Sneha Jaanat Raavaro ॥6॥
Ehi Bhaanti Gauri Asees Suni Siya, Sahita Hiyan Harashit Ali ।
Tulsi Bhavanihi Pooji Puni Puni, Mudit Man Mandir Chali ॥7॥
Jaani Gauri Anukool, Siya Hiya Harashu Na Jaye Kaheen ।
Manjula Mangala Moola Vam, Anga Farkan Lage ।
|| Siyavar Ramchandra Ji Ki Jai ||
Table Of Content