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Malmas Kab Lagega 2025: 15 या 16 दिसंबर, कब से शुरू होगा मलमास? जाने सम्पूर्ण जानकारी

इस लेख में आप जानेंगे मलमास 2025 कब शुरू होगा, कब समाप्त होगा और यह अवधि कितने दिनों की रहेगी। सभी सवालों के सही जवाब के लिए पूरा लेख पढ़ें।
99Pandit Ji
Last Updated:December 15, 2025
मलमास 2025
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मलमास 2025: मलमास/खरमास आते ही लोगों के मन में सबसे पहला सवाल यही उठता है कि आख़िर यह महीना होता क्या है। मलमास को हिन्दू धर्म में एक ऐसा समय कहा गया है जो पूरी तरह भक्ति, पूजा जैसे अच्छे कर्मों के लिए रखा जाता है।

माना जाता है कि इस महीने में नए काम, शादी, गृह प्रवेश जेसे मांगलिक कार्यो के साथ नए कपड़े, वाहन या मकान खरीदने जैसा कोई बड़ा फैसला नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह समय दान-पूर्ण करने और भगवान की ओर ध्यान देने का माना गया है।

मलमास 2025

लोग यह भी मानते हैं कि मलमास में की गई भक्ति जल्दी स्वीकार होती है और भगवान बहुत आसानी से प्रसन्न होते हैं, इसलिए यह समय आत्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में किया गया छोटा-सा दान, जप, साधारण प्रार्थना या किसी की मदद भी बहुत ज्यादा शुभ फल देती है।

इस ब्लॉग में आप बहुत आसान भाषा में जानेंगे कि मलमास क्या होता है, मलमास 2025 कब शुरू होगा, इसमें क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए और यह महीना हमारे जीवन में कौन-कौन से अच्छे प्रभाव छोड़ता है। यह पूरा लेख आपको मलमास की बातें बिना किसी कठिनाई के समझेंगे।

मलमास 2025 की तिथि और अवधि

2025 में दो बार मलमास (खरमास) लगेगा, पहला 14 मार्च 2024 से 13 अप्रैल 2025 तक और दूसरा 16 दिसंबर 2025 से शुरू होकर 14 जनवरी 2026 तक

मलमास 2025 कब शुरू होगा? (15 या 16 दिसंबर)

  • इस साल मलमास 2025 16 दिसंबर 2025 (सुबह 4 बजकर 26 मिनट) से शुरू होगा। ज्योतिष और पंचांग के अनुसार इसी दिन से धनु राशि में सूर्य के गोचर (स्थानांतरण) के कारण मलमास आरंभ माना जाता है।
  • कुछ पंचांगों में इसे 15 दिसंबर 2025 से भी दिखाया जाता है, लेकिन मुख्य रूप से 16 दिसंबर से ही इसे प्रभावी माना जाता है।

समाप्ति और अवधि

  • मलमास लगभग एक महीने का होता है। मलमास 2025 16 दिसंबर 2025 से शुरू होकर 14 जनवरी 2026 तक रहेगा।
  • यानी 14 जनवरी 2026 को यह समाप्त माना जाएगा। मकर संक्रांति के दिन से फिर से शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

पंचांग और स्थानानुसार समय में भिन्नता

  • हिन्दू पंचांग सभी स्थानों पर एक जैसा नहीं होता, क्योंकि अलग-अलग शहरों में सूर्य के गोचर या ग्रह की स्थिति थोड़ी देर पहले या बाद में होती है।
  • कुछ जगहों पर मलमास 15 दिसंबर की रात से प्रभावी माना जा सकता है। वहीं अन्य पंचांग 16 दिसंबर से प्रभावी दिखा सकते हैं।

मुख्य बातें:

  • अवधि: मलमास एक खास महीना होता है। यह लगभग 28-29 दिन का होता है। इसे इसलिए जोड़ा जाता है ताकि चंद्र और सौर साल के बीच का फर्क पूरा हो सके।
  • कब आता है: यह महीना हर तीन साल में एक बार आता है। मतलब लगभग 32 महीने और 16 दिन के बाद।
  • क्यों होता है: सौर साल में 365 दिन होते हैं और चंद्र साल में 354 दिन। इस 11 दिन के फर्क को पूरा करने के लिए मलमास आता है।
  • नाम: इसे कई नामों से जाना जाता है – अधिक मास, पुरुषोत्तम मास और मलिन मास।

नोट: मलमास की तारीख और समय जगह के हिसाब से थोड़ा बदल सकते हैं। सही पूजा और व्रत के लिए अपने स्थानीय पंचांग या पंडित से पुष्टि कर लें।

मलमास का महत्व

मलमास वह महीना होता है जब सूर्य देव धनु राशि में होते हैं। इस समय सूर्य का तेज थोड़ा कम माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार, मांगलिक और शुभ काम जैसे शादी, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण या नया व्यवसाय शुरू करना इस महीने में नहीं करना चाहिए।

सूर्य का बलवान होना इन कार्यों के लिए जरूरी माना जाता है, इसलिए मलमास में इन्हें टालना शुभ होता है। मलमास का महीना भक्ति और धार्मिक कर्मों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस समय भगवान शिव की पूजा करना, दान देना, भजन और जप करना अत्यंत लाभकारी होता है।

मलमास 2025

छोटे-छोटे अच्छे काम जैसे दीन की मदद करना, मंदिर में सेवा करना या घर में दीप जलाना भी इस महीने में बहुत फल देते हैं।

लोग मानते हैं कि मलमास में किए गए दान, भजन और पूजा से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं। इससे घर में शांति आती है, मन शांत रहता है और जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

मलमास हमें यह भी सिखाता है कि रोज़ की भागदौड़ में थोड़ा रुककर भगवान को याद करना और अच्छे कर्म करना कितना ज़रूरी है। यह महीना साधना और भक्ति के लिए विशेष अवसर देता है, जिससे जीवन में लाभ मिलता है।

मलमास 2025 में व्रत और पूजा

यह महीना भगवान की भक्ति, पूजा और अच्छे कामों के लिए बहुत खास माना जाता है। इस महीने में किए गए व्रत, दान और पूजा बहुत फल देते हैं।

मलमास 2025

यह समय हमारे मन को शांत करने, भगवान को याद करने और जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाने का अवसर है।

महत्वपूर्ण व्रत

  • सोमवार व्रत: भगवान शिव के लिए। इस दिन उपवास रखें और शिवलिंग की पूजा करें। इससे पाप कम होते हैं और घर में शांति आती है।
  • मंगलवार व्रत: भगवान हनुमान या काल भैरव के लिए। यह व्रत शक्ति और साहस बढ़ाने में मदद करता है।
  • शुक्रवार व्रत: देवी लक्ष्मी के लिए। इस दिन पूजा और व्रत करने से धन और खुशहाली बढ़ती है।
  • एकादशी व्रत: भगवान विष्णु की भक्ति के लिए। इस व्रत में उपवास रखने से मन शांत होता है और पुण्य बढ़ता है।

विशेष पूजा और अनुष्ठान

  • भगवान शिव पूजा – जल, बेलपत्र और भस्म से शिवलिंग की पूजा करें।
  • देवी लक्ष्मी पूजा – दीपक जलाएं और सरल मंत्र पढ़ें।
  • दान और सेवा – गरीबों को भोजन, कपड़े या पैसे दें।
  • भजन और कीर्तन – घर या मंदिर में भजन सुनें और कीर्तन में भाग लें।
  • संत सत्संग – संतों का सत्संग सुनें और घर में छोटे धार्मिक काम करें।

मलमास में ये व्रत और पूजा करने से मन शांत होता है, भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-शांति बढ़ती है।

छोटे-छोटे अच्छे काम भी इस महीने में बहुत फल देते हैं। यह समय हमें सिखाता है कि थोड़ा रुककर भगवान को याद करना और भक्ति करना कितना जरूरी है।

मलमास 2025 में क्या करें और क्या टालें

मलमास का महीना खास होता है। यह समय बड़े काम, योजना और व्यावसायिक शुरुआत के लिए नहीं होता। इसे भक्ति, साधना और अच्छे कर्मों का महीना माना जाता है।

मलमास 2025

टालने योग्य कार्य

इस महीने में कुछ कामों से बचना चाहिए, ताकि परेशानी और अशुभता न आए:

  • नए व्यवसाय या नौकरी की शुरुआत।
  • लंबी यात्रा या यात्रा से जुड़े बड़े निर्णय।
  • बड़े निवेश या संपत्ति से जुड़े काम।

करने योग्य कार्य

मलमास में छोटे-छोटे और धार्मिक काम करना बहुत शुभ होता है:

  • घर में रोज़ाना भगवान की पूजा करना।
  • व्रत रखना और धार्मिक नियमों का पालन करना।
  • जरूरतमंदों को दान देना, जैसे भोजन, कपड़े या पैसे।
  • भजन, कीर्तन और सत्संग में भाग लेना।

विशेष उपाय और साधना

  • घर में दीपक जलाएं और भगवान को याद करें।
  • हल्का उपवास या फलाहार करके भगवान की भक्ति करें।
  • परिवार के साथ मिलकर छोटे धार्मिक अनुष्ठान करें।

इन आसान उपायों से मन शांत होता है, घर में सुख और शांति बढ़ती है और भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं। मलमास हमें यह सिखाता है कि छोटे-छोटे काम भी बहुत पुण्य ला सकते हैं।

प्रसिद्ध कहानी – राजा और भिक्षु

बहुत समय पहले की बात है। एक राजा था, जो बहुत संपन्न और शक्तिशाली था। उसने सुना कि मलमास के महीने में भगवान की भक्ति और दान करने का फल बहुत बढ़ जाता है।

राजा ने तय किया कि वह इस महीने में विशेष पूजा करेगा और गरीबों को दान देगा। उसने अपने राजमहल में कई भिक्षुओं को आमंत्रित किया और उनके लिए भोजन, वस्त्र और अनाज का इंतजाम किया।

भिक्षु राजा की भक्ति देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि भगवान को सबसे प्रिय वही काम है जो सच्चे मन और भक्ति से किया जाए।

राजा ने भी समझा कि केवल धन देना ही पुण्य नहीं होता, बल्कि सच्चे मन से सेवा और भक्ति करना सबसे बड़ा पुण्य है।

मलमास के इस महीने में राजा ने रोज भगवान की पूजा की, भिक्षुओं और गरीबों की सेवा की। इससे उसके राज्य में शांति और खुशहाली बढ़ी और राजा के मन को भी शांति और संतोष मिला।

सीख: यह कहानी हमें सिखाती है कि मलमास में छोटे या बड़े, दोनों तरह के अच्छे काम पुण्य लाते हैं। दान, सेवा और भगवान की भक्ति करना सबसे बड़ा पुण्य है, और इससे मन में शांति और घर में सुख-शांति आती है।

निष्कर्ष

मलमास एक बहुत ही खास और पवित्र महीना है। यह समय केवल पूजा, भक्ति और अच्छे कर्म करने के लिए नहीं, बल्कि मन को शांत करने, संयम रखने और जीवन को सही दिशा देने के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

इस महीने में किए गए छोटे-छोटे पुण्य कार्य, जैसे गरीबों की मदद करना, दान देना, भजन-कीर्तन करना और भगवान की साधना करना, हमारे जीवन में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं।

मलमास यह सिखाता है कि भक्ति और अच्छे कर्म करने के लिए धन या बड़े काम की जरूरत नहीं होती; सिर्फ सच्चे मन से किए गए काम ही सबसे मूल्यवान हैं।

इस ब्लॉग में हमने जाना कि मलमास 2025 कब शुरू होगा, इसका महत्व क्या है, इसमें कौन-कौन से पुण्य और धार्मिक काम किए जा सकते हैं। अर्थात मलमास हमें याद दिलाता है कि भक्ति और अच्छे कर्म हमेशा हमारे जीवन को खुशहाल और संतुलित बनाते हैं।

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